श्रीमद भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि आत्मा कभी नहीं मरती है। जब तक मुक्ति प्राप्त नहीं होती तब तक आत्मा जीवन और मृत्यु के चक्कर लगाती रहती है। आत्मा केवल शरीर बदलती है। आत्मा का लक्ष्य होता है परम पिता परमात्मा से मिलन यानी मोक्ष प्राप्त करना लेकिन हिन्दू धर्म के अनुसार अपने कर्मों की वजह से आत्मा 84 लाख योनियों में भटकती रहती है।
अक्सर हमारे मन में ये सवाल आता है कि आखिर मृत्यु के बाद क्या? क्योंकि सनातन धर्म में मृत्यु को अमर व नवजीवन का आरंभ माना गया है इसलिए व्यक्ति की मृत्यु के बाद क्या होता इस बात को जानने की जिज्ञासा हर मनुष्य में होती है। ऐसे में ज्योतिष विज्ञान की मदद से ये जानकारी प्राप्त की जा सकती है कि मनुष्य को अपने कर्मों के अनुसार इस जीवन के बाद किस लोक में जगह मिलेगी और मनुष्य किस योनि और किस लोक से वर्तमान शरीर में आया है।
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जी हाँ! इसका पता व्यक्ति की जन्म कुंडली देखकर लगाया जा सकता है और ये जानकारी भी प्राप्त की जा सकती है कि किसी कुंडली में नरक भोगने का योग बन रहा है या नहीं। अगर ये योग बन भी रहा है तो उसमें वैदिक ज्योतिष की मदद से बदलाव भी कर पाना अब संभव है क्योंकि, भगवान ने स्वयं ही ये कहा है कि मनुष्य चाहे तो अपने कर्मों से खुद को सद्गति के रास्ते पर ले जा सकता है।
दोस्तों आज हम यहां पर उन ज्योतिषीय योगों की चर्चा करने जा रहे हैं जिससे आपकी कुंडली देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि आप मृत्यु के उपरांत किस लोक में अपने लिए स्थान सुनिश्चित करेंगे।
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कुंडली से जानें मृत्यु के पश्चात मिलेगा कौन सा योग ?
- स्वर्ग प्राप्ति का योग :
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के द्वादश यानी 12 वे भाव में शुभ ग्रह हो या बारहवें घर पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो जातक को मृत्यु के पश्चात स्वर्ग मिलता है।
- इसके अलावा अष्टम यानी आठवें घर में गुरु, शुक्र और चंद्रमा का होना भी यह बताता है कि जातक को मृत्यु के उपरांत स्वर्ग मिलेगा।
- जिस जातक की कुंडली में पहले घर में गुरु विद्यमान होता है और उसकी चंद्रमा पर दृष्टि हो तो माना जाता है कि ऐसा व्यक्ति आध्यात्मिक स्वभाव का होता है।
- बात करें सद्कर्मों की तो अगर किसी जातक की कुंडली में अष्टम यानी आठवें घर में कोई ग्रह विद्यमान नहीं हो तो अपने कर्मों के कारण उन्हें न केवल स्वर्ग की प्राप्ति होती है, बल्कि स्वर्ग में वो जातक उत्तम स्थान भी प्राप्त करने में सक्षम रहता है।
- ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जिनकी जन्म कुंडली में दशम भाव में धनु या फिर मीन राशि हो और द्वादश भाव पर बैठे बृहस्पति पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो, जातक को स्वर्ग और स्वर्ग में देवपद की भी प्राप्ति होती है।
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- मोक्ष प्राप्ति योग
- जिस जातक की कुंडली के द्वादश भाव में शुभ ग्रह विराजमान हो और द्वादश भाव का स्वामी अपनी राशि अथवा मित्र राशि में हो, इसके साथ ही उन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो ऐसे मनुष्य अपने सुकर्मों की वजह से मोक्ष को प्राप्त करते हैं।
- वराहमिहिर ने भी इस बात का वर्णन अपनी पुस्तक वृहद जातक में किया है। वराह मिहिर उल्लेख करते हैं कि, कुंडली में जब सभी ग्रह कमजोर स्थिति में हो और सिर्फ गुरु कर्क राशि में प्रथम, चतुर्थ, छठें, सप्तम, अष्टम और दशम (1, 4, 6, 7, 8 और 10 वे भाव) में हो तो ऐसे व्यक्ति मोक्ष के पात्र होते हैं।
- जन्म कुंडली में गुरु, मीन राशि में लग्न अथवा दशम भाव में हो और किसी अशुभ ग्रह की उस पर कोई दृष्टि नहीं हो तो उसे मोक्ष प्राप्ति के योग बनते हैं।
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- नरक प्राप्ति योग
- जिस जातक की कुंडली में राहु आठवें भाव में दुर्बल स्थिति में होता है और छठे, आठवें भाव का स्वामी राहु की ओर दृष्टिगत हो तो जातक के लिए नरक प्राप्ति का योग बनता है।
- जिनकी कुंडली में पाप ग्रह अर्थात सूर्य, मंगल, शनि और राहु बारहवें घर में हो अथवा बारहवें भाव का स्वामी सूर्य के साथ हो तो वह मृत्यु के उपरांत नरक में जाता है।
- जिस जातक के बारहवें घर में राहु या शनि के साथ आठवें भाव का स्वामी स्थित हो तब उस स्थिति में भी नरक प्राप्ति के योग का निर्माण होता है।
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