नवरात्रि पांचवा दिन, स्कंदमाता देवी : 27 अप्रैल, 2021 (शनिवार)
नवरात्रि के पांचवें दिन माता स्कंदमाता देवी की पूजा का विधान बताया गया है। स्कंदमाता शेर पर सवारी करती हैं। सूर्यमण्डल की अधिष्ठदात्री देवी माँ स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। इन्होनें दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को पकड़ा हुआ है और नीचे वाली भुजा में उन्होंने कमल का फूल लिया हुआ है। स्कंदमाता का ये ज्योतिमय स्वरुप उनके भक्तों के लिए अत्यंत कल्याणकारी होता है।
जिस किसी भी जातक को संतान प्राप्ति की कामना होती है उन्हें स्कंदमाता की पूजा का ही सुझाव दिया जाता है। मान्यता है कि स्कंदमाता अपने भक्तों की अपने पुत्रों की तरह रक्षा करती हैं इसी वजह से उन्हें प्रथम प्रसूता महिला भी कहा जाता है। भगवान स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। स्कंदमाता की पूजा के दौरान आपको इस मन्त्र का, ‘सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥ या देवी सर्वभूतेषुमां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।” जप अवश्य करना चाहिए।
बृहत् कुंडली : जानें ग्रहों का आपके जीवन पर प्रभाव और उपाय
कैसे करें स्कंदमाता देवी की पूजा
- इस दिन भी प्रातः काल उठकर स्नानादि करें और माता की पूजा करें।
- इस दिन की पूजा में खूबसूरत रंगों का इस्तेमाल अवश्य करें क्योंकि स्कंदमाता को ये अतिप्रिय है।
- स्कंदमाता और भगवान कार्तिकेय की पूजा बेहद ही विनम्रता के साथ की जानी चाहिए।
- पूजा में कुमकुम, अक्षत, फल-फूल, आदि अवश्य इस्तेमाल करें।
- माता रानी को कुमकुम लगाएं और उनके सामने घी के दीपक अवश्य जलाएं।
- पूजा के दौरान ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः मंत्र का जाप अवश्य करें।
- माता रानी को केले का भोग लगाएं और इसे ही प्रसाद रूप में ग्रहण करें।
- इस दिन का प्रसाद ब्राह्मणों में बांटा जाना चाहिए, कहा जाता है कि ऐसा करने से इंसान की बुद्धि का विकास होता है।
विद्वान ज्योतिषियों से करें फ़ोन पर बात और जानें चैत्र नवरात्रि से जुड़ी संपूर्ण जानकारी
इस दिन किस रंग के वस्त्र पहनकर करें माता स्कंदमाता की पूजा
स्कंदमाता के बारे में कहा जाता है कि माता का यह रूप बेहद ममतामयी और सौम्य होता है। ऐसे में माता की पूजा में अगर नारंगी या केसरिया रंग का उपयोग किया जाये तो काफी उत्तम होता है। ऐसे में इस दिन इन्हीं रंगों का उपयोग करना बेहद फलदायी साबित होता है।
स्कंदमाता देवी की पूजा से मिलता है यह फल
- मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा से माता के भक्तों को आरोग्य, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- स्कंदमाता की पूजा-उपासना से साधकों की सभी इच्छाएं अवश्य ही पूरी होती हैं और उन्हें परम शांति और सुख की प्राप्ति होने लगती है।
- कहा जाता है कि स्कंदमाता की पूजा से कार्तिकेय के बालरूप की पूजा भी अपने आप ही हो जाती है। ऐसे में साधकों को माता की पूजा में विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि ये विशेषता सिर्फ स्कंदमाता को ही प्राप्त होती है।
- स्कंदमाता को सूर्यमण्डल की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है जिसके चलते इनका उपासक आलौकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है।
- अगर किसी को संतान प्राप्ति की चाह हो तो उन्हें भी स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए।
स्कंदमाता देवी से जुड़ा ज्योतिषीय संदर्भ
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
आशा करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज के साथ जुड़े रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।