भारत की सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता के अंतर्गत आती है। हालाँकि भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद सिंधु नदी का करीबन 70 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तान में बहता है। भारत के अधिकांश वो हिस्से जो कभी आर्य भूमि कहलाते थे आज पाकिस्तान के अधीन हैं। पाकिस्तान में भी विभाजन काल से पहले के बहुत से ऐसे मंदिर और गुरुद्वारे हैं जिन्हें भारत में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद तहस नहस कर दिया गया लेकिन उनमें से कुछ ऐसे भी हैं जहाँ आज भी हिन्दू पूजा अर्चना के लिए जाते हैं। आज हम आपको पाकिस्तान स्थित एक ऐसे ही हिन्दू मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे सावन माह में हिन्दू भक्तों के पूजा अर्चना के लिए खोल दिया गया है। आइये जानते हैं इस मंदिर के रोचक तथ्यों और इसके इतिहास के बारे में।
सावन माह में शिव जी के दर्शन के लिए खोले गए इस मंदिर के द्वार
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पाकिस्तान के सियालकोट स्थित “शिवाला तेज सिंह” नाम के मंदिर को हिन्दू भक्तों के लिए खोल दिया गया है। आपको बता दें कि शिव जी का ये मंदिर पाकिस्तान के सियालकोट में स्थित है। माना जा रहा है कि सावन के इस पवित्र महीने में शिव भक्तों के लिए इस मंदिर को खोला गया है। हालाँकि पाकिस्तान के स्थानीय प्रशासन का कहना है कि इस मंदिर को भक्तों के लिए इस साल की शुरुआत में ही खोल दिया गया था। मिली जानकारी के अनुसार सियालकोट में रहने वाले हिन्दू परिवारों ने इस मंदिर को दोबारा खुलवाने के लिए स्थानीय प्रशासन को एक पत्र लिखा था। उनकी धार्मिक भावनाओं का कद्र करते हुए इस मंदिर को फ़ौरन खुलवाया गया।
हज़ारों साल पुराना है इस मंदिर का इतिहास
पाकिस्तान स्थित इस मंदिर के इतिहास की जानकारी “हिस्ट्री ऑफ़ सियालकोट” नाम के किताब में मिलती है, जिसे मशहूर इतिहासकार राशिद ने लिखी थी। इस किताब के अनुसार पाकिस्तान स्थित ये मंदिर आज से करीबन हज़ार वर्ष पुराना है। आज भले ही इस मंदिर को भक्तों के लिए खोल दिया गया है लेकिन इसकी दुर्दशा साफ़ देखी जा सकती है। इस शिव मंदिर को भारत में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद तहस नहस कर दिया गया था। ना केवल इस एकमात्र मंदिर को बल्कि पाकिस्तान में और भी ऐसे कई मंदिर हैं जिन्हें बाबरी मस्जिद गिराने के बाद काफी नुकसान पहुंचाया गया। आज भी वहां बहुत से ऐसे मंदिर और गुरुद्वारे हैं जो क्षतिग्रस्त अवस्था में मौजूद हैं।
एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में करीबन हज़ारों ऐसे मंदिर हैं जिसे बंद कर दिया गया हैं। वहां हिन्दू मंदिरों की संख्या महज पद्रह बीस हैं। वहीं यदि गुरुद्वारे की बात करें तो करीबन 500 से ज्यादा गुरुद्वारों में से महज 17 गुरुद्वारे ही ऐसे हैं जहाँ सिक्ख समुदाय के लोग माथा टेकने जा सकते हैं। पाकिस्तान में बंद किये गए मंदिर और गुरुद्वारे की संख्या करीबन 1500 से भी ज्यादा है। “शिवाला तेज सिंह” मंदिर के खोले जाने के बाद से वहां के हिन्दुओं में एक ख़ुशी की लहर है।