जानें अपनी कुंडली में मौजूद विशेष योगों की समस्त जानकारी

आज इस लेख में हम आपको कुंडली में मौजूद राज योग के बारे में जानकारी देंगे। कुंडली में मौजूद राज योग आपके जीवन को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखते हैं। राज योग के कुंडली में होने से कई बार रंक भी राजा बन जाता है। इसलिए कुंडली में पाए जाने वाले सभी राज योग के बारे में जानकारी होना अति आवश्यक है। आइए अब जानते हैं कि राज योग बनते कैसे हैं।

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राजयोगों के बारे में जानकर अब आपके मन में भी यह सवाल उठ रहा होगा कि, क्या आपकी कुंडली में ये राजयोग मौजूद हैं? ऐसे में आपके इस सवाल का जवाब अभी प्राप्त करें एस्ट्रोसेज की राजयोग रिपोर्ट की अपनी व्यक्तिगत और निजी-कृत रिपोर्ट के माध्यम से। साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं कि, आखिर ये राजयोग क्या और कितने प्रकार के होते हैं।

राजयोग विशेष इस ब्लॉग के माध्यम से हम आज आपको बताएँगे कि वैदिक एस्ट्रोलॉजी में राज योग क्या मायने रखता है? और यह हमारे जीवन को किस तरह से बदलने की ताकत रखता है? सिर्फ राजयोग ही नही बल्कि हमारी कुंडली में मौजूद कोई भी योग ग्रहों और नक्षत्रों के आधार पर बनते हैं। ऐसे में ग्रहों का अपने जीवन पर प्रभाव जानने की इच्छा रखते हैं तो इसमें बृहत् कुंडली सहायक साबित हो सकती है। बृहत् कुंडली में आपको अच्छे और बुरे योगों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार राज योग

कुंडली में मौजूद राज योग किसी भी व्यक्ति के जीवन पथ को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में अनुकूल योग बनते हैं तो उसे जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है। कुंडली में बनने वाले विभिन्न योगों में सबसे महत्वपूर्ण होता है राज योग। 

‘राज’ का शाब्दिक अर्थ है राजा जिसे प्रतिष्ठा, आर्थिक मज़बूती, समाज में मान समान आदि शब्दों से भी व्यक्त किया जा सकता है। किसी जातक की कुंडली में राज योग का होना यह बताता है कि, उसको जीवन में कई तरह की सुख-सुविधाएँ प्राप्त होंगी। यही वजह है कि हर व्यक्ति यह जानना चाहता है कि उसकी कुंडली में राज योग है या नहीं। 

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में व्यक्ति को पद, प्रतिष्ठा और मान सम्मान दिलाने वाले कुल 32 प्रकार के राज योग होते हैं।  यह लगभग असंभव होता है कि किसी की कुंडली में 32 राज योग बन रहे हों, लेकिन किसी की कुंडली में यदि 32 राज योग हों तो व्यक्ति दुनिया पर राज करता है और हर जगह उसकी चर्चा होती है। 32 राज योगों में से हम कुछ महत्वपूर्ण राज योगों की जानकारी आपको नीचे दी जा रही है। 

विशिष्ट राज योग जो बदल सकते हैं आपकी जिंदगी

ज्योतिष में कई राज योग होते हैं, इनमें से कुछ शक्तिशाली और विशेष राज योग नीचे बताये जा रहे हैं। 

नीच भंग राज योग

कई बार कुंडली में कोई ग्रह नीच अवस्था में होता है जिसे देखकर हम यह अनुमान लगाते हैं कि, यह बुरे फल देगा लेकिन, कुछ विशेष परिस्थितियों में नीच ग्रह की नीच स्थिति समाप्त हो जाती है और यह शुभ फल देने लगता है। ऐसी कई स्थितियाँ हैं जिनमें नीच भंग राज योग का निर्माण होता है। एक स्थिति के बारे में हम आपको बताते हैं: यदि दुर्बल ग्रह पर किसी उच्च ग्रह की दृष्टि पड़ रही है या युति बन रही है तो राज योग का निर्माण होता है। जिस भी व्यक्ति की कुंडली में यह राज योग निर्मित होता है वह राजनीति और प्रशासन के क्षेत्र में सफलता पाता है, हालांकि गौर करने वाली बात यह भी है कि जिस भी घर में राज योग बनता है उस घर के स्वामी से संबंधित कामों में ही व्यक्ति को सफलता मिलती है। उदाहरण के लिये यदि सूर्य के स्वामित्व वाले घर में यदि राज योग बनता है तो व्यक्ति को राजनीति और सरकारी नौकरी में सफलता मिलती है। 

गजकेसरी राज योग

इस राज योग को बहुत प्रभावशाली माना जाता है। इस राज योग का निर्माण तब होता है जब गुरु से चंद्रमा केंद्र यानि प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में विराजमान हो या दोनों केंद्रस्थ हों। ऐसा व्यक्ति विद्वान होता है और अपनी बुद्धि कौशल से नाम और धन कमाता है। 

पराशरी राज योग 

जब केंद्र और त्रिकोण भावों का आपस में संबंध होता है तो इससे कुंडली में पराशरी राज योग बनने की संभावना रहती है। इस राज योग के चलते व्यक्ति आर्थिक रुप से मजबूत होता है, समाज में ऐसे व्यक्ति को ख्याति प्राप्त होती है। 

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अधि योग 

इस राज योग का निर्माण तब होता है जब जन्मकालिक चंद्रमा से बुध, बृहस्पति और शुक्र ग्रह षष्ठम और अष्ठम भाव में स्थित हों। कुछ ज्योतिषी मानते हैं कि चंद्रमा के स्थान पर यदि लग्न से षष्ठम, सप्तम और अष्टम भाव में शुभ ग्रह स्थित हों तो इस राज योग का निर्माण होता है। इस राज योग के चलते व्यक्ति में नेतृत्वकारी गुण आते हैं।  

बुधादित्य राज योग 

इस राज योग का निर्माण तब होता है जब व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और बुध एक ही भाव में विराजमान होते हैं। ऐसे जातकों में सूर्य के समान तेज और बुध के समान बौद्धिक क्षमता होती है। ऐसा व्यक्ति प्रशासनिक क्षेत्र में नाम कमाता है। राजयोग रिपोर्ट से बेहद ही आसानी से जाना जा सकता है कि, क्या आपकी कुंडली में भी किस्मत बदलने वाला कोई राजयोग मौजूद है।

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चामर राज योग

कुंडली में चामर राज योग का निर्माण तब होता है जब लग्न का स्वामी उच्च का होता है, केंद्र में स्थित होता है और इस पर बृहस्पति की दृष्टि होती है। इसके साथ ही यदि दो शुभ ग्रह लग्न, सप्तम, नवम या दशम भाव में युति करते हैं तो इस राज योग का निर्माण होता है। ऐसा जातक विद्वान होता है, सभी कलाओं में माहिर होता है, धन कमाता है और राजा की तरह जिंदगी जीता है। 

धन योग

इस योग का निर्माण तब होता है जब प्रथम, द्वितीय, पंचम, नवम और एकादश भाव के स्वामी ग्रह आपस में युति बनाते हैं या एक दूसरे पर दृष्टि डालते हैं। इस योग में जन्मे लोग बहुत धन कमाते हैं। राज योग रिपोर्ट से यह पता लगाया जा सकता है कि यह राज योग आपकी कुंडली में है या नहीं।

अखंड राज योग 

अखंड साम्राज्य योग एक दुर्लभ राज योग है, जिस जातक की कुंडली में यह राज योग होता है वह अच्छा शासक होता है। यह राज योग तब निर्मित होता है जब कुंडली के लग्न से मजबूत बृहस्पति द्वितीय, पंचम या एकादश भाव का स्वामी होता है।  इसके साथ ही जब चंद्रमा से केंद्र में द्वितीय, नवम या एकादश भाव के स्वामी का स्वामित्व होता है तो अखंड साम्राज्य योग का निर्माण होता है। ऐसे जातक जीवन की हर सुख सुविधा भोगते हैं, ऐसे लोग बड़े राजनेता भी हो सकते हैं।     

कैसे कुंडली में राज योग जीवन की समस्याओं का समाधान करता है?

कुंडली में शुभ ग्रहों की स्थिति, युति या दृष्टि से  राज योग का निर्माण होता है। कुंडली में मौजूद राज योग से आपके जीवन की कई परेशानियां दूर हो जाती हैं। कुंडली में राज योग के होने से सकारात्मकता की भावना आपके अंदर आती है, राज योग के समय काल को जानकर आप इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सकते हैं। जरूरी कदम उठाकर आप अपने स्वर्णिम काल के दौरान अपने जीवन के लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकते हैं।

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आपकी कुंडली में राज योग 

कुंडली में केंद्र  (1, 4, 7, 10) और त्रिकोण (5, 9) भावों के बीच संबंध से राज योग का निर्माण होता है। इन भावों के स्वामियों के बीच जितना मजबूत संबंध होता है, उतना ही शक्तिशाली राज योग बनता है। लग्न को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है यह केंद्र के साथ-साथ यह त्रिकोण भाव भी माना जाता है।  नीचे दी गई परिस्थितियों में जातक की कुंडली में राज योग का निर्माण होता है। 

  • जब केंद्र और त्रिकोण भाव के स्वामी एक दूसरे के साथ एक ही घर में होते हैं तो राज योग का निर्माण होता है।
  • जब केंद्र और त्रिकोण भावों के स्वामी एक दूसरे पर दृष्टि डालते हैं तो कुंडली में राज योग बनता है।
  • जब केंद्र और त्रिकोण भावों के स्वामी ग्रह परस्पर परिवर्तन योग में हैं तो बहुत मजबूत राज योग का निर्माण होता है। उदाहरण के लिये, वृषभ लग्न का स्वामी शुक्र नवम भाव में विराजमान है, जोकि एक त्रिकोण भाव है और इस भाव का स्वामी शनि लग्न में विराजमान है तो, यह बहुत शक्तिशाली राज योग बनता है।
  • कुंडली में ग्रहों के परिवर्तन से ग्रहों के बीच शक्तिशाली संयोजन बनता है इसलिये यह राज योग बहुत शक्तिशाली होता है। ग्रहों की दृष्टि से सबसे मजबूत राज योग बनता है और उसके बाद ग्रहों की युति से।
  • जितने शुभ ग्रहों का संयोजन एक कुंडली में होगा उतना शक्तिशाली राज योग बनेगा। अगर शुभ ग्रहों पर क्रूर ग्रहों की दृष्टि पड़ रही है तो राज योग की शक्ति कम हो जाती है।
  • अगर किसी की कुंडली में एक से ज्यादा ऐसे संयोग बन रहे हैं जिनसे राज योग का निर्माण होता है तो यह बहुत शुभ माना जाता है।
  • यदि किसी की जन्म कुंडली में सूर्य और बुध दशम भाव में हैं और राहु और मंगल षष्ठम भाव में हैं तो राज योग बनता है। इस राज योग के चलते व्यक्ति को समाज में बहुत मान-सम्मान प्राप्त होता है।
  • जब चतुर्थ, पंचम, नवम और दशम भाव में कोई भी पाप ग्रह विराजमान नहीं होता तो,  कुंडली में एक मजबूत राज योग का निर्माण होता है। 
  • बृहस्पति की चंद्रमा या मंगल से यदि युति हो रही है तो राज योग का निर्माण होता है।   
  • जब चतुर्थ, पंचम और सप्तम भाव के स्वामी केंद्र या लग्न में युति करते हैं तो इसे एक शुभ राज योग माना जाता है।
  • यदि किसी जातक की कुंडली में लग्न, पंचम और नवम भाव के स्वामी ग्रह एक दूसरे के घरों में विराजमान हों तो ऐसे में राज योग का निर्माण होता है और ऐसा व्यक्ति राजा की जैसी जिंदगी जीता है।
  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के एकादश भाव में बहुत सारे शुभ ग्रह विराजमान हों तो ऐसे में राज योग का निर्माण होता है। ऐसा व्यक्ति जीवन में सुख-सुविधाएँ पाता है।
  • जिस जातक की कुंडली में त्रिकोण के ग्रह अपने घर में हों या उच्च के हों तो यह स्थिति भी राज योग कहलाती है। ऐसा व्यक्ति धार्मिक प्रकृति का होता है और जीवन में काफी धन कमाता है।
  • जिस जातक की कुंडली में त्रिकोण के ग्रह अपने घर में हों या उच्च के हों तो यह स्थिति भी राज योग कहलाती है। ऐसा व्यक्ति धार्मिक प्रकृति का होता है और जीवन में काफी धन कमाता है।
  • बृहस्पति ग्रह यदि लग्न में चंद्रमा के साथ युति बना रहा हो और कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत हो तो ऐसा व्यक्ति राजनीति के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त करता है। 

इसके अलावा भी यदि राजयोग या अपनी कुंडली में राजयोग की मौजूदगी से संबंधित कोई प्रश्न का उत्तर जानना हो तो एस्ट्रोसेज वार्ता के माध्यम से विद्वान और जाने माने ज्योतिषियों से फोन पर अभी जुड़े। 

आशा है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

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2 comments

  1. आपकी इस एप्लीकेशन में दी गई जानकारियां और दी जाने वाली जानकारियां सभी अच्छी और उत्तम होती है जानकारियां बहुत काम आती है कुछ विद्यार्थी जो पढ़ रहे हैं उनके लिए भी उपयोगी है बहुत-बहुत धन्यवाद

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