2021 : भारत के भविष्य पर एक ज्योतिषीय आंकलन

वर्ष 2020 में एक वैश्विक महामारी के रूप में देश और दुनिया के सभी लोगों ने एक ऐसा भयानक साल देखा है जिसे हर कोई अपनी यादों से मिटा देना चाहता है। हर साल के अंत में हम इस बात का आकलन करते हैं कि, इस वर्ष हमने क्या खोया क्या पाया? यकीन मानिए वर्ष 2020 में हमने पाने की औसत में कई गुना खोया है। कोरोना महामारी ने यह साल आम जनजीवन के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था, व्यवसाय और अन्य सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी ऐसा प्रहार किया है कि, अब लोग नए वर्ष की राह तक रहे हैं कि, शायद वर्ष 2021 पिछले वर्ष की तुलना में हमारे लिए बेहतर साबित हो और इस वर्ष हम अपनी उन सभी मुश्किलों से उभर पाए जो बीते वर्ष में हमारे जीवन में आ गई थी। 

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ग्रहों के गोचर और सितारों के आधार पर वर्ष 2021 कितना सकारात्मक और आशावादी साबित होता है आइये जानने की कोशिश करते हैं। ज्योतिष के आधार पर वर्ष 2021 में बृहस्पति और शनि के संबंध या गोचर होने से हमें कई परिवर्तन प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलेंगे। 

वर्ष 2021 के लिए अपेक्षित बदलाव 

जैसा कि, वर्ष 2020 ने हमारे जीवन में काफी उठापटक मचाई। ऐसे में माना जा सकता है कि, वर्ष 2021 हमारे लिए कई मायनों में सकारात्मक रूप से महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। वर्ष 2021 में भारत में तकनीकी प्रगति होने के काफी प्रबल आसार हैं। इस वर्ष मकर राशि में बृहस्पति और शनि की युति है और वे साल के अधिकांश समय कुंभ राशि में ही स्थित रहने वाले हैं। कुंभ राशि अचानक परिवर्तन, समुदायों के गठन, जो चीज में मायने रखती हैं उनके लिए लड़ने की, और तकनीकी प्रगति की राशि मानी जाती है। 

बृहस्पति और शनि की युति इस बात की तरफ इशारा कर रही है कि, वर्ष 2021 में भारत सभी उद्योगों में बेहद ही रचनात्मक नव विचारों के साथ सामने आएगा और मुख्य रूप से ऑनलाइन व्यापार करने के लिए यह समय बेहद ही बेहतरीन साबित हो सकता है। इसके अलावा इस वर्ष समानता के लिए कुछ विरोध प्रदर्शनों को भी होते हुए देखा जा सकेगा। बृहस्पति और शनि की युति किसी अहम चीज की शुरुआत की तरफ भी इशारा कर रही है। बृहस्पति और शनि 20 साल में युति में आते हैं लेकिन, इस वर्ष जो बात उनकी इस युति को और विशेष बनाती है वह यह कि इस वर्ष उनका 200 साल का चक्र पूरा हो रहा है। 

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क्या इस वर्ष राजनीतिक रूप से सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे? 

वर्ष 2020 की राजनीति पर नजर डालें तो इस वर्ष राजनीतिक लिहाज से एकाधिकार देखने को मिला था और वर्ष 2021 में भी ऐसा ही कुछ नज़ारा देखने को मिल सकता है। हालांकि इस वर्ष चीजों को अलग तरह से करने और नेतृत्व और नए नेताओं की जरूरत पड़ सकती है। बड़े पैमाने पर बात करें तो, इस वर्ष सरकार को साझा मूल्यों को परिभाषित करने के लिए एक साथ आने की आवश्यकता होगी खासकर, ग्राहकों, कृषि, मुद्रा और सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे विषयों से संबंधित मुद्दों पर। वर्ष 2021 में यह बात साफ तौर पर जाहिर हो जाएगी कि, सरकार की सामूहिक जिम्मेदारियां हैं और उनके कामों का कुछ-न-कुछ नतीजा/परिणाम अवश्य ही होता है और हम सभी लोगों को एक साथ मिलकर आने वाले कल को बेहतर बनाने के लिए काम करना होगा। 

वर्ष 2021 के लिए ज्योतिषीय दृष्टिकोण 

  • व्यवसाय और करियर पक्ष के लिहाज से वर्ष 2021 एक बेहद ही अनुकूल और अवसरवादी वर्ष की तरह देखा जा सकता है।
  • मिथुन, धनु और वृश्चिक राशि के जातकों को वर्ष 2021 की पहली तिमाही में अपने स्वास्थ्य के प्रति अत्यधिक सावधान रहने की आवश्यकता पड़ेगी।
  • क्योंकि इस वर्ष चंद्रमा पुष्य नक्षत्र और लग्न हस्त नक्षत्र में गोचर करने जा रहा है इसलिए, वर्ष 2021 वित्तीय और वैवाहिक जीवन के लिए बेहद ही भाग्यशाली रहने वाला है।
  • 2021 का स्वामी ग्रह बुध सूर्य के साथ चौथे घर में जा रहा है जो कि लोगों के लिए बेहद ही शुभ संकेत लेकर आ रहा है क्योंकि, यह करियर और स्वास्थ्य के लिहाज से लाभ प्रदान करेगा।
  • शनि और बृहस्पति की युति के साथ अभिनव विचारों को समर्थन प्राप्त होने की संभावना है। साथ ही भारत इस वर्ष में निष्कर्ष और संतुलन की दृष्टि तक भी आसानी से पहुंच सकता है।  

ग्रहों की दृष्टि से वैश्विक आर्थिक संकट 

भारत में आर्थिक मंदी के कई अन्य कारण हैं लेकिन, ज्योतिषीय विश्लेषण के अनुसार भारत का यह आर्थिक संकट वर्ष 2022 से पहले हल नहीं होने वाला है। वर्ष 2020 और 2021 में मकर राशि में शनि बृहस्पति की युति आर्थिक मंदी की समस्याओं को और बढ़ाने का काम करेगी जो उस समय के आसपास वैश्विक मंदी का रूप ले लेगा। 

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शनि और बृहस्पति की युति से दुनिया भर में बड़े आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन होते हैं। बता दें कि, शनि सामान्य रूप से जनता के लिए कारक माना गया है और बृहस्पति धन और ज्ञान का प्रतीक है। ऐसे में जब शनि और बृहस्पति युति में होते हैं या आमने-सामने (एक-दूसरे पर दृष्टि की स्थिति) में होते हैं तो राजनीतिक, सामाजिक मामलों, सामान्य रूप से फैशन और खर्च करने की आदतों में जनता की राय में भारी बदलाव देखने को मिलता है। ऐसा कई मौक़ों पर देखा गया है कि, जब शनि और बृहस्पति युति में होते हैं या दोनों की एक दूसरे पर दृष्टि होगी तो दुनिया भर में प्रमुख आर्थिक मंदी की स्थिति बनती है। 

वैश्विक आर्थिक मंदी के समय शनि और बृहस्पति या तो एक दूसरे पर दृष्टि या एक दूसरे के साथ ही युति में होते हैं। वर्ष 1970 में शनि मेष राशि में गोचर कर रहा था और बृहस्पति इस दौरान तुला राशि में सातवें घर में था। वर्ष 1980-81 में शनि और बृहस्पति कन्या राशि में युति में थे। 1990 में शनि धनु राशि में था और बृहस्पति मिथुन राशि के सातवें घर में था। 2001 में शनि और बृहस्पति वृषभ राशि में युति में थे। इसके बाद वर्ष 2010 में शनि कन्या राशि में था और बृहस्पति यहाँ से सातवें घर में स्थित था। बता दें यह वह समय था जब पूरा यूरोप और अमेरिका वैश्विक मंदी से प्रभावित चल रहा था। उस समय अरब और भारतीय उपमहाद्वीप में भी भ्रष्टाचार निरोधी सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे जिसके परिणाम स्वरूप शासन में परिवर्तन देखने को मिला था। 

अब एक बार फिर शनि और बृहस्पति युति में हैं। नवंबर और दिसंबर के महीने के दौरान वे मकर राशि में युति में होंगे। यह युति प्रमुख राजनीतिक और सामाजिक क्रांतियों के साथ एक छोटे विश्व युद्ध जैसी स्थिति ला सकती है। वर्ष 2020 से शुरू होने वाले 2 वर्षों की वैश्विक आर्थिक मंदी भारत, जापान, अमेरिका, यूरोप, ब्राजील की अर्थव्यवस्थाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। 2020 और 2021 के दौरान दुनिया भर के राजनेताओं और अमीर उद्योगपतियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे। 

2020 के अंत तक कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि होगी, और बृहस्पति और शनि की युति के कारण सोने की कीमतों में भी जुलाई 2021 तक वृद्धि देखने को मिलेगी। आने वाले महीनों में सोने की खपत और कीमतों में वृद्धि आने के आसार हैं। रियल स्टेट बाजार में मंदी आएगी और स्टील की कीमतें भी घटेगी।

अप्रैल 2022 के बाद इन स्थितियों में कुछ राहत मिलने की संभावना है जब बृहस्पति मीन राशि में शनि के आगे गोचर करेगा जो कि एक विस्तार की राशि मानी जाती है। अप्रैल 2022 से लेकर 2023 की शुरुआत में जब बृहस्पति का गोचर मीन राशि में होगा तब वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी। आने वाले वर्षों में कई देशों में समाजवादी नेतृत्व की शक्ति में उदार वादियों के वापस आने की भी संभावनाएं देखी जा सकती हैं। 

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क्या वर्ष 2021 में भारत में कोरोनावायरस खत्म हो जाएगा? 

कोरोनावायरस महामारी देश और दुनिया के लिए एक ऐसा विषम संकट बन चुका है जिसका हर कोई खत्म होने का इंतजार कर रहा है। सब जानना चाहते हैं कि, यह जल्द से जल्द कब खत्म होगा और कब हमारी सामान्य जिंदगी पटरी पर आएगी? रोजाना लोग टीवी और अन्य खबरों के माध्यम पर टकटकी लगाए इस बात का इंतजार करते हैं कि, कोरोनावायरस के अंत से जुड़ी कोई अच्छी खबर या इसके इलाज और उपचार के बारे में कोई अच्छी खबर प्राप्त कर सकें। 

ज्योतिष के अनुसार सितंबर और अक्टूबर के महीने लोगों के लिए किसी बुरे सपने के रूप में बनकर उभरे हैं क्योंकि ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि, इन महीनों के दौरान यह वायरस तेजी से फैल सकता है। ऐसे में इस वायरस की श्रृंखला या चेन को तोड़ने के लिए डब्यूएचओ (WHO) निरंतर निर्देशित सावधानियों के पालन करने और इसे जारी रखने की सलाह दे रहा था। 

अब अंत में कोरोनावायरस का असर दिसंबर 2020 से जनवरी 2021 तक घटने लगेगा। भविष्यवाणी के अनुसार इस समय अवधि में हमारे आसपास जीवन की नई आशा और हमारा सामान्य जीवन पुनः पटरी पर आने की उम्मीद है। मेडिकल साइंस आखिरकार कोविड-19 से लड़ने के लिए किसी आधिकारिक टीका या दवा बनाने की लंबी लड़ाई का समाधान लेकर जल्द ही सामने आ सकते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप रिकवरी रेट में काफी सुधार होगा। हालांकि इस महामारी का प्रभाव 2021 की पहली तिमाही के दौरान तक देखने को मिलेगा लेकिन अगस्त के महीने से एक बार फिर से सामान्य स्थिति स्थापित होने लगेगी और जनजीवन भी सामान्य रूप से चलने लगेगा। 

2021 में भारत के लिए संचार संकट 

जैसा कि, वर्ष 2021 बुध ग्रह का साल है और ऐसे में इस वर्ष बुध ग्रह का वक्री होना बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि ये जीवन में कई महत्वपूर्ण बातों की वजह बन सकता है जैसे कि, किसी चीज़ के खो जाने की, या फिर खुद में खोया हुआ महसूस करने की और त्वरित फैसले लेने में असफल रहने की। बुध ग्रह सबसे छोटा और एक बेहद ही शुभाशुभ ग्रह माना गया है। इसके अलावा क्योंकि बुध ग्रह संचार का ग्रह कहा जाता है ऐसे में अपनी वक्री (उलटी स्थिति) में इसके परिणाम स्वरूप संचार में किसी तरह की कोई दिक्कत, या ख़राबी और मेल्टडाउन होने की आशंका है। नई योजनाओं के साथ आगे बढ़ने के लिए यह समय शुभ साबित नहीं होगा लेकिन, क्योंकि बुध का यह वक्री गोचर वायु राशि मिथुन, तुला और कुंभ में हो रहा है ऐसे में यह समय भारत के लिए अपने संबंधों के आकलन करने और लोगों या अन्य देशों से बेहतर संबंध स्थापित करने के लिए एक अच्छा समय साबित हो सकता है। 

जनवरी 30 से लेकर 21 फरवरी के दौरान बुध  कुंभ राशि में वक्री गोचर करेगा, और 29 मई से 11 जून तक मिथुन राशि में और 27 सितंबर से 23 अक्टूबर तक तुला राशि में वक्री गोचर करेगा। 

वर्ष 2021 में भारत पर राहु केतु का प्रभाव 

काल पुरुष कुंडली के दूसरे घर में राहु की मौजूदगी अर्थव्यवस्था को नष्ट करने, वित्तीय अपराधों को बढ़ावा देने का काम करेगी वहीं, आठवें घर में केतु खतरे की स्थिति, रोजी-रोटी का नुकसान, सांप्रदायिक हिंसा और आत्महत्या की स्थिति पैदा कर सकता है। 

वृषभ और वृश्चिक राशि राहु और केतु के लिए मजबूत राशियां मानी जाती हैं। सितंबर 2020 से लेकर मार्च 2022 के बीच में जो कोई भी घटनाएँ होंगी वह बेहद ही  तीव्र होंगी और इनका परिणाम लंबे समय तक देखा जा सकेगा। ये 18 महीने के समय आर्थिक मंदी, नौकरी के नुकसान, कई उद्योगों और बैंकों और निजी वित्तीय नेटवर्क के पतन का गवाह बनेंगे। 

राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव 

  • सितंबर 2020 से मार्च 2022 के बीच वृषभ और वृश्चिक राशि में राहु और केतु इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि, दुनिया को जानलेवा वायरस से छुटकारा मिलेगा और साथ ही इस महामारी के टीके में सफलता और रोग प्रतिरोधक क्षमता में इज़ाफा देखने को मिलेगा।
  • आर्थिक संकट जारी रहने वाला है क्योंकि इस दौरान कई व्यवसाय ठप हो सकते हैं और कइयों की नौकरी छूट सकती है।
  • पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय मंच पर हार सकते हैं और साथ ही उनके लिए भारत और दुनिया के साथ संबंध बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।
  • चीन 2021 में प्राकृतिक आपदाओं के बाद एक-बार फिर उठकर सामने आएगा। वहीं स्वतंत्रता के लिए हांगकांग की आवाज़ को दबाया या अपेक्षित किया जा सकता है।
  • रूस, फिलीपींस, सिंगापुर, मलेशिया जैसे कई देश कई कारणों से पीड़ित हो सकते हैं।
  • भारत के कई शहरों में आतंकवादी उजागर होंगे।

अंत में हम सिर्फ यह कहना चाहेंगे कि, वर्ष 2021 नई आशा, पुराने दुखों से उभरने और नई शुरुआत के लिए एक स्थिर वर्ष साबित हो सकता है।

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