हरिद्वार कुंभ 2021 : जानिए कैसे बनते हैं नागा साधु और क्या हैं उनके नियम

हरिद्वार में कुंभ मेला शुरू हो चुका है। हर बार की तरह अलग-अलग अखाड़े कुंभ में शाही स्नान कर रहे हैं। आप हर बार कुंभ के शुरू होते ही अखाड़ों और नागा साधु के बारे में पढ़ते या सुनने लगते होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि नागा साधु बनते कैसे हैं और उन्हें किन नियमों का पालन करना पड़ता है?अगर नहीं तो इस लेख में हम आपको ये सारी जानकारी देने वाले हैं।

नागा साधु कैसे बनते हैं?

दरअसल नागा साधु बनने के लिए किसी भी शख्स को किसी न किसी अखाड़े से जुड़ना होता है। ऐसे में इसकी शुरुआत अखाड़े में प्रवेश पाने से होती है। सबसे पहले तो नागा साधु बनने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति का ब्रह्मचर्य जांचा जाता है कि उसने लम्बे समय तक ब्रह्मचर्य का पालन किया है या नहीं। एक बार अखाड़े में प्रवेश मिलता है तो उस शख्स को फिर आगे ब्रह्मचर्य का ही पालन करना होता है। इस के बाद उस शख्स के पांच गुरु नियुक्त होते हैं। ये गुरु उसके ब्रह्मचर्य की परीक्षा लेते हैं और अमूमन इसमें 06 महीने से लेकर 12 साल तक लगते हैं। ऐसे में जब गुरुओं को यह एहसास हो जाता है कि नागा साधु बनने की इच्छा रखने वाला शख्स दीक्षा लेने लायक है तो आगे की कार्यवाही शुरू होती है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उस शख्स को अपने गुरुओं की सेवा करनी होती है। 

इसके बाद उसे कुंभ में स्नान कराया जाता है और उसे इस दौरान 108 बार डुबकी लगानी होती है। स्नान के बाद उसे एक भगवा कपड़ा, एक रुद्राक्ष की माला और हवन या फिर किसी मुर्दे की राख दी जाती है। इसके बाद उस शक्श का उपनयन संस्कार किया जाता है और उसे संन्यास का पालन करने की शपथ दिलाई जाती है। जिसके बाद उसे अवधूत का दर्जा मिल जाता है। 

इस दौरान कुंभ में ही उस शख्स से अपने माँ-बाप, परिवार और खुद का पिंड दान करवाया जाता है। फिर रात भर उसे “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना होता है। सुबह उसे फिर से अखाड़े ले जाय जाता है और वहां उससे विजया हवन करवाया जाता है। विजय हवन के बाद उस शख्स को फिर से कुंभ में 108 डुबकी लगानी पड़ती है। फिर आखिर में अखाड़े के ध्वज के नीचे उसका डंडी संस्कार किया जाता है। यहाँ से नागा साधु दिगंबर हो जाते हैं यानी कि इसके बाद वे कपडे नहीं धारण करते हैं। अगर उन्हें कपड़े धारण करने भी हैं तो वे सिर्फ भगवा वस्त्र ही धारण कर सकते हैं। 

नागा साधुओं के नियम

नागा साधुओं को कुछ बेहद ही कड़े नियमों का पालन करना होता है जैसे कि नागा साधु सिर्फ जमीन पर ही सो सकते हैं, किसी बिस्तर या खाट पर सोना नागा साधुओं के लिए वर्जित है। नागा साधु दिन में सिर्फ एक ही बार भोजन ग्रहण करते हैं और वो भी भिक्षा मांग कर। नागा साधुओं में भिक्षा मांगने का भी नियम है। नागा साधु सिर्फ सात घरों में ही भिक्षा मांगेंगे और अगर इस दौरान उन सात घरों से उन्हें भिक्षा नहीं मिलती है तो उस दिन उन्हें भूखे ही सोना होगा। नागा साधु किसी घर या बस्ती में नहीं रह सकते हैं और न ही वे किसी को प्रणाम कर सकते हैं। ऐसे ही कई और भी कड़े नियम हैं जिनका नागा साधुओं को पालन करना होता है। 

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