जानें तनोट माता की महिमा के बारे में

29 सितंबर, रविवार से हिंदुओं के प्रमुख त्यौहार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन माता रानी कैलाश पर्वत से धरती पर अपने मायके आती हैं और माता का यह आगमन भक्तों को उत्साह और आनंद से भर देता है।  देवी दुर्गा में सबकी बेहद श्रद्धा होती है और माता भी अपनी कृपा अपने भक्तों पर बनाये रखती हैं और सभी अपने चमत्कार से उनके दुख तकलीफ़ों से उन्हें दूर रखती हैं। नवरात्रि के दौरान माता के मंदिरों में भारी संख्या में भक्तों का ताँता लगना शुरू हो जाता है।

आज हम अपने इस लेख में माता के एक ऐसे ही चमत्कारी मंदिर के बारे में आपको बताएँगे। 

देश-विदेश में प्रसिद्ध है तनोट माता मंदिर 

राजस्थान के जैसलमेर से करीब 130 किलोमीटर दूर भारत और पाकिस्तान के बार्डर के पास 1200 साल पुराना एक चमत्कारी मंदिर है, जिसे लोग तनोट माता मंदिर के नाम से जानते हैं। यह एक रिमोट इलाक़ा जहाँ न तो नेटवर्क है और न ही परिवहन साधन लेकिन लोग बिना इन सब चीज़ों की परवाह किये माता के मंदिर और उनके उस चमत्कार के सबूत देखने के लिए जाते हैं, जो उन्होंने सन 1965 की भारत-पाक युद्ध के समय किया था। यह मंदिर देश-विदेश भर में अपने चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है।

कौन हैं तनोट माता?

तनोट माता को हिंगलाज माँ का एक रूप माना जाता है। वर्तमान में हिंगलाज माता बलूचिस्तान जो कि पाकिस्तान में है, वहाँ स्थापित है। मंदिर परिसर में लगे शिलालेख के अनुसार तनोट माता का मंदिर वि.सं. 828 में भाटी राजपूत नरेश तणुराव द्वारा बनवाया गया था, तब से ले कर आज तक जैसलमेर के पड़ोसी इलाकों के लोग आज भी माता को पूजते आ रहे हैं। चलिए अब आपको बताते हैं किस प्रकार से माता ने 1965 की भारत-पाक युद्ध के दौरान अपना चमत्कार दिखाया था।

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1965 भारत-पाक युद्ध में तनोट माता का चमत्कार 

1965 की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना ने तक़रीबन 3000 बम इस मंदिर पर गिराए थे, लेकिन माता के चमत्कार से इस मंदिर पर एक निशान तक नहीं आयी, सिर्फ इतना ही नहीं करीब 450 बम जो कि मंदिर परिसर में गिरे वो फटे तक नहीं। यदि आप तनोट माता मंदिर जाते हैं तो आज भी वहां उनमें से कुछ बमों और युद्ध से जुड़े लोगों की तस्वीर को देख सकते हैं। इस युद्ध में हुए चमत्कार के बाद से स्थानीय लोगों और सीमा सुरक्षा बलों का माता में काफी विश्वास बढ़ गया है। उनका मानना है कि 1965 की युद्ध में भारत को जीत माता की महिमा से मिली थी। तनोट माता मंदिर के पास ही लोंगेवाला है, जहाँ 1965 के भारत-पाक लड़ाई की याद में युद्ध स्मारक बना हुआ है। 

 कैसे पहुंचे तनोट माता मंदिर तक?

अगर आप तनोट माता के दर्शन करने के इच्छुक हैं, तो आपको सबसे पहले राजस्थान के जैसलमेर पहुंचना होगा। यहां पहुंचने के लिए आपको देशभर से आवागमन के कई साधन आसानी से मिल जाएंगे। जैसलमेर से करीब 130 किमी दूर तनोट माता मंदिर है। मंदिर पहुंचने के लिए आप राजस्थान रोडवेज की बस ले सकते हैं, जो तनोट जाती है। इसके अलावा आप जैसलमेर से प्राइवेट कार से भी जा सकते हैं। पास में ही लोंगेवाला स्थित है, जहाँ 1965 के भारत-पाक लड़ाई की याद में बना युद्ध स्मारक है। आप यदि तनोट माता के दर्शन को जाते हैं तो भारत की वीरता के इस प्रतीक को भी ज़रूर देखें। 

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