वास्तु शास्त्र के अनुसार घर

भारतीय सभ्यता में वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनाने की प्रथा काफी पुरानी है। वास्तु शास्त्र को वास्तु विज्ञान भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि हमारे आसपास की प्राकृतिक सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखने के लिए वास्तु नियमों का पालन कर इमारत आदि का निर्माण करने से यह अद्भुत परिणाम देती है और व्यक्ति का जीवन सफल, समृद्ध और शांतिपूर्ण बना रहता है।

वास्तु शास्त्र एक सदियों पुरानी परंपरा है, जिसने भारत में अपनी जड़ें जमाए हुए है। यह एक प्रकार की विद्या है जिसमें दिशाओं आदि के स्वभाव को ध्यान में रख कर घर बनाने की सलाह दी जाती है। ऐसा देखा गया है कि यदि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर नहीं बनता तो घर का वो हिस्सा जो दिशा के अनुकूल नहीं है, वहां पर नकारात्मकता बढ़ जाती है।

वास्तु शास्त्र के बारे में विस्तार से जानने के पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि वास्तु क्या होता है ?

वास्तु क्या है?

दिशाओं के सही ज्ञान को वास्तु कहा जाता है। इस पद्धत्ति में दिशाओं को ध्यान में रखकर भवन निर्माण और भवन की साजो-सजावट (इंटीरियर डेकोरेशन) होती है। वास्तु में दिशाओं को बहुत महत्व दिया गया है। घर यदि दिशाओं को ध्यान में रखकर बनाया जाये तो परिवार में खुशहाली और सम्पन्नता आती है। वास्तु के अनुसार कुल 8 दिशाएं होती हैं। ये 8 दिशाएं हैं- पूर्व, ईशान, उत्तर, वायव्य, पश्चिम, नैऋत्य, दक्षिण और आग्नेय।

शास्त्रों के अनुसार जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश जैसे विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक बलों के बीच परस्पर क्रिया होती है जिसकी वजह से प्रकृति का संतुलन बना रहता है। इस क्रिया का असर पृथ्वी पर पाए जाने वाले अन्य प्राणियों और मनुष्य जाति पर भी पड़ता है।  इन पांचो तत्वों(जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश) के बीच होने वाली इस परस्पर क्रिया हो ही हम वास्तु के नाम से जानते हैं, जिसका प्रभाव व्यक्ति के भाग्य, स्वभाव, कार्य प्रदर्शन और जीवन के दूसरे पहलुओं पर भी पड़ता है।

वास्तु शास्त्र का महत्व

किसी व्यक्ति के भाग्य वृद्धि के लिए वास्तु शास्त्र के नियमों का बहुत महत्व है। घर हो या ऑफिस अगर वास्तु ठीक ना हो तो यह भाग्य को बाधित करता है। वास्तु सिद्धांत के अनुसार बना घर और उसमें वास्तु के हिसाब से दिशाओं में सही स्थानों पर रखी गई वस्तुएं, घर में रहने वाले लोगो के जीवन में शांति और सुख लाता है। इसलिए जरूरी है कि भवन निर्माण से पहले आप किसी वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श ले कर वास्तु सिद्धांतों के अनुसार ही घर बनाएं।

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मनुष्य के जीवन में वास्तु का बहुत महत्व होता है। ऐसा कहा जाता है कि वास्तु विज्ञान के इस्तेमाल कर बने हुए मकानों में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है, जिसके फलस्वरूप घर में रहने वालों का जीवन सुखमय बीतता है और साथ ही परिवार के सदस्यों को भी उनके हर काम में सफलता मिलती है। यह विभिन्न प्रकार के नकारात्मक ऊर्जा और गलत चीज़ों से हमारी रक्षा करता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनाते समय न केवल उसकी रचना बल्कि जगह, उसकी दिशा और उस जगह का ढलान आदि को भी ध्यान में रखा जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनाते समय हर चीज़ सही दिशा में होनी चाहिए जैसे घर का मुख्य द्वार उत्तर या तो उत्तर पूर्व या पूर्व दिशा में, रसोई घर दक्षिण-पूर्व कोने में हो, पूजा घर उत्तर में, बाथरूम की जगह और सोने का कमरा आदि सभी निर्धारित जगह पर होने चाहिए।

घर का एक व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्व है, यदि घर वास्तु शास्त्र के अनुसार बना हो तो यह व्यक्ति की ज़िन्दगी में खुशहाली, समृद्धि और संपन्नता लाता है। घर बनाने का सबसे पहला पड़ाव होता है नक़्शे का। हमेशा वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा बनवाएं। भवन निर्माण करते समय नीचे दी गयी कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें –

  • रसोई- रसोई के स्थान के लिए घर का दक्षिण-पूर्व कोना सबसे अच्छा माना जाता है। कभी भी रसोई, घर के मुख्य द्वार के सामने स्थित नहीं होनी चाहिए।  
  • बेडरूम- घर के दक्षिण पश्चिम कोने पर मास्टर बेडरूम स्थित होना चाहिए। बेडरूम चौकोर और आयताकार आकार के हो तो यह ज्यादा बेहतर रहते है।
  • दरवाजें- बेडरूम का दरवाजा ऐसा होना चाहिए कि वो नब्बे डिग्री पर खुले।
  • भोजन कक्ष- भोजन कक्ष कभी भी दक्षिणी दिशा की ओर इशारा करते हुए नहीं बनाएं।
  • ड्राइंग रूम- किसी जरूरी बैठक करने वाले कमरों का निर्माण उत्तर या पूर्व का सामना कर रही दिशा में और मेहमानों के लिए बैठने वाले कमरों का निर्माण दक्षिण या पश्चिम का सामना करते हुए बनवाना चाहिए।  

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  • छत/बालकनी- स्वास्थ्य, धन और खुशी के लिए ये सभी केवल घर के उत्तर, पूर्व एवं उत्तर-पूर्व पक्षों में स्थित होने चाहिए। बालकनियों का सामना उत्तर और पूर्व दिशा से होना चाहिए।
  • कारों के लिए गैरेज- दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम गेराज के लिए सबसे अच्छी जगह है।
  • स्विमिंग पूल- स्विमिंग पूल के लिए सबसे अच्छी जगह उत्तर-पूर्व की ओर है।
  • भूमिगत जलाशय या पानी की टंकी- उत्तर-पूर्व भूमिगत जलाशय या पानी की टंकी के लिए सबसे सही जगह है।  
  • पेड़- बागानी या वृक्षारोपण के लिए दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम दिशा बिलकुल  सही नहीं हैं।
  • बाहरी गेट्स- आम तौर पर उत्तर, उत्तर-पूर्व और पूर्व दिशाओं में गेट बनवाना शुभ होता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय

वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय का निर्माण दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिशा में ही करें। घर बनाते समय शौचालय का निर्माण कभी भी घर के उत्तर-पूर्व दिशा, दक्षिण-पूर्व दिशा या फिर मध्य में नहीं किया जाना चाहिए। बहुत से लोग शौचालय तो बना लेते हैं लेकिन उसका गटर बनाते समय ज्यादा ध्यान नहीं देते, लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के उत्तर या पश्चिम दिशा में ही शौचालय का गटर बनाएं। बाथरूम के दरवाजे एवं खिड़कियां केवल दक्षिण दिशा को छोड़कर दूसरे किसी भी दिशा में बना सकते हैं। शौचालय में नल का स्थान उत्तर-पूर्व दिशा या फिर पश्चिम दिशा में रखना अच्छा माना जाता है। कुछ लोग जगह की कमी के कारण घर में सीढ़ियों के नीचे की जगह का इस्तेमाल करने के लिए वहां बाथरूम या शौचालय बना लेते हैं लेकिन आपको बता दें कि कभी भी घर में शौचालय या बाथरूम सीढ़ियों के नीचे नहीं बनाना चाहिए। और एक बात जो सबसे ध्यान देने वाली है कि कभी भी शौचालय, रसोई और पूजा घर एक दूसरे के निकट नहीं बनाएं।

वास्तु टिप्स

ऐसा माना जाता है कि यदि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर नहीं बनाया जाता है तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बाधित हो जाता है जिसकी वजह से मालिक को कुछ न कुछ नुकसान का सामना करते रहना पड़ता है। नीचे दिए गए सरल वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखकर आप अपने घर की खुशहाली को बढ़ा सकते हैं।

  • घर की नींव देने के पहले एक ईंट को घर के पूर्वी या उत्तरी भाग में रखें।
  • कभी भी भूखंड की खुदाई पश्चिम, दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर से शुरू नहीं करें। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का निर्माण के दक्षिण पश्चिम की ओर किया जाना चाहिए ।  
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा तैयार करते समय यह ध्यान रखें कि घर किसी भी अन्य इमारत से सटे नहीं होने चाहिए यानि कि दो घरों के बीच एक आम दीवार नहीं होनी चाहिए।

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  • सरल वास्तु शास्त्र के अनुसार सभी कमरों के दरवाजे का सामना पूर्व दिशा से होना चाहिए।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनाते समय यह ध्यान रखें कि बेडरूम हमेशा दक्षिण और पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
  • दर्पण लगाने के लिए दक्षिण और पश्चिम की दीवार को शुभ स्थान माना जाता है।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा बनाते समय पूजा घर का स्थान उत्तर पूर्व में रखें और सभी मूर्तियों और तस्वीरों का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा से होना चाहिए।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय बनाते समय भी थोड़ी सावधानी रखें। शौचालय की सीट सिर्फ उत्तर-दक्षिण दिशा में होनी चाहिए, भूलकर भी इसे पूर्व-पश्चिम दिशा में न रखें।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार कोई भी बड़ा पेड़ उत्तर या पूर्व दिशा में न उगाएं। इस तरह का कोई भी पेड़ घर के दक्षिण या पश्चिम की ओर लगाना चाहिए।
  • वास्तु शास्त्र में घर की खिड़की-दरवाजों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। कभी भी घर के दरवाजें बहुत कम, अधिक, बहुत विस्तृत या फिर बहुत संकीर्ण नहीं होने चाहिए। दरवाजे की बनावट आयताकार हो। दरवाजे कमरे के भीतर खुलने चाहिए ना कि बाहर की तरफ।
  • बहुत से लोग घर में तस्वीर आदि लगाने के शौकीन होते हैं। ऐसे लोगों को रो रही महिला, युद्ध के दृश्य, उल्लू, बाज आदि जैसे पोस्टर घर में नहीं लगाने चाहिए।
  • यदि अलमारी दीवार में है तो यह घर के दक्षिणी या पश्चिमी दिशा में होना चाहिए।

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वास्तु दोष

कभी-कभी ऐसा लगता है कि लाख परिश्रम के बाद सफलता नहीं मिल पा रही है या फिर कमाया हुआ धन रुक नहीं रहा, आय दिन घर में हो रहे झगड़े, स्वास्थ संबंघी समस्याएं और मानसिक अशांति ये सब वास्तु दोष के लक्षण होते हैं। वास्तु के अनुसार घर बनाना कोई आसान काम नहीं होता है। अधिकंश तौर पर घर बनाते समय कुछ न कुछ कमियां रह जाती हैं जिसकी वजह से घर पर वास्तु दोष बना रहता है। यह एक ऐसा दोष होता है जो आपकी खुशहाली, तरक्की, पैसा, मान-सम्मान आदि जैसी चीज़ों में मुश्किलें पैदा करता है।

किसी नए घर में प्रवेश करते समय इस बात का पता अवश्य लगा ले कि घर पर वास्तु दोष है या नहीं! दोष का पता लगाने के लिए आप सबसे पहले एक नवजात शिशु को घर के अंदर ले जाएं। यदि बच्चा घर में प्रवेश करते ही रोने लगे तो समझ लें कि उस घर में नकारात्मक ऊर्जा है और उस घर का वास्तु सही नहीं है। कभी-कभी घर के अंदर प्रवेश करने पर दम घुटने लगना और अकेले घर में जाने से डर लगना जैसी चीज़ें भी गलत वास्तु या फिर घर के इतिहास(किसी की आत्महत्या, घर का निर्माण किसी कब्रिस्तान या शमशान पर होना) कि ओर इशारा करती हैं।

आप इन दोषों से छुटकारा पाने के लिए नीचे दिए गए वास्तु शास्त्र के टोटकों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

वास्तु शास्त्र के टोटके

आजकल के समय में बहुत कम लोग ही प्लॉट खरीद कर घर बनवाते हैं, अधिकांश लोग बना बनाया फ्लैट खरीदते हैं जिसकी वजह से उनका घर वास्तु के अनुसार हो ऐसा संभव नहीं होता है। लेकिन, आप घर मे सकारात्मक ऊर्जा बनाये रखने के लिए नीचे दिए गए वास्तु शास्त्र के टोटके का इस्तेमाल कर सकते हैं।-

  • जिन चीज़ों की जरूरत न हो, उन्हें घर में ना रखें और उसे घर से बाहर निकाल कर फेंक दे।
  • कभी भी दो दरवाजे के बीच में कोई लड़की का सामान खासकर फर्नीचर या अड़चन ना रखें।
  • खिड़कियों मे किसी प्रकार का कोई अड़चन ना रखें, घर में प्रकाश और हवा आसानी से आये इसका पूरा इंतज़ाम करें।
  • न केवल घर बल्कि घर के आस-पास की जगह भी साफ़ रखें।
  • घर को ज़्यादा फर्निचर से न भरें। कोशिश करें कि हर एक कमरा इस प्रकार सजा हुआ हो कि वह अंदर से खुला और विशाल लगे।
  • घर के आंगन में तुलसी का पौधा रखें जिसे नियमित रूप से पानी दे।
  • धन दौलत बढ़ने के लिए आप अपने कंपाउंड में एक अनार का पेड़ लगाएं।
  • घर की महिलाएं प्रतिदिन सुबह स्नान कर तांबे के लोटे में जल लेकर उसे घर के मुख्य द्वार और उसके आस पास उस पानी का छिड़काव करें, ऐसा करने से माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
  • प्रतिदिन सुबह घर के मंदिर में घी का दीपक जलाएं और पहली रोटी गाय को और खाना खाने के बाद आखिरी रोटी कुत्ते को अवश्य दे।
  • कभी भी घर की सफाई रात में न करें।
  • रोज़ाना सुबह पानी में सेंधा नमक मिलाकर पोंछा लगाएं और गंदे पानी को घर के बहार फेंक दे। ऐसा करने से घर से बुरी शक्तियां दूर हो जाती हैं।  
  • गणेश जी के तस्वीर को घर के मुख्य दरवाजे के ऊपर लगाएं।

जब आप अपने घर का निर्माण कार्य आरम्भ करते है तो वास्तु शास्त्र का पालन करने के लिए यह सबसे अच्छा समय होता है। वास्तु के नियमों का इस्तेमाल करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है और हमारे जीवन में आने वाली सभी नकारात्मक परेशानियों को रोका जा सकता है। आशा करते हैं कि हमारे द्वारा वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनाने के वास्तु टिप्स आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगा।

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