तमिलनाडु का वह मंदिर जहां वराह स्वरूप में विराजित हैं जगत के पालनहार भगवान विष्णु

आज घर बैठे हम आपको एक ऐसे मंदिर के दर्शन कराएंगे जिससे तकरीबन 1200 वर्ष पुराना बताया जाता है। तमिलनाडु में स्थित वराह गुफा मंदिर भगवान विष्णु के वराह स्वरूप को समर्पित है। जानकारों के मुताबिक बताया जाता है कि, यह मंदिर सातवीं शताब्दी में बनाया गया है। यह मंदिर तमिलनाडु में महाबलीपुरम से तकरीबन 8 किलोमीटर दूर स्थित है।

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भगवान विष्णु का वराह स्वरूप

भगवान विष्णु ने अलग-अलग समय पर धरती को बचाने के लिए अलग-अलग रूप धारण किये थे। इन्हीं में से उनका एक स्वरूप था वराह स्वरूप, जिसमें उन्होंने धरती को बचाने के लिए जंगली सूअर का रूप धारण किया था। भगवान विष्णु ने अपने इस स्वरूप में अपने लंबे दांतों से पृथ्वी को जलमग्न होने से बचाया था। भगवान विष्णु के इस स्वरूप से संबंधित और जानकारी जाने के लिए आप हमारा यह विस्तृत लेख पढ़ सकते हैं।

वराह गुफा मंदिर का इतिहास

वराह गुफा मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर सातवीं सदी में बनाया गया था। यह गुफा मंदिर बेहद ही खूबसूरत दिखने वाली नक्काशी दार स्तंभों पर बनाया गया है। इस मंदिर की दीवारों पर कई नक्काशी दार मूर्तियां बनाई गई हैं। मंदिर के अंदर भगवान विष्णु के दशावतार में से एक वराह अवतार को बेहद ही खूबसूरती के साथ प्रस्तुत किया गया है।

वराह गुफा एक पहाड़ी पर स्थित है जिसकी ऊंचाई लगभग 11.5 फीट बताई जाती है। यह गुफा पूरी तरह से चट्टानों को काटकर बनाई गई है। जानकारी के लिए बता दें कि, वराह गुफा मंदिर को यूनेस्को ने एक विश्व धरोहर स्थल माना है।

इस मंदिर में चार भुजा वाली दुर्गा देवी और भगवान विष्णु के अवतार नजर आते हैं। इस मंदिर में मौजूद बेहद ही खूबसूरत मूर्तियां इस मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं। वराह के गुफा मंदिर में एक ऐसा दृश्य भी मौजूद है जिसमें मां दुर्गा का भक्त रक्त देवी को अपना कटा हुआ सिर चढ़ा रहा है।

ऐसे में हम तो आपसे यही कहेंगे कि यदि आप लोग कभी भी तमिलनाडु जाते हैं तो पल्लव राजवंश के शासन काल में निर्मित इस गुफा मंदिर के दर्शन अवश्य करें।

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