आज सावन के प्रथम सोमवार के साथ ही उज्जैन वासियों में एक विशेष उत्साह देखने को मिलता है। इसका मुख्य कारण यह है कि आज से ही उज्जैन में मशहूर महाकालेश्वर भगवान् की शाही पालकी की शुरुआत भी होने जा रही है। माना जाता है कि महाकाल की शाही पालकी देखने के लिए हर साल मध्यप्रदेश के उज्जैन वासी ख़ासा इंतज़ार में रहते हैं। आज हम आपको भगवान् महाकालेश्वर की शाही पालकी और उससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
मध्यप्रदेश के उज्जैन में सावन माह की शुरुआत होने से पहले ही भगवान् महाकालेश्वर या महाकाल की शाही पालकी निकलने की तैयारी शुरू हो जाती है। वहां रहने वाले लोगों को हर साल इस पालकी का ख़ासा इंतज़ार रहता है। उज्जैन वासियों के साथ ही साथ पूरे भारत की नजर भी सावन माह में निकलने वाली भव्य महाकाल की पालकी पर होती है।
क्यों निकाली जाती है महाकालेश्वर की पालकी ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान् महाकालेश्वर जिन्हें शिव जी का ही एक अवतार माना जाता है, वो हर साल सावन माह में उज्जैन में रहने वाले लोगों का हालचाल लेने निकलते हैं। इसी मान्यता के तहत हर वर्ष उज्जैन में महाकाल की भव्य पालकी निकाली जाती है। उज्जैन वासियों के लिए महाकाल की पालकी उनके पौराणिक मान्यताओं का एक प्रतीक है जिसका निर्वाहन आज भी वहां के लोग पूरी श्रद्धा भाव के साथ कर रहे हैं। दिव्य चमत्कारों के शहर उज्जैन में सावन के इस पवित्र महीने में भक्त एक अलग ही रंग में डूबे नजर आते हैं। ऐसी मान्यता है कि महाकाल की भव्य और आकर्षक पालकी का जो भी एक बार दर्शन कर लेता है उसके सभी दुःख दर्द दूर हो जाते हैं। उमंग और उल्लास में डूबे उज्जैन के लोग इस दिन अपने अपने घरों के बाहर ख़ास सजावट के साथ वहां से गुजरने वाली महाकाल की पालकी के इंतज़ार में होते हैं।
क्यों ख़ास है उज्जैन वासियों के लिए महाकालेश्वर की सवारी ?
आपको बता दें कि उज्जैन में निकाले जाने वाले महाकाल की पालकी का विशेष प्रभाव वहां के लोगों के दैनिक जीवन पर भी देखने को मिलता है। इस पालकी की सवारी में शामिल होने के लिए लोग सुबह से ही अपने घरों की साफ़ सफाई करने के बाद नए वस्त्र धारण करते हैं और शिव स्त्रोत और शिव चालीसा का पाठ करते हैं। बच्चों से लेकर बुजर्गों तक में इस दिन विशेष उमंग देखने को मिलता है। जिस किसी के घर के दरवाजे स होकर महाकाल की पालकी निकलती है वो इस दिन व्रत रखते हैं और महाकालेश्वर को चढ़ावा चढ़ाने का ख़ास प्रबंध करते हैं। भक्त अपनी-अपनी मनोकामनाओं के साथ अपन घरों में महाकाल की पालकी गुजरने का इंतज़ार करते हैं। यहाँ के लोग साल भर के अपनी सभी कामनाओं को इसी दिन के लिए सहेज कर रखते हैं। महाकाल की सवारी का आरंभ तोपों की सलामी के साथ किया जाता है।