अगर कुंडली में बनते हैं ये योग तो हो जाएं सावधान, नहीं तो हो सकता है बड़ा एक्सीडेंट

वैसे तो हर इंसान के जीवन में कई छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन आप देखते होंगे कि कुछ लोगों के साथ दुर्घटना होना जैसे आम बात हैं। कभी बाइक चलाते हुए कोई दुर्घटना हो जाती है, कभी कार चलाते हुए एक्सीडेंट होता है या कभी घर में ही चोट लग जाती है। ये घटनाएं तब किसी भी व्यक्ति के लिए परेशानी का कारण बनने लगती हैं जब इसके परिणाम गंभीर हो जाते हैं, जिससे जीवन पर भी खतरा मंडराने लगता हैं। 

लोग इन घटनाओं के पीछे अक्सर अपनी किस्मत को कोसते हैं, जबकि ज्योतिष विशेषज्ञों की मानें तो इन दुर्घटनाओं के पीछे कुछ ग्रहों का जातक की कुंडली में कमज़ोर या पीड़ित होना हो सकता है। जिसके फलस्वरूप व्यक्ति को अपने जीवन में बार-बार एक्सीडेंट या कोई दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है।

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ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के साथ दुर्घटनाओं को लेकर कई प्रकार की ग्रह स्थितियों का विवरण प्राप्त होता है इसलिए जिन भी जातकों की कुंडली में कुछ असामान्य प्रकार की स्थिति पैदा होती है, उन्हें लगातार अपने जीवन में दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है।

ऐसे में जातक इन अशुभ योगों को पहचानकर एस्ट्रोसेज के विद्वानों की सलाह पर अपनी कुंडली से उन सभी अशुभ योगों के प्रभाव को कम या शून्य कर सकते हैं। आज हम अपने इस लेख के माध्यम से उन जातकों को कुछ कारगर व सरल उपाय बताएंगे, जिन्हें अपने जीवन में बार-बार एक्सीडेंट या कोई दुर्घटना का शिकार होना पड़ रहा है। आइये डालते हैं इन पर एक नज़र:- 

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  • चर राशि: चर लग्न  
    • सर्वप्रथम एस्ट्रोसेज के विशेषज्ञों अनुसार चर राशि और चर लग्न वाले जातकों को चोट लगने की संभावना अपेक्षाकृत ज्यादा रहती है। 
    • चर लग्न और चर राशियों से आशय मेष, कर्क, तुला और मकर राशि से है इसलिए जिन लोगों की राशि या लग्न मेष, कर्क, तुला और मकर होता है, उन्हें बार बार दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। 
  • कुंडली में राहु-मंगल की ये ख़ास युति   
    • जिन जातकों की जन्म कुंडली के लग्न या द्वितीय भाव में राहु-मंगल की युति होती है, उन्हें भी बार-बार दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है। 
    • ऐसे लोगों के साथ यह भी देखने में आता है कि ये कहीं बाहर नहीं भी जाते हैं तो भी उन्हें घर बैठे-बैठे ही चोट लगने की आशंका रहती है।   

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  • कुंडली में शनि और केंद्र स्थान   
    • जिन जातकों की कुंडली के लग्न में शनि हो और केंद्र स्थान में कोई शुभ ग्रह न उपस्थित हो तो, ऐसे लोगों में ऊंचाई से गिरने और गंभीर चोट लगने का खतरा अधिक रहता है।  
  • कुंडली के लग्न में मंगल    
    • जिन व्यक्तियों की कुंडली के लग्न में मंगल हो, उन्हें सिर और मस्तिष्क पर चोट लगने की आशंका ज्यादा प्रबल होती है।  

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  • कुंडली में चंद्रमा और मंगल की ये स्थिति  
    • यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा से केंद्र या त्रिकोण का मंगल हो तो, ऐसे जातकों को ज्यादातर मामलों में सड़क दुर्घटना का सामना करना पड़ता है। 
    • इसलिए इन जातकों को  खासतौर पर सड़क पर चलते समय या वाहन चलाते समय सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। 
  • कुंडली में शनि, सूर्य व मंगल की ये स्थिति  
    • यदि किसी कुंडली के पंचम भाव में शनि-सूर्य या फिर शनि-मंगल की युति हो तो, उन जातकों के साथ हाथापाई, मारपीट, झगड़ा या विवाद होने की घटनाएं अक्सर घटती रहती हैं। 
    • ये जातक अक्सर दूसरों की गुस्से का शिकार हो जाते हैं। 
    • इसलिए इन्हें किसी भी अन्य के विवाद या झगड़े से खुद को दूर ही रखकर चलने की सलाह दी जाती है। 

नोट: उपरोक्त ग्रहों की स्थितियों के अलावा भी कई ऐसी परिस्थितियां होती हैं, जिनकी वजह से जातक को चोट और दुर्घटना के संकेत मिलते हैं। 

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ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बचने हेतु उपाय 

  • ऑनलाइन ग्रह शांति पूजा 

यदि आपकी कुंडली में किसी ग्रह का कोई अशुभ योग बन रहा है या किसी ग्रह के कारण आपके साथ बार-बार दुर्घटना हो रही है तो आप उसके प्रकोप से बचने के लिए उस ग्रह की शांति हेतु ऑनलाइन विशेष पूजा करवा सकते हैं। 

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  • मंत्र उच्चारण 

अगर ग्रहों के अशुभ प्रभाव की वजह से लगातार आपका एक्सीडेंट हो रहा है या आपको किसी दुर्घटना का सामना करना पड़ रहा है तो आपको उन ग्रहों से संबंधित मंत्रों का जाप करवाना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो ग्रहों के मंत्रों के जाप से उनकी उग्रता और उनके दुष्प्रभाव शांत किया जा सकता है इसलिए मंत्रों के स्पष्ट व शुद्ध उच्चारण के लिए बेहतर यही होगा कि आप किसी योग्य ब्राह्मण से ही मंत्र का जाप करवाएं।

  • रत्न धारण 

इसके अलावा आपकी कुंडली में जिन ग्रहों का भी अशुभ योग बन रहा है, उससे संबंधित रत्न धारण करना आपके लिए अनुकूल रहेगा। हालांकि ध्यान देने योग्य बात है कि गूगल करके या अपने मन से रत्न धारण न करें बल्कि, इसके लिए किसी ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें और उसके बाद सही नियम का पालन करते हुए ही रत्न धारण करें। 

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं। 

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