भारत एक ऐसा देश है, जहाँ कई धर्म के लोग एक साथ रहते हैं। जहाँ एक तरह यहाँ सभी धर्म के लोगों को अपने-अपने देवी-देवता की पूजा करने की आज़ादी है, वहीँ इन्हें कुछ चीज़ों की मनाही भी होती है। एक तरफ जहां देश की कई प्रसिद्ध मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है वहीं, दूसरी तरफ कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां कि पुजारी महिलाएं हैं। आज इस लेख में हम आपको एक ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताएँगे जहाँ महिला पुजारी पूजा कराती हैं। तो चलिए जानते हैं इस अनोखे मंदिर के बारे में –
कहां बसा है यह मंदिर
यह अनोखा मंदिर बिहार राज्य के दरभंगा जिले के कमतौल में स्थित है। इस मंदिर में “देवी अहिल्या” की पूजा की जाती है। माना जाता है कि ये वही मंदिर है, जहां भगवान राम ने देवी “अहिल्या” का उद्धार किया था। त्रेतायुग में जन्मी देवी अहिल्या जो कि गौतम ऋषि की पत्नी थी, उनका उद्धार भगवान राम के चरणों के स्पर्श से हुआ था। इस घटना का वर्णन रामायण में मिलता है, जिसमें कहा जाता है कि एक बार भगवान राम जनकपुर जा रहे थे तब रास्ते में उनका पैर जैसे ही एक शिला पर पड़ा, वह शिला जीवित स्त्री में बदल गई। यह स्त्री कोई और नहीं बल्कि “देवी अहिल्या” थीं।
यह है इस मंदिर की विशेषता
इस मंदिर में रामनवमी के दिन अनोखी परंपरा देखी जाती है। यहां श्रद्धालु मंदिर में सुबह से ही बैंगन का भार लेकर पहुंचते हैं और राम और अहिल्या के चरणों में इसे चढ़ाते हैं। इस दिन मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। यह मंदिर श्राप मुक्ति स्थल भी कहा जाता है। लोग यहाँ आकर मनौती मांगते हैं, और पूरी हो जाने पर बैंगन का चढ़ावा चढ़ाते हैं।
उसी तरह कहा जाता है कि यदि किसी व्यक्ति के शरीर में अहिला है, तो वो रामनवमी के दिन गौतम और अहिल्या स्थान कुण्ड में स्नान कर, कंधे पर बैंगन का भार लेकर मंदिर आये और बैंगन का भार चढ़ा दे, तो उसे अहिला रोग से मुक्ति मिल जाती है। अहिला देखने में मस्से जैसा होता है, जो इंसान के शरीर के किसी भी बाहरी हिस्से में हो जाता है।
महिला पुजारी कराती हैं पूजा
जहां भगवान राम ने अहिल्या का उद्धार किया था, वहां आज भी उनकी पीढ़ी मौजूद है और यहाँ पुरुषों की जगह महिला पुजारी ही पूजा कराती हैं। इस धार्मिक स्थल पर भारत के विभिन्न हिस्सों के साथ ही साथ पड़ोसी देश नेपाल से भी हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।
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