सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु को अति प्रिय हैं। इस दिन उनकी आराधना की जाती है। साथ ही इस दिन माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। इन्हीं एकादशी में अजा एकादशी बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन अजा एकादशी मनाई जाती है। धार्मिक दृष्टि से यह व्रत बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। माना जाता है कि अजा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्ति पा लेता है। यह व्रत एकादशी तिथि से प्रारंभ होकर द्वादशी तिथि की सुबह समाप्त होता है। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और इस दिन दान-पुण्य करना भी फलदायी माना जाता है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और इसी क्रम में जानते हैं कब है अजा एकादशी, पूजा मुहूर्त, महत्व, पौराणिक कथा के साथ ही कई अन्य बातें।
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अजा एकादशी 2023: तिथि व मुहूर्त
इस साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 10 सितंबर 2023 दिन रविवार को पड़ेगी और अजा एकादशी का व्रत इसी दिन रखा जाएगा। अब जानते हैं शुभ मुहूर्त के बारे में।
एकादशी तिथि की शुरुआत: अजा एकादशी तिथि की शुरुआत 09 सितंबर 2023 की शाम 07 बजकर 20 मिनट से होगी।
एकादशी तिथि की समाप्ति: 10 सितंबर 2023 की रात 09 बजकर 30 मिनट पर होगी।
अजा एकादशी पारण मुहूर्त: 11 सितंबर 2023 की सुबह 06 बजकर 03 मिनट से 08 बजकर 33 मिनट तक।
अवधि: 2 घंटे 29 मिनट
अजा एकादशी का महत्व
सभी उपवासों में अजा एकादशी को श्रेष्ठतम कहा गया है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति विधि विधान से इस व्रत को करता है, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और अंत में वह स्वर्गलोक को प्राप्त करता है। यही नहीं अजा एकादशी की कथा को सुनने मात्र से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ, कठिन तपस्या, तीर्थों में दान-स्नान आदि से मिलने वाले फलों से भी अधिक होता है और साथ ही, व्यक्ति इस लोक में सुख भोग कर अंत में विष्णु लोक में पहुंच जाता है।
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अजा एकादशी के दिन इस विधान से करें पूजा
- अजा एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- इसके बाद पूजा स्थान को साफ करें और एक साफ चौकी रखें।
- चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाए। इसके बाद भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की प्रतिमा रखें।
- भगवान विष्णु को पीले फूल व माता लक्ष्मी को सफेद फूल अर्पित करें। साथ ही दूध से बनी खीर का भोग जरूर लगाएं क्योंकि श्री हरि विष्णु जी को तुलसी अति प्रिय है।
- फिर विधि-विधान से पूजा करें। पूजा के दौरान आरती करें और इस दिन अजा एकादशी की कथा जरूर पढ़नी चाहिए।
- अजा एकादशी व्रत में पूरे दिन व्रत रखते हुए भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी का ध्यान करें।
- रात में जागरण करें और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए भजन, कीर्तन व उनके मंत्रों का जाप करें।
- इसके बाद अगले दिन मुहूर्त के समय व्रत पारण करें।
अजा एकादशी पर इन बातों का रखें ध्यान
- एकादशी के पावन दिन चावल खाने से बचना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चावल का सेवन करने से व्यक्ति का जन्म किसी रेंगने वाले जीव की योनि में होता है।
- व्रत करने वाले व्यक्ति को इस दिन शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- इसके अलावा, इस दिन किसी भी महिला का अपमान नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से माता लक्ष्मी नाराज हो जाती है। हालांकि, सिर्फ इसी दिन ही नहीं व्यक्ति को कभी भी महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए।
- एकादशी के दिन किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन जैसे मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
- अजा एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को सोना नहीं चाहिए।
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अजा एकादशी की व्रत कथा
अजा एकादशी की कथा सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाई थी, जो इस प्रकार है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक राज्य में हरिश्चंद्र नाम का एक चक्रवर्ती राजा रहता था। किसी कारण से राजा ने अपना राज्य छोड़ दिया और अपनी पत्नी, बच्चे व खुद को भी बेच दिया। इसके बाद राजा हरिशचंद्र एक चांडाल के यहां काम करता था और मृतकों के वस्त्र लेता था। वह हमेशा सत्य के मार्ग पर चलता रहा और जब भी अकेला होता था तो अपने दुखों से मुक्ति पाने का रास्ता ढूंढता था। वह सोचता था कि क्या ऐसा करें, जिससे उसका उद्धार हो सके।
वह काफी समय तक अच्छे कार्य करने में लगा रहा। एक दिन वह चिंतित होकर बैठा था, तभी गौतम ऋषि वहां आए। राजा ने उनको प्रणाम किया और अपने दुखों से मुक्ति पाने का रास्ता पूछने लगा। तब ऋषि ने कहा कि तुम भाग्यशाली हो क्योंकि आज से 7 दिन बाद भाद्रपद कृष्ण एकादशी यानी अजा एकादशी व्रत आने वाली है। तुम इस व्रत को विधि पूर्वक करो तो तुम्हारा कल्याण होगा और इतना कहने के बाद गौतम ऋषि वहां से चले गए।
सात दिन बाद उस राजा ने अजा एकादशी का व्रत रखा और ऋषि के बताए अनुसार ही भगवान विष्णु का विधि- विधान से पूजन किया और पूरी रात जागरण किया और अगले दिन सुबह पारण करके व्रत को पूरा किया। इसके बाद भगवान विष्णु की कृपा से राजा के सारे दुख समाप्त हो गए और स्वर्ग से पुष्प वर्षा होने लगी। उसने देखा कि उसका मरा हुआ पुत्र फिर से जीवित हो गया है और उसकी पत्नी पहले की तरह रानी के समान दिखने लगी। व्रत के फल से राजा को अपना खोया हुआ राजपाट दोबारा मिल गया। जीवन के अंत में राजा को परिवार सहित स्वर्ग स्थान प्राप्त हुआ।
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अजा एकादशी के दिन करें ये आसान ज्योतिषीय उपाय
अजा एकादशी के दिन कुछ विशेष उपाय करके हर तरह के दुख-दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है। साथ ही, आर्थिक संपन्नता प्राप्त की जा सकती है। तो आइए जानते हैं कि एकादशी के दिन किए जाने वाले आसान ज्योतिषीय उपाय के बारे में।
सुख-समृद्धि के लिए
अजा एकादशी पर चंदन या फिर केसर में गुलाब जल मिला लें। इसके बाद इसे भगवान विष्णु के चरणों में चढ़ाएं और फिर माथे पर टीका लगा लें। माना जाता है कि इस उपाय को करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
आर्थिक समस्या से छुटकारा पाने के लिए
इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर जाकर एक पान के पत्ते में ऊँ विष्णवे नमः लिखकर भगवान को अर्पित करें। इसके बाद पूरे विधि-विधान से पूजा करें और पूजा के बाद उस पत्ते को अपनी तिजोरा या धन रखने वाली जगह पर रख दें। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति कभी भी आर्थिक समस्या से नहीं जूझता।
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पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए
अजा एकादशी पर पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं और वृक्ष की परिक्रमा करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ पीपल के पेड़ में वास करने वाले सभी देवी-देवता प्रसन्न होंगे। साथ ही, पितृ दोष से छुटकारा भी मिलेगा।
व्यापार और नौकरी में तरक्की के लिए
इस एकादशी की शाम तुलसी के सामने देसी घी का दीपक जलाएं और ‘ऊँ वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए तुलसी की 7 व 11 बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से नौकरी व व्यापार में खूब तरक्की मिलेगी और व्यक्ति को तेज़ी से लाभ होगा।
वैवाहिक जीवन के लिए
अजा एकादशी के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन गरीबों व जरूरतमंदों को कपड़े, अनाज, फल, दूध, दही, धन, घी आदि का दान करें। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है।
छात्रों के लिए
छात्रों को इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा का केसर वाले दूध से अभिषेक करना चाहिए और इसके बाद श्रीमद् भागवत कथा का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से छात्रों को अच्छे परिणामों की प्राप्ति होती है और वे अपने क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करने में सक्षम होते हैं।
इन मंत्रों से करें भगवान विष्णु को प्रसन्न
श्रीहरि बीज मंत्र
‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’। इस मंत्र का जाप करने से धन-वैभव, सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शीघ्र फलदायी मंत्र
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवाय।। ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। ॐ विष्णवे नम:।।
धन-समृद्धि के मंत्र
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो,मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
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