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नवरात्रि छठा दिन, कात्यायनी देवी : 22 अक्टूबर 2020 (गुरुवार)!
नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा का विधान बताया गया है। देवी कात्यायनी को युद्ध की देवी, महिषासुर मर्दनी और पार्वती का स्वरुप कहा जाता है। वैसे तो देवी के सभी रूप बहुत मनमोहक हैं, लेकिन माता का कात्यायनी रूप करुणामयी बताया गया है। जो भी जातक सच्चे मन से माता कात्यायनी की पूजा करता है, माता उसकी सभी मनोकामना को अवश्य ही पूरा करती हैं। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी मानी गई हैं और शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयास करने वाले भक्तों को माता की अवश्य उपासना करनी चाहिए और इसके लिए आपको माता कात्यायनी की सही पूजा विधि, मंत्र, भोग और उन्हें प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के छठे दिन की जानें वाली पूजा की सही जानकारी होनी चाहिए। तो चलिए आपको इस लेख के माध्यम से ये सभी जानकारी देते हैं- ।
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नवरात्रि षष्ठी पूजा मुहूर्त
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ 21 अक्टूबर दिन बुधवार, प्रातः 09 बजकर 10 मिनट से हो रहा है, जो 22 अक्टूबर दिन गुरुवार को प्रातः 07 बजकर 41 मिनट तक है। ऐसे में मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना गुरुवार की सुबह होगी।
माँ का नाम कात्यायनी क्यों पड़ा?
सबसे पहले अगर बात करें कात्यायनी देवी के नाम की तो पौराणिक मान्यताओं के अनुसार युद्ध की देवी कहे जाने वाली माता कात्यायनी ने कात्यायन ऋषि की पुत्री के रूप जन्म लिया था, इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा। कई जगहों पर यह भी संदर्भ मिलता है कि देवी कात्यायनी माता पार्वती का अवतार हैं और सबसे पहले कात्यायन ऋषि ने उनकी उपासना की थी, इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा।
ऐसा है माँ कात्यायनी का स्वरूप
नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा का विधान है। अगर दिव्य रुपा कात्यायनी देवी के स्वरूप की बात करें तो माता कात्यायनी का शरीर सोने की तरह सुनहरा और चमकदार है। माँ कात्यायनी सिंह पर सवार हैं और इनकी 4 भुजाएं हैं। माँ ने अपने एक हाथ में तलवार ली है और दूसरे हाथ में अपना प्रिय पुष्प कमल का फूल लिया हुआ है। माता के बाकी दोनों हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं।
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मां कात्यायनी की पूजा में करें इस मंत्र का जाप
देवी कात्यायनी की पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप ज़रूर करें, इससे माता जल्द ही प्रसन्न होती है।
मंत्र 1 | चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना । कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि॥ |
मंत्र 2 | ‘कंचनाभा वराभयं पद्मधरां मुकटोज्जवलां। स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनी नमोस्तुते॥ |
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ऐसे करें कात्यायनी देवी की पूजा
- षष्ठी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और लाल रंग के वस्त्र पहनकर पूजा की शुरुआत करें।
- अब पूजा में नारियल, कलश, गंगाजल, कलावा, रोली, चावल, चुन्नी, शहद, अगरबत्ती, धूप, दीप, नवैद्य, घी आदि का प्रयोग करें।
- पूजा में चढ़ाएं जाने वाले नारियल को चुन्नी में लपेटकर कलश पर रख दें।
- इसके बाद कात्यायनी देवी को रोली, हल्दी और सिन्दूर लगाएं।
- फिर मंत्र का जाप करते हुए माँ कात्यायनी को फूल अर्पित करें और अपने घर परिवार की ख़ुशियों की मंगलकामना करें। ध्यान रहे आपको इस मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए और उसके बाद ही फूल अर्पित करने हैं। मंत्र है, ‘कंचनाभा वराभयं पद्मधरां मुकटोज्जवलां। स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनी नमोस्तुते॥’
- नवरात्रि के छठे दिन की पूजा में मधु यानि की शहद का उपयोग भी आवश्यक बताया गया है। इस दिन का शहद को प्रसाद के रूप में भी उपयोग में लाना चाहिए।
- माता कात्यायनी के सामने घी का दीपक ज़रूर जलाएं।
- पूजा के बाद प्रसाद को सभी में वितरित करें और सब से आशीर्वाद लें।
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इस रंग का वस्त्र पहनकर करें माँ कात्यायनी की पूजा
माता कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है। देवी कात्यायनी लाल रंग के वस्त्र में हैं और माता का श्रृंगार भी लाल रंग का ही है। माता को यह रंग बेहद पसंद है इसीलिए नवरात्रि के छठे दिन यदि माता कि पूजा लाल रंग के वस्त्र पहनकर करें और माता को भी लाल रंग के ही वस्त्र और वस्तुएँ चढ़ाएं, तो माता जल्दी प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बरसाती हैं।
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देवी कात्यायनी की पूजा से होने वाले लाभ
नवरात्रि के छठे दिन कात्यायनी देवी की पूजा करने और इस दिन व्रत रखने से यदि किसी जातक के विवाह में कोई परेशानी आ रही हो तो वह दूर हो जाती है और देवी के आशीर्वाद से उसे सुयोग वर की प्राप्ति होती है। कात्यायनी देवी का व्रत करने से कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है और कार्य में आ रही परेशानी भी दूर होती है। इसके अलावा मान्यता यह भी है कि मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी की पूजा करने से राहु ग्रह की वजह से हो समस्याएं व काल सर्प जैसे बड़े-बड़े दोष भी दूर होते हैं। जो भी जातक माँ कात्यायनी की सच्चे मन से पूजा करता है, उसे त्वचा रोग, मस्तिष्क से जुड़ी परेशानियां इत्यादि जैसे बड़े रोग नहीं होते हैं। इसके साथ ही माना जाता है कि देवी की पूजा से कैंसर जैसे रोग भी दूर रहते हैं। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं और देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव भी कम होते हैं।
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