सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए सावन का महीना श्रद्धा और भक्ति का महीना होता है। वे इस पूरे मास में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और तमाम वे कोशिशें करते हैं जिसके जरिये भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सके। भगवान शिव को सभी देवताओं में सबसे जल्द प्रसन्न हो जाने वाला देवता माना जाता है। कुछ चीजें उन्हें बेहद प्रिय हैं जिन्हें अर्पित करने मात्र से वे अपने भक्तों के सारे दुःख हर लेते हैं। उन वस्तुओं में से एक वस्तु है बेलपत्र।
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लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव को बेलपत्र इतना प्रिय क्यों है? आइये आज हम आपको इस लेख में इस बात की जानकारी दे देते हैं। इसके साथ ही हम आपको इस लेख में यह भी बताने वाले हैं कि महादेव पर बेलपत्र को चढ़ाने से जुड़े नियम क्या हैं।
क्या प्रिय है महादेव को बेलपत्र?
जिस तरह आपके मन में बेलपत्र के महादेव के प्रिय होने के प्रति जिज्ञासा उठी है। ठीक वैसे ही माता पार्वती के अंदर भी इस बात की जिज्ञासा थी कि आखिर महादेव को बेलपत्र इतना प्रिय क्यों है। ऐसे में प्रभु महादेव ने स्वयं माता पार्वती की जिज्ञासा को शांत करते हुए उन्हें बताया था कि बेलपत्र उन्हें इसलिए प्रिय है क्योंकि उसके तीन पत्ते ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद के समान हैं। बेलपत्र को भगवान शिव ने स्वयं की जटा के समान बताया है। उन्होंने माता पार्वती को कहा कि बेल का पेड़ को पृथ्वीलोक पर देवलोक में मौजूद कल्पवृक्ष के समान है। इसके अलावा माता महालक्ष्मी ने शैल पर्वत पर बेल के पेड़ का रूप धारण किया था, इस कारण से भी बेल के पत्ते भगवान महादेव को अति प्रिय हैं।
एक और मान्यता के अनुसार बेल के पेड़ की उत्पत्ति माता पार्वती के माथे से मंदार पर्वत पर गिरे पसीने से हुई है। इसके अलावा मान्यता है कि बेल के पेड़ के जड़ में गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखा में दक्षायणी, पत्ते में पार्वती और पुष्प में गौरी का वास है। ये सब भी वे वजहें हैं कि महादेव को बेल के पत्र प्रिय हैं। आम मान्यता ये भी है कि बेलपत्र के मूल भाग में सभी तीर्थों का वास है, ऐसे में महादेव को बेलपत्र अर्पित करने से सभी तीर्थ स्थलों की यात्रा का फल प्राप्त हो जाता है।
आइये अब आपको बता देते हैं कि भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने से जुड़े जरूरी नियम क्या हैं।
महादेव को बेलपत्र अर्पित करते वक्त रखें इन बातों का ध्यान
- भगवान शिव पर हमेशा वही बेलपत्र अर्पित किया जाना चाहिए जिसकी तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी हों।
- भगवान शिव को अर्पित किए जाने वाले बेलपत्र कभी भी कटे-फटे न हों और साथ ही इसमें किसी भी प्रकार का कोई छेद भी न हो।
- बेलपत्र को सोमवार के दिन तोड़ना निषेध माना गया है। ऐसे में यदि आप सोमवार के दिन भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करना चाहते हैं तो उससे एक दिन पहले ही बेलपत्र तोड़ कर रख लें।
- बेलपत्र कभी अपवित्र नहीं होता है। आप महादेव को अर्पित बेलपत्र को दोबारा धो कर वापस उन्हें वही बेलपत्र अर्पित कर सकते हैं। समान फल प्राप्त होगा।
- भगवान शिव को जब भी बेलपत्र अर्पित करें तो ध्यान रखें कि जिस तरफ बेलपत्र की चिकनी सतह हो, उसी तरफ से महादेव के ऊपर बेलपत्र रखे जाएँ।
- शिवलिंग पर बेलपत्र हमेशा जलाभिषेक करते हुए अर्पित करें।
- शिवलिंग पर बेलपत्र हमेशा अनामिका, मध्यमा और अंगूठे का उपयोग करते हुए अर्पित करना चाहिए।
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