हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाने का विधान है। नरक चतुर्दशी को नरक चौदस, रूप चौदस और रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मुख्यतौर पर मृत्यु के देवता यमराज यानी यम की पूजा-अर्चना की जाती है। ये पर्व हर वर्ष दिवाली पर्व से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है, जिसके कारण इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है।
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इस दिन लोग अपने-अपने घरों में शाम के समय दीपक जलाकर प्रकाश फैलाते हुए यमराज का विधिवत तरीके से पूजन कर अकाल मृत्यु से मुक्ति और बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते हैं। इसके साथ ही नरक चौदस के दिन प्रात: काल सूर्य उदय से पहले शरीर पर तिल का तेल मलकर और अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियां पानी में डालकर स्नान करने का भी विधान है। मान्यता अनुसार ऐसा करने से मृत्यु के पश्चात नरक के भय से मनुष्यों को न केवल मुक्ति मिलती है बल्कि उसे स्वर्ग की प्राप्ति भी होती है। सनातन धर्म अनुसार नरक चौदस के दिन 6 देवों की पूजा भी की जाती है। आइये जानते हैं कि आखिर इस दिन वो कौन-कौन से 6 देव होते हैं जिसकी पूजा की जाती है:-
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वामन पूजा :
पौराणिक मान्यता अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान वामन ने राजा बलि को न केवल पाताल लोक का राजा बनाया था बल्कि उसे चिरंजीवी होने के वरदान के साथ ही यह वरदान भी दिया था कि राजा बलि के राज्य में जो यम को दीपदान देगा उसके पितरों यानि पूर्वजों को कभी भी नरक की प्राप्ति नहीं होगी। इसलिए इस दिन लोग शाम के वक़्त अपने-अपने घरों में दीप जलाते व दीपदान भी।
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हनुमान जयंती :
माना जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन ही राम भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन विशेष तौर पर भगवान हनुमान की पूजा-आराधना की जाती है।
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नरक चतुर्दशी :
चूँकि इस दिन श्रीकृष्ण के रूप में भगवान विष्णु ने नरकासुर नाक के राक्षस का वध कर उसे मोक्ष दिलाया था, इसलिए भी इस दिन को नरक चतुर्दशी कहा जाता है। यही कारण है कि इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा उनकी पत्नी सत्यभामा के साथ पूरे श्रद्धा- भाव से की जाती है।
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यम पूजा :
जैसा हमने आपको पहले ही बताया कि इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा आराधना की जाती है, इसलिए इस दिन को यम के नाम से भी जाना जाता है। यही कारण है कि इस दिन शाम होने के बाद घर में और घर के चारों ओर दिए जलाए जाते है। साथ ही यमराज से आकाल मृत्यु से मुक्ति प्राप्ति के लिए और बेहतर एवं स्वस्थ्य जीवन की कामना करने हेतु प्रार्थना की जाती है।
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शिव चतुर्दशी :
नरक चतुर्दशी का दिन भगवान शिव का दिन भी माना जाता है इसलिए इसे कई जगह पर शिव चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिवजी और माता पारवती की पूजा आराधना की पूजा भी की जाती है।
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काली चौदस :
नरक चतुर्दशी को काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल बंगाल राज्य में परंपरा अनुसार इस दिन को मां काली के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जिसके कारण इसका नाम वहां काली चौदस है। इस दिन मां काली की आराधना का विशेष महत्व होता है।
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