मंगल गोचर से मेष सहित इन 7 जातकों को रहना होगा सावधान, बिगड़ सकता है बना बनाया काम!

मंगल का कर्क राशि में गोचर: एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको मंगल का कर्क राशि में गोचर के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएंगे कि इस गोचर का प्रभाव सभी 12 राशियों पर किस प्रभाव से पड़ेगा। बता दें कुछ राशियों को मंगल के गोचर से बहुत अधिक लाभ होगा तो, वहीं कुछ राशि वालों को इस अवधि बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी क्योंकि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। 

इसके अलावा इस ब्लॉग में मंगल ग्रह को मजबूत करने के कुछ शानदार व आसान उपायों के बारे में भी बताएंगे। बता दें कि मंगल 20 अक्टूबर 2024 की दोपहर 03 बजकर 04 मिनट पर चंद्रमा के स्वामित्व वाली राशि कर्क में गोचर करने जा रहे हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं किस राशि के जातकों को इस दौरान शुभ परिणाम मिलेंगे और किन्हें अशुभ।

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ज्योतिष में, मंगल को क्रिया और इच्छा का ग्रह माना जाता है, जो ऊर्जा, महत्वाकांक्षा और खुद को मुखर करने की क्षमता को नियंत्रित करता है। जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति बताती है कि व्यक्ति अपनी शारीरिक ऊर्जा को कैसे व्यक्त करता है, प्रतिस्पर्धा से कैसे निपटता है और चुनौतियों का सामना कैसे करता है। इसके अलावा, मंगल आपकी प्रेरणा और आप अपने लक्ष्यों को कैसे प्राप्त करते हैं इस बात को भी दर्शाता है। यह हमारे भीतर की ‘लड़ाई’ का प्रतिनिधित्व करता है, जो हमारे आक्रामकता, दृढ़ संकल्प और हमारी इच्छाओं को पूरा करने के तरीके को प्रभावित करता है। आपकी जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति यह बताती है कि आप इन गुणों को कैसे व्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिए, मेष राशि में मंगल साहसी और मुखर होता है, जबकि मीन राशि में मंगल अधिक अप्रत्यक्ष और सहज हो सकता है।

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मंगल का कर्क राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए मंगल महाराज आपके पहले और आठवें भाव के स्वामी हैं। अब मंगल का कर्क राशि में गोचर आपके चौथे भाव में होगा, जो सुख, माता, संपत्ति, वाहन और अचल संपत्ति का भाव है। इस दौरान आपको मन पर काबू रखने की सलाह दी जाती है। जिन जातकों का खुद का व्यापार है, उनके हाथ से लाभ कमाने के अनेक अवसर निकल सकते हैं। नौकरीपेशा जातक यदि पदोन्नति की उम्मीद लगाए हुए हैं, तो उन्हें निराशा प्राप्त हो सकती है। इस अवधि आपको मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में गिरावट आ सकती है क्योंकि मंगल पहले और आठवें भाव के स्वामी हैं तथा करियर, नाम और प्रसिद्धि और इच्छाओं के दसवें और ग्यारहवें भाव पर दृष्टि डाल रहे हैं।

चूंकि मंगल कर्क राशि के चौथे भाव में गोचर कर रहे हैं, इसलिए आपको इस दौरान अपने माता-पिता के स्वास्थ्य का विशेष रूप से अपनी मां के स्वास्थ्य का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है क्योंकि उन्हें कुछ समस्याओं का अनुभव हो सकता है। सातवें भाव पर मंगल की दृष्टि के कारण आपके जीवनसाथी के साथ कुछ अनबन भी हो सकती है। इस अवधि आशंका है कि आप तनाव की वजह से अधिक परेशान हो जाए। साथ ही, आप बेचैन भी रहेंगे और मन में शांति की कमी रहेगी।

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों की कुंडली में मंगल देव को सातवें और बारहवें भाव का स्वामित्व प्राप्त है। अब मंगल का कर्क राशि में गोचर आपके तीसरे भाव में होने जा रहा है। मंगल आपके दसवें भाव को देख रहा है, इसके परिणामस्वरूप आपको सकारात्मक परिणाम प्राप्त होगा और कार्यक्षेत्र में पदोन्नति भी प्राप्त होगी। लेकिन साथ ही, साथ यह गोचर आपके कार्य जीवन में कुछ तनाव भी पैदा कर सकता है और आपको कार्यक्षेत्र में परेशानी भी दे सकता है। 

आशंका है कि इस दौरान आपको आर्थिक जीवन में लाभ प्राप्त न हो और बिज़नेस में भी आपके द्वारा बनाई गई योजना काम न आए। चूंकि मंगल बारहवें भाव के स्वामी हैं, इसलिए इस अवधि के दौरान खर्च बढ़ने की संभावना है। चूंकि मंगल तीसरे भाव में गोचर कर रहे हैं, इसलिए आपके छोटे भाई-बहनों के साथ बहस होने की संभावना है या आपके छोटे भाई-बहन भी इस अवधि के दौरान स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से पीड़ित हो सकते हैं। आप रक्त संबंधी समस्या से भी पीड़ित हो सकते हैं, इसलिए सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

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मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए मंगल महाराज आपके छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और अब मंगल का कर्क राशि में गोचर आपके दूसरे भाव में हो जाएगा, जो संचार, धन और परिवार का भाव है। इस गोचर के दौरान आप अपने कार्यों या अपने शब्दों से किसी को चोट पहुंचा सकते हैं। इसलिए, आपको सलाह दी जाती है कि अपने शब्दों पर नियंत्रण रखें। आर्थिक रूप से, अनावश्यक खर्चों के कारण धन की कुछ कमी हो सकती है।

आठवें भाव पर मंगल की दृष्टि के कारण, संभावना है कि आपको पैतृक संपत्ति या अधिक प्राप्त न हो। आपको सलाह दी जाती है कि इस अवधि के दौरान आपको पैसे उधार देने या ऋण लेने से बचना चाहिए। व्यावसायिक रूप से, जातकों को विकास के मामले में अपनी नौकरी में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, विरोधी और प्रतिस्पर्धी आपकी छवि खराब करने के की कोशिश कर सकते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से, आपको अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने और वाहन चलाते समय सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

कर्क राशि

कर्क राशि वालों के लिए मंगल ग्रह आपके पांचवें और दसवें भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके पहले/लग्न भाव में गोचर करने जा रहे हैं, जो व्यवहार, स्वास्थ्य, आत्म-ज्ञान और सौंदर्य को दर्शाता है। इस गोचर के दौरान आप कुछ कारणों से तनावग्रस्त रह सकते हैं और अपने आवेगी स्वभाव के कारण अधिक आक्रामक हो सकते हैं। 

आपको अपने गुस्से पर नियंत्रण रखने की सलाह दी जाती है। व्यावसायिक रूप से, यह गोचर आपके लिए धन के साथ-साथ विकास के अवसर भी लेकर आएगा। आर्थिक रूप से, यह अवधि आपके लिए औसत रहेगी क्योंकि आय तो होगी लेकिन कई बाधाएं भी सामने आएंगी। सातवें भाव पर मंगल की दृष्टि के कारण आप आक्रामक हो सकते हैं और ऐसे में, वैवाहिक जीवन में कुछ गलतफहमियां पैदा हो सकती हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से, आपको सतर्क रहने की सलाह दी जाती है क्योंकि पैदल या वाहन चलाते समय दुर्घटना होने की संभावना है।

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सिंह राशि 

सिंह राशि वालों के लिए मंगल महाराज आपके चौथे और नौवें भाव के स्वामी हैं। अब मंगल का कर्क राशि में गोचर आपके बारहवें भाव में होने जा रहा है, जो विदेशी लाभ, खर्च, आध्यात्मिकता और मोक्ष को दर्शाता है। इस अवधि के दौरान आपको कुछ अनिश्चितताओं और काम से संबंधित तनाव का सामना करना पड़ सकता है। 

आर्थिक रूप से, अस्वस्थता या अस्पताल में भर्ती होने के कारण आपके खर्च बढ़ सकते हैं। रिश्तों के लिहाज से, आपको अपने वैवाहिक जीवन के साथ-साथ अपने जीवनसाथी के स्वास्थ्य के प्रति भी सावधान रहने की आवश्यकता है। पेशेवर रूप से, इस अवधि आपको अपनी योग्यता साबित करने के लिए बहुत प्रयास करने पड़ सकते हैं। आशंका है कि आपको अपनी कड़ी मेहनत और प्रयासों के बावजूद अपने कार्यस्थल पर अपने वरिष्ठों या सहकर्मियों से कोई सहयोग न मिले। ऐसे में, आपको विवादों और बहस में पड़ने से भी दूर रहने की सलाह दी जाती है।

कन्या राशि 

कन्या राशि वालों के लिए मंगल देव आपके तीसरे और आठवें भाव के स्वामी हैं। अब मंगल कर्क राशि में गोचर करके आपके ग्यारहवें भाव में जा रहे हैं। यह गोचर कन्या राशि के जातकों के लिए अनुकूल प्रतीत नहीं हो रही है और कुछ कमियां हो सकती हैं। आर्थिक रूप से बात करें तो, आप अपनी ज़रूरतों और खर्चों में वृद्धि देख सकते हैं, जो आपको मानसिक रूप से चिंतित कर सकती है।

व्यावसायिक रूप से बात करें तो, नौकरीपेशा जातकों को अपने काम को स्थिर करना चाहिए और इस समय के दौरान अपनी स्थिति में कोई भी बदलाव करने या योजना बनाने से बचना चाहिए। खुद का व्यापार करने वाले जातकों के लिए यह समय संतोषजनक रहेगा। इस दौरान कोई भी महत्वपूर्ण निवेश न करने की सलाह दी जाती है क्योंकि वे लाभदायक नहीं होंगे।

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तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए मंगल ग्रह आपके दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके दसवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं, जो करियर, नाम और प्रसिद्धि को दर्शाता है। इस समय के दौरान आप कार्यस्थल पर या बिज़नेस में एकाग्रता बनाए रखने और पूरी मेहनत करते हुए दिखाई देंगे। 

हालांकि, आशंका है कि आपको भाग्य का साथ मिले और आपको काम पर बहुत अधिक दबाव और तनाव का अनुभव हो। इस गोचर के दौरान आप अपने करियर या व्यवसाय पर नकारात्मक प्रभाव का अनुभव कर सकते हैं। आपके आर्थिक जीवन की बात करें तो आपको औसत परिणाम मिलने की संभावना है। ऐसे में, यह सलाह दी जाती है कि आप अपने खर्च की निगरानी करें। आप अपने वैवाहिक जीवन में बहुत परेशानी में पड़ सकते हैं या चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

मंगल का कर्क राशि में गोचर: प्रभावशाली उपाय

  • नियमित रूप से हनुमान मंदिर जाएं।
  • नियमित रूप से मंगल यंत्र की पूजा करें।
  • चमेली के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • गरीबों को लाल या केसरिया रंग के कपड़े दान करें।
  • तांबे के गिलास में पानी पिएं। तांबे की धातु का किसी न किसी तरह से इस्तेमाल करें।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1- कमजोर मंगल के क्या नकारात्मक पहलू हैं?

कर्क राशि में मंगल अत्यधिक आक्रामक, प्रतिशोधी और सुस्त हो जाता है।

2- मंगल के लिए उच्च राशि कौन सी है?

मकर राशि

3- क्या चंद्रमा मंगल का मित्र ग्रह है?

हां

तुला राशि में सूर्य का प्रवेश, किन राशियों को बनाएंगे धनवान और किन्हें करेंगे परेशान? जानें

एस्ट्रोसेज अपने पाठकों के लिए “सूर्य का तुला राशि में गोचर” का यह विशेष ब्लॉग लेकर आया है जिसमें हम आपको सूर्य गोचर से जुड़ी समस्त जानकारी प्रदान करेंगे जैसे कि तिथि, समय आदि। हम सभी यह भली-भांति हैं कि सूर्य महाराज को ज्योतिष के साथ-साथ हिंदू धर्म में भी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। सनातन धर्म में इन्हें देवता मानकर पूजा जाता है, तो वहीं नवग्रहों में सूर्य को राजा का दर्जा प्राप्त है। ऐसे में, सूर्य ग्रह का राशि परिवर्तन बहुत मायने रखता है क्योंकि इसका प्रभाव देश-दुनिया सहित सभी राशियों पर पड़ता है। अब यह 17 अक्टूबर 2024 को तुला राशि में गोचर करने जा रहे हैं। 

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इसके परिणामस्वरूप, सूर्य देव का यह गोचर किन राशियों के लिए रहेगा शुभ और किनके लिए अशुभ? किन राशियों को इस अवधि में रहना होगा सावधान और किस राशि के जातकों पर सूर्य देव रहेंगे मेहरबान आदि सवालों के जवाब आपको इस लेख में प्राप्त होंगे। इसके अलावा, कुंडली में सूर्य के कमज़ोर और मज़बूत होने पर व्यक्ति को किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, यह भी हम आपको बताएंगे। सबसे जरूरी सूर्य देव को प्रसन्न करने के उपाय भी प्रदान करेंगे। आइए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं सूर्य गोचर की तिथि और समय के बारे में। 

कब और किस समय होगा सूर्य का गोचर?

नवग्रहों के राजा कहे जाने वाले सूर्य का गोचर सामान्य रूप से हर महीने होता है क्योंकि यह एक राशि में केवल 30 दिनों के लिए रहते हैं। इस प्रकार, सूर्य देव को अपना राशि चक्र पूरा करने में तक़रीबन एक साल का समय लगता है और ऐसे में, यह बारी-बारी से प्रत्येक राशि में प्रवेश करते हैं। अब सूर्य महाराज 17 अक्टूबर 2024 की सुबह 07 बजकर 27 मिनट पर कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में गोचर कर जाएंगे। बता दें कि तुला सूर्य देव की नीच राशि है और इस राशि के स्वामी ग्रह शुक्र हैं जिन्हें सूर्य का शत्रु माना जाता है। ऐसे में, इस स्थिति को ज्यादा अच्छा नहीं कहा जा  सकता है। चलिए आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं सूर्य के महत्व के बारे में। 

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ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य         

वैदिक ज्योतिष में सूर्य आत्मा, पिता, आत्मविश्वास, पद, मान-सम्मान और सरकारी नौकरी के कारक ग्रह माने गए हैं। इसके अलावा, मनुष्य के जीवन में यह स्वाभिमान, गरिमा, करियर समर्पण, अहंकार, सिद्धांतों, जीवन शक्ति, सहनशक्ति, और नेतृत्व क्षमता का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। बात करें शरीर के अंगों की, तो सूर्य महाराज मानव शरीर में दिल और हड्डियों के कारक हैं। 

वहीं, सूर्य ग्रह जब अपनी मूल त्रिकोण राशि सिंह में मौजूद होते हैं, तब जातकों को बहुत शुभ परिणाम देते हैं। मंगल ग्रह की राशि मेष में सूर्य उच्च के होते हैं और यहाँ इनकी स्थिति काफ़ी मज़बूत होती है। राशिचक्र की पांचवीं राशि सिंह के स्वामी ग्रह सूर्य हैं जो कि कुंडली में पांचवें भाव के भी अधिपति देव हैं। इस भाव का संबंध संतान और शिक्षा से होता है।

कुंडलो में सूर्य ग्रह के शुभ होने पर जातकों को करियर में ऊंचे पद की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह व्यक्ति को जीवन में अच्छा स्वास्थ्य, तेज़ दिमाग और संतुष्टि प्रदान करते हैं। इसके विपरीत कुंडली में सूर्य के कमज़ोर होने पर व्यक्ति को आँखों और हृदय से जुड़ी समस्याएं देता है। साथ ही, जातक को अहंकारी, ईर्ष्यालु, गुस्सैल और आत्म केंद्रित बना सकता है।

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तुला राशि में होगी सूर्य, बुध और शुक्र की युति 

जहां सूर्य महाराज ग्रहों के जनक के नाम से प्रसिद्ध हैं, तो बुध देव को “ग्रहों के राजकुमार का दर्जा प्राप्त है। जैसे कि हम जानते हैं कि सूर्य ग्रह 17 अक्टूबर को तुला राशि में प्रवेश करेंगे और यहाँ पहले से बुध ग्रह मौजूद होंगे। बता दें कि कुंडली में सूर्य और बुध के साथ उपस्थित होने पर बुधादित्य योग बनता है। इस योग की गिनती सबसे शुभ योगों में होती है और इसका सकारात्मक प्रभाव जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों पर नज़र आता है। ऐसा माना जाता है कि बुधादित्य योग के प्रभाव से व्यक्ति को धन, मान-सम्मान एवं वैभव की प्राप्ति होती है। इस प्रकार, सूर्य और बुध की युति से बनने वाला योग कुछ राशियों के लिए फलदायी साबित होगा।  इसके अलावा, तुला राशि में सूर्य, बुध के अलावा शुक्र ग्रह भी पहले से विराजमान होंगे। 

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कुंडली में कमज़ोर सूर्य का प्रभाव

कुंडली में सूर्य ग्रह के मज़बूत होने से जातकों को हर क्षेत्र में शुभ परिणाम मिलते हैं, लेकिन अगर यह कमज़ोर अवस्था में होते हैं, तो नकारात्मक परिणामों का सामना करना पड़ता है जो कि इस प्रकार हैं:

  • जिन जातकों की कुंडली में सूर्य दुर्बल अवस्था में मौजूद होते हैं, उन लोगों को दिल, आँखों और ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 
  • इन जातकों का समाज में मान-सम्मान कम हो सकता है और साथ ही, अपमान होने की संभावना बनी रहती है। 
  • सूर्य के अशुभ प्रभाव की वजह से व्यक्ति को तनाव की समस्या रह सकती है। इसके अलावा, कार्यों में सफलता प्राप्ति के मार्ग में बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं।
  • कुंडली में सूर्य का दुष्प्रभाव जातक को महत्वाकांक्षी और गुस्सैल बनाने का काम करता है। 

अब नज़र डालते हैं सूर्य ग्रह के बलवान होने की स्थिति में मिलने वाले शुभ परिणामों पर।  

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मज़बूत सूर्य का प्रभाव 

ग्रहों के राजा सूर्य जिन जातकों की कुंडली में मजबूत स्थिति में होते हैं, तो उनके लिए यह स्थिति काफ़ी फायदेमंद साबित होती हैं।

  • ऐसे लोग जिनकी कुंडली में सूर्य शुभ होते हैं, उनका प्रदर्शन व्यापार में शानदार रहता है और इस क्षेत्र में अच्छा करते हैं। 
  • यह लोग राजनीति और नौकरी के क्षेत्र में भी अपार सफलता प्राप्त करते हैं। साथ ही, इन्हें उच्च पद की प्राप्ति होती है।
  • कुंडली में सूर्य के बलवान होने पर जातकों को हर कदम पर अपने पिता का साथ मिलता है और उनके साथ रिश्ते बहुत अच्छे रहते हैं।
  • इन लोगों को मनचाहे परिणाम की प्राप्ति होती है और इनका अपने आप पर पूरी तरह से नियंत्रण होता है। 

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कुंडली में इन सरल एवं अचूक उपायों से करें सूर्य देव को मज़बूत 

  • प्रतिदिन तांबे के लोटे में जल लें और इसमें गुलाब की पंखुड़ियां मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। 
  • रविवार के दिन गरीबों एवं जरूरतमंदों को गुड़ बांटें। साथ ही, इस दिन मंदिर में भी गुड़ का दान करना चाहिए।
  • प्रतिदिन तुलसी के पौधे को पानी दें, लेकिन इस काम को रविवार के दिन न करें। 
  • हर दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
  • रविवार के दिन गेहूं, तांबे और गुड़ आदि का दान करें।
  • संभव हो, तो लाल और नारंगी रंग के कपड़े ज्यादा से ज्यादा पहनें। 

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सूर्य का तुला राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि वालों के लिए सूर्य महाराज आपकी कुंडली में पांचवें भाव के स्वामी हैं और अब यह गोचर…(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए सूर्य देव आपके चौथे भाव के स्वामी हैं और अब इनका गोचर आपके छठे……(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए सूर्य आपके तीसरे भाव के स्वामी हैं जो अब गोचर करके आपके पांचवें… (विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि वालों की कुंडली में सूर्य महाराज को दूसरे भाव का आधिपत्य प्राप्त है और अब यह आपके… (विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि 

सिंह राशि वालों के लिए सूर्य आपके पहले भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके तीसरे भाव में प्रवेश… (विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए सूर्य देव आपके बारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके…(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि 

तुला राशि वालों के लिए सूर्य देव आपके ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके पहले भाव में गोचर…(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों की कुंडली में सूर्य महाराज दसवें भाव के स्वामी हैं और अब इनका गोचर आपके…(विस्तार से पढ़ें)

धनु राशि 

धनु राशि वालों के लिए सूर्य ग्रह आपके नौवें भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके ग्यारहवें भाव में गोचर…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि 

मकर राशि वालों की कुंडली में सूर्य महाराज आपके आठवें भाव के स्वामी हैं और अब इनका गोचर आपके… (विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि 

कुंभ राशि वालों के लिए सूर्य देव सातवें भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके नौवें भाव में गोचर करने… (विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि 

मीन राशि वालों की कुंडली में सूर्य देव को छठे भाव का स्वामित्व प्राप्त हैं और अब इनका गोचर आपके आठवें… (विस्तार से पढ़ें)

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. सूर्य किस राशि के स्वामी हैं?

राशि चक्र में सूर्य देव को सिंह राशि का स्वामित्व प्राप्त है। 

2. तुला राशि में सूर्य कब प्रवेश करेंगे?

सूर्य महाराज 17 अक्टूबर 2024 को तुला राशि में गोचर कर जाएंगे।

3. सूर्य का गोचर कब होता है?

ज्योतिष में सूर्य देव का गोचर हर महीने में होता है। 

मंगल का कर्क राशि में गोचर: जानें शेयर बाजार समेत देश-दुनिया पर इसका प्रभाव

मंगल का कर्क राशि में गोचर: एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको मंगल का कर्क राशि में गोचर के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएंगे कि यह देश-दुनिया को कैसे प्रभावित करेगा, इस दौरान शेयर बाजार में क्या-क्या बदलाव देखने को मिलेंगे और साथ ही, इस दौरान मौसम में आने वाले बदलाव के बारे में भी जानकारी हासिल करेंगे। बता दें कि मंगल 20 अक्टूबर 2024 की दोपहर 03 बजकर 04 मिनट पर चंद्रमा के स्वामित्व वाली राशि कर्क में गोचर करने जा रहे हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इस दौरान देश-दुनिया में इसका अनुकूल व प्रतिकूल प्रभाव।

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ज्योतिष में मंगल को एक शक्तिशाली ग्रह माना जाता है, जो ऊर्जा, महत्वाकांक्षा और खुद को मुखर करने की क्षमता को नियंत्रित करता है। जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति बताती है कि व्यक्ति अपनी शारीरिक ऊर्जा को कैसे व्यक्त करता है, प्रतिस्पर्धा से कैसे निपटता है और चुनौतियों का सामना कैसे करता है। इसके अलावा, मंगल आपकी प्रेरणा और आप अपने लक्ष्यों को कैसे प्राप्त करते हैं इस बात को भी दर्शाता है। यह हमारे भीतर की ‘लड़ाई’ का प्रतिनिधित्व करता है, जो हमारे आक्रामकता, दृढ़ संकल्प और हमारी इच्छाओं को पूरा करने के तरीके को प्रभावित करता है।

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मंगल का कर्क राशि में गोचर: विशेषताएं

ज्योतिष शास्त्र में मंगल को उग्र ग्रह माना जाता है, जो पुरुष तत्व का ग्रह। वहीं कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा हैं और मंगल का चंद्रमा से अनुकूल संबंध है। कर्क राशि एक जल तत्व की राशि है, जिसका अर्थ है कि आप भावनाओं से ज्यादा शारीरिक क्षमताओं को महत्व देते हैं। कर्क राशि में मंगल की स्थिति आपकी मानसिक रूप से मजबूती और दृढ़ संकल्प को दर्शाती है, जो बुद्धि और शक्ति के संयोजन से आती है। इसलिए, आपको अपनी भावनाओं को व्यक्त करने से बचना चाहिए।

कर्क राशि में मंगल के प्रभाव से व्यक्ति अप्रत्याशित और आक्रामक होते हैं। इनके भावनाओं का विस्फोट एकदम से होता है। हो सकता है कि आप  भावनात्मक रूप से कमज़ोर हों, लेकिन आप कोई बात होने पर आपके अंदर उस व्यक्ति के प्रति प्रेम खत्म हो जाता है और आप एकदम से सामने वाले से दूरी बना लेते हैं। यह आपके व्यक्तित्व का सबसे बड़ा गुण है।

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मंगल का कर्क राशि में गोचर: विश्वव्यापी प्रभाव

सरकार और राजनीति

  • इस अवधि के दौरान आशंका है कि सरकार को अपने काम में सफलता प्राप्त न हो या उम्मीद से कम सफलता मिले। साथ ही, सरकार थोड़ी आक्रामक होगी, लेकिन उसे अधिकार बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है।
  • भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में सरकारी अधिकारी अपने कार्यों और योजनाओं का विश्लेषण बिना समझदारी और जल्दबाजी में करते हुए दिखाई देंगे।
  • भविष्य को लेकर सरकार कुछ आक्रामक योजनाओं का निर्माण करेगी।
  • इस अवधि के दौरान आशंका है कि सरकार की नीतियां जनता को पसंद न आए क्योंकि मंगल अपनी नीच राशि में हैं।
  • सरकार आक्रामक तरीके से ऐसी योजनाओं को लागू कर सकती है, जो आबादी के बड़े हिस्से के लिए मददगार साबित होगी। लेकिन, अधिकांश योजनाएं और नीतियां उस तरह से काम नहीं कर सकती हैं, जैसा कि उन्हें करना चाहिए।
  • देश के नेता आक्रामक लेकिन सोच-समझकर और समझदारी से काम लेते हुए दिखाई देंगे।

बैंकिंग, फाइनेंस और रिसर्च

  • वित्तीय क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को इस गोचर के दौरान कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
  • मंगल के कर्क राशि में गोचर के दौरान बैंकिंग क्षेत्र थोड़ा असंतुलित हो सकता है।
  • निवेश बैंकर, बैंक मैनेजर, भी मंगल के कर्क राशि में गोचर की इस अवधि के दौरान अच्छा प्रदर्शन करने में कुछ समस्याओं का सामना कर सकते हैं। 
  • रिसर्चस और वैज्ञानिकों को रिसर्च में रुकावट या कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
  • मंगल के कर्क राशि में गोचर के दौरान बच्चों के खिलाफ अपराध बढ़ सकते हैं। 
  • कुछ कारणों से महत्वपूर्ण चिकित्सा अनुसंधान और आविष्कार रुक सकते हैं।

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मंगल का कर्क राशि में गोचर: शेयर बाजार रिपोर्ट

आइए देखते हैं कि मंगल का कर्क राशि में गोचर के दौरान शेयर बाजार में किस तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। शेयर बाजार भविष्यवाणी 2024 के अनुसार,

  • इस अवधि में शेयर बाजार में खास तेजी आने की उम्मीद नहीं है।
  • सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी, बैंक और फाइनेंस कंपनियां, रिलायंस कैपिटल और रिलायंस इंडस्ट्री सभी मंदी का सामना कर सकते हैं।
  • वित्त, बीमा, तंबाकू, शिपिंग, सब्जियां और ऑटोमोबाइल के उद्योगों में धीमी गति से वृद्धि संभव है।
  • कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, प्रिटिंग और कागज के सामान, ऑटोमोबाइल और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी नकारात्मक परिणामों का सामना कर सकते हैं।

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मंगल का कर्क राशि में गोचर: मौसम रिपोर्ट

  • भारत के दक्षिण और उत्तरी भाग में प्राकृतिक आपदाएं आ सकती हैं।
  • अप्रत्याशित बारिश और आंधी-तूफान जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर सकते हैं।
  • पश्चिमी दुनिया में पानी से जुड़ी अन्य समस्याएं देखने को मिल सकती हैं, जिससे लोगों का दैनिक जीवन और दिनचर्या प्रभावित हो सकती है।
  • दुनिया भर के उत्तरी और दक्षिणी देशों में अप्रत्याशित और भारी बारिश की उम्मीद है।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1- कर्क राशि में कौन सा ग्रह उच्च होता है?

बृहस्पति

2- मंगल के साथ कौन से ग्रह मित्रवत हैं?

चंद्रमा, सूर्य और बृहस्पति

3- मंगल किस दिशा में शक्तिशाली होता है?

दक्षिण

शरद पूर्णिमा 2024: धरती पर कब भ्रमण करने आएंगी धन की देवी? जानें तिथि व पूजा का महत्व

सनातन धर्म के लोगों के लिए साल में आने वाली प्रत्येक पूर्णिमा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पूर्णिमा तिथि के दिन पूजा-पाठ करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से माता लक्ष्मी के भक्तों के लिए शरद पूर्णिमा का खास महत्व है। इस दिन माता लक्ष्मी के साथ-साथ चंद्रदेव की भी पूजा करने का विधान है। वहीं कुछ लोग इस शुभ दिन व्रत भी रखते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा या कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है।

तो आइए आगे बढ़ते हैं और एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम जानते हैं साल 2024 में शरद पूर्णिमा की पूजा किस दिन की जाएगी। इस दिन किस प्रकार के उपाय करने चाहिए ताकि आप इन उपायों को अपनाकर अपने मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त कर सके। बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि विस्तार से।

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शरद पूर्णिमा 2024: तिथि व समय

हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। इस बार 16 अक्टूबर को शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ मध्यरात्रि 12 बजकर 21 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन रात में 08 बजकर 43 मिनट पर होगा। 16 अक्टूबर को जैसे ही शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का समापन होगा, उसके बाद से शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी, जिसका समापन अगले दिन 17 अक्टूबर की दोपहर बाद 04 बजकर 56 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर साल 2024 में 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा की पूजा की जाएगी।

शरद पूर्णिमा का महत्व

शरद पूर्णिमा सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। शरद पूर्णिमा तिथि खासतौर पर मां लक्ष्मी और भगवान कृष्ण की पूजा के लिए समर्पित होती है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और धरती पर अपनी किरणों के माध्यम से अमृत की वर्षा करता है। इस दिन विशेष रूप से खीर बनाकर उसे रात भर चांद की रोशनी में रखा जाता है, ताकि चंद्रमा की किरणों का अमृत खीर में समाहित हो जाए। अगले दिन इस खीर का प्रसाद रूप में सेवन किया जाता है। 

इसे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी और शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था, इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन व्रत और उपवास रखने से धन-संपत्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि जो लोग इस दिन रात भर जागरण करते हैं, उन पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

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शरद पूर्णिमा की पूजा विधि

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि विशेष रूप से मां लक्ष्मी और चंद्र देव की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। आइए जानते हैं पूजा विधि के बारे में।

  • शरद पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान और घर को अच्छे से साफ-सुथरा करें
  • इसके बाद एक स्वच्छ स्थान पर माता लक्ष्मी और चंद्र देव की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। उसके सामने घी का दीपक जलाएं और धूप-दीप अर्पित करें। माता लक्ष्मी को सफेद वस्त्र, कमल का फूल, कौड़ी, चावल और खीर अर्पित करें।
  • शरद पूर्णिमा के दिन उपवास रखने की परंपरा है। व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरे दिन फलाहार या केवल जल का सेवन करना चाहिए।
  • रात को चंद्रमा को अर्घ्य दें। दूध और जल से चंद्रदेव का अभिषेक करें और उनकी आराधना करें।
  • इस दिन रात भर जागरण करना और मां लक्ष्मी की कथाएं सुनना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन जो पूरी रात जाग कर जागरण करता है, उसे मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।

क्या धरती पर आती हैं माता लक्ष्मी?

शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी के धरती पर आने की मान्यता है। इसे लेकर कई पौराणिक कथाएं और धार्मिक विश्वास जुड़े हुए हैं। जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “कौन जाग रहा है?”। मान्यता के अनुसार, इन दिन माता लक्ष्मी रात को धरती पर विचरण करती हैं और जो भक्त इस रात जागरण करते हैं, उन पर उनकी विशेष कृपा बरसती है। 

यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति शरद पूर्णिमा की रात में जागरण करता है, मां लक्ष्मी उसे धन, समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन घर को सजाना, साफ-सफाई करना, और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। 

साथ ही, यह भी कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति इस दिन आलस्य छोड़कर माता लक्ष्मी की उपासना में जागता है, तो उसका जीवन आर्थिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध होता है इसलिए शरद पूर्णिमा को माता लक्ष्मी के आगमन का पर्व माना जाता है और इसी कारण लोग इस दिन विशेष पूजा, जागरण और व्रत रखते हैं।

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शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व

शरद पूर्णिमा पर खीर का विशेष महत्व है और इसे स्वास्थ्य और धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दिन खीर बनाने और उसे चांदनी रात में रखने की परंपरा है। दरअसरल,  शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणों में विशेष औषधीय गुण होते हैं। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में अमृत होता है और जब खीर को चांदनी रात में रखा जाता है, तो चंद्रमा की किरणें उसमें अमृत समान गुण भर देती है। इसे खाने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

खीर को शरद पूर्णिमा के दिन प्रसाद के रूप में माना जाता है। इसे चंद्रमा को अर्पित कर रात भर खुले आकाश के नीचे रखा जाता है। अगले दिन सुबह यह खीर प्रसाद के रूप में सबको बांटा जाता है और खुद भी ग्रहण किया जाता है। दरअसल, शरद पूर्णिमा के दिन वातावरण में ठंडक का आगमन होता है और खीर को शीतलता प्रदान करने वाला माना जाता है। चंद्रमा की किरणों से प्रभावित खीर का सेवन करने से शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है, जिससे शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है।

शरद पूर्णिमा की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण था, जो अपने परिवार के साथ अत्यंत गरीबी में जीवन यापन कर रहा था। ब्राह्मणी बहुत धर्मपरायण और भगवान की भक्त थी। एक दिन, उसकी सहेलियों ने उसे बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन जागरण करने और व्रत करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और गरीबी दूर हो जाती है। ब्राह्मणी ने यह सुनकर ठान लिया कि वह इस व्रत को विधिपूर्वक करेगी। शरद पूर्णिमा के दिन ब्राह्मणी ने मां लक्ष्मी की पूजा की और रात भर जागरण किया। वह पूरी रात मां लक्ष्मी के भजन गाती रही और जागरूक रहकर उनका ध्यान करती रही। 

इसी बीच, मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करने आईं और उन्होंने ब्राह्मणी को जागते देखा। मां लक्ष्मी ने प्रसन्न होकर उससे पूछा, कौन जाग रहा है?  ब्राह्मणी ने विनम्रता से उत्तर दिया कि वह माता लक्ष्मी की आराधना कर रही है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए जागरण कर रही है। माता लक्ष्मी उसकी भक्ति और श्रद्धा से बहुत प्रसन्न हुईं और उसे आशीर्वाद दिया। 

मां लक्ष्मी की कृपा से ब्राह्मण परिवार की गरीबी दूर हो गई और उनका जीवन समृद्धि से भर गया। इसके बाद से ही यह मान्यता है कि जो व्यक्ति शरद पूर्णिमा की रात जागरण करता है, मां लक्ष्मी उसे धन-संपत्ति और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

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शरद पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय

शरद पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष उपाय करने से मां लक्ष्मी की कृपा और समृद्धि प्राप्त हो सकती है। आइए जानते हैं, इन दिन किए जाने वाले विशेष उपायों के बारे में।

धन-संपत्ति की वृद्धि के लिए

शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करें। उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं, उन्हें कमल का फूल और सफेद वस्त्र अर्पित करें। साथ ही, धन-संपत्ति की वृद्धि के लिए श्री सूक्त का पाठ करें।

सुख-समृद्धि के लिए

इस दिन रात को खीर बनाएं और चंद्रमा की रोशनी में रखें। इसके बाद चंद्रदेव को दूध, जल और चावल से अर्घ्य दें। ऐसा करने से मानसिक शांति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

स्वास्थ्य लाभ के लिए 

स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए व स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए इस दिन चांदनी रात में खीर को रखकर, सुबह उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। माना जाता है कि इससे स्वास्थ्य अच्छा होता है और जीवन में खुशहाली आती है।

मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए

इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करें। यह बहुत पुण्यदायी माना जाता है और इससे मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

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आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए

शरद पूर्णिमा की रात जागरण करें और मां लक्ष्मी के भजन व मंत्रों का जाप करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

घर में शांति बनाए रखने के लिए 

तुलसी का पौधा घर में रखना शुभ होता है। शरद पूर्णिमा के दिन तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं और उसकी पूजा करें। यह उपाय घर में शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है।

धन प्राप्ति के लिए:

यदि आप आर्थिक समस्याओं से परेशान हैं, तो इस दिन चांदी की लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति की स्थापना करें यदि चांदी की मूर्ति खरीदने में असमर्थ हैं तो, मिट्टी की खरीद लें और उनकी पूजा करें। साथ ही, “ॐ महालक्ष्म्यै नमः” का जाप करें।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. साल 2024 में शरद पूर्णिमा कब मनाई जाएगी?

हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। इस बार 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

2. शरद पूर्णिमा का महत्व क्या है?

शरद पूर्णिमा सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। शरद पूर्णिमा तिथि खासतौर पर मां लक्ष्मी और भगवान कृष्ण की पूजा के लिए समर्पित होती है।

3. शरद पूर्णिमा को किन-किन नामों से जाना जाता है?

शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा या कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है।

सूर्य का तुला राशि में गोचर: राशि सहित देश-दुनिया पर देखने को मिलेगा इसका प्रभाव

एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको सूर्य का तुला राशि में गोचर के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएंगे कि सूर्य के गोचर का प्रभाव सभी 12 राशियों पर किस प्रकार से पड़ेगा। बता दें कुछ राशियों को सूर्य के गोचर से बहुत अधिक लाभ होगा तो, वहीं कुछ राशि वालों को इस अवधि बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी क्योंकि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, इस ब्लॉग में सूर्य ग्रह को मजबूत करने के कुछ शानदार व आसान उपायों के बारे में भी बताएंगे और देश-दुनिया व शेयर मार्केट पर भी इसके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे।

बता दें कि सूर्य में 17 अक्टूबर 2024 को तुला राशि में गोचर करेंगे। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं किस राशि के जातकों को इस दौरान शुभ परिणाम मिलेंगे और किन्हें अशुभ।

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सूर्य को जीवन का ग्रह कहा जाता है जिन्हें ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। अब तक़रीबन एक साल के बाद सूर्य महाराज तुला राशि में जा रहे हैं जो कि कुछ राशियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा। हालांकि, सूर्य को आत्मा का कारक कहा जाता है और इन्हें नौ ग्रहों में प्रमुख ग्रह का दर्जा प्राप्त है।

सूर्य हमारे आकाश में सबसे चमकीला तारा है, जो हमें रोशनी प्रदान करता है। सूर्य महाराज अहंकार, पेशेवर जीवन, मान और आत्मसम्मान आदि का प्रतिनिधित्व करते हैं। साथ ही, यह मनुष्य जीवन में जिम्मेदारी, धैर्य, इच्छाशक्ति, सामाजिक मान-सम्मान और नेतृत्व क्षमताओं को भी नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा, सूर्य देव पिता, सरकार, नेता, विधायकों, राजा और उच्च अधिकारियों के कारक ग्रह माने गए हैं। वहीं, मानव शरीर में सूर्य दिल और हड्डियों का प्रतीक माने जाते हैं।

सूर्य का तुला राशि में गोचर: समय व तिथि

सूर्य 17 अक्टूबर, 2024 की शाम 07 बजकर 29 मिनट पर शुक्र द्वारा शासित राशि तुला में गोचर करने जा रहे हैं। सूर्य और शुक्र शत्रु ग्रह हैं और तुला राशि में सूर्य का गोचर अनुकूल स्थिति में प्रतीत नहीं हो रहा है क्योंकि तुला राशि में सूर्य दुर्बल हो जाते है। आइए आगे बढ़ते हैं और देखते हैं कि तुला राशि में सूर्य के गोचर का देश दुनिया व राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

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तुला राशि में सूर्य का गोचर: विशेषताएँ

तुला राशि में सूर्य के प्रभाव से जातकों को निर्णय लेने में समस्या होती है। ये सरल से सरल निर्णय लेने में भी लंबा समय लगाते हैं। ये जातक हर किसी को प्रसन्न करना चाहते हैं और अपने द्वारा किए गए वादे को पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं। इन लोगों को हर काम को टालने की आदत हो सकती है। साथ ही, जब चीजें आपकी उम्मीदों के मुताबिक नहीं होती हैं, तो आप खुद को नुकसान पहुंचाना शुरू कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में आपको लग सकता है कि आपके आस-पास सब कुछ बिखर रहा है और कोई भी आपकी तरफ नहीं है।

कई बार ये जातक बिना सोचे-समझे बोलने और दूसरे लोगों को चोट पहुँचाने के भी आदी भी हो सकते हैं। ये बहुत ही चुनिंदा हैं और किसी विशेष परिस्थिति में क्या लाभ होगा, इसके आधार पर चीज़ों की चयन करते हैं। यदि आप दूसरे लोगों की राय को महत्व नहीं देते हैं, तो आप अभिमानी हो सकते हैं।

सूर्य का तुला राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि वालों के लिए सूर्य महाराज आपकी कुंडली में पांचवें भाव के स्वामी हैं और अब यह गोचर करके सातवें भाव में जा रहे हैं। ऐसे में, आपको करियर में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। वरिष्ठों और अधीनस्थों आपके लिए समस्या पैदा कर सकते हैं, जिसके वजह से आपको रुकावटों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। काम के सिलसिले से आपको यात्रा करनी पड़ सकती है और आशंका है कि परिणाम आपके पक्ष में न हो।

इस समय आपके वित्तीय समृद्धि में गिरावट आ सकती है, जिससे धन की बचत कर पाना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। भले ही आपको लाभ मिले। इस अवधि बच्चों के स्वास्थ्य और वित्त के बारे में चिंताएँ आपको परेशान कर सकती है। इस समय आपके लिए दीर्घकालिक निवेश करना उचित नहीं है क्योंकि इससे धन का नुकसान हो सकता है।

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वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए सूर्य देव आपके चौथे भाव के स्वामी हैं और अब इनका गोचर आपके छठे भाव में होने जा रहा है। जिन लोगों का खुद का व्यवसाय हैं, उन्हें इस दौरान कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। आपके साथ काम करने वाले लोग अधिक अड़ियल हो सकते हैं और आपकी कमज़ोरियों का फ़ायदा भी उठा सकते हैं और आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। साथ ही, आपके काम को जटिल बना सकते हैं। 

वृषभ राशि के कुछ जातकों को परिवार की जरूरतों को पूरा करने के परिणामस्वरूप समस्या का सामना करना पड़ सकता है, जबकि अन्य को बढ़ते खर्च की वजह से परेशानी उठानी पड़ सकती है। अत्यधिक खर्च के कारण आप तनाव में आ सकते हैं। आशंका है कि कार्यक्षेत्र में आपको अपने वरिष्ठों से सराहना प्राप्त न हो और साथ ही, कुष लोग आपकी नौकरी को नुकसान पहुंचाना चाह रहे हो। कार्यक्षेत्र में काम का दबाव में झेलना पड़ सकता है।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए सूर्य आपके तीसरे भाव के स्वामी हैं जो अब गोचर करके आपके पांचवें भाव में जा रहे हैं, जो रोमांस, संतान, शिक्षा आदि का भाव है। इसके परिणामस्वरूप, संतान के भविष्य को लेकर आप परेशान व भयभीत हो सकते हैं।

यह गोचर पेशेवर जातकों के लिए अनुकूल नहीं है क्योंकि इस दौरान आपके प्रयास असफल हो सकते हैं, जिसके चलते आप परेशान व चिंतित हो सकते हैं। आप तरक्की के लिए वर्तमान नौकरी को छोड़कर दूसरी नौकरी करने का विचार बना सकते हैं। हालांकि, आपको बहुत अधिक सतर्क और सोच-समझकर फैसला लेने की सलाह दी जाती है।

कर्क राशि

कर्क राशि वालों की कुंडली में सूर्य महाराज को दूसरे भाव का आधिपत्य प्राप्त है, जो व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन दोनों को दर्शाता है और अब यह आपके चौथे भाव में गोचर कर जाएंगे। इसके परिणामस्वरूप,  आपको चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, खासकर रोजगार और वित्तीय सुरक्षा के संबंध में। आपको असुरक्षा की भावना महसूस हो सकती है, जिससे आपका प्रदर्शन खराब हो सकता है। यदि आप करियर के सिलसिले से बाहर विदेश की यात्रा करना चाहते हैं तो आशंका है कि आपका सपना इस अवधि पूरा न हो। कार्यक्षेत्र में सहकर्मियों के साथ संघर्ष करना पड़ सकता है, जिसकी वजह से आप निराश और असंतुष्ट हो सकते हैं।

हालांकि, जिन जातकों का खुद का व्यापार है, उन्हें व्यापार के क्षेत्र में अत्यधिक लाभ हो सकता है लेकिन, कंपनी की विकास करने की क्षमता सीमित हो सकती है और यह प्रतिद्वंदियों से मिलने वाली कड़ी टक्कर की वजह से हो सकता है  और इस वजह से आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

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तुला राशि 

तुला राशि वालों के लिए सूर्य देव आपके ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके पहले भाव में गोचर करने जा रहे हैं।  इसके परिणामस्वरूप, आपको औसत परिणाम की प्राप्ति होगी और दूसरों के प्रति आपका व्यवहार खराब हो सकता है। पेशेवर दृष्टिकोण से, यदि आप नौकरी पेशा हैं, तो आशंका है कि आपको अधिक संतुष्टि प्राप्त न हो, जिससे तनाव हो सकता है। 

कार्यस्थल पर अधिक तनाव से आपकी समस्याएँ बढ़ सकती हैं और आप अपने सहकर्मियों के साथ मुश्किलों में पड़ सकते हैं। आपका वेतन कम होने की वजह से आपको सोच-समझकर फैसले लेने की आवश्यकता होगी और अधिक बचत करने में भी आप असफल हो सकते हैं।

मकर राशि

मकर राशि वालों की कुंडली में सूर्य महाराज आपके आठवें भाव के स्वामी हैं और अब इनका गोचर आपके दसवें भाव में होने जा रहा है और ये यहां कमज़ोर स्थिति में विराजमान रहेंगे। आपके पेशेवर जीवन के लिहाज़ से यह गोचर आपको सकारात्मक परिणाम देता नज़र नहीं आ रहा है। इसके परिणामस्वरूप कार्यक्षेत्र पर काम का दबाव बढ़ सकता है और आपको चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

यह गोचर व्यापार करने वाले जातकों के लिए भी अनुकूल प्रतीत नहीं हो रहा है। आपको इस दौरान सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि इस बात की संभावना है कि आप महत्वपूर्ण लाभ की तुलना में अधिक नुकसान का अनुभव कर सकते हैं। इस अवधि में प्रतिद्वंदियों से कड़ी टक्कर मिलने की आशंका है और इस वजह से आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। आर्थिक जीवन की बात करें, तो परिवार से जुड़े खर्च बढ़ सकते हैं। आशंका है कि आप परिवार पर जरूरत से ज्यादा खर्च कर सकते हैं, जिसकी वजह से आपको आगे पैसों की दिक्कत हो सकती है।

सूर्य का तुला राशि में गोचर: इन राशियों को मिलेंगे शुभ परिणाम

धनु राशि

धनु राशि वालों के लिए सूर्य ग्रह आपके नौवें भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके ग्यारहवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। ग्यारहवां भाव अवसरों और लक्ष्यों की प्राप्ति का प्रतीक है। इसके परिणामस्वरूप, आपको सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे और नए अवसर भी मिलेंगे।

आपको इस दौरान नई चीजें सीखने और अपने करियर में सफल होने के लिए नए विचारों के साथ आने का मौका मिलेगा। आप कार्यक्षेत्र में पेशेवर तरीके से काम करेंगे। व्यवसाय में लगे लोगों के लिए, यह अवधि बहुत अधिक शानदार रहेगी। आप अपने स्किल्स से आगे बढ़ेंगे। बहुत कम काम करके बेहतर मुनाफ़ा हासिल करेंगे, खासकर अगर आप किसी ऐसी कंपनी की साझेदारी का हिस्सा हैं जिसमें विकास की गुंजाइश है।

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए सूर्य देव सातवें भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके नौवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, आपको इस अवधि में बेहतरीन परिणाम प्राप्त होंगे क्योंकि यह समय आपके लिए अनुकूल रहेगा। आपके करियर की बात करें, तो आप तेजी से तरक्की करेंगे और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होंगे। व्यापार करने वाले जातक अच्छा लाभ कमाने में सक्षम होंगे। इस अवधि में व्यापार करने वाले जातक मल्टीलेवल बिज़नेस कर सकते हैं और इसके माध्यम आप शुभ परिणाम प्राप्त करेंगे।

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सूर्य का तुला राशि में गोचर: दुनिया भर में प्रभाव

सरकार और राजनीति

  • सूर्य के गोचर से देशभर की सरकारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • इस दौरान सरकार जनता से जुड़ने में असमर्थ रहेगी और इस वजह से सरकार अपनी छाप छोड़ने में असफल हो सकती है। जनता कई मोर्चों पर सरकार से असंतुष्ट दिख सकती है, लेकिन यह एक अस्थायी चरण होगा।
  • सरकार देश पर अधिकारपूर्ण नियंत्रण करने की कोशिश करेगी और सत्ता में बैठे लोग इसका मुकाबला करने के लिए निर्णायक कार्रवाई करते हुए देखे जाएंगे।
  • हमारे नेता दृढ़ता से काम करेंगे, लेकिन फिर भी सकारात्मक प्रभाव देखने में असफल हो सकते हैं।
  • सचिवालय स्तर या इसी तरह के पदों पर काम करने वाले लोगों को सूर्य के गोचर से लाभ होगा।

रिसर्च और डेवलपमेंट

  • आशंका है कि रिसर्च और टेक्नोलॉजी धीमी गति से आगे बढ़ेगी और एआई जैसी टेक्नोलॉजी को विकास के रास्ते में मामूली असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • संभव है कि वैज्ञानिक या शोधकर्ता बनने के इच्छुक लोगों को इस गोचर से कोई लाभ नहीं होगा।
  • आईटी क्षेत्र में मंदी आ सकती है और इससे जुड़े लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

सूर्य का तुला राशि में गोचर: शेयर बाजार रिपोर्ट

बुध के साथ-साथ सूर्य भी शेयर बाजार को नियंत्रित करने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रह है। चूंकि सूर्य वर्तमान में तुला राशि यानी अपनी नीच राशि में है और शुक्र द्वारा शासित राशि में हैं, इसलिए शेयर बाजार के लिए यह अवधि अधिक अनुकूल प्रतीत नहीं हो रही है। आइए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि सूर्य का तुला राशि में गोचर शेयर बाज़ार को कैसे प्रभावित करेगा।

  • इस दृष्टिकोण से, बैंक, वित्त, सार्वजनिक क्षेत्र, भारी इंजीनियरिंग, कपड़ा उद्योग, हीरा व्यवसाय, चाय और कॉफी, ऊनी उद्योग, सौंदर्य प्रसाधन, तम्बाकू, रिलायंस इंडस्ट्रीज, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस पावर, टाटा पावर और अदानी पावर में तेजी दिखाई देगी।
  • हालांकि 18 तारीख के बाद गति मंद हो सकती है।
  • सूर्य के नीच होने पर मंदी संभव है।

सूर्य का तुला राशि में गोचर: नई फ़िल्में रिलीज़ होंगी और उनका प्रभाव

फिल्म का नामस्टार कास्टरिलीज़ की तारीख
सर्वगुण सम्पन्नवाणी कपूर17 अक्टूबर, 2024
निकिता रॉय और अंधेरे की किताबसोनाक्षी सिन्हा, परेश रावल23 अक्टूबर, 2024
भूल भुलैया 3कार्तिक आर्यन, तृप्ति डिमरी31 अक्टूबर,, 2024

ये सभी फ़िल्में वास्तव में जितना कर सकती थीं, उससे थोड़ी कम सफल होंगी। यदि सूर्य एक शक्तिशाली राशि में होता, तो इन फिल्मों की सफलता की उम्मीद हो सकती है। सूर्य की स्थिति को ध्यान में रखते हुए फिल्म सर्वगुण संपन्न शायद बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन न करें और इसके तुरंत बाद वृश्चिक राशि में शुक्र का गोचर भी मनोरंजन उद्योग के लिए अधिक अनुकूल प्रतीत नहीं हो रहा है। हालांकि, हम फिर भी इसमें शामिल सभी लोगों को शुभकामनाएं देना चाहेंगे और उम्मीद करते हैं कि ये फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करेंगी।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1- तुला राशि का स्वामी कौन है?

शुक्र

2- तुला राशि में सूर्य नीच क्यों होता है?

सूर्य ग्रह की विशेषताएँ तुला राशि से बिलकुल विपरीत हैं और तुला राशि की दिशा पश्चिम है जबकि सूर्य की दिशा पूर्व है।

3- सूर्य किस राशि में उच्च होता है?

मेष

पापांकुशा एकादशी के दिन इन उपायों को करने से मिलता है विष्णु धाम में स्थान!

सनातन धर्म में एकादशी व्रत का खास महत्व माना गया है और साल में कुल 24 एकादशी तिथियां आती हैं, उन्हें एकादशी में पापांकुशा एकादशी हैं। हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पापांकुशा एकादशी मनाई जाती है। इस शुभ तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग धन की देवी की माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही, एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक द्वारा जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप व बुरे कर्मों से मुक्ति मिलती है। साथ ही मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। ख़ास बात यह है कि इस बार पापांकुशा एकादशी में बेहद शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जिसके चलते इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ गया है।

तो आइए आगे बढ़ते हैं और एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम जानते हैं पापांकुशा एकादशी के बारे में और साथ ही, इस पर भी चर्चा करेंगे कि इस दिन किस प्रकार के उपाय करने चाहिए ताकि आप इन उपायों को अपनाकर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त कर सके। बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि विस्तार से।

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पापांकुशा एकादशी 2024: तिथि व समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि रविवार 13 अक्टूबर की सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन सोमवार 14 अक्टूबर की सुबह 06 बजकर 43 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। अतः 13 अक्टूबर 2024 को पापांकुशा एकादशी मनाई जाएगी। वहीं, वैष्णव समाज के अनुयायी 14 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी मनाएंगे। व्रत पारण 14 अक्टूबर की दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से 03 बजकर 34 मिनट के मध्य कर सकते हैं।

पापांकुशा एकादशी शुभ योग 

आश्विन माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रवि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन 14 अक्टूबर की देर रात 02 बजकर 51 मिनट पर होगा। वहीं, पापांकुशा एकादशी पर धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग 14 अक्टूबर की देर रात 02 बजकर 51 मिनट तक है। इसके साथ ही गर एवं वणिज करण योग बन रहे हैं। इन योग में जगत के पालनहार भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।

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पंचांग

सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 21 मिनट पर

सूर्यास्त:  शाम 05 बजकर 53 मिनट पर

चंद्रोदय: दोपहर 03 बजकर 20 मिनट पर

चंद्रास्त: देर रात 02 बजकर 33 मिनट पर ( 14 अक्टूबर)

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 41 मिनट से 05 बजकर 31 मिनट तक

विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से 02 बजकर 49 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त: शाम 05 बजकर 53 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक

निशिता मुहूर्त: रात्रि 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक

पापांकुशा एकादशी का महत्व

पापांकुशा एकादशी का सनातन धर्म में बहुत बड़ा महत्व है। यह एकादशी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मनाई जाती है। इस एकादशी का नाम पापांकुशा इसलिए पड़ा क्योंकि इसका पालन करने से व्यक्ति अपने जीवन के सभी पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे ‘पापों को अंकुश में रखने वाली एकादशी’ भी कहा जाता है।

इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को अनेक पुण्यों की प्राप्ति होती है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को अपने जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत करने वाले को सभी प्रकार के दुख और कलेशों से भी छुटकारा पाया जा सकता है। यही नहीं, इस एकादशी से व्यक्ति को भविष्य में उन्नति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 

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पापांकुशा एकादशी की पूजा विधि

पापांकुशा एकादशी की पूजा विधि का पालन करना बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते है पापांकुशा एकादशी की पूजा विधि के बारे में।

  • इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
  • शुद्ध वस्त्र धारण करें और पवित्रता का ध्यान रखें।
  • पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और एक साफ स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
  • धूप, दीप, फूल, अक्षत (चावल), पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर), तुलसी के पत्ते, नारियल, फल, मिठाई, पवित्र जल भगवान विष्णु को अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु का ध्यान करें और मंत्रों का जाप करें। मंत्र, “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
  • भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं और इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराएं।
  • भगवान विष्णु को वस्त्र अर्पित करें और उनके सामने धूप-दीप जलाएं।
  • उन्हें फूल, तुलसी के पत्ते, और अक्षत अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु को फल और मिठाई का भोग लगाएं।
  • आरती करें और भगवान विष्णु से अपने पापों की क्षमा माँगें।
  • पूरे दिन भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें और रात्रि में जागरण करें और भगवान का ध्यान करें।

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पापांकुशा एकादशी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में विंध्याचल पर्वत पर क्रोधन नामक एक निर्दयी बहेलिया रहता था। वह अपने जीवन में अनेक पाप कर्म करता था जैसे कि निर्दोष जानवरों का शिकार, चोरी, और लोगों को कष्ट पहुँचाना। उसके जीवन के अंत समय में यमदूत उसे लेने आए। यमदूतों को देखकर क्रोधन भयभीत हो गया और उसने भगवान से प्रार्थना की कि उसे मुक्ति का मार्ग दिखाया जाए।

उसकी प्रार्थना सुनकर, उसी समय भगवान विष्णु के एक भक्त वहाँ आए और उसे पापांकुशा एकादशी का व्रत करने का उपदेश दिया। उन्होंने उसे बताया कि यदि वह इस एकादशी का व्रत करेगा, तो उसके सारे पाप नष्ट हो जाएंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी। क्रोधन ने उस दिन पूरे विधि-विधान से पापांकुशा एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उसके सभी पाप धुल गए, और अंत में भगवान विष्णु के धाम को प्राप्त हुआ। इस प्रकार, पापांकुशा एकादशी का व्रत व्यक्ति को उसके पापों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष प्रदान करता है। इस व्रत की महिमा से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है।

पापांकुशा एकादशी के दिन करें ये ख़ास उपाय

पापांकुशा एकादशी का दिन हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। इस दिन किए गए विशेष उपाय व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति लाते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।

तुलसी की पूजा

पापांकुशा एकादशी के दिन तुलसी के पौधे की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन तुलसी पर जल चढ़ाकर, दीप जलाएं और तुलसी स्तुति का पाठ करें।

विष्णु सहस्रनाम का पाठ

इस दिन भगवान विष्णु का विशेष ध्यान करते हुए विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। यह पाठ सभी प्रकार के पापों को नष्ट करता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

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दान-पुण्य

पापांकुशा एकादशी के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना विशेष फलदायी होता है। इस दिन अन्न, वस्त्र, और धन का दान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति सभी पापों से छुटकारा पाता है।

उपवास रखें

इस दिन सात्विक भोजन का सेवन करें और उपवास रखें। उपवास से शरीर और मन की शुद्धि होती है और व्यक्ति को आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

भगवान विष्णु की आराधना

इस दिन भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने घी का दीपक जलाएं और उनका ध्यान करते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। 

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. साल 2024 में पापांकुशा एकादशी कब मनाई जाएगी?

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि रविवार 13 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

2. पापांकुशा एकादशी का महत्व क्या है?

इस एकादशी का नाम पापांकुशा इसलिए पड़ा क्योंकि इसका पालन करने से व्यक्ति अपने जीवन के सभी पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।

3. पापांकुशा एकादशी में किसकी पूजा की जाती है?

इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने का विधान है।   

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देखते ही देखते अक्टूबर का तीसरा सप्ताह शुरू होने वाला है। अगर आप भी इस सप्ताह से जुड़ी भविष्यवाणी जानना चाहते हैं या यह जानना चाहते हैं कि यह सप्ताह आपके लिए कैसा रहेगा तो आप एकदम सही जगह पर आए हैं क्योंकि एस्ट्रोसेज के इस खास ब्लॉग में हम आपके इन्हीं सभी सवालों का जवाब देते हैं। 

इसके अलावा भी आपको इस ब्लॉग में बहुत कुछ मिलने वाला है जैसे कि इस सप्ताह पड़ने वाले व्रत त्यौहारों की जानकारी, ग्रहण और गोचर की जानकारी, साथ ही हम यहां पर आपको इस सप्ताह के बैंक अवकाश और विवाह मुहूर्त की भी जानकारी प्रदान करेंगे। तो चलिए बिना देरी किए जान लेते हैं अक्टूबर के इस सप्ताह का पूरा लेखा जोखा।

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इस सप्ताह का हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणना 

सबसे पहले बात करें इस सप्ताह के हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणना की तो यह सप्ताह शुरू होगा 14 अक्टूबर को और इस सप्ताह का समापन 20 अक्टूबर को रविवार के दिन से हो जाएगा। हिंदू पंचांग की बात करें तो, 

14 अक्टूबर सोमवार, तिथि एकादशी, पक्ष शुक्ल, नक्षत्र शतभिषा, योग गण्ड, अभिजीत मुहूर्त 11:43:47 से 12:29:49 तक 

15 अक्टूबर 2024 मंगलवार, तिथि त्रयोदशी, पक्ष शुक्ल, नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद, योग वृद्धि, अभिजीत मुहूर्त 11:43:37 से 12:29:32 तक 

16 अक्टूबर 2024 बुधवार, तिथि चतुर्दशी, पक्ष शुक्ल, नक्षत्र उत्तरा भाद्रपद, योग ध्रुव, अभिजीत मुहूर्त कोई नहीं है 

17 अक्टूबर 2024 गुरुवार, तिथि पूर्णिमा, पक्ष शुक्ल, नक्षत्र रेवती, योग हर्षण, अभिजीत मुहूर्त 11:43:18 से 12:29:01 तक 

18 अक्टूबर 2024 शुक्रवार, तिथि प्रतिपदा, पक्ष कृष्ण, नक्षत्र अश्विनी, योग वज्र, अभिजीत मुहूर्त 11:43:11 से 12:28:46 तक 

19 अक्टूबर 2024 शनिवार, तिथि द्वितीय, पक्ष कृष्ण, नक्षत्र भरणी, योग सिद्धि, अभिजीत मुहूर्त 11:43:03 से 12:28:32 तक 

20 अक्टूबर 2024 रविवार, तिथि तृतीया, पक्ष कृष्ण, नक्षत्र कृतिका, योग व्यतिपात, अभिजीत मुहूर्त 11:42:57 से 12:28:20 तक

इस सप्ताह के व्रत और त्योहार 

अपने इस विशेष सेगमेंट में हम कथित सप्ताह के व्रत और त्योहारों की जानकारी अपने रीडर्स तक पहुंचाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार अपने व्यस्त जीवन के चलते हम इन महत्वपूर्ण दिनों के बारे में भूल जाया करते हैं। आपके साथ भी ऐसा ना हो और आप कोई भी महत्वपूर्ण दिन भूलें नहीं इसलिए चलिए एक नजर डाल लेते हैं इस सप्ताह में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों की। 

14 अक्टूबर पापांकुशा एकादशी 

15 अक्टूबर प्रदोष व्रत 

16 अक्टूबर कोजागर पूजा, शरद पूर्णिमा 

17 अक्टूबर वाल्मीकि जयंती, मीराबाई जयंती, तुला संक्रांति, आश्विन पूर्णिमा 

18 अक्टूबर कार्तिक प्रारंभ, ईष्टि 

19 अक्टूबर मासिक कार्तिगाई 

20 अक्टूबर करवा चौथ, वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी

14 से 20 अक्टूबर 2024 विवाह मुहूर्त 

विवाह मुहूर्त की बात करें तो साल में काफी समय ऐसा होता है जब महत्वपूर्ण ग्रहों की चाल और दशा के चलते हिंदू धर्म में विवाह रूक जाया करते हैं। ऐसा ही मई और जून के महीने में देखने को मिला था। इस दौरान शुक्र और गुरु दोनों ही अस्त थे इसलिए इस महीने में कोई भी विवाह मुहूर्त नहीं था। 

हालांकि बात करें अक्टूबर के इस सप्ताह में पड़ने वाले विवाह मुहूर्त की तो इस सप्ताह में भी एक विवाह मुहूर्त पड़ेगा और वह होगा 17 अक्टूबर का। ऐसे में अगर आप विवाह करने की योजना बना रहे हैं या आपके घर में कोई विवाह योग्य है तो आप इस तिथि का चयन कर सकते हैं। इसके अलावा अगर आप वर्ष 2025 के विवाह मुहूर्त की जानकारी जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें- विवाह मुहूर्त 2025

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14 से 20 अक्टूबर 2024 बैंक अवकाश 

अब बात कर लें बैंक अवकाशों की और समय से पहले जान लें कि अक्टूबर के इस सप्ताह में कौन-कौन से बैंक अवकाश पड़ने वाले हैं तो इस सप्ताह में कुल दो बैंक अवकाश मनाए जाएंगे जिनकी संपूर्ण सूची हम आपको नीचे प्रदान कर रहे हैं: 

17 अक्टूबर 2024, गुरुवार- काटी बिहू- असम में बैंक अवकाश रहेगा। 

17 अक्टूबर 2024, गुरुवार- परगट दिवस  (वाल्मीकि जयंती)- भारत भर में कई राज्य में बैंक अवकाश रहेगा।

14 से 20 अक्टूबर ग्रहण और गोचर 

ग्रहण और गोचर के बारे में जानना इसलिए आवश्यक हो जाता है क्योंकि ज्योतिष की जानकार मानते हैं कि ग्रहों की चाल, स्थिति या दशा में कोई भी परिवर्तन मानव जीवन को प्रभावित अवश्य करता है। ऐसे में बात करें अक्टूबर के इस सप्ताह में लगने वाले ग्रहण या होने वाले गोचर की तो जहां एक तरफ इस महीने में कोई भी ग्रहण नहीं लगने वाला है वहीं इस सप्ताह में कुल दो गोचर होंगे। 

एक होगा 17 अक्टूबर को इस दिन सूर्य तुला राशि में गोचर करेंगे। इस गोचर का समय रहेगा 7:27। 

अगला गोचर 20 अक्टूबर को होगा और इस दिन मंगल कर्क राशि में गोचर कर जाएंगे। इसका समय रहेगा 15:04। 

अगर आप इन गोचरों का अपने जीवन पर विस्तृत और व्यक्तिगत प्रभाव जानना चाहते हैं तो आप अभी यहां क्लिक करें

इस सप्ताह जन्मे मशहूर सितारे 

अपने इस आखिरी और सबसे खास सेगमेंट में हम बात करते हैं इस सप्ताह में पड़ने वाले मशहूर सितारों के जन्मदिन के बारे में और यह जानते हैं कि अगर आपका भी जन्मदिन इस सप्ताह में पड़ रहा है तो आप किन मशहूर सितारों के साथ अपना जन्मदिन साझा करते हैं। 

बात करें 14 से 20 अक्टूबर में पड़ने वाले जन्मदिन की तो,  चलिए उससे पहले जान लेते हैं अक्टूबर में जन्मे लोगों के गुणों के बारे में। अक्टूबर मेंजन्मे बच्चे बेहद ही खर्चीले स्वभाव के होते हैं। धन संचित करने की जगह इन्हें धन खर्च करने में मजा आता है। इसके लिए वह अपने जीवन में तमाम पैसा कमाते भी हैं। इसके अलावा अक्टूबर में जन्मे बच्चे इंटेलिजेंट होते हैं, पढ़ाई लिखाई में सबसे आगे होते हैं, इन्हें नई चीज़ें सीखने में मजा आता है और यह तेजी से चीज़ें सीख भी लेते हैं, समस्या का हल ढूंढने में इन्हें आसानी होती है और अपने अद्भुत मनोबल के साथ यह बड़ी से बड़ी मुश्किल का भी सामना कर लेते हैं। 

अब बात करें कि अक्टूबर के इस महीने में अर्थात 14 से 20 अक्टूबर के बीच किन मशहूर सितारों का जन्मदिन पड़ने वाला है तो, 

14 अक्टूबर परमीत सेठी 

15 अक्टूबर अली फज़ल 

16 अक्टूबर हेमा मालिनी 

17 अक्टूबर सिमी ग्रेवाल 

18 अक्टूबर फ्रेडा पिंटो 

19 अक्टूबर सनी देओल 

20 अक्टूबर नवजोत सिंह सिद्धू

यदि आप अपने फेवरेट सितारे की कुंडली देखकर उनके भविष्य के बारे में कुछ भी जानना चाहते हैं तो आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं।

एस्ट्रोसेज की तरफ से इन सभी सितारों को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं।

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साप्ताहिक राशिफल 14-20 अक्टूबर 2024

अब जानते हैं सभी बारह राशियों के जातकों के लिए यह सप्ताह क्या कुछ लेकर आने वाला है:

यह भविष्यफल चंद्र राशि पर आधारित है। अपनी चंद्र राशि जानने के लिए क्लिक करें:
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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1: 2024 में करवा चौथ कब है?

20 अक्टूबर 2024 को करवा चौथ का व्रत किया जाएगा। 

2: करवा चौथ क्यों मनाते हैं?

करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। मान्यता है कि महिलाओं द्वारा इस पर्व को करने से इनके पति के सारे संकट दूर हो जाते हैं और दीर्घायु होते हैं। 

3: 14-20 अक्टूबर में कौन से व्रत-त्योहार हैं?

पापांकुशा एकादशी, कोजागर पूजा, शरद पूर्णिमा, वाल्मीकि जयंती, मीराबाई जयंती, तुला संक्रांति, आश्विन पूर्णिमा, करवा चौथ, वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी

मंगल की राशि में आएंगे प्रेम के कारक शुक्र, कैसे करेंगे आपके प्रेम जीवन को प्रभावित?

शुक्र का वृश्चिक राशि में गोचर: वैदिक ज्योतिष में शुक्र को एक प्रमुख ग्रह माना जाता है जो मनुष्य जीवन को प्रभावित करने का सामर्थ्य रखते हैं। व्यक्ति के जीवन में शुक्र प्रेम, शादी-विवाह सहित वैवाहिक जीवन को नियंत्रित करते हैं और इनकी शुभ स्थिति से ही किसी व्यक्ति का जीवन प्यार से गुलज़ार रहता है। इस प्रकार, जब-जब शुक्र ग्रह अपनी राशि, चाल या दशा में परिवर्तन करते हैं, तो इसका असर प्रत्येक व्यक्ति के साथ-साथ देश और दुनिया पर भी पड़ता है। अब शुक्र 13 अक्टूबर 2024 को वृश्चिक राशि में गोचर करने जा रहे हैं। एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग में आपको शुक्र गोचर से संबंधित सारी जानकारी प्राप्त होगी जैसे की तिथि, समय एवं प्रभाव आदि। 

यह भी पढ़ें: राशिफल 2025

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इसके अलावा, शुक्र का वृश्चिक राशि में गोचर होने से किन राशियों को मिलेंगे शुभ परिणाम और किन राशियों की बढ़ेंगी मुश्किलें? क्या प्रेम जीवन रहेगा प्यार से पूर्ण या फिर होगी तकरार आदि सवालों के जवाब भी आपको इस ब्लॉग में मिलेंगे। साथ ही, शुक्र गोचर के दौरान किन उपायों को करना होगा फलदायी? यह भी हम आपको बताएंगे। तो चलिए बिना रुके शुरुआत करते हैं इस लेख की और सबसे पहले जानते हैं शुक्र गोचर का समय। 

शुक्र का वृश्चिक राशि में गोचर: तिथि एवं समय 

प्रेम एवं भोग-विलासिता के कारक कहे जाने वाले शुक्र महाराज का गोचर सामान्य रूप से हर महीने होता है क्योंकि यह राशि चक्र की प्रत्येक राशि में सिर्फ 23 दिनों के लिए रहते हैं और इसके बाद दूसरी राशि में गोचर कर जाते हैं। अब शुक्र महाराज 13 अक्टूबर 2024 की सुबह 05 बजकर 49 मिनट पर वृश्चिक राशि में गोचर कर जाएंगे। बता दें कि शुक्र महाराज अपनी राशि तुला से निकलकर मंगल देव की राशि वृश्चिक में प्रवेश करेंगे। इस राशि में शुक्र देव 07 नवंबर तक रहेंगे और इसके बाद गुरु की राशि धनु में चले जाएंगे। ऐसे में, इस गोचर का प्रभाव जातकों के जीवन पर अलग-अलग तरह से दिखाई दे सकता है।   

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व 

वैदिक ज्योतिष में शुक्र को स्त्री ग्रह माना जाता है जो व्यक्ति को जीवन में सभी तरह की सुख-सुविधाएं, ऐशोआराम और प्रेम एवं रोमांस से पूर्ण जीवन प्रदान करते हैं। इन्हें एक शुभ और लाभदायक ग्रह का दर्जा प्राप्त है, तो वहीं हिंदू धर्म में शुक्र देव को असुरों के गुरु कहा जाता है। राशि चक्र की दो राशियों वृषभ और तुला राशि पर शुक्र महाराज को आधिपत्य प्राप्त हैं जबकि सभी 27 नक्षत्रों में यह भरणी, पूर्वाफाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों के स्वामी माने गए हैं। बात करें इनके मित्र ग्रहों की तो, न्याय के देवता शनि और बुद्धि के कारक ग्रह बुध के साथ शुक्र के मैत्रीपूर्ण संबंध है जबकि सूर्य और चंद्रमा को इनका शत्रु माना जाता है। 

अगर कोई ज्योतिषी किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रेम भाव का विश्लेषण करते हैं, तो उस समय शुक्र ग्रह की स्थिति को अवश्य देखा जाता है। इसका सबसे प्रमुख कारण है कि व्यक्ति की कुंडली में शुक्र महाराज के शुभ और बलवान होने पर व्यक्ति का जीवन प्रेम, आनंद और खुशियों से भरा रहता है। मज़बूत शुक्र वाले लोगों का जीवन प्रेम से पूर्ण होता है और इन्हें कभी भी प्यार की कमी का अहसास नहीं होता है। ऐसे जातक जिनकी कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति शुभ होती हैं, वह एक्टिंग, सिंगिंग, पेंटिंग, संगीत आदि क्षेत्रों में नाम कमाते हैं। 

इसके विपरीत कुंडली में शुक्र ग्रह के अशुभ या कमज़ोर होने पर जातकों का जीवन निर्धनता और आलस से भर जाता  है। पुरुषों में शुक्र की दुर्बल अवस्था कामुक शक्तियों को कमज़ोर करता है, तो महिलाओं में गर्भपात की वजह बनता है।

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वृश्चिक राशि में शुक्र की विशेषताएं

  • प्रेम, भोग-विलास, ऐश्वर्य एवं सुंदरता के ग्रह शुक्र राशि चक्र की आठवीं राशि वृश्चिक में प्रवेश करने जा रहे हैं जिसका संबंध इच्छा, वासना, अनिश्चितताओं और रहस्य से है।
  • वृश्चिक राशि जल तत्व की स्थिर राशि है और मंगल महाराज के स्वामी होने की वजह से यह राशि ऊर्जा से पूर्ण होती है। 
  • हालांकि, मंगल और शुक्र की इस स्थिति को ज्यादा अच्छी नहीं कहा जा सकता है, लेकिन फिर भी यह वृश्चिक राशि में शुक्र के तहत जन्म लेने वाले जातकों को विशेष रूप से प्रभावित करती है। 
  • इस स्थिति के अंतर्गत पैदा होने वाले लोग बेहद उत्साही और कार्यों को आगे बढ़कर करने वाले होते हैं। हालांकि, यह किसी भी तरह के मूर्खतापूर्ण कामों से दूर रहना पसंद करते हैं। 
  • इन जातकों का व्यक्तित्व हिम्मत और साहस से भरा होता है। साथ ही, मजबूत इच्छाशक्ति वाले व्यक्ति होते हैं। 

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कमज़ोर शुक्र के लक्षण

किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र ग्रह कमज़ोर होने पर कुछ इस तरह जीवन को प्रभावित करते हैं।

  • जिन जातकों की कुंडली में शुक्र महाराज कमजोर होते हैं, उन्हें जीवन में आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। साथ ही, पैसों की कमी की समस्या बनी रहती है। 
  • ज्योतिष की मानें, तो शुक्र ग्रह के दुर्बल होने पर घर में दरिद्रता का वास होने लगता है।
  • शुक्र की अशुभ स्थिति व्यक्ति के शादीशुदा जीवन में समस्याओं का कारण बनती है और परेशानियां बढ़ने लगती हैं। 
  •  जब किसी इंसान की कुंडली में शुक्र कमज़ोर होता है, उसे अपने जीवन के हर कार्य में असफलता प्राप्त होती है और तमाम मेहनत के बाद भी प्रगति के मार्ग में बाधाएं बनी रहती हैं। 

शुक्र ग्रह के कमज़ोर होने पर दिखाई देने वाले लक्षणों को जानने के बाद अब हम बात करेंगे कुंडली में मज़बूत शुक्र की। 

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मज़बूत शुक्र के लक्षण 

  • ऐसे जातक जिनकी कुंडली में शुक्र शुभ होते हैं, उनका व्यक्तित्व आकर्षक होता है। साथ ही, यह लोग बहुत सुंदर होते हैं। 
  • मज़बूत शुक्र वाले लोग अपने पहनावे का विशेष रूप से ध्यान रखते हैं। 
  • कुंडली में शुक्र महाराज के मज़बूत होने पर जातकों को महंगी और लक्ज़री वस्तुएं बहुत पसंद होती हैं। 
  • शुक्र देव के शुभ होने पर व्यक्ति एंटरटेनमेंट और मीडिया जगत में अपनी चमक बिखेर सकता है। इसके अलावा, इनका संबंध एविएशन इंडस्ट्री से भी हो सकता है यानी कि पायलट आदि बन सकते हैं। 
  • शुक्र ग्रह का शुभ प्रभाव होने से व्यक्ति का प्रेम और वैवाहिक जीवन अच्छा रहता है। साथ ही, पार्टनर से तालमेल शानदार होता है। 

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शुक्र ग्रह को मज़बूत करने के लिए जरूर करें ये उपाय

  • शुक्रवार के दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें और उन्हें पांच लाल रंग के फूल अर्पित करें।
  • प्रतिदिन शुक्र देव के मंत्र “ऊँ शुक्राय नम:” का 108 बार जाप करें।
  • संभव हो, तो शुक्रवार के दिन क्रीम या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करें।
  • कमज़ोर शुक्र की वजह से वैवाहिक जीवन में उत्पन्न समस्याओं को दूर करने के लिए अपने बैडरूम में रोज क्वार्ट्ज स्टोन रखें।
  • शुक्रवार को मंदिर में जाएं और महिला पुजारियों को सफेद मिठाई का दान करें।
  • शुक्र का आशीर्वाद पाने के लिए किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लेने के बाद अपने दाहिने हाथ की छोटी उंगली में ओपल या सोने की अंगूठी में हीरा पहनें।

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शुक्र का वृश्चिक राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि  वालों के लिए शुक्र आपके दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके…(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि वालों के लिए शुक्र महाराज आपके लग्न भाव और छठे भाव के स्वामी हैं। अब यह ……(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए शुक्र आपके बारहवें भाव और पांचवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके छठे… (विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि वालों के लिए शुक्र ग्रह आपके ग्यारहवें और चौथे भाव के स्वामी हैं जो अब आपके पांचवें भाव में गोचर… (विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि 

सिंह राशि वालों की कुंडली में शुक्र ग्रह को दसवें भाव और तीसरे भाव का स्वामित्व प्राप्त है। अब शुक्र वृश्चिक… (विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए शुक्र ग्रह आपके नौवें और दूसरे भाव के स्वामी हैं जो अब आपके तीसरे भाव …(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि 

तुला राशि के जातकों के लिए शुक्र महाराज आपके लग्न/पहले और आठवें भाव के स्वामी हैं जो कि 13 अक्टूबर…(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों की कुंडली में शुक्र ग्रह आपके सातवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह गोचर… (विस्तार से पढ़ें)

धनु राशि 

धनु राशि वालों के लिए शुक्र महाराज आपके छठे भाव और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके बारहवें… (विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि 

मकर राशि वालों की कुंडली में शुक्र ग्रह को दसवें और पांचवें भाव का स्वामित्व प्राप्त है। अब यह आपके… (विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि 

कुंभ राशि वालों के लिए शुक्र आपके नौवें भाव और चौथे भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके दसवें भाव में… (विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि 

मीन राशि वालों की कुंडली में शुक्र ग्रह को तीसरे और आठवें भाव का स्वामित्व प्राप्त है। अब यह आपके… (विस्तार से पढ़ें)

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. शुक्र ग्रह क्या फल देता है?

वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह भौतिक सुख, भोग-विलास, वैवाहिक सुख, शौहरत, कला, सुंदरता और रोमांस आदि के कारक ग्रह हैं।

2. शुक्र कमज़ोर होने पर क्या करें?

शुक्र ग्रह को मज़बूत करने के लिए सफ़ेद रंग की चीज़ों का दान करना फलदायी रहता है। 

3. वृश्चिक राशि के स्वामी कौन हैं?

राशि चक्र की आठवीं राशि वृश्चिक के स्वामी मंगल ग्रह हैं। 

दुर्गा विसर्जन के दौरान इन बातों का रखें विशेष ख्याल वरना निष्फल हो जाता है 9 दोनों का पूजा व्रत

शारदीय नवरात्रि 2024 के इस भव्य और 9 दिवसीय उत्सव की समाप्ति दुर्गा विसर्जन के साथ हो जाती है। मां दुर्गा की प्रतिमा को विजयदशमी या दशहरा के दिन विसर्जित किया जाता है। आषाढ़ मास में  मनाए जाने वाले इस त्यौहार को भारत में मुख्य रूप से पूर्वी राज्यों, पश्चिम बंगाल, असम, उड़ीसा और बिहार, महाराष्ट्र के कुछ भागों में बेहद ही ज़ोरों-शोरों से मनाए जाने की परंपरा है। 

आज के हमारे इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे कि वर्ष 2024 में दुर्गा विसर्जन किस दिन किया जाएगा, इसका शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है और इस दौरान आपको किन बातों के प्रति विशेष रूप से सावधानी बरतने की आवश्यकता रहेगी। तो चलिए आगे बढ़ने से पहले सबसे पहले जान लेते हैं 2024 में दुर्गा विसर्जन कब किया जाएगा।

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दुर्गा विसर्जन 2024 की तारीख और मुहूर्त 

2024 में दुर्गा विसर्जन 13 अक्टूबर 2024 रविवार के दिन किया जाएगा। बात करें इसके विसर्जन मुहूर्त की तो,

दुर्गा विसर्जन समय :06:20:57 से 08:39:23 तक

अवधि :2 घंटे 18 मिनट

हालांकि यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए मान्य है। अगर आप अपने शहर के अनुसार इस दिन का शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें

दुर्गा विसर्जन के दौरान इस बात का विशेष ख्याल रखना होता है कि, दुर्गा विसर्जन का मुहूर्त प्रात काल या अपराह्न काल में विजयदशमी तिथि लगने पर शुरू हो जाता है इसीलिए प्रातः काल या अपराह्न काल में जब विजयदशमी तिथि व्याप्त हो तब ही मां दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जित किया जाना चाहिए। हालांकि अगर श्रवण नक्षत्र और दशमी तिथि अपराह्न काल में एक साथ व्याप्त हो तो यह समय दुर्गा विसर्जन के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। 

देवी दुर्गा के ज्यादातर भक्त विसर्जन के बाद ही नवरात्रि व्रत की पारणा करते हैं अर्थात अपने 9 दिवसीय व्रत को खोलते हैं। दुर्गा विसर्जन के बाद विजयदशमी का त्यौहार मनाया जाता है। कहते हैं इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था और देवी दुर्गा ने इस दिन महिषासुर का वध किया था।

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दुर्गा पूजा के दौरान सिंदूर उत्सव का महत्व 

दुर्गा पूजा के दौरान सिंदूर उत्सव पश्चिम बंगाल में मनाए जाने वाली एक बेहद ही खूबसूरत और अनोखी परंपरा है। विजयादशमी के दिन दुर्गा विसर्जन से ठीक पहले सिंदूर खेला की रस्म निभाई जाती है। इस मौके पर विवाहित महिलाएं एक दूसरे पर सिंदूर उड़ाती हैं, उन्हें सिंदूर लगाती हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देती हैं। सिंदूर उत्सव को सिंदूर खेला भी कहते हैं।

दुर्गा विसर्जन 2024- उत्सव 

मान्यता के अनुसार इसी दिन माता दुर्गा अपने आध्यात्मिक निवास कैलाश पर्वत पर वापस लौट जाती हैं इसी के चलते मां दुर्गा के भक्तों के लिए यह दिन बेहद ही महत्वपूर्ण होता है। जैसा कि हमने पहले भी बताया कि बहुत से लोग इसी दिन नवरात्रि पारणा करते हैं। दुर्गा विसर्जन के दिन भक्त माता के माथे पर सिंदूर लगाकर उनकी पूजा करते हैं, आरती उतारते हैं। 

इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा को सजाकर विशाल जुलूस के साथ विसर्जन के लिए नदी तक ले जाया जाता है। इस जुलूस में हजारों की संख्या में श्रद्धालु नृत्य करते हैं, भक्त ढोल की धुन पर धुनुची नृत्य करते हैं। हाथ में धूप, कपूर और नारियल के भूसे से भरे मिट्टी के पात्र में धुआँ किया जाता है तथा ढकी की ताल पर आदमी और औरत पारंपरिक नृत्य करते हैं।

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दुर्गा पूजा क्यों मनाई जाती है? 

क्या है इसका इतिहास,महत्व और परंपरा

दुर्गा पूजा की उत्पत्ति का पता प्राचीन भारतीय ग्रन्थों  के माध्यम से लगाया जा सकता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर एक मायावी राक्षस था जिसे भगवान ब्रह्मा से वरदान मिला था कि उसे कोई भी देवता या मनुष्य पराजित नहीं कर सकेगा। इससे वह और शक्तिशाली हो गया और उसने स्वर्ग में देवताओं को कष्ट पहुंचाना शुरू कर दिया। तब मदद के लिए सभी देवता भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास पहुंचे जिन्होंने मिलकर देवी दुर्गा की उत्पत्ति की और उन्हें महिषासुर से युद्ध करने के लिए अपनी सर्वोच्च शक्तियां प्रदान की। 

महिषासुर और देवी दुर्गा के बीच भयंकर युद्ध हुआ। युद्ध में कई बार राक्षस ने खुद को भैसें के रूप में परिवर्तित कर लिया। देवी और राक्षस के बीच यह युद्ध तकरीबन 10 दिनों तक चलता रहा। इसके अंत में देवी दुर्गा ने भैंस का सिर काटकर और महिषासुर को हराकर जीत हासिल की। कुल मिलाकर कहा जाए तो दुर्गा पूजा का त्योहार 10 दिनों तक चलने वाला एक बेहद ही खूबसूरत त्यौहार है जो इस महाकाव्य युद्ध की याद दिलाता है जिसमें अंतिम दिन विजयदशमी के रूप में जाना जाता है। 

विजयदशमी का दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के जश्न के रूप में मनाया जाता है। साथ ही देवी दुर्गा की अपने बच्चों के साथ अपने माता-पिता के घर की यात्रा का जश्न भी मनाया जाता है। यह उत्सव महालय के साथ शुरू होता है जो देवी दुर्गा की पृथ्वी की यात्रा की शुरुआत का प्रतीक होता है। औपचारिक उत्सव छठे दिन अर्थात महाषष्ठी से शुरू होता है जिसमें पारंपरिक भाग ड्रम बजाने वाली धातुओं की जीवंत धुनि के बीच मां दुर्गा की मूर्ति का अनावरण किया जाता है। यह पूजा बंगाली परंपरा का एक प्रमुख हिस्सा है।

इस त्यौहार का अगला दिन महा सप्तमी के नाम से जाना जाता है जिसमें सुबह-सुबह केले के पेड़ को पानी में डुबोने की रसम से शुरुआत की जाती है। इस परंपरा के अनुसार केले के पेड़ को दुल्हन के रूप में तब्दील कर दिया जाता है, इसे लाल बॉर्डर वाली साड़ी पहनाई जाती है और भगवान गणेश के बगल में रखा जाता है। “कोला बौ” की व्याख्या कुछ लोगों द्वारा गणेश की दुल्हन के रूप में की जाती है जबकि अन्य लोगों के अनुसार इसे स्वयं देवी दुर्गा का प्रतिनिधित्व या देवी दुर्गा के रूप में देखा और जाना जाता है। 

महा अष्टमी आठवां दिन होता है। यह बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन महिषासुर पर दुर्गा मां की विजय का जश्न मनाया जाता है। इस दिन भक्तों द्वारा अंजलि के साथ प्रार्थना करने और उत्सव में खिचड़ी का आनंद लेने जैसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान शामिल होते हैं। 

इसके बाद अगला दिन महानवमी का होता है जिसकी शुरुआत संधी पूजा के बाद शुरू होती है और इसका समापन भव्य महा आरती के साथ होता है। इसमें भाग लेने के लिए भारी मात्रा में भीड़ उमड़ती है।

इस बेहद ही खूबसूरत और भव्य उत्सव का समापन दसवें दिन दशमी को होता है जिसमें माँ दुर्गा और अन्य देवताओं की मूर्तियों को गंगा नदी में विसर्जन कर दिया जाता है। इसी समारोह को दुर्गा विसर्जन कहते हैं। इस विसर्जन से पहले विवाहित महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाकर सिंदूर खेला में भाग लेती हैं। यह दिन जुलूस और खुशी के साथ विजय दशमी की शुभकामनाएं देते हुए समाप्त होता है।

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नवरात्रि के दौरान दुर्गा विसर्जन का क्या है महत्व? 

सनातन परंपरा में विसर्जन का विशेष महत्व माना जाता है। विसर्जन का अर्थ होता है पूर्णता जीवन की पूर्णता, आध्यात्मिक ज्ञान या प्रकृति। जब कोई इकाई पूर्णता प्राप्त कर लेती है तो उसका विसर्जन अनिवार्य हो जाता है। आध्यात्मिक क्षेत्र में विसर्जन अंत का नहीं बल्कि पूर्णता का प्रतीक माना गया है। मां दुर्गा के विसर्जन के पीछे यही एकमात्र कारण माना जाता है। 

शारदीय नवरात्रि शुरू होते ही हम देवी की प्रतिमाओं को बनाते हैं और उन्हें अपने घर लाते हैं, उन्हें खूबसूरत वस्त्रों और आभूषणों से सजाते हैं, 9 दिनों तक देवी की श्रद्धापूर्वक पूजा और भक्ति करते हैं और आखिरी दिन उनका विसर्जन कर दिया जाता है। विसर्जन की यह खूबसूरत परंपरा केवल सनातन धर्म में ही निभाई जाती है। 

इस परंपरा का मानना है कि रूप के केवल आरंभ है और समापन हमेशा निराकार होता है। यहां निराकार का अर्थ निराकार से नहीं बल्कि सर्वव्यापी रूप होने से होता है। नवरात्रि के यह 9 दिन इस बात का प्रतीक होते हैं कि हमें खुद को किसी एक रूप की पूजा तक सीमित नहीं रखना चाहिए। इसके बजाय हमें अपना आध्यात्मिक ध्यान पूरा करना चाहिए, अपने देवता का विसर्जन करना चाहिए ताकि वह निराकार्ता को प्राप्त कर सकें।

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विसर्जन की रस्म 

दुर्गा विसर्जन की रस्म कन्या पूजन के बाद प्रारंभ होती है। 

  • कन्या पूजन के बाद हथेली में एक फूल और कुछ चावल के दाने लेकर संकल्प लें। 
  • पात्र में रखे नारियल को प्रसाद के रूप में स्वयं लें और अपने परिवार के सदस्यों को भी खिलाएं। 
  • पात्र के पवित्र जल को पूरे घर में छिड़कें और फिर पूरे परिवार को उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण कराएं। 
  • सिक्के अपने कटोरे में रखें। आप इन्हें अपने तिजोरी में भी रख सकते हैं। 
  • परिवार में प्रसाद के रूप में सुपारी बाँट दें।
  • अब घर में माता की चौकी का आयोजन करें और मंदिर में सिंहासन को पुनः उनके स्थान पर रख दें। 
  • घर की महिलाएं साड़ी और आभूषण आदि का प्रयोग कर सकती हैं। 
  • घर के मंदिर में श्री गणेश की मूर्ति उनके स्थान पर रखें। 
  • सभी फल और मिठाइयां परिवार में प्रसाद के रूप में बांट दें। 
  • चावलों को चौकी और कंटेनर के ढक्कन पर इकट्ठा कर लें। इन्हें पक्षियों को खिला दें।
  • मां दुर्गा की मूर्ति या फोटो के सामने झुककर उनका आशीर्वाद लें। 
  • इसके अलावा उस पत्र का भी आशीर्वाद लें जिसमें अपने ज्वार और अन्य पूजन सामग्री बोई है।
  • फिर किसी नदी, झील या समुद्र में विसर्जन की रस्म अदा करें। 
  • विसर्जन के बाद एक नारियल, दक्षिणा और चौकी के कपड़े किसी ब्राह्मण को दे दें।

विसर्जन करते समय इन बातों का रखें विशेष ख्याल 

  • विसर्जन किसी नदी या तालाब में करना बहुत शुभ माना जाता है। 
  • पूरी आस्था के साथ मां की प्रतिमा पात्र या जवारे का विसर्जन करें। 
  • पूजा की सभी आवश्यक सामग्री को भी पवित्र जल में विसर्जित कर दें। 
  • विसर्जन के लिए जाते समय मां दुर्गा की मूर्ति का इस प्रकार ध्यान रखें जैसा आपने उन्हें लाते समय रखा था। 
  • विसर्जन से पहले मां दुर्गा की मूर्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचाना जाना चाहिए। 
  • मां दुर्गा के विसर्जन से पहले उनके लिए आरती अवश्य करें। 
  • आरती की दिव्य रोशनी को मां दुर्गा के आशीर्वाद और शुद्ध प्रसाद के रूप में प्राप्त करें। 
  • विसर्जन के बाद किसी ब्राह्मण को नारियल, दक्षिणा और चौकी के कपड़े का दान करना शुभ माना गया है।

दुर्गा विसर्जन के लिए ये मंत्र इस्तेमाल किए जा सकते हैं:

रूपं देहि यशो देहि भाग्यं भगवति देहि मे। पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान् कामांश्च देहि मे।। महिषघ्नि महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी। आयुरारोग्यमैश्वर्यं देहि देवि नमोस्तु ते।।

गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि। पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।। 

क्या ये जानते हैं आप: क्यों किया जाता है मां दुर्गा का विसर्जन? सनातन धर्म में बेटियों को लक्ष्मी का रूप माना जाता है। इसी तरह मां दुर्गा अपने बच्चों लक्ष्मी, सरस्वती, कार्तिकेय और गणेश के साथ पृथ्वी पर कुछ दिन व्यतीत के लिए अपने घर मायके आती हैं और फिर भगवान शिव के पास अपने ससुराल वापस चली जाती हैं। इसी क्षण को विसर्जन के रूप में मनाया जाता है जिसमें भक्ति परंपरा के अनुसार मूर्ति का विसर्जन कर देते हैं। विसर्जन से पहले मां दुर्गा का पूरा शृंगार किया जाता है और महिलाएं समृद्धि की निशानी के तौर पर एक दूसरे की मांग में सिंदूर लगाती हैं और चूड़ा पहनती हैं।

दुर्गा विसर्जन में इन बातों का रखें विशेष ख्याल अन्यथा व्यर्थ चली जाएगी 9 दिन की पूजा 

  • दुर्गा विसर्जन से पहले मां दुर्गा के समक्ष हवन अवश्य करें। 
  • देवी को पान के पत्ते से सिंदूर चढ़ाएं। इसके बाद विवाहित महिलाओं को भी सिंदूर लगाएँ। इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है। 
  • नवरात्रि के पहले दिन जो कलश की स्थापना की जाती है विसर्जन करने से पहले कलश के पानी को आम के पत्तों से पूरे घर में छिड़क दें इससे नकारात्मकता दूर होती है। 
  • अब 9 दिन की पूजा के दौरान देवी को जो कुछ भी सामग्री चढ़ाई गई है प्रतिमा के साथ उस सामग्री, कलश का जल, किसी नदी या तालाब में प्रवाहित कर दें। 
  • घट स्थापना के नारियल को भी विसर्जित करते हैं। 
  • नवरात्रि के पहले दिन बोये गए ज्वार मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ विसर्जित कर दिए जाते हैं। 
  • कुछ ज्वारों को धन के स्थान पर रखते हैं इससे बरकत बनी रहती है। 
  • ध्यान रखें की मां दुर्गा की प्रतिमा को पूरे सम्मान के साथ नदी में प्रवाहित करें अन्यथा 9 दिन की पूजा का फल निष्फल हो जाता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1: वर्ष 2024 में कब है दुर्गा विसर्जन? 

2024 में दुर्गा विसर्जन 13 अक्टूबर 2024 रविवार के दिन किया जाएगा।

2: दुर्गा विसर्जन में सिंदूर खेला का क्या महत्व होता है? 

विजयादशमी के दिन दुर्गा विसर्जन से ठीक पहले सिंदूर खेला की रस्म निभाई जाती है। इस मौके पर विवाहित महिलाएं एक दूसरे पर सिंदूर उड़ाती हैं, उन्हें सिंदूर लगाती हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देती हैं।

3: दुर्गा विसर्जन के दौरान किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?

दुर्गा विसर्जन के दौरान ध्यान रखें की मां दुर्गा की प्रतिमा को पूरे सम्मान के साथ नदी में प्रवाहित करें अन्यथा 9 दिन की पूजा का फल निष्फल हो जाता है।

अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल: 13 अक्टूबर से 19 अक्टूबर, 2024

कैसे जानें अपना मुख्य अंक (मूलांक)? 

अंक ज्योतिष साप्ताहिक भविष्यफल जानने के लिए अंक ज्योतिष मूलांक का बड़ा महत्व है। मूलांक जातक के जीवन का महत्वपूर्ण अंक माना गया है। आपका जन्म महीने की किसी भी तारीख़ को होता है, उसको इकाई के अंक में बदलने के बाद जो अंक प्राप्त होता है, वह आपका मूलांक कहलाता है। मूलांक 1 से 9 अंक के बीच कोई भी हो सकता है, उदाहरणस्वरूप- आपका जन्म किसी महीने की 10 तारीख़ को हुआ है तो आपका मूलांक 1+0 यानी 1 होगा। 

इसी प्रकार किसी भी महीने की 1 तारीख़ से लेकर 31 तारीख़ तक जन्मे लोगों के लिए 1 से 9 तक के मूलांकों की गणना की जाती है। इस प्रकार सभी जातक अपना मूलांक जानकर उसके आधार पर साप्ताहिक राशिफल जान सकते हैं।

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अपनी जन्मतिथि से जानें साप्ताहिक अंक राशिफल (13 अक्टूबर से 19 अक्टूबर, 2024)

अंक ज्योतिष का हमारे जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है क्योंकि सभी अंकों का हमारे जन्म की तारीख़ से संबंध होता है। नीचे दिए गए लेख में हमने बताया है कि हर व्यक्ति की जन्म तिथि के हिसाब से उसका एक मूलांक निर्धारित होता है और ये सभी अंक अलग-अलग ग्रहों द्वारा शासित होते हैं। 

जैसे कि मूलांक 1 पर सूर्य देव का आधिपत्य है। चंद्रमा मूलांक 2 का स्वामी है। अंक 3 को देव गुरु बृहस्पति का स्वामित्व प्राप्त है, राहु अंक 4 का राजा है। अंक 5 बुध ग्रह के अधीन है। 6 अंक के राजा शुक्र देव हैं और 7 का अंक केतु ग्रह का है। शनिदेव को अंक 8 का स्वामी माना गया है। अंक 9 मंगल देव का अंक है और इन्हीं ग्रहों के परिवर्तन से जातक के जीवन में अनेक तरह के परिवर्तन होते हैं।

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मूलांक 1

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 1, 10, 19, 28 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 1 के तहत जन्म लेने वाले जातकों में प्रशासनिक क्षमता के गुण मौजूद होते हैं और अपने इन गुणों की वजह से यह शीर्ष पर पहुँचने में सक्षम होते हैं। यह लोग ज्यादातर काम में डूबे रहते हैं और इनका सारा ध्यान काम पर केंद्रित होता है।  

प्रेम जीवन: इस मूलांक के जातक पार्टनर के साथ अपने रिश्ते में वफादार रहेंगे और ऐसे में, आप रिलेशनशिप में मधुरता बनाए रखने में सक्षम होंगे। 

शिक्षा: शिक्षा की बात करें, तो मैनेजमेंट, फाइनेंशियल  अकाउंटिंग जैसे विषय आपके लिए फलदायी रहेंगे। ऐसे में, आप मन लगाकर पढ़ाई कर सकेंगे और अच्छे अंक हासिल करने में सफल रहेंगे। 

पेशेवर जीवन:  पेशेवर जीवन को देखें, तो मूलांक 1 के नौकरीपेशा जातक इस सप्ताह कार्यक्षेत्र में सफलता की कहानियां लिखते हुए दिखाई देंगे। साथ ही, अन्य लाभ भी प्राप्त करेंगे। अगर आपका खुद का व्यापार है, तो आप प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ेंगे और इसके परिणामस्वरूप, आप अच्छा ख़ासा लाभ कमा सकेंगे। इस दौरान आप प्रतिद्वंदियों को टक्कर देने में सक्षम होंगे। 

स्वास्थ्य: स्वास्थ्य की दृष्टि से, यह सप्ताह आपके लिए सामान्य रहेगा। हालांकि, इस अवधि में आपको किसी बड़ी स्वास्थ्य समस्या परेशान नहीं करेगी, परंतु सिरदर्द और त्वचा में जलन आदि की आपको शिकायत रह सकती है।

उपाय: रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा करें।   

मूलांक 2

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 2, 11, 20, 29 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 2 के अंतर्गत पैदा होने वाले जातक अक्सर परिवार के सदस्यों और करीबियों के साथ बहस में पड़कर अपने लिए समस्याओं को बढ़ाने का काम करते हैं।

प्रेम जीवन: प्रेम जीवन की बात करें, तो मूलांक 2 वाले रिश्ते में जीवनसाथी के साथ आपसी तालमेल बनाए रखेंगे और ऐसे में, आप दोनों के बीच ख़ुशियाँ बनी रहेंगी।

शिक्षा: इस हफ़्ते जिन जातकों का संबंध केमिकल इंजीनियरिंग, मरीन इंजीनियरिंग आदि विषयों से है, तो आप इन सब्जेक्ट्स में उत्कृष्टता हासिल करने में सफल रहेंगे।  

पेशेवर जीवन: अगर आप नौकरी करते हैं, तो आपको बहुत सावधानी से काम की योजना बनाकर चलना होगा क्योंकि कार्यक्षेत्र में आपका मकसद मान-सम्मान प्राप्त करना होगा। दूसरी तरफ, इस मूलांक के व्यापार करने वाले जातक बिज़नेस के क्षेत्र में काफ़ी प्रसिद्धि हासिल करेंगे।

स्वास्थ्य: स्वास्थ्य के लिहाज़ से, इस सप्ताह मूलांक 2 वालों को कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्या परेशान नहीं करेगी, लेकिन आपको सर्दी-जुकाम हो सकता है। 

उपाय: प्रतिदिन “ॐ शिव ॐ शिव ॐ” का 11 बार जाप करें। 

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मूलांक 3

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 3, 12, 21, 30 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 3 के जातक सामान्य रूप से खुले विचारों वाले होते हैं और इन लोगों का झुकाव अध्यात्म के प्रति होता है। ऐसे में, यह परिस्थितियों में होने वाले किसी भी तरह के बदलाव को आसानी से स्वीकार कर लेते हैं। 

प्रेम जीवन: प्रेम जीवन में आपके और पार्टनर के बीच से आपसी तालमेल और सहयोग दोनों नदारद रह सकता है जिसकी वजह रिश्ते में पैदा होने वाली अहंकार से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। 

शिक्षा: इस सप्ताह तनाव की वजह से आपका मन पढ़ाई से भटक सकता है। ऐसे में, आपको शिक्षा में टॉप पर पहुँचने के लिए अच्छे से योजना बनाकर चलना होगा। साथ ही, पढ़ाई को लेकर आपको सावधानी बरतनी होगी। 

पेशेवर जीवन: मूलांक 3 वालों पर कार्यक्षेत्र में काम का दबाव बढ़ सकता है और इस वजह से आप करियर में बुलंदियां हासिल करने से चूक सकते हैं। वहीं, व्यापार में आपको हानि का सामना करना पड़ सकता है जिसकी वजह आपकी पुरानी नीतियां हो सकती हैं। 

स्वास्थ्य: स्वास्थ्य की बात करें, तो इन मूलांक वालों को असमय भोजन करने के कारण पेट संबंधित समस्याएं घेर सकती हैं। 

उपाय: गुरुवार के दिन गुरु ग्रह के लिए यज्ञ/हवन करें।

मूलांक 4

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 4, 13, 22, 31 तारीख़ को हुआ है)

जिन जातकों का मूलांक 4 होता है, उनका स्वभाव दूसरों से बेहद अलग होता है। ऐसे लोग साहस से भरे होते हैं और इसकी झलक उनके फैसलों में भी दिखाई देगी जिसकी सराहना दूसरों के द्वारा की जाएगी।

प्रेम जीवन: प्रेम जीवन को देखें, तो आशंका है कि इस सप्ताह मूलांक 4 के जातक साथी के प्रति वफादार नहीं रहेंगे क्योंकि आप पार्टनर से कुछ सीक्रेट छुपा सकते हैं जिसका असर रिश्ते में आपकी खुशियों पर पड़ सकता है। इन परिस्थितियों से आपको बचना होगा। 

शिक्षा: शिक्षा की बात करें, तो मूलांक 4 के जो छात्र कंप्यूटर एप्लीकेशन, मरीन इंजीनियरिंग और सॉफ्टवेयर टेस्टिंग जैसे विषयों की पढ़ाई कर रहे हैं, उनका प्रदर्शन इनमें अच्छा रहेगा। 

पेशेवर जीवन: अगर आप नौकरी करते हैं, तो आपको ऑनसाइट नौकरी के अवसर मिल सकते हैं जिसके लिए आपको लंबी दूरी की यात्रा करनी पड़ सकती है। इस तरह के मौके आपको नौकरी में संतुष्टि देने का काम कर सकते हैं। 

اस्वास्थ्य: मूलांक 4 वालों की फिटनेस इस हफ़्ते अच्छी बनी रहेगी और इसकी वजह आपके भीतर का उत्साह और ऊर्जा होगी। इन जातकों की दृढ़ता आपको स्वस्थ रखने में सहायता करेगी। 

उपाय: मंगलवार के दिन देवी दुर्गा के लिए यज्ञ/हवन करें।

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मूलांक 5

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 5, 14, 23 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 5 के जातक इस सप्ताह अपनी क्षमताओं और योग्यताओं को बढ़ाने का काम करेंगे। साथ ही, आप इनका प्रदर्शन करने में भी सक्षम होंगे। सामान्य रूप से, यह जातक बहुत बुद्धिमान होते हैं और इनका झुकाव व्यापार के क्षेत्र में होता है। 

प्रेम जीवन: प्रेम जीवन में मूलांक 5 वाले जीवनसाथी के साथ यात्राएं करते हुए दिखाई देंगे और ऐसे में, आप उन पर प्यार की बरसात करेंगे। आपके सकारात्मक व्यवहार की वजह से पार्टनर के साथ आपका रिश्ता परिपक्व और मज़बूत बनेगा। 

शिक्षा: शिक्षा के  क्षेत्र में इस मूलांक के छात्र मैनेजमेंट अकाउंटिंग, बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन जैसे विषयों में विशेषज्ञता हासिल करेंगे और इनमें आपका प्रदर्शन अच्छा रहेगा। शिक्षा के संबंध में अच्छे अंक के साथ-साथ अपने लक्ष्य को पाना आपकी अच्छी क्षमताओं की तरफ इशारा करता है।

पेशेवर जीवन: मूलांक 5 वाले अपनी नौकरी में बेहतरीन प्रदर्शन करने में सक्षम होंगे। ऐसे में, आपको अपनी पसंद के अनुसार नौकरी के नए अवसर मिलेंगे जो आपके लिए फलदायी साबित होंगे। 

स्वास्थ्य: स्वास्थ्य की बात करें, तो इन जातकों को इस सप्ताह तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं परेशान कर सकती हैं। हालांकि, यह बीमारियां बड़ी नहीं होंगी, लेकिन बता दें कि इन रोगों की वजह तनाव का बढ़ता स्तर हो सकता है जिससे आपको बचना होगा।

उपाय: प्रतिदिन ललिता सहस्रनाम का पाठ करें। 

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मूलांक 6

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 6, 15, 24 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 6 के तहत जन्मे जातकों को यह सप्ताह सकारात्मक परिणाम देने का काम करेगा जिनसे आप संतुष्ट दिखाई देंगे। साथ ही, आप नई-नई चीज़ें सीखेंगे और इनका इस्तेमाल आप एक सही तरीके से कर सकेंगे। 

प्रेम जीवन: प्रेम जीवन में इस सप्ताह रिश्ते में पार्टनर के साथ प्रेम बना रहेगा और इसके फलस्वरूप, आप दोनों का रिलेशनशिप रोमांस से भरा रहेगा। ऐसे में, आप साथी से दिल खोलकर बातें करते हुए नज़र आएंगे। 

शिक्षा: मूलांक 6 के छात्रों के मन में विजुअल कम्युनिकेशन, कास्टिंग जैसे विषयों के प्रति रुचि पैदा हो सकती है। यह छात्र शिक्षा के संबंध में लक्ष्यों को निर्धारित करने के साथ-साथ अच्छे अंक प्राप्त करने में सक्षम होंगे। साथ ही, आप खुद के लिए उच्च मूल्य स्थापित कर सकेंगे। 

पेशेवर जीवन: पेशेवर जीवन को देखें, तो इस अवधि में नौकरी करने वाले जातकों को पदोन्नति मिलने और अन्य तरीकों से लाभ प्राप्त होने की संभावना है। ऐसे में, आप नौकरी से संतुष्ट दिखाई देंगे। जिन लोगों का अपना व्यापार है, वह प्रतिद्वंदियों को टक्कर दे सकेंगे और उनके  सामने एक अच्छा उदाहरण बनकर उभरेंगे। 

स्वास्थ्य: स्वास्थ्य की बात करें, तो मूलांक 6 के जातक इस सप्ताह ख़ुश दिखाई देंगे और इस वजह से आपकी फिटनेस भी अच्छी बनी रहेगी। ऐसे में, आप इसे आगे भी बरकरार रखेंगे। 

उपाय: शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह के लिए यज्ञ/हवन करें। 

मूलांक 7 

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 7, 16, 25 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 7 के तहत जन्म लेने वाले जातकों में इस सप्ताह आकर्षण की कमी रह सकती है और साथ ही, आप असुरक्षित महसूस कर सकते हैं। ऐसे में, यह लोग अपने भविष्य को लेकर खुद से सवाल-जवाब करते हुए दिखाई दे सकते हैं। इन सब परिस्थितियों की वजह से आपको जीवन में स्थिरता पाने में समस्याओं से दो-चार होना पड़ सकता है। 

प्रेम जीवन: मूलांक 7 वाले प्रेम जीवन में इस सप्ताह अपने पार्टनर के साथ रिश्तों का आनंद लेने में नाकाम रह सकते हैं जिसकी वजह घर-परिवार में चल रही समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में, इन सबका असर आपके रिश्ते में खुशियों पर पड़ सकता है। 

शिक्षा: शिक्षा की बात करें, तो मूलांक 7 के छात्रों को इस सप्ताह एकाग्रचित होकर पढ़ाई करने और अच्छे अंक प्राप्त करने में समस्याओं का अनुभव हो सकता है। साथ ही, आपकी याददाश्त औसत रह सकती है जिसका असर इस सप्ताह परीक्षा में आपके अंकों पर पड़ सकता है।

पेशेवर जीवन: करियर के क्षेत्र में यह जातक कुछ नई-नई चीज़ें सीखने में सक्षम होंगे। इसके परिणामस्वरूप, आपको वरिष्ठों से सराहना मिलने के योग बनेंगे। अगर आप व्यापार करते हैं, तो आपको धन हानि उठानी पड़ सकती है। 

स्वास्थ्य: स्वास्थ्य के लिहाज़ से, इन जातकों को इस सप्ताह किसी एलर्जी की वजह से त्वचा में जलन की समस्या रह सकती है। साथ ही, आपको पाचन से संबंधित समस्याएं भी परेशान कर सकती हैं। ऐसे में, आपको स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के लिए भोजन को समय पर करने की सलाह दी जाती है। 

उपाय: प्रतिदिन “ॐ केतवे नमः” का 41 बार जाप करें।  

मूलांक 8 

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 8, 17, 26 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 8 के जातक इस सप्ताह अपना धैर्य खो सकते हैं और इस वजह से आप सफलता पाने में पीछे रह सकते हैं। साथ ही, इस बात की प्रबल संभावना है कि किसी यात्रा के दौरान आपसे कोई कीमती वस्तु गुम हो सकती है जो कि आपके लिए परेशानी का सबब बन सकती है। 

प्रेम जीवन: मूलांक 8 वाले इस सप्ताह घर-परिवार में चल रहे संपत्ति से जुड़े विवाद की वजह से तनाव में नज़र आ सकते हैं जिसका असर आपके रिश्ते पर पड़ सकता है।

शिक्षा: शिक्षा की बात करें, तो इन छात्रों के लिए यह सप्ताह शिक्षा में गिरावट लेकर आ सकता है और इसके फलस्वरूप, आपको शिक्षा में कड़ी मेहनत करने के बाद भी सफलता पाने के लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ सकता है।  

पेशेवर जीवन: मूलांक 8 के नौकरीपेशा जातकों को इस सप्ताह काम में की गई मेहनत के बावजूद भी सराहना न मिलने की आशंका है और यह बात आपको परेशान कर सकती है। जिन लोगों का संबंध व्यापार से है, तो उनके लिए सही से बिज़नेस को चलाने के साथ-साथ अच्छा मुनाफा कमाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। 

स्वास्थ्य: स्वास्थ्य की दृष्टि से, यह सप्ताह आपके लिए थोड़ा कठिन रह सकता है क्योंकि आपके पैरों और जोड़ों में दर्द रह सकता है। इसकी वजह आप पर तनाव का हावी होना सकता है। 

उपाय: प्रतिदिन “ॐ हनुमते नमः” का 11 बार जाप करें।

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मूलांक 9 

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 9, 18, 27 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 9 के जातकों के लिए स्थिति अनुकूल होगी और इसके फलस्वरूप, यह हालातों को अपने पक्ष में करने में सक्षम होंगे। हालांकि, इस सप्ताह एक अलग ही आकर्षण के साथ आप आगे बढ़ेंगे और आपका व्यक्तित्व सर्वगुण संपन्न होता है। इन गुणों का उपयोग आप अपने जीवन में करते हुए नज़र आते हैं। 

प्रेम जीवन: प्रेम जीवन को देखें, तो मूलांक 9 वाले अपने रिश्ते में पार्टनर के साथ सिद्धांतों पर चलना पसंद करेंगे। ऐसे में, आप रिलेशनशिप में उच्च मूल्य बनाकर रखें। इसके परिणामस्वरूप, आपके और जीवनसाथी के बीच आपसी समझ मज़बूत होगी तथा आप दोनों एक नई प्रेम कहानी लिखेंगे।

शिक्षा: मूलांक 9 के छात्र जिनका संबंध मैनेजमेंट, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग जैसे विषयों  से है, वह इस सप्ताह अच्छा प्रदर्शन करने के लिए दृढ़ रहेंगे।

पेशेवर जीवन: पेशेवर जीवन की बात करें, तो कार्यस्थल में आपका प्रदर्शन शानदार रहेगा और आप सराहना प्राप्त करने में सक्षम होंगे। हालांकि, यह प्रशंसा आपके पास प्रमोशन के रूप में आ सकती है। जिन जातकों का अपना व्यापार है, वह अच्छा मुनाफा कमाने के साथ-साथ प्रतिद्वंदियों की नज़रों में मान-सम्मान प्राप्त कर सकेंगे।

स्वास्थ्य: स्वास्थ्य को देखें, तो मूलांक 9 वालों की सेहत अच्छी बनी रहेगी जिसकी वजह आपके भीतर का उत्साह होगा। हालांकि, इन लोगों को इस सप्ताह कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्या परेशान नहीं करेगी। 

उपाय: प्रतिदिन “ॐ भूमि पुत्राय नमः” का 27 बार जाप करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. कैसे देखा जाता है अंक ज्योतिष?

अंक ज्योतिष में अनेक प्रकार के अंकों जैसे कि जन्म तिथि संख्या, कर्म चक्र संख्या, जीवन पथ संख्या, सूर्य संख्या आदि का गहनता से विश्लेषण किया जाता है।

2. मूलांक 7 के स्वामी कौन हैं?

मूलांक 7 के स्वामी ग्रह केतु देव हैं।

3. अंक 7 सबसे भाग्यशाली क्यों है?

अंक 7 को शुभ अंक कहते हैं क्योंकि यह आध्यात्मिकता और धार्मिकता का प्रतिनिधित्व करता है।