कुछ अपवादों को छोड़ दें तो अधिकतर विवाहित जोड़े हमेशा संतान की इच्छा रखते हैं। घर के बड़े-बुजुर्गों के मन में भी ये कामना रहती है कि उनका वंश आगे बढ़े और वे अपने पुत्र य पुत्री की संतान को एक बार देख लें। लेकिन कई ऐसे विवाहित जोड़े होते हैं जो लाख कोशिशों के बावजूद भी संतान सुख से वंचित रह जाते हैं। वैदिक ज्योतिष में भगवान बृहस्पति को किसी भी जातक की कुंडली में संतान का कारक माना गया है। वहीं शुक्र भी यदि किसी महिला की कुंडली में कमजोर स्थिति में हो तो उस महिला को गर्भपात का दंश झेलना पड़ता है।
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ऐसे में आज हम आपको इस लेख में संतान सुख प्राप्त करने के कुछ ज्योतिषीय उपाय बताने वाले हैं।
पहला उपाय
बृहस्पतिवार के दिन व्रत रखें। फलाहार पर रहें। भगवान विष्णु की पूजा करें और नमक व अन्न ग्रहण न करें। सेंधा नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे भगवान बृहस्पति प्रसन्न होंगे और कुंडली में उनकी स्थिति मजबूत होगी।
दूसरा उपाय
महीने के शुक्ल पक्ष में बरगद के पत्ते को धोकर उस पर कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। इसके बाद इस पर चावल और सुपारी रखकर किसी मंदिर में सूर्यास्त से पहले भगवान को अर्पित करें। भगवान को प्रणाम कर अपनी समस्या बताएं। आपकी समस्या जरूर दूर होगी।
तीसरा उपाय
कभी कभी ऐसा होता है कि पूर्वजों के श्राद्ध के दौरान कुछ अनुष्ठान सही ढंग से नहीं हो पाते हैं। इससे पितृ दोष पैदा होता है जिसकी वजह से भी संतान प्राप्ति में समस्या आती है। ऐसे में जातकों पूर्वजों का विधिपूर्वक श्राद्ध कर पितृ दोष का उपाय करना चाहिए। इससे आपकी समस्या खत्म होगी।
चौथा उपाय
ऐसी महिलाएं जो संतान सुख से वंचित हैं, उन्हें गर्भ गौरी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इस रुद्राक्ष के दो भाग होते हैं जिसमें से पहला भाग दूसरे भाग से बड़ा होता है। इस रुद्राक्ष का पहला भाग माता पार्वती का प्रतीक है जबकि दूसरा उनके पुत्र भगवान गणेश का। इस रुद्राक्ष को धारण करने से आपको जल्द संतान की प्राप्ति होगी। इस रुद्राक्ष को पूजा घर में स्थापित कर 108 बार ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करने से भी संतान संबंधी समस्या का निवारण होता है।
पांचवा उपाय
बृहस्पतिवार के दिन पीले रंग के धागे में केले का जड़ पिरोकर गले में धारण करने से भी संतान संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। अगर केले का जड़ न मिले तो आप पपीते का जड़ भी धारण कर सकते हैं।
छठा उपाय
सनातन धर्म में एकादशी का बड़ा महत्व है। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है जिसमें से पुत्रदा एकादशी करने से जातकों की संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ध्यान रखें कि इस व्रत के नियम दशमी की संध्या से शुरू होकर द्वादशी के पारण मुहूर्त तक पालन करने होते हैं।
सातवां उपाय
बृहस्पतिवार के दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें। इसके साथ ही इस दिन गरीब व जरूरतमंद लोगों को पीले रंग की वस्तुओं का दान करें। सुबह उठकर घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें। इससे कुंडली में बृहस्पति की स्थिति बेहतर होगी।
आठवां उपाय
भगवान कृष्ण के बाल रूप को बाल गोपाल के नाम से जाना जाता है। ऐसे जातक जो संतान सुख प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें बाल गोपाल की पूजा जरूर करनी चाहिए। घर के मंदिर में बाल गोपाल की प्रतिमा स्थापित कर रोज उनकी पूजा करें।
नौवां उपाय
ऐसी महिलाएं जिन्हें गर्भपात की समस्या होती है उन्हें कुंडली में शुक्र को मजबूत करने के उपाय करने चाहिए। शुक्र को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार को व्रत रखें। साथ ही शुक्रवार के दिन सफ़ेद या गुलाबी वस्त्र धारण करने से भी शुक्र देवता प्रसन्न होते हैं। कन्या पूजन करें। साथ ही उन्हें भोजन कराने के बाद कुछ दान देकर विदा करें। शुक्र की स्थिति कुंडली में बेहतर होगी।
दसवां उपाय
मां दुर्गा के नौ रूपों में से एक रूप स्कंदमाता का है। माँ स्कंदमाता शेर पर सवार रहती हैं और उनकी गोद में भगवान कार्तिकेय विराजमान हैं। माता स्कंदमाता की पूजा से मातृत्व सुख प्राप्त होता है। माँ स्कंदमाता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जाप करें-
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
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