वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन सीता नवमी मनाई जाती है। कहा जाता है इसी दिन मध्यकाल में पुष्य नक्षत्र में मां सीता का प्राकट्य हुआ था और यही वजह है कि, इस दिन सीता नवमी मनाई जाती है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रामनवमी की ही तरह सीता नवमी का विशेष महत्व बताया जाता है। कहते हैं जो कोई भी व्यक्ति सीता नवमी के दिन माता सीता की पूजा करता है उसके जीवन से बड़ी से बड़ी मुश्किलें दूर होती हैं और साथ ही अपनी माता के जीवन से किसी भी प्रकार का रोग और पारिवारिक कलह क्लेश को दूर करने के लिए भी यह दिन बेहद ही उपयुक्त माना गया है।
अब जानते हैं इस वर्ष सीता नवमी किस दिन मनाई जाएगी? इस दिन का शुभ मुहूर्त क्या है? इस दिन किस मुहूर्त में पूजा नहीं करनी है और इस दिन की पूजन विधि क्या है?
सीता नवमी कब है 2021 में
21 मई, 2021 (वैशाख माह)
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सीता नवमी 2021 शुभ मुहूर्त
अभिजीत :11 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक
अशुभ मुहूर्त: (इस दौरान भूल से भी न करें पूजा)
गुलिक काल: 07 बजकर 12 मिनट से 08 बजकर 54 मिनट तक
यमगण्ड:15 बजकर 40 मिनट से 17 बजकर 22 मिनट तक
राहू काल:10 बजकर 35 मिनट से 12 बजकर 17 मिनट तक
सीता नवमी की सही पूजन विधि
- इस दिन सुबह जल्दी स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं।
- व्रत करना चाहते हैं तो दीपक जलाने के बाद व्रत का संकल्प लें। कहा जाता है कि यदि सीता नवमी के दिन व्रत किया जाए तो व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है।
- इसके बाद पूजा वाले स्थान पर देवी-देवताओं को गंगाजल से स्नान कराएं।
- मां सीता और भगवान राम का ध्यान करें। इस दिन की पूजा में भगवान राम के साथ मां सीता की आरती अवश्य करें।
- पूजा में भोग शामिल करें। हालांकि भोग में इस बात का ध्यान रखना बेहद अनिवार्य है कि, वह केवल सात्विक भोजन का ही लगाया जाता है। इसके अलावा यदि आप भोग में कोई मीठी वस्तु से शामिल करते हैं तो यह बेहद शुभ होता है।
- इसके अलावा इस दिन की पूजा में चावल, धूप, दीप, लाल रंग के फूल, सुहाग की सामग्री अवश्य शामिल करें।
सीता नवमी महत्व
सीता नवमी के दिन वैष्णव लोग मां सीता और प्रभु श्री राम की पूजा करते हैं और साथ ही व्रत भी रखते हैं। कहा जाता है इस दिन की पूजा करने से दान करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा सुहाग की लंबी आयु व संतान प्राप्ति, घर में कलह क्लेश को दूर करने, निरोगी जीवन इत्यादि के लिए सीता नवमी के दिन की जाने वाली पूजा और इस दिन किया जाने वाला व्रत बेहद ही फलदाई साबित होता है।
इसके अलावा सीता नवमी के दिन पूजा पाठ करने के बाद अपनी यथा शक्ति के अनुसार दान अवश्य करें। हिंदू धर्म में प्रत्येक पूजा व्रत के बाद दान किया जाता है। ऐसे में मान्यता है कि, सीता नवमी के दिन दिया जाने वाला दान कन्यादान और चार धाम तीर्थ यात्रा के समान फलदाई होता है।
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