सोमवती अमावस्या 2021 : जानिए पीपल के पेड़ की इस दिन क्यों पूजा की जाती है

सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन पूजा-अर्चना, स्नान और दान-दक्षिणा करने से पुण्य फलों में वृद्धि होती है। साल 2021 के अप्रैल महीने में ख़ास अमावास्या पड़ रही है। ख़ास इसलिए क्योंकि यह अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही है और यह ख़ास संयोग इस साल एक ही बार हो रहा है। यही वजह है कि यह अमावस्या और महत्वपूर्ण हो गया है। आपको बता दें कि सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। इस दिन विशेष तौर से पीपल के पेड़ की पूजा करने का विधान है। ऐसे में हम आज इस लेख में आपको पीपल पेड़ की पूजा और इस पेड़ का सनातन धर्म में महत्व बताने वाले हैं। लेकिन उससे पहले सोमवती अमावस्या की कुछ जरूरी जानकारी आपको दे देते हैं।

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सोमवती अमावस्या 

साल 2021 में 11 अप्रैल यानी कि रविवार के दिन को सुबह 06 बजकर 05 मिनट से अमावस्या का मुहूर्त शुरू होकर 12 अप्रैल 2021 के दिन सोमवार को सुबह 08 बजकर 02 मिनट तक रहने वाला है।

पीपल के वृक्ष का महत्व 

गीता में एक श्लोक है जिसे भगवान श्री कृष्ण ने कहा है। श्री कृष्ण कहते हैं :

अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः।

गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः।।10.26।।

श्लोक का अर्थ

सम्पूर्ण वृक्षों में पीपल, देवर्षियों में नारद, गन्धर्वों में चित्ररथ और सिद्धों में कपिल मुनि, मैं हूँ।

इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण खुद को पीपल का पेड़ बताते हैं। वो कहते हैं कि पीपल के वृक्ष में उनका वास है। भगवान कृष्ण के इस कथन मात्र से ही हमें यह समझ में आ जाता है कि पीपल के वृक्ष को सनातन धर्म में क्या स्थान हासिल है। मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में त्रिदेव भी वास करते हैं। कहा जाता है कि पीपल के जड़ में भगवान विष्णु का वास है, तने में स्वयं भगवान् भोलेनाथ वास करते हैं जबकि ऊपरी भाग में परम पिता ब्रह्मा वास करते हैं। यही वजह है कि सनातन धर्म में पीपल के वृक्ष को सभी वृक्षों में श्रेष्ठ देव वृक्ष की उपाधि दी गयी है।  मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में सभी तीर्थ समाहित हैं। इसी वजह से इस पवित्र वृक्ष के नीचे मुंडन संस्कार का आयोजन किया जाता है। यज्ञ, पूजा एवं भजन कीर्तन के लिए भी पीपल के वृक्ष की छाया को बेहद शुभ माना गया है।

पीपल के वृक्ष का दैवीय महत्व यहीं ख़त्म नहीं होता। पीपल का वृक्ष ग्रह दोष भी दूर करता है। पीपल के पौधे को लगाने से शनिदेव बहुत प्रसन्न होते हैं। ख़ास कर के यह शुभ काम अगर सोमवती अमावस्या के दिन किया जाए तो शनिदेव उस जातक के सारे संकट दूर करते हैं। लेकिन पौधा लगाने वाले के ऊपर ही इस पौधे के वृक्ष बनने तक उसके देखभाल की पूरी जिम्मेदारी होती है। हालांकि पीपल के पौधे को लगाने को लेकर भी कुछ नियम हैं। पीपल के पेड़ को हमेशा घर से दूर लगाना चाहिए क्योंकि इसकी छाँव का घर के ऊपर पड़ना अच्छा नहीं माना जाता है। 

चूँकि सोमवार का दिन भगवान् शिव का होता है और पीपल के वृक्ष में भी भगवान् शिव वास करते हैं इसलिए इस दिन वृक्ष के जड़ में जल देने से भगवान् शिव भी अति प्रसन्न होते हैं। आपको बताते चलें कि रविवार के दिन पीपल के वृक्ष में जल अर्पित नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पूजा से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और साथ ही सुहागन महिलाओं के पति की आयु भी लम्बी होती है। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की पूजा और परिक्रमा से पाप का नाश होता है और सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। पितृ दोष भी ख़त्म होते हैं।

हम उम्मीद करते हैं कि हमारा यह लेख आपके लिए बेहद मददगार साबित हुआ होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ साझा कर सकते हैं।

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