और देखते-देखते आ चुका है नवरात्रि का पांचवा दिन। नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी के स्वरूप के नाम का अर्थ देखें तो स्कंद का मतलब होता है भगवान कार्तिकेय और मां का मतलब होता है माता। अर्थात यह माता का यह स्वरूप स्कंद देव की माता है।
आज अपने इस खास ब्लॉग में हम नवरात्रि की पांचवें दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों की जानकारी हासिल करेंगे। साथ ही जानेंगे इस दिन मां को किस वस्तु का भोग लगाया जा सकता है जिससे व्यक्ति को शुभ परिणाम प्राप्त हो। इसके अलावा जानेंगे इस दिन की पूजा का ज्योतिषीय संदर्भ और पूजा महत्व क्या है, मां का स्वरूप कैसा है और इस दिन क्या कुछ उपाय करके आप स्कंदमाता देवी का शुभ प्रभाव अपने जीवन में प्राप्त कर सकते हैं।
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मां स्कंदमाता का स्वरूप
सबसे पहले बात करें मां का स्वरूप कैसा है तो कहा जाता है की देवी स्कंदमाता की चार भुजाएं होती है जिसमें से देवी ने दो हाथों में कमल, एक हाथ में कार्तिकेय भगवान को लिया हुआ है और एक हाथ अभय मुद्रा में है। देवी स्कंदमाता कमल पर भी विराजमान होती है जिसके चलते इनका एक नाम पद्मासना भी है।
कहा जाता है की माता की पूजा करने से भक्तों को सुख और ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है। जो कोई भी भक्त देवी की सच्चे मन से पूजा करता है उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा देवी के स्वरूप को अग्नि देवी के रूप में भी जाना जाता है।
मां स्कंदमाता की पूजा का ज्योतिषीय संदर्भ
अब बात करें देवी की पूजा के ज्योतिषीय संदर्भ की तो ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। ऐसे में अगर किसी की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर अवस्था में है या पीड़ित अवस्था में है तो देवी की पूजा करने से उन्हें बुध ग्रह से संबंधित शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं साथ ही बुध ग्रह के दुष्प्रभाव जीवन में कम होने लगते हैं।
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मां स्कंदमाता की पूजा महत्व
बात करें मां स्कंदमाता की पूजा के से मिलने वाले महत्व की तो, कहा जाता है की मां दुर्गा के सभी नौ रूपों में स्कंदमाता स्वरूप सबसे ममतामई है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान की असीमित प्राप्ति होती है।
इसके अलावा कहा जाता है कि जो कोई भी भक्त संतान हीन है या संतान के अभिलाषा रखते हैं वह अगर सच्चे मन से नवरात्रि के पांचवें दिन का व्रत करें, मां की पूजा पाठ करें तो उनकी सूनी गोद जल्दी भर जाती है। इसके अलावा मां अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करती हैं उनके जीवन से कष्ट को दूर करती हैं।
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मां स्कंदमाता को अवश्य लगाएँ ये भोग
अब बात करें मां के प्रिय भोग की तो कहा जाता है कि माँ के इस स्वरूप को पीले रंग की वस्तुएं सबसे ज्यादा प्यारी होती है। ऐसे में इस दिन आप माता को पीले रंग के फल, पीले रंग के मिठाई भोग के रूप में अर्पित कर सकते हैं। इसके अलावा आप चाहे तो केसर की खीर का भोग भी माँ को लगा सकते हैं। अगर आप विद्या या फिर बुद्धि के लिए मां की पूजा कर रहे हैं तो इस दिन मां को पांच हरी इलायची अवश्य अर्पित करें। साथ ही लौंग का एक जोड़ा भी चढ़ा दे।
देवी स्कंदमाता का पूजा मंत्र
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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नवरात्रि के पांचवें दिन अवश्य करें यह अचूक उपाय
सर्व बांधा निवारण मन्त्र
सर्वबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः।|।
- अगर परिवार में किसी का विवाह नहीं हो पा रहा है या कोई रुकावट आ रही है तो इसे दूर करने के लिए नवरात्रि के पांचवें दिन 36 लौंग और 6 कपूर का टुकड़ा ले लें। इसमें हल्दी और चावल मिलाकर मां दुर्गा को आहुति दें। आहुति से पहले ऊपर दिया गया बाधा निवारण मंत्र का जाप अवश्य करें।
- संतान प्राप्ति की कामना है तो लौंग और कपूर में अनार के दाने मिलकर मां दुर्गा को आहुति दें। इससे पहले पांच माला बाधा निवारण मंत्र जरूर पढ़ें।
- अगर व्यवसाय सही ढंग से नहीं चल पा रहा है तो लौंग और कपूर में अमलतास के फूल मिला लें या तो कोई भी पिला फूल मिल सकते हैं फिर मां दुर्गा को आहुति दें।
- अगर परिवार में किसी को स्वास्थ्य संबंधित परेशानी है तो 152 लौंग 42 कपूर के टुकड़े लेकर इसमें नारियल की गिरी, शहद और मिश्री मिलाकर हवन करें। आहुति से पहले सामग्री पर बाधा निवारण मंत्र की पांच माला का जाप करें।
- अगर संपत्ति से संबंधित कोई परेशानी है तो आप लौंग और कपूर में गुड़ और खीर मिलकर मां दुर्गा को आहुती दें। इससे पहले सामग्री पर बाधा निवारण मंत्र की दो माला का जाप करें।
- नवरात्रि के दौरान पीपल के पेड़ की मिट्टी अपने घर में ले आयें। इसके आगे दीपक जलाएं। अगले दिन मिट्टी को वापस पीपल के पेड़ के नीचे डाल दें। ऐसा करने से कार्य में आ रही रुकावटें दूर होती है।
क्या यह जानते हैं आप?
कहा जाता है कि माँ स्कंदमाता की पूजा करने या उनसे संबंधित कथा पढ़ने या सुनने मात्र से भी संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा स्कंदमाता की कृपा से मूर्ख से मूर्ख व्यक्ति भी ज्ञानी हो सकता है। कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत तक रचनाएं मां स्कंदमाता की कृपा से ही मुमकिन हो पाई है।
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इन लोगों को विशेष रूप से करनी चाहिए मां स्कंदमाता की पूजा
बात करें विशेष रूप से किंहें मां स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए तो जिन लोगों को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां हैं, विवाह में रुकावटें आ रही हैं या फिर संतान प्राप्ति से संबंधित दिक्कतें जीवन में बनी हुई है उन्हें विशेष रूप से देवी स्कंदमाता की पूजा करने की सलाह दी जाती है।
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मां स्कंदमाता से संबंधित पौराणिक कथा
माँ स्कंदमाता से जुड़ी प्राचीन कथा के अनुसार कहा जाता है कि एक बार तारकासुर नामक राक्षस का आतंक बहुत बढ़ गया था लेकिन इस असुर का कोई भी अंत नहीं कर सकता था क्योंकि भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय के हाथों ही उसका अंत होना मुमकिन था। ऐसे में मां पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद यानी कार्तिकेय देव को युद्ध के लिए तैयार किया करने के लिए स्कंदमाता का रूप धारण किया। स्कंदमाता से युद्ध का प्रशिक्षण लेने के बाद भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का अंत किया।
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