वास्तु शास्त्र का मानना है कि हमारे आसपास मौजूद हर चीज दिशा के अनुसार सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा पैदा करती है जिसका असर हमारे और आपके जीवन पर ऊर्जा के स्वभाव के अनुसार पड़ता है।
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चूंकि शहरों में आबादी लगातार बढ़ रही है, ऐसे में शहरों में कई तल्लों के घर के निर्माण करने की आवश्यकता होती है। जाहीर है कि इन घरों का एक खास अंग इन घरों की सीढ़ियाँ होती हैं जो दो तल्लों को आपस में जोड़ती हैं। लेकिन वास्तु शास्त्र में सीढ़ियों को लेकर भी कुछ नियम हैं। आज हम इस लेख में आपको उन्हीं वास्तु नियमों की जानकारी देंगे जो सीढ़ी से जुड़े हैं। साथ ही हम आपको ये भी बताएँगे कि अगर आपके घर की सीढ़ियों में वास्तु दोष है तो उसका क्या उपाय किया जा सकता है।
सीढ़ियों को लेकर वास्तु शास्त्र के नियम
पहला नियम : वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर में दक्षिण-पश्चिम दिशा में सीढ़ियों का होना शुभ माना गया है। वहीं उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर सीढ़ियों का रुख हो तो यह भी बेहद शुभ है।
दूसरा नियम : यदि आपके घर में दक्षिण-पूर्व दिशा में सीढ़ी मौजूद है तो यह अशुभ फल देता है। जिस भी घर में इस दिशा में सीढ़ी होती है उस घर के बच्चे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित रहते हैं। ऐसे में यदि आपके घर में दक्षिण पूर्व दिशा में कोई सीढ़ी मौजूद है तो आप उस सीढ़ी की शुरुआत में एक और सीढ़ी को जोड़ कर उसे एक अलग दिशा में मोड़ दें, इससे उस सीढ़ी का वास्तु दोष खत्म हो जाएगा।
तीसरा नियम : यदि आपके घर में उत्तर पूर्व दिशा यानी कि ईशान कोण में सीढ़ी हो तो यह बहुत ही चिंता का विषय है। ऐसे घर जहां इस दिशा में सीढ़ियाँ होती हैं वहाँ उस घर के स्वामी का उत्थान रुक जाता है। आर्थिक समस्याएं होने लगती हैं और मानसिक तनाव बढ़ जाता है। अगर आपके घर में भी इस दिशा में सीढ़ी हो तो आप या तो इस दिशा की सीढ़ी को तुड़वा कर उसे दूसरी दिशा में मोड़ दें या फिर अगर आप ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं तो फिलहाल उस सीढ़ी के सामने उगते सूर्य या फिर सूरजमुखी की कोई तस्वीर लगा दें। आप ऐसी सीढ़ी के सामने शीशा भी लगा सकते हैं।
चौथा नियम : कुछ लोग स्वयं निचले तले पर रहते हैं और ऊपरी तलों पर किराएदार को रखते हैं। ऐसे में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि ऊपरी तले पर जाने वाली सीढ़ियाँ आपके मुख्य द्वार के ठीक सामने न हो। जिस घर में ऐसा होता है वहाँ मकानमालिक की तरक्की रुक जाती है और किराएदार की तरक्की होने लगती है। ऐसे में यदि आपके घर में भी इस तरह से सीढ़ियाँ मौजूद हैं तो या तो आप अपना मुख्य द्वार बदल लें या फिर सीढ़ी और मुख्य द्वार के बीच में कोई डिवाइडर जैसा अवरोध उत्पन्न करें।
पांचवा नियम : यदि आपके घर में पूर्व दिशा में कोई सीढ़ी है तो इस बात का ध्यान रखें कि यह सीढ़ी पूर्व दिशा में मौजूद दीवार से सटी हुई न हो। सीढ़ी और दीवार के बीच कम से कम तीन इंच की दूरी अवश्य होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं है तो पूर्व दिशा की दीवार पर पंचमुखी हनुमान जी की एक तस्वीर लगा कर आप इस वास्तु दोष को खत्म कर सकते हैं।
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वास्तु अनुसार सीढ़ियों से जुड़ी कुछ अहम बातें
- सीढ़ी के नीचे कभी भी जूते-चप्पल या फिर कबाड़ का सामान नहीं रखना चाहिए। इससे घर की लक्ष्मी रुष्ट होती है और घर के स्वामी को धन संचय करने में समस्या का सामना करना पड़ता है।
- सीढ़ी के नीचे कभी भी कोई मंदिर या शौचालय न बनवाएँ। इससे घर का सौभाग्य खत्म होता है और परिवार के सदस्यों के बीच कलह शुरू हो जाते हैं।
- घर की सीढ़ियाँ हमेशा सम संख्या में होनी चाहिए। यदि आपके घर में ऐसा नहीं है तो सीढ़ी के अंतिम सिरे में एक छोटी सीढ़ी का निर्माण कर सीढ़ियों की संख्या सम कर सकते हैं।
- घुमावदार सीढ़ियों को वास्तु शास्त्र में गलत माना गया है इसलिए हमेशा सीधी सीढ़ियाँ ही बनवाएँ।
- सीढ़ियों के आरंभ और अंत में हमेशा द्वार रखें। अगर घर की सीढ़ियों में इसके बाद भी कोई वास्तु दोष है तो बरसात के मौसम में मिट्टी के मटके में बरसात का पानी जमा कर के सीढ़ी के नीचे गार दें, इससे सीढ़ियों का वास्तु दोष खत्म हो जाता है।
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