क्यो करते हैं गोवर्धन पूजा, जानें इसका महत्व, पूजा मुहूर्त और विधि !

हिंदू कैलेंडर के अनुसार दीपावली के अगले दिन कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को “गोवर्धन पूजा” त्यौहार मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा की शुरुआत भगवान श्री कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से हुई। इस दिन गोवर्धन पर्वत, गौ माता और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने का विधान है। वैसे तो यह त्यौहार पूरे देशभर में मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारत में खासकर ब्रज भूमि यानि मथुरा, वृंदावन, नंदगाँव, गोकुल, बरसाना आदि में इसकी भव्यता देखने को मिलती है। गोवर्धन पूजा के दिन संध्या काल में खास पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। इस त्यौहार का सीधा संबंध प्रकृति व मानव से जुड़ा है। तो चलिए आज इस लेख में आपको बताते हैं गोवर्धन पूजा के बारे में पूरी जानकारी देते हैं

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गोवर्धन पूजा मुहूर्त

इस साल गोवर्धन पूजा 15 नवंबर 2020-रविवार के दिन मनाई जाएगी। गोवर्धन पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 3 बजकर 18 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 27 मिनट तक है। 2 घंटे 08 मिनट की इस कुल अवधि में लोग पूजा कर सकते हैं। मान्यता है कि इस त्यौहार पर पूरे विधि विधान से पूजा करने से भगवान श्री कृष्ण बेहद प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। 

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गोवर्धन पूजा विधि

गोवर्धन पूजा सुबह या शाम के समय की जाती है। ज्योतिष के अनुसार इस साल पूजा मुहूर्त शाम के समय का है। 

  • गोवर्धन पूजा के दिन सबसे पहले गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे फूलों से सजा लें।  गोवर्धन जी का आकार गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाया जाता है।
  •  शाम में पूजा के दौरान गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल आदि चढ़ाएं। 
  •  गोवर्धन जी के नाभि के स्थान पर एक मिट्टी का दीपक रख दें। पूजा करते समय इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि डालें। 
  • गोवर्धन जी की सात परिक्रमा लगाते हुए उनकी जय बोले और परिक्रमा करते समय हाथ में लोटे से धीरे-धीरे जल गिराते रहें।
  • पूजा के बाद श्री कृष्ण की आरती गायें। 
  • अब दीपक में रखा दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि प्रसाद के रूप में बांट दें।

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गोवर्धन पूजा से जुड़ी मान्यता

गोवर्धन पूजा करने के पीछे धार्मिक मान्यता है, कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण देवराज इंद्र का अभिमान चूर के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गोकुल वासियों की इंद्र से रक्षा की थी। माना जाता है कि तब से लेकर आज तक  गोवर्धन पूजा की प्रथा चली आ रही है। हर साल लोग गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का त्यौहार मनाते है। इस दिन खासतौर पर भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। साथ ही धन दौलत, गाड़ी, अच्छे मकान की कामना रख कृष्ण जी और मां लक्ष्मी को भी प्रसन्न किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से घर में धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है।

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