होली के अगले दिन क्यों मनाया जाता है भाई-दूज का पर्व? जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

भाई दूज का त्यौहार यमराज और उनकी बहन यमुना से जोड़कर देखा जाता है। 

होली के अगले दिन भाई-दूज का त्यौहार मनाया जाता है। हिन्दू त्योहारों में भाई-दूज का बहुत ज़्यादा महत्व बताया गया है। भाई बहन के रिश्ते को बड़ी ही ख़ूबसूरती से दर्शाने वाले इस त्यौहार को देश के काफी कम हिस्सों में ही सही लेकिन बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।

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हिन्दू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में भाई दूज का त्यौहार दो बार मनाया जाता है। एक तो वो जिसे दिवाली पूजा के बाद मनाया जाता है और दूसरा होली के अगले दिन मनाया जाने वाला भाईदूज। कहा जाता है कि इस दिन हस्त और चित्रा नक्षत्र के ध्रुव योग में अगर अपने भाई को टीका लगाया जाये तो ये बेहद फलदायी साबित हो सकता है। 

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जानिए इस भाई दूज का शुभ मुहूर्त 

होली के अगले दिन मनाया जाने वाला भाई दूज चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि को मनाया जाता है। इस साल ये पर्व 11 मार्च, को बुधवार के दिन मनाया जायेगा। शास्त्रों में भाई दूज को भद्रात्रि द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। होली भाई दूज की द्वितीय तिथि, 10 मार्च को 7 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर 11 मार्च को 3 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी।  

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कैसे मनाएं होली भाई दूज?

हिन्दू मान्यता के अनुसार भाई दूज के दिन बहनों द्वारा अपने भाइयों की लम्बी उम्र की कामना के साथ व्रत रखने की परंपरा है। इस दिन बहनें भूखे-प्यासे रहकर अपने भाइयों के लिए दिनभर व्रत रखती हैं और उनकी मंगल कामना के लिए तपस्या करती हैं। हालाँकि अगर आप से निर्जला व्रत ना मुमकिन हो तो आप फलाहार का सेवन करते हुए भी व्रत रख सकती हैं।

ये त्यौहार दिन के समय मनाया जाता है। इस दिन बहनें पूजा की विधिवत थाल सजाकर अपने भाइयों के सामने बैठती हैं। उनके माथे पर तिलक लगाती हैं और फिर भाई की आरती उतारती हैं। ऐसा करने के बाद ही बहनें भोजन ग्रहण करती हैं। 

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होली से अगले दिन क्यों मनाते हैं भाई दूज?

वैसे तो दीपावली के बाद आने वाला भाई दूज का त्यौहार लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध है लेकिन होली से अगले दिन मनाये जाने वाले इस भाई दूज का भी अपना अलग महत्व बताया गया है। होली भाई दूज से जुड़ी एक पौराणिक कहानी के अनुसार खुद यमराज ने भैया दूज के दिन अपनी बहन यमुना के घर जाकर उनसे टीका लगवाया था और स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया था।

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इसके बाद उन्होंने अपनी बहन को आशीर्वाद देते हुए कहा था कि, ‘भाई दूज के दिन जो भी भाई अपनी विवाहित बहन के घर जा कर टीका करवाएगा और भोजन करेगा उसे कभी भी अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।’ बताया जाता है कि भाई दूज के दिन की परंपरा इसी दिन से शुरू हुई है। तभी से भाईयों के बहन के घर जा कर टीका लगवाने की परंपरा की शुरूआत हुई।

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शास्त्रों के अनुसार भाई दूज की मान्यता

इस त्यौहार के बारे में मान्यता ये भी है कि जो भाई इस दिन अपनी बहन से टीका करवाकर उसके घर पर भोजन करता है, दुःख और परेशानी उसे कभी छू भी नहीं सकते हैं। ऐसा करने वाले भाइयों को कोई डर नहीं सताता है और उसे शत्रुओं का भी डर नहीं रहता। 

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