पुष्कर का ब्रह्मा मंदिर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिये महत्वपूर्ण तीर्थों में से एक है। धरती पर भगवान ब्रह्मा का निवास स्थान कहा जाने वाला पुष्कर झीलों के लिये प्रसिद्ध है। पुष्कर में जहां ब्रह्मा जी का मंदिर है वहां भी एक झील है। यह झील धार्मिक रुप से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है और इसलिये श्रद्धालु हर साल कार्तिक मास में इस पवित्र झील में डुबकी लगाने आते हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पुष्कर झील में स्नान करने से इंसान के सारे पाप धुल जाते हैं। साल 2019 अंग्रेजी दिनांक के अनुसार पुष्कर पूर्णिमा स्नान 12 नवंबर को है।
पुष्कर झील में डुबकी लगाने का महत्व
जैसा कि हम बता चुके हैं पुष्कर हिंदू धर्म के लोगों के लिये एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। मान्यता है कि हर हिंदू को अपने जीवनकाल में एक बार पुष्कर की यात्रा जरुर करनी चाहिये। किसी भी तीर्थयात्री को सभी तीर्थस्थलों की यात्रा करके पुष्कर झील में डुबकी अवश्य लगानी चाहिये तभी सभी तीर्थों का शुभ फल प्राप्त होता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो पुष्कर के पवित्र जल में स्नान करके ही हर यात्री की धार्मिक यात्रा पूरी होती है, यदि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को यह स्नान किया जाए तो इसकी अहमियत और भी बढ़ जाती है।
पुष्कर से जुड़ी पौराणिक कथा
इस कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी यज्ञ करने का निर्णय लिया, लेकिन यह यज्ञ तभी पूरा होता जब उनकी पत्नी सरस्वती उनके साथ होतीं। माता सरस्वती ने ब्रह्मा जी को इंतजार करने को कहा, जब बहुत समय तक सरस्वती नहीं आईं तो ब्रह्मा जी ने गायत्री नाम की एक ग्वालिन से विवाह कर लिया। इसके बाद गायत्री के साथ बह्मा जी यज्ञ करने लगे। जब देवी सरस्वती वहां पहुंची तो उन्होंने अपनी जगह किसी और को देखा। यह देखकर वह गुस्से में आ गईं और उन्होंने भगवान ब्रह्मा को श्राप दिया कि पृथ्वी के लोग उन्हें भुला देंगे और कभी उनको नहीं पूजेंगे। लेकिन अन्य देवों ने देवी को शांत करने की कोशिश की तो देवी सरस्वती का गुस्सा कुछ शांत हुआ। जिसके बाद उन्होंने कहा कि ब्रह्मा देव सिर्फ पुष्कर में पुजे जाएंगे। यही वजह है कि सिर्फ पुष्कर में ही ब्रह्मा जी का मंदिर है।
पुष्कर झील का इतिहास
शास्त्रों और विद्वानों के अनुसार पुष्कर झील उतनी ही प्राचीन है जितनी की सृष्टि। इसलिये पुष्कर झील में सदियों से लोग डुबकी लगाने आते रहे हैं। विद्वानों के अनुसार पुष्कर शब्द का अर्थ है ऐसा तालाब जिसे फूल से बनाया गया हो। पुष्कर में स्थित झील के किनारे 52 घाटों का निर्माण किया गया है और इन्हीं घाटों पर श्रद्धालु पुष्कर झील में डुबकी लगाकर पुण्य कमाते हैं।
पुष्कर
पुष्कर में साल में एक बार मेला भी लगता है जिसमें सारी दुनिया से लोग आते हैं। यह मेला हर साल कार्तिक महीने की अष्टमी तिथि को शुरु होता है और पूर्णिमा तिथि तक चलता है। इसी दौरान श्रद्धालु पुष्कर झील में स्नान भी करते हैं। पुष्कर झील में स्नान करके मोक्ष की प्राप्ति होती है ऐसा माना जाता है। यह मेला इसलिये भी खास होता है क्योंकि इस मेले में पशुओं औऱ महिलाओं के श्रृंगार का सामान एक ही जगह पर बिकता है। हाथ की कारीगरी से बना सामान भी इस मेले में बिकता है।