हिंदू धर्म में अनेकों व्रत त्योहार मनाए और किए जाते हैं। इन्हीं में से एक बेहद ही पावन व्रत है करवा चौथ का व्रत। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं। यही वजह है कि इस व्रत को सुहाग और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। करवा चौथ का त्यौहार भारतवर्ष में भव्य पैमाने पर मनाया जाता है लेकिन खासकर उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, में करवा चौथ का अलग और सबसे खूबसूरत रंग देखने को मिलता है।
करवा चौथ विशेष अपने इस आर्टिकल में आज हम जानेंगे इस वर्ष करवा चौथ किस दिन मनाया जा रहा है? इसका शुभ मुहूर्त क्या है? पूजा के लिए आपको किन किन सामग्री की आवश्यकता पड़ेगी और यदि कुंवारी लड़कियां करवा चौथ के व्रत को करना चाहती हैं तो उन्हें किन नियमों का पालन करना पड़ेगा।
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2021 में कब मनाया जाएगा करवा चौथ का व्रत?
24 अक्टूबर 2021 रविवार
करवा चौथ शुभ मुहूर्त
करवा चौथ पूजा मुहूर्त :17:43:11 से 18:50:46 तक
अवधि :1 घंटे 7 मिनट
करवा चौथ चंद्रोदय समय :20:07:00
नोट: ऊपर दिया गया मुहूर्त दिल्ली के लिए मान्य है। अपने शहर के अनुसार करवा चौथ का शुभ मुहूर्त आप यहाँ क्लिक करके जान सकते हैं।
करवा चौथ पर बन रहा है शुभ योग
इस वर्ष करवा चौथ के पर्व को और भी ज्यादा ख़ास और शुभ बनाने के लिए इस वर्ष शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि, इस वर्ष बन रहा यह शुभ योग पांच वर्षों बाद बन रहा है। ज्योतिष के जानकारों की माने तो, इस वर्ष करवाचौथ व्रत की पूजा रोहिणी नक्षत्र में की जाएगी। साथ ही इस वर्ष करवाचौथ रविवार के दिन पड़ रहा है, जिससे व्रत करने वाली महिलाओं को सूर्यदेव का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा।
ज्योतिष के अनुसार सूर्यदेव की पूजा करने से व्यक्ति को आरोग्य और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और करवाचौथ का व्रत महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं। ऐसे में इस वर्ष शुभ योगों का संयोग इतना ख़ास बन रहा है कि यदि इस दिन शुभ मुहूर्त में सही विधि से पूजा करने से आप अपने पतियों की लम्बी उम्र का वरदान अपने जीवन में प्राप्त कर सकते हैं।
शुभ योग का शुभ मुहूर्त: चाँद रोहिणी नक्षत्र में ही निकलेगा। चाँद रात में आठ बजकर 07 मिनट पर निकलेगा। पूजा इस दिन 05 बजकर 43 मिनट से 06 बजकर 50 मिनट तक रहने वाला है।
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ व्रत के दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले ही व्रत प्रारंभ कर देती हैं और रात को चंद्र दर्शन और चंद्र पूजा के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन भगवान शिव, मां पार्वती की, और भगवान गणेश की पूजा का विधान बताया गया है। यूँ तो करवा चौथ का यह व्रत विवाह के बाद लगातार 12 या 16 वर्षों तक रहना अनिवार्य होता है हालांकि, यदि आप चाहें तो इसे आजीवन भी रख सकती हैं। पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ सबसे श्रेष्ठ उपवास बताया गया है।
करवा चौथ का शुभ व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। मान्यता है कि जो कोई भी सुहागिन स्त्री इस व्रत को करती है उनके पति की उम्र लंबी होती है, उनका गृहस्थ जीवन सुखद होता है, और साथ ही उनके पति को स्वास्थ्य संबंधी कोई गंभीर परेशानी नहीं होती है। इसके अलावा कुंवारी कन्याएं भी करवा चौथ के व्रत को करती हैं जिससे उन्हें सुयोग्य या मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
करवा चौथ व्रत से संबंधित महत्वपूर्ण नियम
- करवा चौथ व्रत के दिन चंद्रमा के दर्शन और पूजा से पहले अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता है।
- सुहागिन महिलाओं के लिए विवाह के बाद 12 या 16 वर्षों तक निरंतर करवा चौथ व्रत करना महत्वपूर्ण माना गया है।
- करवा चौथ के दिन महिलाएं दुल्हन की तरह श्रृंगार करती हैं और आभूषण पहनती हैं।
- करवा चौथ की पूजा में एक मीठा करवा और एक मिट्टी का करवा अवश्य शामिल करें।
- मिट्टी के करवे से ही चंद्रमा को अर्घ्य दें।
- इसके बाद भगवान शिव, मां पार्वती, और भगवान गणेश का स्मरण करें और उसके बाद अपने पूरे परिवार के साथ भोजन ग्रहण करें।
- यदि आप कुंवारी हैं और करवा चौथ का व्रत कर रही हैं तो आपको केवल चौथ माता, भगवान शिव, मां पार्वती की पूजा करके उनकी कथा सुननी चाहिए। कुंवारी कन्याओं को चंद्रमा देखकर व्रत तोड़ने की आवश्यकता नहीं होती है। आप तारों को देख कर भी अपना व्रत पूरा कर सकती हैं।
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करवा चौथ के लिए महत्वपूर्ण सामग्री
अंतिम समय में आप से पूजा के लिए कोई भी आवश्यक सामग्री ना छूट जाए इसलिए आइए समय से पहले ही जान लेते हैं कि करवा चौथ की पूजा में आपको किन किन जरूरी और आवश्यक सामग्री की आवश्यकता पड़ेगी।
करवा चौथ की थाली, पांच तरह के मेवे, घर के बने पकवान, सुहाग का सामान, छलनी, मिट्टी का बर्तन और ढक्कन, गंगाजल, कुमकुम, और चंदन, फूल और रोली, सुहाग का समान, कच्चा दूध, शुद्ध घी, चुनरी, पीली मिट्टी (जिससे गौरा माता बनाई जाएंगी) हलवा और खीर।
….इसलिए किया जाता है करवा चौथ का व्रत
करवा चौथ के बारे में रामचरितमानस के लंका कांड में उल्लेखित वर्णन के अनुसार, जो कोई पति पत्नी किसी भी कारणवश एक दूसरे से अलग हो गए हैं चंद्रमा की किरणें उन्हें ज्यादा कष्ट पहुंचाती हैं इसलिए, करवा चौथ के दिन चंद्र देव की पूजा करके महिलाएं अपने पति के साथ आजीवन रहने की कामना करती हैं।
बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी करवा चौथ व्रत का सुझाव द्रौपदी को दिया था जिससे पांडवों पर आये संकटों को दूर किया जा सका था।
इसके अलावा कहा जाता है कि वीरावती ने भी करवा चौथ व्रत के दम पर ही अपने पति को काल से वापस लाने में सफलता प्राप्त की थी।
करवा चौथ के दिन क्या करें क्या ना करें
करवा चौथ के दिन अवश्य करें यह काम
- करवा चौथ का व्रत निर्जला और बिना खाए पिए रहा जाता है। ऐसे में सुबह उठकर सरगी ढंग से खा लें। सरगी लड़की के ससुराल या मायके से आती है। इसमें श्रृंगार का सामान, नए कपड़े, गहने, और खाने पीने की चीजें शामिल होती हैं।
- करवा चौथ का व्रत कठिन होता है ऐसे में कोशिश करें और खुद को ज्यादा थकाएं नहीं।
- खुश मन से पूजा करें।
- उपवास पूरा करने के बाद सीधे ही कोई भारी भोजन ना करें। हल्का भोजन करें और कुछ समय बाद या अगले दिन पेट भरकर भोजन करें।
करवा चौथ के दिन क्या काम भूल से भी ना करें
- यदि आप गर्भवती हैं या मधुमेह रोग से पीड़ित हैं या फिर रक्तचाप या किसी भी ऐसी बीमारी से पीड़ित हैं तो सलाह दी जाती है कि करवा चौथ का व्रत ना करें।
- उपवास से पहले भारी भोजन करने से बचें।
- करवा चौथ के व्रत के दिन किसी पर क्रोध न करें, किसी का बुरा न सोचें, किसी को अपशब्द भी ना कहें।
करवा चौथ में सरगी का महत्व
करवा चौथ के व्रत के दिन सास को या बहुत सी जगह माँ भी अपनी बेटियों को सरगी देती हैं। यूं तो सर की का चलन भारत के कुछ हिस्सों में ही माना जाता है हाल लेकिन सर जी को बेहद ही शोक कहा जाता है सर्दी में बहू या बेटी के खाने की कुछ मिठाइयां पकवान नए कपड़े श्रृंगार आदि को शामिल किया जाता है सुबह समय से पहले उठकर बहू है यह सरगी खाती हैं और उसके बाद ही अपना व्रत प्रारंभ कर दी है
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