हिन्दू धर्म में मंगलवार और शनिवार को पवनपुत्र हनुमान जी का दिन माना जाता है। प्रभु श्रीराम के परम् भक्त हनुमान जी जीवनदायिनी बूटी के समान हैं, जिनकी पूजा करने से शारीरिक रूप से कमज़ोर व्यक्ति में भी ऊर्जा का संचार होने लगता है। बजरंगबली को संकटमोचन भी कहा गया है। ऐसा माना जाता कि अगर किसी व्यक्ति को कोई परेशानी हो या किसी समस्या का समाधान नहीं मिल रहा हो, तो उसे हनुमान जी का स्मरण करना चाहिए, उसे निश्चित तौर पर लाभ मिलता है। जिस व्यक्ति के ऊपर भी हनुमान जी की कृपा होती है, वो आजीवन भय मुक्त रहता है। इसीलिए लोग अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए सच्चे दिल से हनुमान जी कि पूजा करते हैं और उनका व्रत रखते हैं। अक्सर देखा जाता है कि लोग हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए पूजा में सिंदूर चढ़ाते हैं और कई लोग तो मन्नत पूरी होने के बाद हनुमान जी पर सिंदूर का चोला भी ओढ़ाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर पूजा में हुनमान जी को क्यों सिन्दूर चढ़ाया जाता है?
अगर नहीं पता तो चलिए आज हम अपने इस लेख में आपको बताते हैं, कि आखिर हनुमान जी को लाल रंग और सिन्दूर इतना क्यों पसंद हैं ?
हनुमान जी और सिन्दूर से जुड़ी कथा
सिन्दूर ऊर्जा और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, लेकिन हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने के संबंध में एक कथा बेहद प्रचलित हैं। श्री रामचरित मानस के अनुसार एक बार सीता जी को मांग में सिंदूर लगाता देखकर हनुमान जी ने पूछा कि “ यह लाल रंग का पदार्थ आप अपने मस्तक पर क्यों लगा रही हैं?” इसके जवाब में माता सीता ने कहा कि वे अपने पति प्रभु श्रीराम की लंबी उम्र की कामना के लिए मांग में सिंदूर लगाती हैं। शास्त्रों के अनुसार यदि कोई सुहागन स्त्री मांग में सिंदूर लगाती है, तो इससे उसके पति दीर्घायु होते हैं और वह हमेशा स्वस्थ और प्रसन्न रहते हैं।
माता सीता का उत्तर सुनकर रामभक्त हनुमान ने सोचा कि जब चुटकी भर सिंदूर लगाने से प्रभु श्रीराम को इतना लाभ होता है तो पूरे शरीर पर सिंदूर लगाने से उनके स्वामी श्रीराम हमेशा के लिए अमर हो जाएंगे और उनसे बेहद प्रसन्न हो जायेंगे। फिर क्या था, हनुमान जी अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाकर श्री राम के सामने सभा में पहुंचे। उनका यह प्रेम देखकर श्रीराम बेहद प्रसन्न हुए। अपने आराध्य को प्रसन्न देखकर हनुमान जी को जानकी के वचनों में पर दृढ़ विश्वास हो गया। कहते हैं तभी से बजरंगबली को इस स्वामी-भक्ति के स्मरण में सिंदूर चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
सिंदूर चढ़ाते वक्त ज़रूर करें इस मंत्र का जाप
यदि आप श्री हनुमान की प्रतिमा पर सिंदूर का चोला चढ़ाने जा रहे हैं, तो सबसे पहले उनकी प्रतिमा को जल से स्नान कराएं। फिर पूजा की सामग्री उनको अर्पण करें। इसके बाद नीचे बताये गए मंत्र का उच्चारण करते हुए चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर या फिर सीधे प्रतिमा पर हल्का सा देसी घी लगाकर सिंदूर का चोला चढ़ा दें।
इस मंत्र का करें उच्चारण –
सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये।
भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम।।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सिन्दूर का शास्त्रों से लेकर वैज्ञानिक तौर पर बहुत महत्व है। शास्त्रों में जहाँ एक तरफ सिंदूर को सुख, सौभाग्य और संपन्नता का प्रतीक मानते हैं, वहीँ विज्ञान में सिंदूरी रंग ऊर्जा का प्रतीक होता है। जब कोई व्यक्ति मस्तक पर सिंदूर से तिलक लगाता है, उसके तो शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, और मन में अच्छे विचार आते हैं।
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