चातुर्मास क्या होता है? हिंदू धर्म में इसका क्या महत्व बताया गया है? इस दौरान क्या कुछ काम नहीं करने चाहिए? वर्ष 2023 में चातुर्मास कब से प्रारंभ हो रहा है? आखिर 19 सालों में ऐसा क्या खास है इस वर्ष के चातुर्मास में जिसकी वजह से इसका महत्व बढ़ गया है? आपकी इन्हीं सभी सवालों का जवाब आपको मिलेगा ऐस्ट्रोसेज के इस खास ब्लॉग में। तो आइए शुरू करते हैं और जानते हैं चातुर्मास से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण और जानने योग्य बातें।
सबसे पहले बात करें चातुर्मास होता क्या है? तो दरअसल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देवशयनी एकादशी भी कहते हैं इस दिन से भगवान विष्णु अपनी 4 महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं और इसके बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी देवउठनी एकादशी को वो उठते हैं। इन 4 महीने के समय को चातुर्मास कहा जाता है। चूंकि इस दौरान भगवान विष्णु निद्रा में होते हैं ऐसे में सनातन धर्म में इस समय अवधि में शादी, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, आदि महत्वपूर्ण संस्कारों और मांगलिक कार्यक्रमों पर रोक लग जाती है।
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भगवान विष्णु के दोबारा जागने के बाद ही शुभ कार्य किए जाते हैं। कहा जाता है चातुर्मास की समय अवधि में जब भगवान विष्णु निद्रा में होते हैं तो इस दौरान धरती का कार्यभार भगवान शिव के हाथों में होता है।
वर्ष 2023 में चातुर्मास कब से
बात करें इस साल लगने वाले चातुर्मास की तो हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 29 जून से चातुर्मास लगने जा रहा है और इसका समापन होगा 23 नवंबर को होगा। अब सवाल उठता है कि इस वर्ष चातुर्मास को क्या चीज ज्यादा खास बना रही है तो दरअसल इस वर्ष का चातुर्मास 4 महीने का नहीं बल्कि 5 महीने का होने जा रहा है। यानी इस वर्ष भगवान विष्णु 5 महीने तक योग निद्रा में रहेंगे।
अधिक जानकारी: 19 वर्षों बाद श्रावण इस वर्ष अधिक मास का होगा और चातुर्मास चार की जगह 5 महीने का होगा। इससे पहले श्रावण अधिक मास का विक्रम संवत 1847, 1966, 1985, 2004, 2015 में हुआ था। आगे आने वाले वर्षों की बात करें तो अब 2042 और 2061 में यह संयोग बनने वाला है। इस वर्ष सावन 59 दिनों का होगा। यानी श्रावण मास दो चरणों का होने वाला है। सावन का महीना 4 जुलाई से प्रारंभ होकर 31 अगस्त तक रहने वाला है।
5 महीने का चातुर्मास
दरअसल इस साल सावन के महीने में अधिक मास लग रहा है इसीलिए सावन एक नहीं दो महीने का होने जा रहा है जिसके चलते चातुर्मास भी एक महीना बढ़ जाएगा और चार की जगह इस वर्ष 5 महीने का होगा। चातुर्मास के दौरान मांगलिक और शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है। इसके अलावा चातुर्मास के दौरान गुड, तेल, शहद, मूली, लहसुन-प्याज़, साग, पत्तेदार सब्जियां नहीं ग्रहण करनी चाहिए।
चातुर्मास का महत्व
जैसा हमने पहले भी बताया कि चातुर्मास के दौरान शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके पीछे का तथ्य दिया जाता है कि चातुर्मास में सूर्य दक्षिणायन में होते हैं। इसके साथ ही भगवान् विष्णु भी निद्रा में होते हैं। कहते हैं इस अवधि में यदि हम कोई मांगलिक या शुभ कार्य करते भी हैं तो हमें भगवान विष्णु की कृपा नहीं मिलती है और यही वजह है कि इस दौरान मांगलिक और शुभ कार्य करने की मनाही बताई गई है।
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चातुर्मास के दौरान भूल से भी ना करें ये कार्य
- चातुर्मास के दौरान शुभ और मांगलिक कार्य नहीं करने होते हैं। जैसे शादी, विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन, इत्यादि संस्कार 16 संस्कार इस दौरान वर्जित होते हैं।
- चातुर्मास के दौरान तामसिक और राजसिक भोजन नहीं करना होता है।
- चातुर्मास के दौरान नीले और काले रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए।
- कहते हैं इस महीने यदि हम हरे, लाल, पीले कलर के वस्त्र पहनें तो इससे हमें शुभ फल मिलते हैं।
- इसके अलावा चातुर्मास में यात्रा करने से बचना चाहिए। अगर बहुत जरूरी नहीं है तो इस दौरान यात्रा करने से बचें।
- दूध और दूध से संबंधित चीजों का सेवन ना करें।
- चातुर्मास के चौथे महीने में प्याज, लहसुन, दाल का सेवन नहीं करना होता है।
- इस दौरान भगवान सूर्य की पूजा करना बेहद शुभ माना गया है।
चातुर्मास में अपना लिए ये नियम तो जीवन भर रहेंगे खुश
चातुर्मास का महीना बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से भी इस माह का उत्तम महत्व बताया गया है। कहते हैं इस महीने में यदि कोई भी व्यक्ति नीचे दिए गए नियमों का पालन कर ले तो उसके जीवन में आजीवन भगवान शिव का आशीर्वाद बना रहता है। क्या कुछ हैं वो नियम आइए जान लेते हैं।
- चातुर्मास के दौरान व्रत का पालन करें।
- इस दौरान जमीन पर सोएँ। हाँ लेकिन अगर स्वास्थ्य संबंधित कोई परेशानी हो तो ऐसा करने का जोखिम ना उठाएं।
- चातुर्मास के दौरान सूर्योदय से पहले जाग जाएँ।
- इस महीने स्नान दान का विशेष महत्व बताया गया है।
- चातुर्मास के इन महीनों में मुमकिन हो तो जितना हो सके मौन रहें।
- इन 4 महीनों की अवधि में केवल एक बार ही भोजन करें और मुमकिन हो तो रात्रि में केवल फलाहार खाएं।
- इन महीनों में ब्रम्हचर्य का पालन करें।
- सत्संग करें।
- सूर्य नमस्कार करें।
- सुबह शाम भगवान शिव की पूजा करें और अपनी यथाशक्ति के अनुसार अन्न, वस्त्र, दीपदान, श्रमदान, या छाया दान भी कर सकते हैं।
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चातुर्मास के फायदे
चातुर्मास का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से इतना विशेष महत्व बताया गया है ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस महीने से क्या कुछ फायदे हमारे जीवन में प्राप्त होते हैं। तो आइए जान लेते हैं चातुर्मास के नियमों का पालन करने से व्यक्ति को अपने जीवन में क्या फायदे देखने को मिल सकते हैं।
- चतुर्मास में यदि आपने ऊपर दिए गए नियमों का पालन कर लिया तो इससे आपका स्वास्थ उत्तम रहता है, बीमारियों से छुटकारा मिलता है, मानसिक संताप दूर होते हैं, और जीवन में भय और चिंता नहीं रहती है।
- सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है, पापों का नाश होता है, और अनजाने में भी हुए पाप से मुक्ति मिलती है।
- मानसिक विकार खत्म होते हैं।
- कुंडली में मौजूद पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद जीवन में बना रहता है
- भगवान विष्णु, सूर्य देव, और महादेव, की कृपा प्राप्त होती है जीवन में सुख समृद्धि और शांति और आर्थिक लाभ होता है।
- परिवार में भाई बंधुओं के बीच प्यार और सौहार्द बढ़ता है।
- जीवन में आत्म संयम, त्याग, विश्वास, और समर्पण की वृद्धि होती है।
चातुर्मास में किए गए पुण्य और उनसे मिलने वाले लाभ
कहते हैं चातुर्मास में जो व्यक्ति मंदिर में झाड़ू लगाते हैं, मंदिर की सफाई करते हैं, उन्हें सात जन्म तक ब्राह्मण योनि मिलती है।
जो लोग भगवान को दूध, दही, शहद, और मिश्री से स्नान कराते हैं वह वैभवशाली जीवन व्यतीत कर के स्वर्ग में इंद्र जैसा सुख भोगते हैं।
जो लोग धूप, दीप, नैवेद्य, और विधि पूर्वक इन महीनों में भगवान की पूजा करते हैं ऐसे लोग अक्षय सुख प्राप्त करते हैं।
इन चार महीनों में भगवान की तुलसी दल से पूजा करने वाले लोग परम गति प्राप्त करते हैं।
जो लोग इस महीने गूगल की धूप और दीप देवी-देवताओं को अर्पण करते हैं उन्हें जन्म जन्मांतर तक धन्य धन्य प्राप्त होता है।
जो लोग इन महीनों में पीपल का पेड़ लगाते हैं, पीपल के पेड़ में जल चढ़ाते हैं, उसकी परिक्रमा करते हैं, उनके जीवन में कभी भी कोई कमी नहीं होती और वह सदा धन संपन्न जीवन जीते हैं।
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इस साल का सावन भी है बेहद खास
इस वर्ष सावन का महिना भी 2 महीनों लंबा होने वाला है। सिर्फ इतना ही नहीं इस वर्ष श्रावण माह मणिकांचन योग में पड़ने वाला है। इसके साथ ही मलमास में सावन का पड़ना भी ज्योतिषियों के अनुसार एक अति-दुर्लभ संयोग है। जानकारी के लिए बता दें कि मलमास में ही रक्षाबंधन और मधुश्रावणी पर्व भी मनाए जाएंगे।
जानकारी के लिए बता दें कि इस वर्ष श्रावण माह 4 जुलाई से शुरू हो रहा है। इसी दिन भगवान शिव के भक्त कांवड़ यात्रा के लिए निकलेंगे। सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई को है और आखिरी सोमवार 28 अगस्त को पड़ेगा।
सावन में मलमास का क्या पड़ेगा देश-दुनिया पर प्रभाव
- मलमास के प्रभावस्वरूप वर्षा में अवरोध और जन-धन की हानि देखने को मिल सकती है।
- अधिक मास के समय मंगल-सूर्य गोचर के प्रभावस्वरूप कहीं कहीं असामान्य वर्षा होने के चलते बाढ़ आने की संभावना है तो कई जगहों पर सूखा पड़ने की भी भविष्यवाणी की जा रही है। इसका सीधा असर किसानों और फसलों पर देखने को मिलेगा।
- इस अवधि में अग्निकांड, विमान दुर्घटना, युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बढ़ जाएगी।
- दुनिया के कुछ बड़े देशों जैसे रूस, चीन, ताइवान, युक्रेन, पाकिस्तान, और यूरोपीय देशों में बड़ी उथल-पुथल होने की संभनवा है।
चातुर्मास के प्रमुख व्रत-त्योहार
बात करें चातुर्मास के महत्व की तो, इन चार महीनों का समय सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों के साथ-साथ जैन धर्म के लोगों के लिए भी बेहद खास माना गया है। नीचे हम आपको इस दौरान पड़ने वाले प्रमुख व्रत-त्योहारों की जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
10 जुलाई- सोमवार: सावन सोमवार
30 अगस्त- बुधवार: रक्षाबंधन
21 अगस्त- सोमवार नागपंचमी
19 सितंबर- मंगलवार गणेशोत्सव
29 सितंबर- शुक्रवार पितृ पक्ष
15 अक्टूबर – रविवार नवरात्रि
7 सितंबर – गुरुवार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
23 सितंबर – रविवार राधा अष्टमी
28 सितंबर- गुरुवार अनंत चतुर्दशी
2 सितंबर- शनिवार कजरी तीज
18 सितंबर- सोमवार हरतालिका तीज
20 सितंबर- बुधवार ऋषि पंचमी
25 सितंबर- सोमवार परिवर्तिनी एकादशी
19 सितंबर- मंगलवार गणेश चतुर्थी
28 सितंबर – गुरुवार गणेश विसर्जन
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चातुर्मास उपाय
- किसी मंदिर में जाकर कपूर का दान करें इससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- ज़रूरतमन्द लोगों को चने और गुड का दान करें इससे नौकरी और व्यापार में निश्चित सफलता मिलती है।
- इन महीनों में अन्न और गौ-दान से रुका हुआ धन वापिस मिलता है, आर्थिक लाभ होता है और साथ ही कर्ज़ की समस्या से भी छुटकारा मिलता है।
- गायों की देखभाल करें इससे देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष से भी छुटकारा मिलता है।
- गरीब व्यक्तियों को अन्न दान, छाते, जूते, चप्पल आदि का दान करने से भगवान शिव की प्रसन्नता हासिल होती है।
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