रावण वध के अलावा इन कारणों से भी मनाया जाता है दशहरा !

आने वाले 8 अक्टूबर को दशहरा का त्यौहार मनाया जाएगा। हर साल आश्विन माह की शुक्ल पक्ष दशमी के दिन विजयादशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाता है।  हिन्दू धर्म के अंतर्गत आने वाले इस त्यौहार को मुख्य रूप से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। आम मान्यता के अनुसार चूँकि इस दिन भगवान् श्री राम ने रावण का वध कर सीता माता को उसकी कैद से मुक्त करवाया था, इसलिए ये पर्व मनाया जाता है। लेकिन तथ्यों की बात करें तो रावण वध के अतिरिक्त भी बहुत से ऐसे कारण हैं , जिनकी वजह से दशहरा मनाया जाता है। आज हम आपको इस त्यौहार को मनाये जाने के अन्य कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं इस त्यौहार को मनाये जाने के अन्य कारणों के बारे में। 

रावण वध से जुड़ी मान्यता 

पौराणिक धार्मिक मान्यता के अनुसार शारदीय नवरात्रि की दशवीं तिथि को दशहरा या विजय दशमी के रूप में इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान् श्री राम ने रावण का वध किया था। इसलिए इस दिन कई जगहों पर रावण दहन भी किया जाता है। आमतौर पर इस दिन की मान्यता यहीं है कि, भगवान् राम ने रावण का वध कर माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी के साथ अयोध्या वापिसी की थी। दशहरा के दिन कई जगहों पर रामलीला का भी आयोजन किया जाता है। इस पर्व को मनाये जाने के पीछे यूँ तो सबसे मुख्य कारण इसे ही माना जाता है लेकिन इसके अलावा भी बहुत से ऐसे कारण हैं,  जिस वजह से दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है। 

दशहरा का त्यौहार इन प्रमुख कारणों से भी मनाया जाता है 

  • रावण वध के अलावा दशहरा मनाये जाने के पीछे अन्य प्रमुख कारण ये है की, इसी दिन माँ दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से घमासान युद्ध के बाद उसे परास्त कर उसका वध किया था। इसलिए नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के विभिन्न रूपों की पूजा अर्चना की जाती है। 
  • एक अन्य मान्यता के अनुसार विजयादशमी के दिन ही शिव अर्धांगिनी देवी सती ने अग्नि में समाहित होकर अपने प्राण त्याग दिए थे। बता दें कि, राजा दक्ष की पुत्री माता सती का विवाह भगवान् शिव से हुआ था। एक बार राजा दक्ष ने शिव जी का घोर अपमान किया था जिसे माता सती बर्दाश्त नहीं कर सकी और उन्होनें अपने प्राण त्याग दिए। 
  • दशहरा का त्यौहार इस उल्लास में भी मनाया जाता है की, इसी दिन से चार महीनों तक चलने वाले चातुर्मास की समाप्ति के साथ ही वर्षा ऋतू की भी समाप्ति होती है। चातुर्मास की अवधि में किसी भी शुभ कार्य को करना निषेध माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि, इस दौरान भगवान् विष्णु निद्रा अवस्था में चले जाते हैं और दशहरा के दिन ही वो वापस बैकुण्ठ लोक आते हैं। 

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बहरहाल अब आप जान चुके होंगें की दशहरा केवल रावण वध की वजह से ही नहीं मनाया जाता है बल्कि इसे मनाये जाने के पीछे उपरोक्त कारण भी हैं।

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