श्रावण पुत्रदा एकादशी, हर वर्ष श्रावण माह की एकादशी तिथि पर आती है। जिस प्रकार सावन का माह भगवान शिव को बेहद प्रिय होता है, ठीक उसी प्रकार ये तिथि भी भगवान विष्णु के लिए अत्यंत प्रिय मानी जाती है। इसलिए इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा एवं उपासना किये जाने का विधान है। सावन के महीने में आने के कारण ही इस एकादशी को श्रावण एकादशी कहा जाता है। इसके साथ ही पुत्रदा एकादशी होने से यह संतान देने वाली एकादशी भी मानी जाती है।
माना जाता है कि जहाँ इस दिन यदि कोई व्यक्ति पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा और मुहूर्त अनुसार व्रत रखता है तो भगवान विष्णु उससे प्रसन्न होकर व्यक्ति की हर मनोवांछित इच्छाओं की पूर्ति करते हैं। तो वहीं इसके अलावा जो भी व्यक्ति संतान सुख से वंचित होता है, उसे भी इस दिन पूजा-आराधना करने से उत्तम संतान प्रदान होती है। साथ ही व्यक्ति इस दिन व्रत करके भगवान विष्णु की कृपा तो पाता ही है, साथ ही व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी भी बन जाता है।
विश्वेदेवा की होगी आराधना
हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत हर वर्ष सावन मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखे जाने का विधान है। क्योंकि एकादशी तिथि के स्वामी विश्वेदेवा माने जाते हैं। इसलिए इस दिन उनकी आराधना किया जाना शुभ होता है। यूँ तो इस दिन मुख्य रूप से विवाहित स्त्री-पुरुष ही उत्तम संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को करते हैं। लेकिन मान्यता है कि संतान प्राप्ति के अलावा भी यदि कोई भी इस व्रत को करता है तो उसके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष ये शुभ तिथि कल, रविवार 11 अगस्त 2019 को पड़ रही है, ऐसे में श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत भी इसी दिन रखा जाएगा और उसकी पारणा अगले दिन यदि 12 अगस्त, सोमवार को होगी। जानकारी के लिए बता दें कि एकादशी तिथि आज से ही यानी शनिवार, 10 अगस्त, 2019 को प्रातः 10:10:31 से प्रारम्भ होगी जो कल यानी रविवार, 11 अगस्त, 2019 को प्रातः 10:54:19 तक रहेगी। ऐसे में सूर्योदय व्यापिनी होने के कारण इस वर्ष श्रावण शुक्ल पुत्रदा एकादशी का ये शुभ व्रत 11 अगस्त को रखा जाएगा और उसकी पारणा अगले दिन होगी।
श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत (11 अगस्त 2019) का मुहूर्त |
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श्रावण पुत्रदा एकादशी पारणा मुहूर्त: |
12 अगस्त 2019 की प्रातः 05:12:02 से 07:47:48 तक |
अवधि: |
2 घंटे 35 मिनट |
नोट: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए है। जानें अपने शहर में श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत का मुहूर्त
श्रावण शुक्ल पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व
भगवान विष्णु को बेहद प्रिय ये एकादशी वर्ष में दो बार श्रावण मास और पौष मास में आती है। जिसमें से जहाँ उत्तर भारत के राज्यों में पौष मास की पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत रखने का विधान है तो वहीं अन्य राज्यों में श्रावण शुक्ल पुत्रदा एकादशी का अत्यंत महत्व होता है। कई जगह पर श्रावण पुत्रदा एकादशी-पवित्रा एकादशी के नाम से भी विख्यात है। इसके अलावा कई लोग इसे पवित्रोपना एकादशी भी कहते हैं।
इस दिन व्रत करने के पीछे भी कई पौराणिक मान्यताओं का वर्णन मिलता है। अगर पुराणों की माने तो इस दिन व्रत करने से उतना ही पुण्य मिलता है जितना व्यक्ति को भूमि दान, अन्न दान, स्वर्ण दान, गोदान, कन्यादान या फिर ग्रहण काल में स्नान दान करने से प्राप्त होता है। इसके अलावा व्यक्ति इस दिन श्रद्धा से व्रत और पूजा करके कठिन तपस्या, अश्वमेध यज्ञ और तीर्थ यात्रा से मिलने वाले पुण्य से भी अधिक पुण्य की प्राप्ति कर सकता है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी पर पूजा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
माना जाता है कि श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वालों को पूरे विधि-विधान से और सही पूजा विधि के अनुसार ही व्रत रखना चाहिए, तभी उनको इस व्रत से शुभाशुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस व्रत को लेकर कुछ नियम भी निर्धारित किये गए हैं, तो चलिए जानते हैं कि आखिर एकादशी के इस व्रत को रखते समय किन विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए:-
- इस दिन व्रत करने के लिए आपको प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- इसके पश्चात एक चौकी या पाट पर स्वच्छ पीला कपड़ा बिछाएं।
- इसके बाद उस जगह पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र रखें और उसपर गंगाजल का छिड़काव कर उसे शुद्ध करें।
- फिर भगवान विष्णु के समक्ष एक देसी घी का दीपक जलाएं।
- दीपक जलाने के बाद श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत रखने का पूरा श्रद्धा भाव से संकल्प लें।
- इसके बाद भगवान श्री हरी विष्णु जी की पूजा की तैयारी करें, लेकिन उससे पहले गजानन की पूजा-अर्चना करें।
- भगवान गणेश की पूजा करने के बाद भगवान विष्णु की पंचोपचार व षोडशोपचार पूजा करें।
- पूजा में भगवान विष्णु को पुष्प, मौसमी फल, तुलसी पत्र तथा चंदन, आदि अर्पित करें।
- इसके बाद पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा सुने और मुमकिन हो तो दूसरों को भी सुनाए।
- कथा समाप्त होने के बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान अनुसार आरती करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु को फलों का या पंचमेवाओं का भोग लगाएँ और वो प्रसाद दूसरों में भी बाटें।
- श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत रखते समय एक दिन पूर्व यानी द्वादशी तिथि की संध्या को सूर्यास्त के बाद से ही भोजन का त्याग कर देना चाहिए।
- एकादशी तिथि के दिन क्रोध न करें और मन को शांत ही रखें। इस दौरान द्वेष, ईर्ष्या या किसी भी तरह के नकारात्मक विचारों को अपने मन में न आने दें।
- व्रत के दिन से लेकर ऊपर बताए गए पारणा के दिन तक खोबर अर्थात संयमित जीवन ही व्यतीत करें और पूरी तरह ब्रह्मचर्य जीवन का पालन करें।
- इस दिन व्रती को पूरा दिन निराहार ही रहना होता है, हालांकि अगर ऐसा मुमकिन न हो तो फलाहार किया जा सकता है।
- इस दिन यदि श्री विष्णु सहस्रनाम स्त्रोत्र का पाठ किया जाए या श्री विष्णु यंत्र की स्थापना की जाएं तो इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
- एकादशी तिथि के दिन रात्रि में जागरण और भजन-कीर्तन से भी भगवान विष्णु को प्रसन्न किया जा सकता है।
- जिसके अगले दिन सूर्योदय के उपरांत व्रत की पारणा किया जाना बेहद शुभ होता है।
- इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि जिसे हरि वासर कहते है, उस दौरान व्रत की पारणा बिलकुल न करें।
- इस एकादशी व्रत की पारणा के लिए सुबह का समय बेहद अनुकूल माना जाता है जिसे द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले ही किया जाना चाहिए।
- पारणा के दौरान एकादशी तिथि के बाद द्वादशी तिथि में ब्राह्मण को भोजन कराए और उन्हें यथासंभव दक्षिणा दें। इससे व्यक्ति को व्रत का शुभाशुभ लाभ मिलता है।
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