सनातन धर्म में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और प्रथम पूजनीय का दर्जा प्राप्त है। अर्थात किसी भी पूजा या शुभ और मांगलिक कार्य में हम सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करते हैं और उसके बाद ही शुभ काम या पूजा की शुरुआत की जाती है। इसके अलावा कहते हैं विघ्नहर्ता भगवान गणेश अपने भक्तों की एक आवाज सुनकर ही उनकी समस्या का समाधान, उनकी इच्छा पूर्ति के लिए आ जाते हैं। इन्हीं भगवान गणेश को समर्पित सबसे बड़ा त्यौहार होता है गणेश चतुर्थी का जिसका इंतजार भगवान गणेश के भक्त पूरे साल करते हैं।
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गणेश चतुर्थी का यह त्यौहार इतने भव्य तरीके से मनाया जाता है कि इसकी तैयारी को करने के लिए लोग महीनों पहले जुट जाते हैं। गणेश चतुर्थी का पर्व यूं तो पूरे देश में ही बेहद ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है लेकिन कहते हैं इस त्यौहार का असली रंग देखना हो तो महाराष्ट्र अवश्य जाएं।
यह 10 दिनों तक किए जाने वाला बेहद ही भव्य और खूबसूरत त्यौहार है। अपने इस विशेष ब्लॉग में आज हम जानेंगे गौरी पुत्र गणेश को समर्पित इस खास त्यौहार को इस वर्ष किस दिन मनाया जाएगा, और इस त्योहार से जुड़ी कुछ ऐसी दिलचस्प और जानने वाली जानकारियां जो आपको अवश्य पता होनी चाहिए।
वर्ष 2023 में कब है गणेश चतुर्थी का पर्व
बात करें वर्ष 2023 गणेश चतुर्थी की तो यह 19 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है और गणेश उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन 28 सितंबर को किया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन ही भगवान गणेश का जन्म हुआ था। ऐसे में इस दौरान गणेश उत्सव के त्यौहार में भक्त बप्पा की मूर्तियां अपने घरों, अपने मोहल्ले, दफ्तर, पंडालों आदि जगहों पर स्थापित करते हैं, 10 दिनों तक उनकी विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है, और आखिरी दिन गणेश विसर्जन के साथ बप्पा की विदाई कर दी जाती है।
गणेश स्थापना का शुभ समय
गणेश चतुर्थी स्थापना मुहूर्त
गणेश पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त : 11:01:23 से 13:28:15 तक
अवधि : 2 घंटे 26 मिनट
समय जब चन्द्र दर्शन नहीं करना है : 12:41:35 से 20:10:00 तक 18, सितंबर को
समय जब चन्द्र दर्शन नहीं करना है : 09:45:00 से 20:42:59 तक 19, सितंबर को
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गणेश चतुर्थी का महत्व
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को समृद्धि, बुद्धि, का देवता माना जाता है। ऐसे में कहते हैं कि जो कोई भी भक्त विधि-विधान और श्रद्धा के साथ भगवान गणेश की पूजा करते हैं और विशेष तौर पर गणेश चतुर्थी के दौरान उनकी पूजा करते हैं उनके घर में सब का मंगल होता है, किसी भी काम में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं, मनोकामना पूरी होती है, घर परिवार में समृद्धि और सुख का वास होता है और जातकों की बुद्धि प्रखर बनती है। इसके अलावा जो कोई भी भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं उनके जीवन में कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होती है। विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन के सभी तरह के कष्ट और परेशानियां दूर हो जाते हैं।
गणेश चतुर्थी पर क्यों की जाती है गणपति की मूर्ति की स्थापना?
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि यह दिन भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान लोग अपने घरों, मंदिरों, और इत्यादि जगहों पर भगवान गणेश की मूर्ति और प्रतिमा लाकर बड़े ही धूमधाम के साथ इस पर्व को मानते हैं। कहा जाता है कि भगवान गणेश को अपने घर लाने, उनकी पूजा अर्चना करने से, व्यक्ति को जीवन में सफलता और समृद्धि मिलती है।
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ऐसे में जो कोई भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा के साथ गणेश चतुर्थी पर अपने घर में बप्पा की मूर्ति लेकर आता है उन्हें दोनों समय (सुबह और शाम) भोग अर्पित करता है, उनकी पूजा पाठ करता है, और नियमों का पालन करते हैं उनके घर में सुख समृद्धि हमेशा बनी रहती है। हालांकि वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ ऐसे नियम बताए गए हैं जिनका पालन करना अनिवार्य होता है अन्यथा गणेश चतुर्थी का उचित फल व्यक्ति को नहीं प्राप्त होता है। क्या कुछ हैं ये वास्तु नियम आइये जान लेते हैं :
गणेश चतुर्थी से संबंधित वास्तु नियम
अगर आप भी गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति अपने घर में लेकर आते हैं या इस वर्ष गणेश मूर्ति अपने घर लेकर आने का विचार कर रहे हैं तो सबसे पहले कुछ वास्तु नियम होते हैं जिनकी जानकारी प्राप्त कर लें और उसके अनुरूप ही मूर्ति अपने घर लेकर आयें जिससे बप्पा का आशीर्वाद आपके जीवन में हमेशा बना रहे।
- गणेश चतुर्थी पर जो भी मूर्ति आप अपने घर में लाना चाहते हैं इस बात का ध्यान रखें कि गणेश जी की मुद्रा और सूंड की दिशा कैसी है। वास्तु के अनुसार बैठी हुई मुद्रा और बाई और झुकी हुई सूंड वाले गणेश जी को सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। कहते हैं ऐसी मूर्ति यदि घर में लेकर आयें तो इससे घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
- इसके अलावा मूर्ति में इस बात का ध्यान रखें कि बाप्पा की मूर्ति में मूषक आवश्यक हो और उनके हाथ में मोदक भी हो। इसे भी बेहद शुभ माना जाता है। क्योंकि जहां मोदक भगवान को बेहद ही प्रिय होता है वहीं मूषक उनका वाहन है।
- वास्तु के अनुसार कहते हैं भगवान गणेश की सिंदूर के रंग की प्रतिमा अगर घर में लेकर आई जाए तो इससे व्यक्ति की आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। हालांकि आप चाहें तो सफेद रंग की गणेश प्रतिमा भी अपने घर में ला सकते हैं। वास्तु के अनुसार इससे घर में खुशहाली बनी रहती है।
- घर में लाने के बाद वास्तु के अनुसार भगवान गणेश की मूर्ति को उत्तर दिशा में स्थापित करें। माना जाता है कि यह दिशा मां लक्ष्मी और भगवान शिव को समर्पित होती है। अर्थात इस दिशा में मां लक्ष्मी और शिव जी वास करते हैं। ऐसे में यदि हम गणेश जी का मुख इस दिशा में रखें तो हमें गणेश भगवान के साथ-साथ महादेव और मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- वास्तु के अनुसार एक और नियम बताया गया है जिसके अनुसार गणपति मूर्ति का मुख घर के मुख्य द्वार की तरफ होना चाहिए। कहा जाता है इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि हमेशा बनी रहती है।
हम उम्मीद करते हैं यह जानकारी आपके लिए बेहद ही उपयोगी साबित होगी और आप इन नियमों का पालन करके अपने घर में और अपने जीवन में गणपति भगवान का आशीर्वाद सुनिश्चित कर पाएंगे।
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गणेश चतुर्थी का समापन गणेश विसर्जन से क्यों होता है?
गणेश भगवान की पूजा अर्चना करने के बाद दसवें दिन गणपति भक्त भगवान गणेश की मूर्ति को विसर्जित कर देते हैं। इस दौरान लोग धूमधाम से यात्रा निकालते हैं, भजन कीर्तन करते हैं, और अंत में भगवान से पूजा में हुई किसी भी प्रकार की गलती के लिए क्षमा मांगते हैं, साथ ही उन्हें अगले वर्ष दोबारा अपने घर में आने का न्योता देते हैं, विसर्जन को लेकर के ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश 10 दिनों तक अपने भक्तों के साथ रहने उनके घर आते हैं और गणेश विसर्जन के साथ वह पुनः अपने घर यानी कैलाश पर्वत पहुंच जाते हैं इसीलिए गणेश चतुर्थी का समापन गणेश विसर्जन से किया जाता है।
यह दिलचस्प जानकारी जानते हैं आप? कहा जाता है चंद्रमा ने भगवान गणेश जी के रूप का उपहास किया था जिसके चलते भगवान गणेश ने क्रोधित होकर चंद्रमा को श्राप दे दिया था इसीलिए भगवान गणेश की पूजा में कभी भी सफेद वस्तु, सफेद फूल, सफेद चंदन, जनेऊ, इत्यादि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। आप भी इस बात का विशेष ध्यान रखें और अपनी पूजा को सार्थक करें।
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विशेष आग्रह: आजकल बाजारों में तमाम तरह की गणेश प्रतिमाएं उपलब्ध हैं जिनमें तरह-तरह के केमिकल्स और हानिकारक तत्वों का प्रयोग किया जाता है। हम अपने रीडर्स से इस बात का अनुरोध करते हैं कि अगर आप भी गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाना चाहते हैं तो अपनी प्रकृति का ध्यान रखें और इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा लाकर उसके साथ ही पूजा करें और गणेश विसर्जन के दौरान इन्हें आप अपने घर पर ही विसर्जित कर लें। इससे हमारा वातावरण शुद्ध रहेगा।
गणेश चतुर्थी पर राशि अनुसार भोग से पाएँ बाप्पा का आशीर्वाद
राशि | गणेश चतुर्थी पर इस इस चीज़ का लगाएँ भोग |
मेष राशि | मोतीचूर के लड्डू |
वृषभ राशि | मोदक |
मिथुन राशि | दूर्वा |
कर्क राशि | सफ़ेद रंग की कोई मिठाई |
सिंह राशि | केला |
कन्या राशि | मोदक |
तुला राशि | बेसन के लड्डू |
वृश्चिक राशि | शुद्ध घी में बने हुये लड्डू |
धनु राशि | मोदक |
मकर राशि | मोदक |
कुम्भ राशि | मेवे के लड्डू |
मीन राशि | श्रीखंड |
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