वैश्विक महामारी कोरोना की आफत मानो कम थी कि इस समय भारत-चीन बॉर्डर पर लगातार बिगड़ते हालात के चलते दोनों देशों में राजनीतिक तनाव बढ़ सा गया है। यह सिर्फ कहने की बात नहीं रही, अब मामला यकीनन गंभीर बन चुका है। नीचे हम अपनी बात को उदाहरण के साथ समझाने का प्रयास करते हैं।
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सबसे पहले हम आपको प्रथम विश्व युद्ध की कुंडली दिखाने जा रहे हैं।
इस कुंडली को देखने से पता चलता है कि यहाँ गुरु बृहस्पति कमज़ोर स्थिति में हैं, और शनि, मिथुन राशि में बुध के साथ युति कर रहे हैं। मंगल, सिंह राशि में है, जो की एक उग्र राशि मानी गयी है, और केतु और शुक्र के साथ युति में है। इसके अलावा, शाही ग्रह सूर्य, सिंह राशि में गोचर कर रहा है। इस दौरान वो दुर्बल गुरु बृहस्पति को दृष्टि दे रहा है। इसके अलावा मंगल राहु को और शनि मंगल को दृष्टि दे रहा है।
यानि कुल मिलाकर मिथुन, कर्क, सिंह, मकर और कुंभ राशि पीड़ित स्थिति में हैं।
इसके बाद बात करते हैं विश्व युद्द द्वितीय की कुंडली के बारे में।
यहाँ, सूर्य सिंह राशि में है और शुक्र के साथ युति में है, और यह मकर राशि से मंगल की दृष्टि में है। बृहस्पति वक्री गति में है और मीन राशि में है। शनि दुर्बल अवस्था में है और राहु-केतु के अक्ष पर है। मंगल, शनि की दुर्बलता को रद्द कर रहा है। तुला राशि राहु से पीड़ित है।
कर्क, सिंह, तुला, मकर, मीन और मेष पीड़ित स्थिति में हैं।
अब बात करते हैं भारत-पाकिस्तान प्रथम युद्ध की
अब इस कुंडली में देखिये तो, मंगल सिंह राशि में है, और बृहस्पति राहु से पीड़ित है। सूर्य मेष राशि में है। शनि कुंभ राशि में है। शनि और केतु मंगल की दृष्टि में हैं।
वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ, मीन और मेष पीड़ित अवस्था में हैं।
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भारत-पाकिस्तान द्वितीय युद्ध
इस कुंडली में देखिये तो, सूर्य वृश्चिक राशि में बृहस्पति के साथ युति में है। शुक्र और बुध धनु राशि में हैं, राहु मकर राशि में और केतु कर्क राशि में है। मंगल कुंभ राशि में है और शनि वृष राशि में है। शनि मंगल की दृष्टि में है, तो वहीं शनि सूर्य और बृहस्पति को प्रभावित कर रहा है। शनि वक्री गति में है।
भारत-चीन युद्ध
यहाँ, सूर्य तुला राशि में है, शनि मकर राशि में है और केतु साथ युति में है। मंगल कर्क राशि में है और राहु के साथ युति कर रहा है। बुध कन्या राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में है। शनि, बृहस्पति और सूर्य मंगल की दृष्टि में हैं। बृहस्पति वक्री स्थिति में है।
पीड़ित राशियों में कर्क, वृश्चिक, तुला, मकर और कुंभ हैं।
कारगिल युद्ध
यहाँ एक बार फिर से, केतु, सूर्य और शनि, मंगल की दृष्टि में हैं। शुक्र भी इसकी दृष्टि में है। सूर्य और शनि मेष राशि में, शुक्र वृष राशि में, राहु कर्क राशि में, मंगल तुला राशि में और केतु मकर राशि में हैं। केतु शनि की दृष्टि में है, और राहु बृहस्पति की दृष्टि में है। बृहस्पति मीन राशि में है।
पीड़ित राशियाँ, मेष, वृषभ, राहु, मंगल, मकर, मीन हैं।
अब देखिये मौजूदा समय की कुंडली
इस कुंडली में शनि, बृहस्पति, शुक्र, बुध वक्री स्थिति में हैं। शनि और बृहस्पति मकर राशि में हैं। मंगल शनि की दृष्टि में है। मंगल राहु, सूर्य, और बुध पर दृष्टि डाल रहा है।
पीड़ित राशियाँ, मकर, मीन, वृषभ, मिथुन, धनु हैं।
अब अगर हम इन सभी परिस्थितियों में समानताएं देखें तो :
- भारत-पाकिस्तान के प्रथम युद्ध के मामले को छोड़कर, मकर राशि लगभग सब में सामान्य है।
- मंगल की दृष्टि में क्रूर ग्रह हैं।
- भारत-पाकिस्तान प्रथम युद्ध की कुंडली को छोड़कर शनि मंगल को दृष्टि दे कर प्रभावित कर रहा है।
- कर्क या सिंह राशि या तो पीड़ित राशियाँ हैं, या क्रूर ग्रह की दृष्टि में हैं।
- कुछ फेरबदल के साथ आज के गोचर में परिदृश्य लगभग समान ही है।
भारत-चीन के बीच लगातार बढ़ता तनाव चिंता का कारण तो है। जहाँ एक तरफ कोरोना महामारी की आपदा दुनिया पर हावी होकर असंख्य जान ले चुकी है, वहीं भारत-चीन बॉर्डर पर चल रहे तनाव ने जाहिर रूप से दोनों राजनीतिक के साथ-साथ सांस्कृतिक पक्ष पर गलत मोड़ ले लिया है। मैं, अपने ज्योतिषीय मूल्यांकन के आधार पर इस बात को कह सकता हूँ कि, दोनों देशों के बीच हालात गंभीर और भयंकर होने की आशंका है, और यह मुद्दा केवल दो-पक्षीय संघर्ष ही नहीं बल्कि वैश्विक भी बनने की उम्मीद है।
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लेखक: आचार्य रमन