हिन्दी कैलेंडर के अनुसार, चैत्र हिन्दू नववर्ष का प्रथम मास होता है। इस माह पड़ने वाली चैत्र पूर्णिमा का विशेष महत्व है। चैत्र पूर्णिमा को चैती पूनम के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन बहुत खास होता है क्योंकि इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस तिथि को ही संकट मोचन हनुमान जी का जन्म हुआ था। इस वजह से हर साल चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती या महावीर जयंती मनाई जाती है यानी कि यह दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान हनुमान की कृपा पाने का भी खास मौका होता है।
चैत्र पूर्णिमा की रात्रि के समय चंद्रमा की पूजा की जाती है। इस दिन तीर्थ, सरोवर और पवित्र नदी में स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं चैत्र पूर्णिमा व्रत की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व और प्रचलित पौराणिक कथा के बारे में।
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चैत्र पूर्णिमा 2023: तिथि व मुहूर्त
हर माह की अंतिम तिथि को पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा करने का विधान है। साल 2023 में चैत्र माह की पूर्णिमा 06 अप्रैल 2023 दिन गुरुवार को पड़ेगी।
पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 05 अप्रैल 2023 की सुबह 09 बजकर 21 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 06 अप्रैल 2023 को 10 बजकर 06 मिनट पर
चंद्रोदय का समय: 05 अप्रैल की शाम 06:00 बजे।
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चैत्र पूर्णिमा 2023 का महत्व
मान्यता है कि जो व्यक्ति चैत्र माह में पड़ने वाली पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करता है, उसके हर बिगड़े काम भी चुटकियों में बनने लगते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति को यश-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस दिन सत्यनारायण की कथा सुनने का भी कई गुना अधिक फल मिलता है। इसके अलावा पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का भी विशेष महत्व है। यह भी कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में रास उत्सव किया था और इस उत्सव को महारास के नाम से जाना जाता है।
चैत्र पूर्णिमा 2023 पर हनुमान जयंती
मान्यताओं के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को कई जगहों पर हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है, विशेष रूप से उत्तर और मध्य भारत में। कई लोग हनुमान जयंती कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाते हैं, हालांकि धार्मिक ग्रन्थों में दोनों ही तिथियों का जिक्र किया गया है।
चैत्र पूर्णिमा 2023: पूजा विधि
चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है। जैसा कि इस दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है तो ऐसे में इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु के साथ हनुमान जी की भी पूजा भी पूरे विधि-विधान से करना चाहिए। आइए जानते हैं पूजन की सही विधि।
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें और फिर पीले या नारंगी रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।
- इसके बाद भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- फिर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर आह्वान करें, स्नान कराएं, पंचामृत और जल से उनको शुद्ध करें।
- इस दिन भगवान विष्णु को खीर, केला व पीले फूल अर्पित करें। इस दौरान श्री हरि को तुलसी जरूर चढ़ाएं क्योंकि तुलसी भगवान को अत्यधिक प्रिय है।
- इसके साथ ही इस दिन कनकधारा स्तोत्र का भी पाठ करना चाहिए। साथ ही आरती व रात में भजन-कीर्तन करें।
- इस दिन रात्रि में विधि-विधान से चंद्र देव का पूजन करने के बाद उन्हें जल चढ़ाएं।
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चैत्र पूर्णिमा 2023 व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में सेठ-सेठानी रहते थे। सेठ जी की पत्नी रोजाना भगवान श्री हरि की पूजा पूरी श्रद्धा से करती थी लेकिन सेठानी की भक्ति भाव देखकर उनके पति नाराज रहते थे जिसके चलते एक दिन सेठ ने उसे घर से निकाल दिया। सेठानी घर से निकलकर जंगल की ओर चल पड़ी। रास्ते में सेठानी ने देखा कि जंगल में चार आदमी मिट्टी खोद रहे हैं। यह देखकर सेठानी ने उनसे बोला कि ‘आप लोग मुझे भी काम पर रख लो।’ सेठानी के कहने पर उन्होंने उसे नौकरी पर रख लिया। काम करते-करते सेठानी के हाथ में छाले पड़ गए। यह देख उन आदमियों ने सेठानी से काम छोड़ने को बोला और घर का काम करने को कहा। सेठानी के मान जाने पर वे उसे अपने घर ले गए। सेठानी उनके लिए खाना बनाती थी। वे आदमी रोज चार मुट्ठी चावल लाते और उसे बांटकर खा लेते। ये देख सेठानी को काफी बुरा लगा। ऐसा देख सेठानी ने उन चारों आदमी को 8 मुट्ठी चावल लाने को कहा।
सेठानी की बात मानकर चारों आदमी रोजाना 8 मुट्ठी चावल लाने लगे। सेठानी चावल बनाकर सबसे पहले भगवान विष्णु को भोग लगाती फिर सबको परोसती थी। इस बार चारों आदमियों को भोजन बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट लगा और सेठानी से खाने की तारीफ करते हुए इसका राज पूछा। तो सेठानी ने कहा कि ये भोजन भगवान विष्णु का झूठा है। इसी वजह से भोजन का स्वाद बढ़ गया है। उधर, सेठानी के जाने के बाद से सेठ भूखा रहने लगा और फिर वह सेठानी को ढूंढने जंगल निकल पड़ा। रास्ते में सेठ को वही चार आदमी मिट्टी खोदते हुए दिखाई दिए। सेठ ने उन आदमियों से काम पर रखने के लिए निवेदन किया।
तब चारों आदमी ने उसे भी काम पर रख लिया लेकिन सेठानी की तरह मिट्टी खोदने से सेठ के भी हाथों में छाले पड़ गए। ये देखकर उन्होंने सेठ को भी घर का काम करने को कहा। सेठ उनकी बात सुनकर उनके घर चले गया। घर पहुंचते ही सेठ ने सेठानी को पहचान लिया लेकिन सेठानी घूंघट में होने के कारण सेठ को पहचान नहीं पाई। हर दिन की तरह इस बार भी सेठानी ने भगवान विष्णु को भोग लगाकर सभी को खाना दिया लेकिन जैसे ही सेठानी सेठ को खाना देने लगी तभी भगवान विष्णु ने सेठानी का हाथ पकड़ लिया और कहा कि ये तुम क्या कर रही हो। सेठानी बोली मैं सबको भोजन दे रही हूं।
चारों भाइयों ने सेठानी से कहा कि हमें भी भगवान विष्णु के दर्शन करने हैं। सेठानी के अनुरोध करने पर भगवान विष्णु सबके सामने प्रकट हुए। यह सब देख सेठ ने सेठानी से अपनी गलती की माफी मांगी और घर चलने के लिए निवेदन किया। तब चारों भाइयों ने अपनी बहन को खूब सारा पैसा व धन देकर विदा किया। इसके बाद सेठ भी भगवान विष्णु जी के भक्त बन गए और उनकी भक्ति में लीन हो गए। ऐसी मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा का व्रत रखने से सत्यनारायण भगवान के साथ हनुमान जी, प्रभु श्री राम और माता सीता की कृपा बनी रहती है।
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पारिवारिक जीवन में खुशहाली के लिए
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रेम और पारिवारिक जीवन में खुशहाली लाने के लिए चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन पति-पत्नी को एक साथ चंद्रमा को जल चढ़ाना चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और पति-पत्नी के बीच प्यार बना रहता है।
धन प्राप्ति के लिए
चैत्र पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को 11 या 21 कौड़ियों पर हल्दी से तिलक करके चढ़ाएं और फिर अगले दिन सुबह स्नान व पूजा कर इन कौड़ियों को किसी लाल कपड़े में बांधकर अपने धन रखने वाले स्थान या तिजोरी में रख लें। मान्यता है कि इससे कभी भी पैसों की कमी नहीं होगी।
सुख-समृद्धि के लिए
इस दिन मां लक्ष्मी के मंदिर में जाकर लक्ष्मी जी को सफेद व पीले फूल अर्पित करें। साथ ही खुशबूदार अगरबत्ती और इत्र चढ़ाएं। माना जाता है कि इस उपाय को करने पर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है और आपके घर-परिवार में सुख-सौभाग्य का वास रहता है।
आर्थिक समस्या से छुटकारा पाने के लिए
आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए चैत्र पूर्णिमा के दिन स्नान आदि से निवृत होकर पीपल के वृक्ष पर सफेद मिठाई चढ़ाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
चंद्रमा की स्थिति के लिए
कुंडली में चंद्रमा के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए चैत्र पूर्णिमा की रात चंद्र देव की पूरे विधि-विधान से पूजा करें। साथ ही गाय के दूध में सफेद फूल, चीनी और अक्षत मिलाकर चंद्र देव को जल दें। इस दौरान ‘ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:’ मंत्र का जाप करें।
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