कोरोना से बचाव में “कलर थेरेपी” भी मददगार

आज पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। भारत में भी इस बीमारी ने अपना भरपूर कब्जा़ कर लिया है। लगभग 1 महीने से ऊपर हो चला है, पूरे देश में लॉकडाउन के चलते हम सभी अपने-अपने घरों में बंद हैं। घर में हर कोई अपनी रुचि अनुसार समय व्यतीत कर रहा है। किंतु कुछ लोग ऐसे हैं, जो कि न्यूज़ चैनल में टकटकी लगाए कोरोना अपडेटस् पर पूरी निगाह रखते हैं। कितने लोग संक्रमित हुए, कितनों की मौतें हुई, क्या करें, क्या ना करें? बस सारा दिन इस बीमारी के बारे में सोचते रहते हैं। ऐसे में उनमें डिप्रेशन यानी अवसाद की संभावना बढ़ती जा रही है।

कोरोना से अपने बचाव के लिए हम बार-बार हाथ धो रहे हैं, जिससे जल का अपव्यय हो रहा है। लेकिन अभी ऐसा करने के अलावा हमारे पास कोई और उपाय भी नहीं है। ज्योतिष में जल का अपव्वय होने से व्यक्ति का चंद्रमा कमज़ोर हो जाता है। चंद्रमा के कमज़ोर होने से व्यक्ति मे अवसाद, भय, मानसिक चिंताएं व आत्मविश्वास में कमी आती है। कुलमिलाकर कहें तो कोरोना वायरस से बचाव के लिए घर में रहते हुए भी हम बहुत सी ऐसी चीज़ें कर रहे है, जिसकी वजह से कुछ अन्य बीमारियां या कह ले समस्याएं जन्म ले रही हैं। इन समस्यायों के उपचार हेतु आप घर में रहते हुए बड़ी आसानी से कलर थेरेपी का प्रयोग कर सकते हैं।

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आईये जानते हैं कुछ खास रंगों के महत्व और कोरोना वायरस के चलते होने वाली अन्य बीमारियां से बचाव के लिए इन रंगों के उपयोग के बारे में–

नारंगी रंग का महत्व

आमतौर पर किसी व्यक्ति को डिप्रेशन से बचाने के लिए नारंगी रंग के वस्त्र, भोज्य पदार्थ का सेवन व उसके कक्ष की साज-सज्जा नारंगी रंग की जाती है। नारंगी रंग लाल व पीले रंग का मिश्रण होता है, अर्थात सूर्य की ऊर्जा जो कि व्यक्ति को आत्मविश्वास व सकारात्मक देती है व पीले रंग से गुरू यानी विवेक की वृद्धि होती है। इन दोनों रंगो के मिश्रित प्रभाव से भगवा रंग जन्म लेता है। जो कि व्यक्ति को शक्ति के साथ ज्ञान भी समुचित मात्रा में देता है। तभी तो साधु संतों का चोला भगवा रंग का होता है। वे अपने परिवार और करीबियों से दूर होकर भी समाज सेवा कर, दूसरों के जीवन को प्रकाशित करते हैं। इस रंग में तंत्रिका तंत्र को मजबूती प्रदान करने की अद्भुत शक्ति होती है। महत्वकांक्षा को बढ़ाना, भूख बढ़ाना व श्वास के रोगों से आराम देना इस रंग के गुण हैं।

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हरा रंग का महत्व

हरा रंग ताज़गी का प्रतीक है। यह रंग व्यक्ति के “बुध ग्रह” की शुद्धि करता है और व्यक्ति की बुद्धि का विकास कर जीवन में नए आयामों की ओर आकर्षित करता है। ऐसे में यदि हम हरे रंग के वस्त्र धारण करें, हरे रंग की कांच की बोतल से जल का सेवन करें , हरा भोजन खाए यानी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें व आस-पास पेड़ पौधे लगाए, तो घर बैठे ही मन की अशांति दूर होकर नए रास्ते खुलेंगे। हरे रंग का यह उपचार कोरोना मरीज़ों की शीघ्र उपचार के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है। इस रंग के प्रयोग से व्यक्ति को नेत्र रोग, कमजोर ज्ञानतंतु, अल्सर, कैंसर व चर्म रोग जैसी बिमारियों में राहत मिलती है। बौद्धिक विकास के लिए जातक को हरे रंग का पन्ना रत्न ग्रहण करने की सलाह दी जाती है।

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नीला रंग का महत्व

नीला रंग सत्य ,आशा, विस्तार, स्वच्छता व न्याय का प्रतीक है। यह रंग स्त्री रोग, पेट में जलन, गर्मी, महत्वपूर्ण बल की कमी आदि के उपचार में प्रयुक्त किया जाता है। अब नीले रंग के भी कई प्रकार होते हैं, जैसे गहरा नीला और हल्का नीला।

कोरोना लॉकडाउन के समय यह अति आवश्यक है कि हम गहरे नीले या काले रंग का प्रयोग कम से कम करें। गहरा नीला या काला रंग अकेलेपन को बढ़ाता है और व्यक्ति में निराशा व तामसिक सोच का विकास करता है। और वो कहते हैं ना, खाली दिमाग शैतान का घर होता है। ज्यादातर लोग इस वक्त अपने खाली दिमाग व समय को भरने के लिए प्रयोजन में लगे हैं। अवसाद जैसी स्थिति में इस रंग का प्रयोग कदापि न करें। ऐसे में हल्का रंग जैसे हल्के नीले रंग का प्रयोग अति शुभ रहेगा।

हल्का नीला रंग श्वेत व नीले रंग के मिश्रित होता है। श्वेत रंग व्यक्ति को शीतलता, पवित्रता व शांति देता है। वही नीला रंग व्यक्ति में दृढ़ता लाता है। आसमानी या हल्के नीले रंग वाले वस्त्र पहनने से व्यक्ति को असीम शांति व सुख का अनुभव होता है और इस रंग से व्यक्ति की ग्रहण शीलता में सात्विकता आती है।

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लाल रंग का महत्व

हर रंग की अपनी एक आभा शक्ति होती है। लाल रंग की आभा शक्ति सर्वाधिक होती है। तभी तो विवाह समारोह में वधू को लाल रंग का जोड़ा पहनाने का चलन है। हर रंग की अपनी एक उपचारक क्षमता भी होती है। लाल रंग प्रेम, उत्साह व शक्ति का प्रतीक है। लाल रंग “मंगल ग्रह” का भी प्रतिनिधित्व करता है। जिस जातक की कुंडली में मंगल ग्रह दूषित होता है, उससे लाल वस्तुओं का दान करने की सलाह दी जाती है। लाल रंग अनेकों बीमारियों के उपचार में भी प्रयोग किया जाता है। जैसे निम्न रक्त संचार, खून की कमी, अवसाद ,जोड़ों का दर्द, पैरालिसिस आदि। कलर थेरेपी में इस रंग को जातक को पहनने व भोज्य पदार्थ द्वारा ग्रहण करने की सलाह दी जाती है। किंतु इस रंग का अत्यधिक प्रयोग क्रोध में हिंसा को जन्म देता है।

पीला रंग का महत्व

पीला रंग ज्ञान और सात्विकता का प्रतिनिधित्व करता है। खांसी, जुखाम, लीवर संबंधित बीमारियाँ कब्ज़, पीलिया, सूजन व तंत्रिका तंत्र की कमज़ोरी के उपचार में प्रयुक्त होता है। पीला रंग “गुरु ग्रह” का प्रतिनिधित्व करता है। व्यक्ति में ज्ञान और वैराग्य भावना विकसित कर सम्मानित जीवन जीने के लिए पीले रंग का पुखराज रत्न ग्रहण करने की सलाह दी जाती है।

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बैंगनी रंग का महत्व

बैंगनी रंग लाल व नीले रंग के मिश्रण से बनता है। इस रंग का प्रयोग यश, प्रसिद्धि व उत्साह प्रदान करता है। यह रंग रक्त शोधन के लिए प्रयुक्त किया जाता है। दर्द, सूजन, बुखार व कार्य क्षमता की वृद्धि के लिए इस रंग का प्रयोग किया जाता है। बैंगनी रंग सुस्त मस्तिष्क को उत्सव व आशा प्रदान करता है।

सब रंगों की अपनी उपचारक क्षमता होती है। कलर थेरेपी में अलग-अलग रंगों के बल्ब, पानी की बोतल, वस्त्र, खाद्य पदार्थ, क्रिस्टल, पिरामिड, चादर व पर्दे के रूप में उपचार दिया जाता है। यह उपचार आंतरिक रूप से हमारी हर बीमारियों के इलाज में  सहायक है। चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक। विशेषज्ञ की निगरानी में किए हुए उपचार से उचित लाभ मिलता है।

आशा करते हैं कि इन कलर थेरेपी के छोटे-छोटे उपचारों द्वारा आप का यह कठिन समय सही तरीके से व्यतीत कर पाएंगे ।

दीप्ति जैन, वास्तु एस्ट्रो विशेषज्ञ
दीप्ति जैन एक जानी-मानी वास्तुविद हैं, जिन्होंने पिछले 3 सालों से वास्तु विज्ञान के क्षेत्र में अपने कौशल और प्रतिभा को बखूबी दर्शाया है। उनके इस योगदान के लिए उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है। दीप्ति जैन न केवल वास्तु बल्कि सामाजिक मुद्दों, हस्‍तरेखा विज्ञान, अध्यात्म, कलर थेरेपी, सामुद्रिक शास्त्र जैसे विषयों की भी विशेषज्ञ हैं।

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