सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए ग्रह एवं नक्षत्रों की अच्छी दशा काफी मायने रखते हैं। ज्योतिषशास्त्र में शुक्र ग्रह को शुभ फलदायी और सभी मांगलिक कार्यों के लिए आवश्यक रूप से उपस्थित रहने वाला माना गया है। ऐसे में इस तारे के अस्त के साथ ही सभी मांगलिक कार्यों पर भी रोक लग जाता है। आइये जानते हैं कौन से हैं वो मांगलिक कार्य जिन पर इस ग्रह के अस्त के साथ ही लग जायेगा रोक।
शुक्र ग्रह अस्त के दौरान नहीं होंगे ये मांगलिक कार्य
ऐसी मान्यता है कि शुक्र ग्रह की अनुपस्थति में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। बहरहाल शुक्र ग्रह के अस्त होने की अवधि में विशेष रूप से विवाह संस्कार, मुंडन संस्कार, गृहप्रवेश, सगाई, रोका, जनेऊ संस्कार आदि जैसे मांगलिक कार्यों को करना निषेध माना जाता है। बता दें कि शुभ कार्यों की शुरुआत विशेष रूप से अब शुक्र ग्रह के उदित होने पर ही होंगें। इस अवधि में शुभ कार्यों की तैयारी की जा सकती है लेकिन उसका समापन इस ग्रह के उपस्थिति में ही होती है।
शुक्र ग्रह की अनुपस्थिति में क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य
आपको बता दें कि ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह को खासतौर से भोग विलास और सुख सुविधा का कारक माना जाता है। इसलिए शुभ कार्य पर इस ग्रह का उदित रहना शुभ एवं आवश्यक माना जाता है। शुक्र के अस्त होने होने की अवधि में ये ग्रह पृथ्वी के दूसरी तरफ चला जाता है जहाँ इसका अस्त माना जाता है। इसलिए इस दौरान मांगलिक कार्यों के समापन को निषेध माना गया है।
शुक्र अस्त का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है
सबसे पहले आपको बता दें कि शुक्र ग्रह को मीन राशि का स्वामी ग्रह माना जाता है। मीन राशि में शुक्र की स्थिति उच्च और कन्या राशि में इसकी स्थिति निम्न होती है। इसके साथ ही अन्य राशि के जातकों के लिए भी शुक्र ग्रह का जीवन पर प्रभाव होना आवश्यक माना जाता है। भोग,विलासिता, सौभाग्य और जीवन में सफलता के लिए कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति का मजबूत होना ख़ासा आवश्यक है। शुक्र के अस्त होने पर आप शारीरिक दुर्बलता, विवाह में रुकावट, प्रेम संबंधों में असफलता और सामाजिक असमर्थता जैसी समस्याओं से जूझ सकते हैं। हालाँकि इसका प्रभाव विभिन्न राशि के जातकों पर अन्य प्रकार से भी देखा जा सकता है लेकिन मूलतः शुक्र का अस्त होने पर व्यक्ति के जीवन में उपरोक्त समस्याएं आ सकती हैं।