तुला राशि में बुध वक्री: सभी बारह राशियों का विस्तृत और सटीक भविष्यफल

सभी नौ ग्रहों में सबसे तेज और सबसे ग्रह का दर्जा बुध ग्रह को दिया गया है। इसके अलावा बुध ग्रह कन्या और मिथुन राशि का स्वामी है। साथ ही बुध ग्रह सूर्य के सबसे निकट है। वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को चतुरता से संबंधित ग्रह के रूप में भी जाना जाता है। बुध ग्रह व्यक्ति में बुद्धि, हास्य और बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। 

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व्यक्ति की कुंडली में बुध की स्थिति व्यक्ति के जीवन पर बहुत ज्यादा प्रभाव डालती है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में बुध ग्रह अनुकूल स्थिति में मौजूद होता तो ऐसे व्यक्ति व्यापार, वाणिज्य, बैंकिंग, कंप्यूटर और एकाउंटिंग के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। बुध की अनुकूल स्थिति जहाँ व्यक्ति की बुद्धि और समझ में इजाफा करता है वहीं इसके प्रभाव से इंसान चिंता और अभद्र व्यवहार भी करने लग जाता है। प्रतिकूल स्थिति में बुध जातक के चिड़चिड़े और अहंकारी व्यवहार का कारण बन सकता है।

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बुध एक राशि में लगभग 25 दिनों तक रहता है और फिर राशि परिवर्तन कर लेता है। बुध ग्रह सूर्य, शुक्र और राहु ग्रहों के अनुकूल है, जबकि चंद्रमा के साथ बुध ग्रह के साथ शत्रुत्व संबंध है। जहाँ कन्या राशि में बुध उच्च का होता है वहीं मीन राशि में यह नीच का होता है। बुध ग्रह व्यक्ति की त्वचा और तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित करता है और एक ओबसेशन, चक्कर आना, त्वचा की समस्याएं आदि जैसे रोगों की वजह भी बन सकता है।

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तुला राशि में वक्री बुध: समय 

बुध ग्रह 27 सितंबर 2021 को सुबह 10:40 पर तुला राशि में अपनी वक्री गति शुरू करेंगे।  18 अक्टूबर तक यह इसी स्थिति में रहेंगे। इसी दौरान 2 अक्टूबर को  वक्री बुध कन्या राशि में वापस लौटकर आएंगे और उसके बाद 18 अक्टूबर 2021 को कन्या राशि में ही अपनी मार्गी गति शुरू करेंगे। 

बुध की वक्री गति का राशियों पर प्रभाव  

बुध की वक्री चाल का असर सभी बारह राशियों पर अवश्य ही देखने को मिलेगा। यहाँ जानिए अपनी राशियों के अनुसार अपना भविष्यफल।

यह भविष्यफल चंद्र राशि पर आधारित है। अपनी चंद्र राशि जानने के लिए क्लिक करें:
चंद्र राशि कैलकुलेटर

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और छठे घर का स्वामी है और यह आपके सातवें घर में वक्री अवस्था में होगा। सप्तम भाव विवाह और साझेदारी का भाव है इसलिए…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और पांचवें घर का स्वामी है। वर्तमान में यह ग्रह आपके ऋण, शत्रु और दैनिक मजदूरी के छठे भाव में वक्री होगा। इस वक्री…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध पहले और चौथे घर का स्वामी है और प्यार, रोमांस और बच्चों के पांचवें भाव में यह वक्री होगा। इस दौरान बातचीत के दौरान…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों के लिए बुध तृतीय और द्वादश भाव का स्वामी है। बुध वक्री आपकी माता, सुख आदि के चतुर्थ भाव में होगा। इस दौरान आप …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों के लिए बुध उनके द्वितीय और एकादश भाव का स्वामी है। यह आपके तृतीय भाव में वक्री होगा। इस वक्री के दौरान आप भाई-बहनों…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए बुध पहले और दसवें घर का स्वामी है। दसवाँ भाव करियर औऱ पेशे का जबकि पहला भाव आपकी आत्मा का कारक माना जाता है। बुध का वक्री …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

तुला राशि 

तुला राशि के जातकों के लिए बुध नौवें और बारहवें भाव का स्वामी है। इस दौरान तुला राशि के जातक धार्मिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं, इसके…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए, बुध आठवें और एकादश भाव का स्वामी है और यह खर्च, हानि और मोक्ष के आपके द्वादश भाव में वक्री होगा। आर्थिक रूप से…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए बुध सातवें और दसवें भाव का स्वामी है और वर्तमान में यह ग्रह आपकी सफलता, लाभ आदि के एकादश भाव में वक्री होगा। बुध …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए बुध छठे और नौवें भाव का स्वामी है और करियर, नाम और प्रसिद्धि के आपके दसवें घर में यह वक्री गति करेगा। इसलिए आपको…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के जातकों के लिए बुध पांचवें और आठवें भाव का स्वामी है और आपके भाग्य, धर्म आदि के नौवें भाव में यह वक्री गति करेगा। आपके बच्चे इस दौरान प्रगति…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मीन राशि 

मीन राशि के जातकों के लिए बुध चौथे और सातवें घर का स्वामी है और यह आपके अष्टम भाव में वक्री गति करेगा परिवर्तन और अनुसंधान का कारक भाव कहा जाता है। अष्टम भाव…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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