मार्गशीर्ष का महीना हिन्दू पंचांग में नौवा महीना होता है जो सामान्यतः अगहन के नाम से भी जाना जाता है। सनातन धर्म में मार्गशीर्ष के माह को अत्यंत पवित्र एवं फलदायी माना गया है। इसी तरह, अगहन मास में आने वाली पूर्णिमा, अमावस्या के साथ-साथ इस महीने में पड़ने वाले पहले गुरुवार का भी विशेष महत्व होता है। क्यों है मार्गशीर्ष का पहला बृहस्पतिवार इतना ख़ास? इस सवाल का जवाब मिलेगा आपको एस्ट्रोसेज के इस विशेष लेख में जो कि हमारे अनुभवी ज्योतिषियों द्वारा तैयार किया गया है।
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कब से शुरू हो रहा है अगहन/मार्गशीर्ष 2022?
पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने का आरंभ 09 नवंबर 2022 बुधवार के दिन होगा और इसका समापन गुरुवार को 08 दिसंबर के दिन होगा। ऐसे में, अगहन माह का पहला गुरुवार 10 नवंबर 2022 को पड़ेगा। अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं अगहन माह के बारे में।
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अगहन मास का महत्व
धर्मग्रंथों के अनुसार, मार्गशीर्ष माह भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है इसलिए इस महीने को पवित्र एवं फलदायी माना जाता है। साथ ही, ज्योतिष में वर्णित 27 नक्षत्रों में से एक मृगशिरा नक्षत्र भी है और इस नक्षत्र का संबंध अगहन माह से है। इस माह में आने वाली पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र में आती है इस वजह से इस मास को मार्गशीर्ष कहा जाता है।
यह महीना श्रीहरि विष्णु के स्वरूप भगवान कृष्ण को प्रिय होने के कारण मार्गशीर्ष महीने में आने वाले गुरुवार का महत्व काफी बढ़ जाता है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो विष्णु जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं।
आइये अब जानेंगे कैसे करें भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न
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श्रीविष्णु के 12 नामों से होगी हर मनोकामना पूरी
जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा एवं आराधना के लिए मार्गशीर्ष का महीना श्रेष्ठ माना गया है। अगर आप भी अपने जीवन से सभी कष्टों का अंत चाहते हैं या फिर मनचाहा वर प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए विष्णु जी के 12 नामों का जाप करें:
- अच्युत,
- अनंत,
- दामोदर,
- केशव,
- नारायण,
- श्रीधर,
- गोविंद,
- माधव,
- हृषिकेश,
- त्रिविकरम,
- पद्मनाभ,
- मधुसूदन
ऊपर बताये गए विष्णु जी के प्रत्येक नाम को लें और उन्हें 1 पीला फूल चढ़ाएं। पूजा के बाद इन फूलों को पीपल के पेड़ पर रखें या नदी में भी प्रवाहित कर सकते हैं।
गुरुवार के दिन कैसे पाएं मां लक्ष्मी का आशीर्वाद?
- देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए घर के प्रवेश द्वार पर दीपक जलाएं। साथ ही, घर के मुख्य द्वार से लेकर आंगन और पूजास्थल तक चावल के आटे के घोल से अल्पनाएं (एक तरह की रंगोली) बनाए।
- अगहन या मार्गशीर्ष माह के पहले गुरुवार के दिन इन अल्पनाओं में माता लक्ष्मी के पांव विशेष रूप से निर्मित करें। इसके पश्चात, देवी लक्ष्मी के सिंहासन को आम के पत्तों और धान की बालियों से सुंदर तरीके से सजाएं। अब कलश की स्थापना करें और फिर माता का सहृदय पूजन करें और प्रसाद का भोग लगाएं।
- ऐसा माना जाता है कि अगहन/मार्गशीर्ष माह के हर गुरुवार मां लक्ष्मी को अलग-अलग व्यंजनों का प्रसाद रूप में भोग लगाने से मां प्रसन्न होती है और अपनी कृपा भक्तों पर बनाए रखती हैं। इस शुभ अवसर पर अपने आसपास के लोगों और परिवारजनों में भी प्रसाद को बांटना चाहिए।
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