हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वह तिथि जब चंद्रमा दिखाई नहीं देता, उसे अमावस्या के नाम से जाना जाता है। अमावस्या को अमावस भी कहा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार महीने के 30 दिनों को चंद्र कला के अनुसार 15-15 दिनों के दो पक्षों में बाँट दिया जाता है। जिस भाग में चंद्रमा का आकार बढ़ते रहता है, उसे शुक्ल पक्ष कहते हैं, और जिस भाग में चंद्रमा का आकार घटते-घटते पूरी तरह लुप्त हो जाता है, उसे कृष्ण पक्ष कहते हैं। शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन में चाँद अपने पूर्ण रूप में आ जाता है, और उस दिन को हम “पूर्णिमा” कहते हैं। जबकि इसके विपरीत कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन जब चाँद पूरी तरह लुप्त हो जाता है, उस दिन को हम “अमावस्या” कहते हैं।
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आगामी 24 मार्च को चैत्र अमावस्या का पर्व मनाया जायेगा। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन पूजा-पाठ करने का खास महत्व होता है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म या पूजा -पाठ करना अनुकूल माना जाता है। बहुत से लोग अपने पूर्वजों के नाम से हवन करते है और प्रसाद आदि चढ़ाते हैं। दिन के अनुसार पड़ने वाली अमावस्या के अलग-अलग नाम होते हैं। जैसे सोमवार को पड़ने वाले अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं, उसी तरह शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं। अमावस्या महीने में एक बार ही आती है। मतलब हिन्दू पंचांग के अनुसार एक साल में 12 अमावस्याएँ होती हैं। आप में से बहुत कम ही लोगों को इन अमावस्या के विषय में पता होगा। तो चलिए आज इस लेख में आपको सभी अमावस्याओं के बारे में बताते हैं, साथ ही वो कौन सी सावधानियां हैं जो हमें अमावस्या के दिन बरतनी चाहिए, इसकी भी जानकारी हम आपको देंगे –
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सोमवती अमावस्या
सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को “सोमवती अमावस्या” कहते हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से चंद्र दोष दूर होता है, और सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं। महिलाएं विशेष रूप से अपने पति की लंबी आयु के लिए सोमवती अमावस्या का व्रत रखती हैं।
- भौमवती अमावस्या
भौम यानि कि मंगल। मंगलवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को “भौमवती अमावस्या” कहते हैं। इस दिन जो व्यक्ति व्रत रखता है, उसपर से कर्ज का संकट समाप्त हो जाता है।
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मौनी अमावस्या
“मौनी अमावस्या” माघ के महीने में आती है और आध्यात्मिक रूप से इसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
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शनि अमावस्या
शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को “शनि अमावस्या” कहते हैं। इस दिन व्रत रखने से शनि के दोष दूर हो जाते हैं।
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महालय अमावस्या
महालया अमावस्या को पितृक्ष की सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन अन्न का दान और तर्पण आदि करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं।
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हरियाली अमावस्या
हरियाली अमावस्या श्रावण माह में आती है। इस दिन कई जगहों पर पौधा रोपण किया जाता है। साथ ही इस दिन पितरों की शांति के लिए अनुष्ठान भी किए जाते हैं।
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दिवाली अमावस्या
कार्तिक मास की अमावस्या को “दिवाली अमावस्या” कहते हैं। इस अमावस्या के समय दीपोत्सव मनाया जाता है और इस दिन लक्ष्मी पूजा करने का महत्व भी है।
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कुशग्रहणी अमावस्या
भादो माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या कहा जाता है। कई जगहों पर इसे पिठौरी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन दान, स्नान और पितरों की पूजा की जाती है ।
ज़रूर बरतें ये सावधानियां
मान्यता है कि अमावस्या के दिन शुभ कार्य करने से वो ज़्यादा फलदायक नहीं होता है। इस दिन विशेष सावधानी भी बरतनी रखनी चाहिए। अमावस्या के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन न करें। इस दिन शराब आदि जैसे नशे की चीज़ों से भी दूर रहना चाहिए। इससे न केवल आपका शरीर प्रभावित होगा, बल्कि आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम पड़ सकते हैं। अमावस्या के दिन देर तक नहीं सोना चाहिए। इस दिन क्रोध, हिंसा, अनैतिक कार्य, मांस-मदिरा आदि का सेवन और स्त्री से शारीरिक संबंध निषेध होता है। इस दिन कई जगहों पर लोग उपवास रखते हैं।
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