क्या एआई मानव ज्योतिषियों की जगह ले सकता है? एस्ट्रोसेज के संस्थापक ने किया खुलासा

नई तकनीक और प्राचीन ज्ञान का मेल
आज जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बारे में दुनिया भर में चर्चाएं हो रही हैं, भारत के प्राचीन ज्ञान और आधुनिक तकनीक के इस संगम को एक नई पहचान देने का काम किया है एस्ट्रोसेज के संस्थापक पुनीत पांडे ने। हाल ही में न्यूज़ एंकर मीनाक्षी कंडवाल के साथ एक विशेष बातचीत में पुनीत पांडे ने अपनी यात्रा और एस्ट्रोलॉजी में एआई के योगदान पर विस्तार से चर्चा की।

100 करोड़ कुंडलियों का डेटाबेस और एआई का भविष्य

पुनीत पांडे ने बताया कि, एस्ट्रोसेज की यात्रा 2001 में एक साधारण मोबाइल एप्लिकेशन से शुरू हुई थी। आज, उनके पास 100 करोड़ बर्थ चार्ट्स का विशाल डेटाबेस है। इस डाटा का इस्तेमाल एआई मॉडल को ट्रेन करने में किया गया, जिससे एस्ट्रोलॉजिकल कंसल्टेशन को नए स्तर पर ले जाया गया।

“एआई एस्ट्रोलॉजर्स ने अब तक 1 करोड़ प्रश्नों का उत्तर दिया है,” उन्होंने कहा। इस उल्लेखनीय उपलब्धि ने एस्ट्रोलॉजी को स्केलेबिलिटी और सटीकता के मामले में नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है।

ग्रीन कार्ड छोड़ भारत लौटने की कहानी

पुनीत जी ने अपनी प्रेरणादायक कहानी साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने अमेरिका में एक आरामदायक नौकरी और ग्रीन कार्ड छोड़कर भारत लौटने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया, “मेरा सपना था कि भारत से एक ग्लोबल प्रोडक्ट बने, जो न केवल तकनीकी रूप से मजबूत हो, बल्कि भारतीय संस्कृति को भी आगे ले जाए।”

एआई और एस्ट्रोलॉजी का संगम

जब एआई और एस्ट्रोलॉजी के मेल की बात होती है, तो सवाल उठता है: क्या एआई एस्ट्रोलॉजर एक ह्यूमन एस्ट्रोलॉजर की तरह समस्याओं की गहराई समझ सकता है? पुनीत पांडे का जवाब स्पष्ट था। उन्होंने कहा कि, “एआई, अपने विशाल “ब्रेन” यानी पैमानों (पैरामीटर्स) के जरिए, समस्याओं को गहराई से समझ सकता है और सटीक समाधान दे सकता है।”

ज्योतिष के प्रति बढ़ता विश्वास और उपयोगिता

मीनाक्षी ने पूछा कि लोग एआई एस्ट्रोलॉजर पर कितना विश्वास कर रहे हैं। इस पर पुनीत जी ने बताया कि उनकी एआई कंसल्टेशन का रिव्यू और रेटिंग ह्यूमन एस्ट्रोलॉजर्स के बराबर है। यह इस बात का प्रमाण है कि एआई का इस्तेमाल पारंपरिक एस्ट्रोलॉजी को नुकसान पहुंचाने के बजाय उसे और आगे बढ़ा रहा है।

ज्योतिष के प्रति गलतफहमियों को दूर करना

पुनीत पांडे ने इस बात पर भी जोर दिया कि ज्योतिष के क्षेत्र में शिक्षा और जागरूकता बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, “अगर लोग कुंडली बनाना और उसे समझना सीख जाएं, तो वे गलतफहमियों और धोखाधड़ी से बच सकते हैं।” इसके लिए एस्ट्रोसेज ने कुंडली मिलान और अन्य एस्ट्रोलॉजिकल सेवाओं को मुफ्त रखा है।

एआई का भविष्य: एक वरदान या खतरा?

इंटरव्यू के दौरान एआई से जुड़े खतरों पर भी चर्चा हुई। पुनीत पांडे ने बताया कि एआई का इस्तेमाल समाज को बेहतर बनाने के लिए होना चाहिए। “हमने अपनी एआई टेक्नोलॉजी को सुरक्षित और समाजोपयोगी बनाने के लिए विशेष सावधानियां बरती हैं,” उन्होंने कहा।

दिवाली जैसे त्योहारों की तिथियों पर विवाद

त्योहारों की अलग-अलग तिथियों को लेकर उन्होंने कहा कि तकनीक के माध्यम से हर स्थान के लिए सटीक समय निर्धारित करना संभव हो गया है। उन्होंने सुझाव दिया कि हर व्यक्ति अपने क्षेत्र के अनुसार तिथियों का पालन करे, जिससे यह समस्या कम हो सकती है।

अंत में, भारत का सपना

पुनीत पांडे ने इंटरव्यू का अंत एक प्रेरणादायक संदेश के साथ किया। उन्होंने कहा, “मेरे लिए एस्ट्रोलॉजी सिर्फ एक विज्ञान नहीं है; यह मानवता को सुखी और समृद्ध बनाने का साधन है।”

उनकी कहानी और दृष्टिकोण एक बात स्पष्ट करते हैं: प्राचीन भारतीय ज्ञान और आधुनिक तकनीक का संगम भारत को वैश्विक मंच पर नई पहचान देने की क्षमता रखता है।

ज्योतिष और तकनीक के इस सफर में पुनीत पांडे जैसे विजनरी लीडर्स का योगदान हमेशा सराहा जाएगा।

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