18 जून से मृत्यु पंचक: साल का पहला और आखिरी मृत्यु पंचक है घातक-भूल से भी न करें ये वर्जित कार्य!

मृत्यु पंचक एक ऐसा शब्द जिससे ज्योतिष की दुनिया में ज्यादा अनुकूल नहीं माना गया है और साथ ही लोग इस शब्द को सुनते ही भयभीत हो उठते हैं। सबसे पहले हम आपको बता दें मृत्यु पंचक होता क्या है? दरअसल ज्योतिष के अनुसार हर महीने में पांच ऐसे दिन होते हैं जिस दौरान शुभ काम करना वर्जित माना गया है। इन्हें ही पंचक कहते हैं। इसके अलावा जब भी पंचक शनिवार के दिन से प्रारंभ हो तो इसे मृत्यु पंचक कहते हैं। मृत्यु पंचक बेहद ही अशुभ अवधि मानी जाती है।

तो चलिए इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको बता देते हैं कि जून महीने का मृत्यु पंचक या पंचक कब से प्रारंभ हो रहा है, इस दौरान क्या कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता पड़ेगी? साथ ही क्या कुछ उपाय करके आप मृत्यु पंचक के अशुभ प्रभावों को अपने जीवन से कम या दूर कर सकते हैं। इसके अलावा इस ब्लॉग में हम आपको बता रहे हैं कि आखिर यह पंचक कितने प्रकार के होते हैं?

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कब लगता है पंचक?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कहा जाता है कि जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र, और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, में भ्रमण करता है तो इस अवधि को पंचक कहा जाता है। यह अवधि 5 दिनों की होती है। 

इसके अलावा चंद्रमा जब कुंभ या फिर मीन राशि में गोचर करता है तब पंचक का आरंभ होता है। बात करें पंचक के प्रकार की तो पंचक कुल 5 प्रकार के होते हैं:  

  • रोग पंचक 
  • राज पंचक 
  • अग्नि पंचक 
  • मृत्यु पंचक
  • चोर पंचक

जून महीने में कब से लगेगा मृत्यु पंचक?

बात करें जून माह की तो 15 जून से आषाढ़ का महीना प्रारंभ हो गया है। अब 18 जून यानी शनिवार के दिन से पंचक प्रारंभ हो जाएगा जो कि अगले 5 दिनों तक रहने वाला है। यानी जून महीने में पंचक काल की अवधि 18 जून,2022 से 23 जून, 2022 रहने वाली है। 

पंचक शुरु होने का समय 18 जून 2022, शनिवार को शाम 06 बजकर 43 मिनट से है और उसका समापन 23 जून 2022, दिन गुरुवार को सुबह 06 बजकर 14 मिनट पर होगा। 

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इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य करना वर्जित माना गया है। कहते हैं इस समय अवधि में यदि शुभ मांगलिक कार्य किया भी जाए तो उससे व्यक्ति को शुभ फल नहीं प्राप्त होते हैं। यही वजह है कि कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य करने से पहले पंचक पर विचार अवश्य किया जाता है और उसके बाद ही शुभ कार्य के लिए शुभ तिथि का निर्धारण होता है। 

पंचक काल में भूल से भी ना करें ये कार्य

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि पंचक काल की अवधि के दौरान कुछ कार्य वर्जित माने गए हैं। जैसे कि, 

  • इस दौरान लकड़ी इकट्ठा करना या खरीदना मना होता है। 
  • मकान पर छत डलवाना मना होता है। 
  • दाह संस्कार करना मना होता है। 
  • घर में पलंग या चारपाई बनवाना मना होता है। 
  • साथ ही दक्षिण दिशा की तरफ यात्रा करना भी वर्जित होता है। इसके पीछे की मान्यता यह है कि दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है।

क्या यह जानते हैं आप? इसके अलावा पंचक काल या मृत्यु पंचक के दौरान यदि किसी की मृत्यु हो जाए तो आम धारणा के अनुसार कहा जाता है कि उसी परिवार के या खानदान के पांच अन्य लोगों की मौत भी हो जाती है यदि मृत्यु ना भी हो तो परिवार के 5 अन्य सदस्यों पर कोई बड़ा संकट, कोई दुख, कष्ट या परेशानी पड़ने की आशंका प्रबल हो जाती है

इन्ही सब वजहों को लेकर के मृत्यु पंचक को बेहद ही अशुभ माना गया है। साथ ही लोग इससे भयभीत भी रहते हैं। हालांकि ज्योतिष में इसके निवारण के उपाय भी बताए गए हैं। क्या हैं वह उपाय आइये आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं। 

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पंचक में यदि हो जाए किसी की मृत्यु तो अवश्य करें ये उपाय

  • मृत्यु को टाला नहीं जा सकता है। ऐसे में यदि पंचक काल में किसी की मृत्यु हो जाए तो शव का दाह संस्कार करना तो अनिवार्य ही है। ऐसे में शव को अग्नि देते समय 5 पुतले बनाकर उनका भी उसी चिता के साथ दाह संस्कार कर देने का विधान बताया गया है। इसके अलावा गरुण पुराण में इस बात का उल्लेख है कि, पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से पहले किसी योग्य पंडित से सलाह अवश्य ले ली जानी चाहिए।
  • माना जाता है कि अक्सर पंडित शव के साथ आटा, बेसन या फिर कुश से बने पांच पुतले बनवाकर अर्थी पर रखकर इन का भी विधि विधान से अंतिम संस्कार करने की सलाह देते हैं। ऐसा करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।
  • इसके साथ ही गरुड़ पुराण में इस बात का भी उल्लेख है कि पंचक में जब हम किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उनका दाह संस्कार करते हैं तो उससे संबंधित नक्षत्र के मंत्र की आहुति भी अवश्य देनी चाहिए। इसके अलावा मुमकिन हो तो दाह संस्कार तीर्थ स्थान में करना ज्यादा उचित माना जाता है ऐसा करने से मृतक को उत्तम गति प्राप्त होती है।
  • इसके अलावा मान लीजिए कि किन्ही कारणवश आप समय पर पंचक उपाय नहीं कर पा रहे हैं तो इसके बारे में भी किसी विद्वान पंडित से परामर्श ले लें और फिर नदी के किनारे विधिवत रूप से पंचक का निदान करा सकते हैं। ऐसा करने से मृत्यु पंचक का दोष आपके परिवार पर नहीं पड़ेगा।

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क्या पंचक हमेशा अशुभ होता है?

पंचक को हमेशा अशुभ माना या केवल बुरा मानना गलत धारणा है। ज्योतिष के जानकारों की मानें तो पंचक हमेशा खराब नहीं होते हैं। आइए जानते हैं इसका ज्योतिषीय तर्क। 

शास्त्रों के अनुसार धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र चर नक्षत्रों की श्रेणी में आते हैं इसीलिए, इन नक्षत्रों में यात्रा करना, मनोरंजन से संबंधित कार्य करना या वस्त्र आभूषण की खरीदारी करना शुभ साबित हो सकता है। 

इसके अलावा पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र को गर्म नक्षत्र की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसे में कोर्ट केस और वाद-विवाद के लिए यह समय शुभ रहता है। 

उत्तराभाद्रपद नक्षत्र को किसी शिलान्यास, भूमि पूजन, या फिर किसी बड़ी योजनाओं को पूरा करने के लिए अनुकूल माना गया है। 

इसके अलावा रेवती नक्षत्र की बात करें तो इस नक्षत्र को बेहद ही शांत और नर्म माना गया है। ऐसे में संगीत, नृत्य, कलात्मक चीजें, फैशन शो, इत्यादि कामों के लिए यह समय शुभ साबित हो सकता है।

 इस वर्ष आगे आने वाले महीनों में कब-कब लगेगा पंचक

महीना तारीख़ और दिन
जुलाई पंचक 2022 15 जुलाई-शुक्रवार से 20 जुलाई-बुधवार तक 
अगस्त पंचक 2022 12 अगस्त- शुक्रवार से 16 अगस्त-मंगलवार तक 
सितंबर पंचक 20229 सितंबर-शुक्रवार से 13 सितंबर-मंगलवार तक
अक्टूबर पंचक 20226 अक्टूबर-गुरुवार से 10 अक्टूबर-सोमवार तक
नवंबर पंचक 20222 नवंबर-बुधवार से 6 नवंबर-रविवार तक
दिसंबर पंचक 202226 दिसंबर-सोमवार से 31 दिसंबर-शनिवार तक

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