हर वर्ष ‘कार्तिक मास’ के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष बुधवार यानी 4 नवंबर 2020 को देशभर में ये त्यौहार मनाया जा रहा है। इस व्रत में विशेष तौर पर सुहागिन महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु के लिए चौथ मैया की पूजा-आराधना कर उनका आशीर्वाद लेती हैं।
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अगर चौथ माता की बात करें तो हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी चौथ माता ही सदियों से मानी जाती रही हैं। उन्हें माता पार्वती का ही एक रूप माना गया है। ऐसे में आज हम आपको चौथ माता के उस दुर्लभ मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी भव्यता देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में भी प्रसिद्ध है।
राजस्थान के सवाई माधोपुर में है माता चौथ का मंदिर
राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के पहाड़ियों की एक चोटी पर स्थित माता चौथ का प्राचीन मंदिर बेहद दुर्लभ है। ये मंदिर अपनी प्राचीनता के लिए सुप्रसिद्ध है। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना राजा भीम सिंह द्वारा साल 1451 में करवाई गई थी। तो आइए अब जानते हैं चौथ माता के मंदिर के बारे में कुछ बेहद रोचक बातें:-
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करवा चौथ पर इस मंदिर में होती हैं माता की भव्य पूजा
हर साल दुनियाभर से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए माधोपुर आते हैं। खासतौर से करवा चौथ, भाद्रपद चौथ, माघ चौथ और लक्खी मेला पर यहाँ लोगों का तांता लगता है। इसके लिए चौथ माता के मंदिर को एक दुल्हन की भाँती सजाया जाता है, जिसकी तैयारी कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं। मान्यता अनुसार करवा चौथ के दिन जो भी सुहागिन स्त्री इस मंदिर में आकर माता के दर्शन कर उनकी पूजा-आराधना करती है उसे माता अखंड सौभाग्य का वरदान देती हैं, जिससे उसका दांपत्य जीवन भी सुखमयी रहता है।
मंदिर तक पहुँचने का रास्ता है बेहद दुर्गम
माता चौथ के इस अनोखे मंदिर तक पहुँचना भी कोई आसान काम नहीं है, क्योंकि इसके लिए भक्तों को मंदिर तक पहुँचने के लिए करीब 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर समुद्र तल से लगभग 1100 फीट की ऊचाई पर स्थित है। मंदिर की भव्यता की बात करें तो चौथ माता का ये मंदिर बेहद सुन्दर हैं, जो राजपूताना शैली में सफेद संगमरमर से बना हुआ है। इस मंदिर में चौथ माता के साथ भगवान गणेश और भैरवनाथ की भी प्रतिमा के दर्शन करने को मिलते हैं।
मन मोहने वाली है मंदिर की भव्यता
यह स्थान आज दुनियाभर के पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का मुख्य केंद्र बना हुआ है। मंदिर के साथ-साथ इस जगह का प्राकृतिक सौंदर्य भी मन को हमेशा के लिए मोहने वाला है। मंदिर के अंदर आपको भारतीय वास्तुकला का परंपरागत नमूना राजपूताना शैली में देखने को मिलता है। यहाँ के लोग इस मंदिर को लगभग 566 साल पुराना बताते हैं।
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हर कार्य से पहले दिया जाता है माता को निमंत्रण
यहाँ के स्थानीय लोगों की माने तो चौथ माता हर मुश्किल घड़ी में उनकी सहायता करने के लिए तत्पर रहती हैं। माता के इसी महत्व को देखते हुए यहाँ के स्थानीय लोग अपने हर शुभ व मंगल कार्य के आयोजन से पहले चौथ माता को निमंत्रण भेजना नहीं भूलते। इसके बाद ही कोई भी शुभ कार्य सम्पन्न किया जाता है। लोगों का मानना है कि ऐसा करने से सभी शुभ कार्य बिना किसी विघ्न के पूरे हो जाते हैं और उन्हें माता का आशीर्वाद भी मिलता है।
कुलदेवी के रूप में राजघराने करते हैं माता की पूजा
चौथ माता को माधोपुर का बूंदी राजघराना आजतक कुलदेवी के रूप में पूजता है। चौथ माता के नाम पर यहां चौथा माता बाजार भी लगता है। इस मंदिर में महिलाएँ अपनी पति की लंबी आयु, संतान प्राप्ति और सुख व समृद्धि की कामना के लिए माता के दर्शन हेतु आती हैं।
मंदिर में सालों से जल रही है अखंड ज्योति
यहाँ आपको मंदिर के गर्भ ग्रह में सैकड़ों साल से जल रही एक अखण्ड ज्योति के दर्शन करने का अवसर भी मिलता है। हर साल लाखों की संख्या में आने वाले दर्शनार्थियों को देख यह मंदिर राजस्थान के 11 सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में शुमार है। वैसे तो यहां पर हर दिन भक्तजनों की लंबी-लंबी कतार लगी रहती है, लेकिन करवा चौथ के पर्व पर यहाँ का नज़ारा देखते ही बनता है।
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