वैदिक ज्योतिष के अनुसार पांच नक्षत्रों के मेल से बनने वाले योग को ज्योतिषशास्त्र में पंचक के नाम से जाता है। इस दौरान चन्द्रमा विशेष रूप से पांच अशुभ नक्षत्र धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र से होकर गुजरता है, इसलिए ये पांच दिन पंचक कहलाते हैं। कल यानि की 19 जुलाई से पंचक की शुरुआत होने जा रही है, बहरहाल आने वाले पांच दिन अशुभ हो सकते हैं। आइये जानते हैं पंचक के प्रभाव और इससे जुड़े प्रमुख तथ्यों के बारे में विस्तार से।
क्या है पंचक ?
हिन्दू संस्कृति में मुख्य रूप से किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए शुभ मुहूर्त जरूर देखें जाते हैं। शुभ मुहूर्त को देखने में खासतौर से पंचक को जरूर देखा जाता है क्योंकि पंचक के दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। उपरोक्त पांच अशुभ नक्षत्रों में से पंचक धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीया पड़ाव से शुरू होकर रेवती नक्षत्र के अंतिम चरण में पहुँचने के साथ ख़त्म होते हैं। इसके मध्य के पांच दिन ही पंचक कहलाते हैं। चूँकि इस दौरान पड़ने वाले नक्षत्र अशुभ फलदायी होते हैं इसलिए इन पांच दिनों को शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है।
पंचक से जुड़े इन तथ्यों के बारे में जरूर जान लें
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पंचक की गणना विशेष रूप से किसी व्यक्ति के मृत्यु पर की जाती है। ऐसी मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति के मृत्यु के दौरान पंचक लगता है तो उस व्यक्ति के परिवार के पांच लोगों पर मृत्यु का साया मंडराता है। इससे बचने के लिए मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार के वक़्त ही पांच पुतले बनाकर उन्हें मृत व्यक्ति के साथ जलाया जाता है। ऐसा करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।
शास्त्रों के अनुसार पंचक के पांच दिनों को बेहद अशुभ माना जाता है इसलिए इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है। पंचक के दौरान विशेष रूप से घर निर्माण और दक्षिण दिशा की तरफ यात्रा करना अशुभ माना जाता है।
कल 19 जुलाई दोपहर 2.58 से 24 जुलाई दोपहर 3.42 तक पंचक रहेगा। अर्थात इस दौरान कुछ विशेष शुभ कार्यों को करना वर्जित माना जाता है।