सावन का यह महीना आपके जीवन में क्या कोई बदलाव लेकर आने वाला है? अगर हाँ तो कौन से बदलाव? यह जानने के लिए आप अभी हमारे एक्सपर्ट ज्योतिषियों से सवाल पूछ सकते हैं।
सावन का महीना भगवान शिव को बेहद ही प्रिय होता है। ऐसे में इस दौरान भोले के भक्त महादेव को प्रसन्न करने के लिए हर वो जतन करते हैं जिससे भगवान शिव की प्रसन्नता हासिल की जा सकती है। वैसे भी, कहा जाता है सभी भगवानों में भगवान शिव को प्रसन्न करना बेहद ही आसान होता है। भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव अपने भक्तों की हर मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं।
तो आइये इस ख़ास मौके पर जानते हैं भगवान शिव से जुड़ी कुछ अनोखी और अनूठी बातें। उनके कुछ बेहद ही खूबसूरत और चमत्कारी मंदिर, और साथ ही जानते हैं इस सावन के महीने में पड़ने वाले कुछ व्रत-त्योहारों के बारे में भी।
इस बार श्रावण मास की शुरूआत 6-जुलाई 2020, से हो रही है और, इसका समापन 3-अगस्त 2020, को होगा। इस बार श्रावण मास पर अद्भुत संयोग बन रहा है क्योंकि, सावन की शुरूआत का पहला दिन ही सोमवार है, वहीं सावन के अंतिम दिन यानी 3 अगस्त को भी सोमवार का ही दिन पड़ रहा है।
(सावन सोमवार और इस दिन की पूजा विधि जानने के लिए यहाँ क्लिक करें)
हिंदू धर्म में सावन का महीना का बहुत ही महत्व है। पुराणों के अनुसार सावन में भोले शंकर की पूजा, अभिषेक, शिव स्तुति, मंत्र जाप का खास महत्व है। इस महीने में जो भी भक्त सोमवार का व्रत रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान शिव पूरी करते है। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस पूरे महीने शिव भक्त बड़ी ही श्रद्धा के साथ उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। हिंदू पंचाग के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि भी पड़ती है। लेकिन सावन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व है।
बात सावन के महीने की चली है तो आइये सबसे पहले जानते हैं सावन सोमवार व्रत के महत्व के बारे में।
हिन्दू धर्म में सावन महीने का बहुत महत्व बताया गया है। यह साल का वो समय होता है जब हर तरफ हरियाली छाई रहती है। भगवान शिव को समर्पित इस महीने के बारे में यह मान्यता है कि, जब देवशयनी एकादशी से धरती के पालन-हार भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं, तब इन चार महीनों के लिए श्रृष्टि का सारा कार्यभार वो भगवान शिव को सौंप देते हैं। यही वजह है कि इस दौरान भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा का विधान बताया गया है।
सावन में शिव पूजन का महत्व
सावन में सोमवार का दिन शिव जी की पूजा के लिए खास माना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार सावन के सोमवार पर शिवलिंग की पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। कुंवारी लड़कियाँ मन-चाहा वर प्राप्त करने के लिए सावन के सोमवार का व्रत रखती हैं।
इस वर्ष श्रावण माह की शुरुआत 06-जुलाई 2020 से हो रही है। इसके अलावा इस साल के अन्य श्रावण सोमवार की सूची हम आपको नीचे दे रहे हैं।
सोमवार, 06 जुलाई श्रावण मास का पहला दिन
सोमवार, 06 जुलाई सावन सोमवार व्रत
सोमवार, 13 जुलाई सावन सोमवार व्रत
सोमवार, 20 जुलाई सावन सोमवार व्रत
सोमवार, 27 जुलाई सावन सोमवार व्रत
सोमवार, 03 अगस्त सावन सोमवार व्रत
सोमवार, 03 अगस्त श्रावण मास का अंतिम दिन
पश्चिम एवं दक्षिण भारत के लिए सावन सोमवार की सूची अलग है, उसे जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
इन उपायों से मिलेगा बीमारियों से छुटकारा
श्रावण मास में सुबह के समय जल्दी उठे। इसके बाद अपने स्नान के जल में दो बूंद गंगा-जल डालकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा की थाली में रोली-मोली, चावल, धूप, दीपक, सफेद चंदन, सफेद जनेऊ, कलावा, पीला फल, सफेद मिष्ठान, गंगा जल तथा पंचामृत आदि रखें।
सुबह-सवेरे मंदिर पहुँचकर विधि विधान से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें। गाय के घी का दीपक और धूपबत्ती जलाकर, वहीं आसन पर बैठकर शिव चालीसा का पाठ करें और, अगर किसी बीमारी से पीड़ित है तो महामृत्युंजय मंत्र का कम से 108 बार जप अवश्य करें, और घर वापस आते समय भगवान शिव से प्रार्थना करें और अपने मन की इच्छा कहे। (मंदिर नहीं जा पाने की स्थिति में आप घर के मन्दिर में भी यह विधि कर सकते हैं)
सावन के महीने में ही शिव भक्त कांवर लेकर, मीलों यात्रा कर के गंगा-जल लेने जाने के लिए कांवड़ यात्रा का आयोजन करते हैं। हालाँकि इस वर्ष वैश्विक आपदा के चलते कांवड़ यात्रा को रोक दिया गया है। कांवड़ यात्रा में लाये गए गंगा-जल से भक्त भगवान शिव का अभिषेक किया करते हैं।
सावन के महीने में आइये दर्शन करते हैं भगवान शिव के कुछ ऐसे भव्य और खूबसूरत मंदिरों के, जिनके बारे में कहा जाता है कि इन मंदिरों में साक्षात् भगवान शंकर विराजते हैं।
(श्रावण महीने में आने वाले व्रत-त्योहारों की संपूर्ण सूची जानने के लिए आगे पढ़ें)
केदारनाथ मंदिर (उत्तराखंड) : भगवान शिव के इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि, इस मंदिर में आने भर से इंसान को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। हिमालय की गोद में स्थित भगवान भोले के इस मंदिर को बारह ज्योतिर्लिगों में से एक कहा गया है। साथ ही इसे चार धाम और पंच केदार में भी एक माना जाता है। (यहाँ क्लिक कर के पढ़ें इस मंदिर के कुछ चमत्कारी तथ्य)
लिंग-राज मंदिर (भुवनेश्वर) : खूबसूरत नक्काशी और बेहद ही भव्य इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह 10वीं या 11वीं शताब्दी में बनवाया गया था। लिंग-राज मंदिर भगवान शिव के एक रूप हरि-हारा को समर्पित है।
अमरनाथ गुफा (अमरनाथ) : भगवान शंकर के भक्तों के बीच अमरनाथ गुफा का विशेष महत्व माना गया है बता दें कि, इस जगह के बारे में ऐसी मान्यता है कि अमरनाथ गुफ़ा में ही शिव जी ने पार्वती माता को अमरता का ज्ञान दिया था। (यहाँ क्लिक कर के पढ़ें अमरनाथ गुफा से जुड़े कुछ रहस्य)
घृष्णेश्वर महादेव मंदिर (औरंगाबाद, महाराष्ट्र) : इस मंदिर को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में आखिरी ज्योतिर्लिंग माना जाता है। (सभी 12 ज्योतिर्लिंगों की संपूर्ण जानकारी जानने के लिए यहाँ क्लिक करें)
कैलाश मंदिर ( औरंगाबाद, महाराष्ट्र) : कैलाश मंदिर को हिमालय के कैलाश का रूप देने की पूरी कोशिश की गयी है। कहा जाता है कि इस मंदिर को पूरी तरह से तैयार करने में तकरीबन डेढ़ सौ साल का समय लगा है। मंदिर की खूबसूरती देखकर आप समझ जायेंगे कि आखिर इसे बनाने में इतना समय कैसे लग गया। (इस मंदिर के बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करें)
अरुणाचलेश्वर मंदिर ( तिरुवन्नामलाई, तमिलनाडु) : भक्तों के बीच इस मंदिर की काफी मान्यता है। कहा जाता है कि जो कोई भी भक्त सच्चे मन से इस मंदिर में कुछ भी मांगता है भगवान शिव उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं। (केदारनाथ से रामेश्वरम तक एक कतार में पड़ने वाले सात शिव मंदिरों के बारे में विस्तार से पढ़ें, यहाँ)
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (खंडवा, मध्य प्रदेश) : इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहाँ भगवान शिव विश्राम करने के लिए आते हैं। (इस मंदिर के बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करें)
जटोली शिव मंदिर (हिमाचल प्रदेश) : देव भूमि में स्थित इस मंदिर की खूबसूरती शब्दों में बयां की ही नहीं जा सकती है। यह मंदिर खूबसूरत होने के साथ-साथ देश का सबसे ऊँचा मंदिर भी है। (इस मंदिर के बारे में और जानने के लिए यहाँ क्लिक करें)
अन्नामलाईयर मंदिर (तिरुवन्नामला, तमिलनाडु) : अपने भव्य आकार के लिए जाने जाने वाले विशाल मंदिर संरचनाओं में से एक तिरुवनमलाई में अन्नामलाईयार मंदिर है और यह खूबसूरत मंदिर तमिलनाडु के प्रसिद्ध शिव मंदिरों की सूची में सबसे ऊपर आता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर (उत्तर प्रदेश) : वाराणसी के पवित्र शहर में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर, भारत में एक बहुत ही लोकप्रिय शिव मंदिर है और साल भर यहाँ तीर्थ यात्रियों का जमावड़ा लगा रहता है। (इस मंदिर के बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक कर सकते हैं)
ख़ास जानकारी : क्या आप जानते हैं कि सावन के महीने का भगवान शनि के साथ भी ख़ास संबंध है?
दरअसल शनि देव और सावन के महीने का संबंध जानने के लिए आपको पहले शनि देव और भगवान शिव के बीच का रिश्ता जानना पड़ेगा। मान्यताओं के अनुसार समस्त संसार के पूजनीय, भगवान शंकर ने शनि देव को अपने शिष्य के रूप में अपनाया था। अर्थात शिव भगवान और शनि देव में गुरु-शिष्य का संबंध था, और इसी के चलते सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने का भी महत्व बताया गया है।
सावन में कैसे करें शनि देव और भगवान शिव की पूजा? किस तरह से दोनों भगवानों को खुश कर के उनकी प्रसन्नता हासिल की जा सकती है? शनि देव की पूजा का विधान क्या है? सावन और शनि देव में ज्योतिषीय क्या समबन्ध है? अगर आपके मन में भी ये सब सवाल हैं तो इनके जवाब जानने के लिए पढ़ें इस विषय पर लिखा हमारा यह ख़ास लेख। आर्टिकल पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।
सावन में भगवान शिव की पूजा में ज़रूर शामिल करें ये ख़ास मंत्र
शिव मंत्र, भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे आसान और कारगर तरीका माना गया है। कहा जाता है कि भगवान शिव के मंत्रों को जपने से भक्तों के ऊपर शीघ्र ही उनकी कृपा दृष्टि बरसती है और जीवन में ख़ुशियाँ, सुख-समृद्धि आती है। भगवान शिव के मंत्रों में एक रंक को राजा बनाने, एक अज्ञानी को महाज्ञानी और एक निर्बल को सबल बनाने की शक्ति होती है।
ऐसे में सावन सोमवार की पूजा में शिव मन्त्रों को अवश्य शामिल करें।
सबसे आसान और सबसे लोकप्रिय मंत्र
“ॐ नमः शिवाय”
शिव बीज मंत्र
“ह्रौं“
महामृत्युंजय मंत्र
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”
शिव गायत्री मंत्र
‘ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।’
श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै न काराय नम: शिवाय:॥
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै म काराय नम: शिवाय:॥
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥
अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।।
(हमने यहाँ सिर्फ कुछ मंत्र ही बताएं हैं, शिव तांडव स्त्रोत और शिवाष्टक जानने, और इन मन्त्रों के जप से मिलने वाले फल की जानकारी चाहिए, तो यहाँ क्लिक करें)
आइये अब जानते हैं सावन मास में पड़ने वाले कुछ व्रत-त्योहारों के बारे में एक संक्षिप्त
08 जुलाई | संकष्टी चतुर्थी | भगवान गणेश को समर्पित यह व्रत सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उपयुक्त है। |
16 जुलाई | कामिका एकादशी | सावन मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। |
18 जुलाई | सावन शिवरात्रि | यूँ तो हर माह शिवरात्रि मनाई जाती है, लेकिन अन्य सभी शिवरात्रि में सावन शिवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है। |
20 जुलाई | सोमवती अमावस्या | सोमवती या हरियाली अमावस्या को पितृ कर्मों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। |
23 जुलाई | हरियाली तीज | इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। |
25 जुलाई | नागपंचमी | इस दिन नागों की पूजा और उन्हें दूध पिलाये जाने का विधान है। |
30 जुलाई | श्रावण पुत्रदा एकादशी | यह व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए रखा जाता है। |
31 जुलाई | वर लक्ष्मी व्रत | माँ लक्ष्मी से संबंधित इस व्रत को सबसे उत्तम और श्रेष्ठ माना गया है। |
03 अगस्त | रक्षा बंधन | भाई-बहनों के प्रेम के रिश्ते का प्रतीक यह त्यौहार आखिरी सावन सोमवार के दिन पड़ रहा है। |
हम आशा करते हैं सावन सोमवार और भगवान शिव पर लिखा हमारा यह लेख आपके लिए हर मायने में सहायक साबित हुआ होगा। एस्ट्रोसेज के साथ जुड़े रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।