देवों के देव महादेव के कई पौराणिक मंदिर यूँ तो आपको देशभर में देखने को मिल जाएंगे, लेकिन यदि आपको बोलै जाएँ कि पाकिस्तान भी भगवान शिव के एक बेहद चमत्कारी मंदिर से अछूता नहीं रह स्का है तो, शायद आप भी हैरान हो जाएंगे। जी हाँ पाकिस्तान में एक ऐसा पौराणिक शिव मंदिर सालों से मौजूद हैं जिसका महत्व भारत के कई शिव मंदिरों से बहुत अधिक है। पाकिस्तान में स्थित ये मंदिर कुछ 900 साल पुराना बताया जाता है और इस मंदिर में आपको आए दिन ऐसे कई चमत्कार देखने को मिल जाएंगे जो आपने कभी नहीं देखें होंगे। यही वो पवित्र मंदिर हैं जिसका पवित्र जल बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवानी को पाकिस्तान प्रशासन द्वारा भेजा गया था। तो आईये जानते हैं आखिर क्या है इस मंदिर के पीछे का रहस्य।
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पाकिस्तान में इस जगह स्थित है प्रसिद्ध शिव मंदिर
आपको बता दें कि शिव भक्त केवल भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी हैं। भले ही आज वहां रहने वाले हिंदुओं के वनिस्पत मुस्लिमों की संख्या ज्यादा है लेकिन लोगों के मन में आस्था और श्रद्धा आज भी बनी हुई है। प्राचीन काल में बँटवारे से पहले वर्तमान पाकिस्तान के कटसराज नाम के स्थान पर शिव का बेहद पुराना मंदिर है। इस मंदिर की मान्यता ये है कि यहाँ आकर पहली बार भगवान शिव अपनी पत्नी माता सती के आत्मदाह कर लेने के बाद रोये थे। तक़रीबन नौ सौ साल पुराना ये मंदिर पाकिस्तान के कटस नामक स्थान पर एक पहाड़ी पर स्थित है। बता दें कि पाकिस्तान में रहने वाले तमाम हिंदुओं के लिए ये मंदिर एक बड़े आस्था और विश्वास का केंद्र है।
ये है इस मंदिर की प्रमुख विशेषता
पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पाकिस्तान के कटस नाम के जगह पर स्थित ये मंदिर असल में वहीं जगह है जहाँ माता सती के आत्मदाह कर लेने के बाद उनके वियोग में भगवान शिव पहली बार रोये थे। माना जाता है कि माता सती ने अपने पिता राजा दक्ष के एक कार्यक्रम में शिव जी का अपमान होता देख वहां के हवन कुंड में आत्मदाह कर लिया था। माता सती का ये वियोग शिव जी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे और अपने इस दुःख से मुक्ति के लिए वो कटस नाम के जगह पर पहुंचे और अपने आंसुओं को बहने दिया। माना जाता है कि शिव के बहते आंसुओं से दो कुंड का निर्माण हुआ। पहला कटस स्थित कटाक्ष कुंड और दूसरा राजस्थान के पुष्कर स्थित कुंड।
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ये है इस कटस मंदिर की विशेषता
ऐसी मान्यता है कि पाकिस्तान स्थित कटस मंदिर के कटाक्ष कुंड में मौजूद पानी में चमत्कारिक गुण है। इस कुंड का पानी दो रंगों में दिखाई पड़ता है, कुंड के शुरुआत में हर रंग का पानी और ज्यादा गहराई पर जाने में नीले रंग का पानी दिखाई देता है। इस मंदिर का निर्माण कब और किसने करवाया उसका प्रमाण तो नहीं मिल पाया है लेकिन आज भी इस मंदिर को लेकर लोगों के मन में आस्था और विश्वास जस का तस बना हुआ है।