शुभ योग में रखा जाएगा पापमोचनी एकादशी का व्रत, इन उपायों से मिलेगी दोगुना फल

एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको पापमोचनी एकादशी 2024 के बारे में बताएंगे और साथ ही इस बारे में भी चर्चा करेंगे कि इस दिन व्यक्ति को किस प्रकार के उपाय करने चाहिए ताकि आप इन उपायों को अपनाकर सभी पापों से मुक्ति पा सके। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि विस्तार से पापमोचनी एकादशी व्रत के बारे में।

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सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं। इसी क्रम में चैत्र मास के कृष्णपक्ष में पड़ने वाली तिथि को पापमोचनी एकादशी कहते हैं। इस सभी एकादशियों में इसे सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। पापमोचनी एकादशी का अर्थ है पाप को नष्ट करने वाली एकादशी। इस दिन भगवान विष्णु की पूरी विधि-विधान से पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति घोर पापों के दोष से मुक्ति पा लेता है। पापमोचनी एकादशी व्रत को करने से भक्त तन और मन से शुद्ध हो जाता है। इस व्रत के दौरान कोई भी गलत कार्य करने से बचना चाहिए, इससे जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं। 

ख़ास बात यह है कि इस बार पापमोचनी एकादशी के दिन बेहद शुभ योग का निर्माण हो रहा है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते है पापमोचनी एकादशी व्रत के महत्व और इसके नियम के बारे में।

पापमोचनी एकादशी 2024: तिथि व समय

पापमोचनी एकादशी का व्रत शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024 को रखा जाएगा।

एकादशी तिथि प्रारम्भ : 04 अप्रैल 2024 की शाम 04 बजकर 17 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्त : 05 अप्रैल, 2024 की दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक

पापमोचनी एकादशी पारण मुहूर्त : 06 अप्रैल 2024 की सुबह 06 बजकर 05 मिनट से 08 बजकर 36 मिनट तक। 

अवधि : 2 घंटे 31 मिनट

पापमोचनी एकादशी पर शुभ योग

पापमोचनी एकादशी के दिन बेहद शुभ योग साध्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में विधि-विधान से पूजा करना बहुत अधिक शुभ माना जाता है। यदि आपको किसी से विद्या या कोई विधि सीखनी हो तो यह योग उसके लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस योग में कार्य सीखने या करने में खूब मन लगता है और व्यक्ति को खूब सफलता मिलती है। किसी भी प्रकार का महान या कोई अन्य कार्य करना इस योग में शुभ फलदायी होता है।

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पापमोचनी एकादशी का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, मनुष्य जाने-अनजाने में कुछ ऐसे गलत कार्य या पाप कर बैठता है, जिसके कारण उसे इस जीवन में व अगले जीवन में उसका दंड भोगना पड़ता है। ऐसे में, इन समस्त पापों से बचने के लिए पापमोचनी एकादशी का व्रत बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। पुराणों में इस बात का जिक्र करते हुए बताया गया है की एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं और व्यक्ति को सहस्त्र गोदान यानी एक हजार गोदान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। जिस तरह भगवान श्री राम पर रावण का वध करने के बाद ब्रह्म हत्या का दोष लग गया था और उन्होंने इस दोष की मुक्ति के लिए कपाल मोचन तीर्थ में स्नान और तप किया था। ठीक उसी प्रकार पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति सभी प्रकार के पापों से मुक्ति पा लेता है।

पापमोचनी एकादशी पूजा विधि

पापमोचनी एकादशी के दिन विधि-विधान से पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है। इसकी पूजी विधि इस प्रकार है:

  • पापमोचनी एकादशी के दिन सूर्योदय में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। फिर पूजा आरंभ करें।
  • फिर भगवान विष्णु को जल, पीला फूल, माला, पीला चंदन, अक्षत आदि चढ़ाएं। 
  • इसके बाद केला सहित अन्य भोग लगाएं और भोग में तुलसी जरूर चढ़ाएं क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अति प्रिय है। 
  • इसके बाद घी का दीपक और धूप जला लें। फिर मंत्र के साथ एकादशी व्रत कथा पढ़ लें। कथा जरूर पढ़ें क्योंकि कथा के बिना व्रत अधूरा माना जाता है। 
  • व्रत के अगले दिन यानी द्वादशी के दिन पुन: पूजा करने के साथ ब्राह्मणों को दान देने के बाद पारण मुहूर्त पर व्रत तोड़े।

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पापमोचनी एकादशी व्रत नियम

पापों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए साधक को पापमोचनी एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखना चाहिए। यदि व्यक्ति किसी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है तो वह पापमोचनी एकादशी का व्रत फलाहारी या जलीय रख सकता है। निर्जला उपवास रखने से पहले दशमी तिथि के दिन बिना प्याज-लहसुन वाला भोजन ग्रहण करना चाहिए और एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की उपासना विधि-विधान से करनी चाहिए। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि पापमोचनी एकादशी के दिन सोना नहीं चाहिए और पूरी रात जागरण कर भगवान विष्णु की उपासना करनी चाहिए। ऐसा करने से पिछले कई जन्मों के पापों से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है।

पापमोचनी एकादशी के दिन इन बातों का रखें ध्यान

  • एकादशी व्रत के दिन अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए। 
  • इस दिन फलाहार भोजन ही करना चाहिए जैसे- फल, दूध, सूखे मेवे आदि। 
  • इस दिन तामसिक भोजन और नशा करने वाले पदार्थों से दूर रहना चाहिए।
  • इस दौरान क्रोध, ईर्ष्या और नकारात्मक विचारों से खुद को दूर रखें और सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें। 
  • इस दिन पूरी रात भजन-कीर्तन और ध्यान का अभ्यास करने से आत्मिक शांति मिलती है। इसके अलावा, असहायों की सहायता करें और दान-पुण्य के कार्य करें।

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पापमोचनी एकादशी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार,  प्राचीन काल में चैत्ररथ नामक एक बहुत सुंदर जंगल था जिसमें च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी ऋषि तपस्या करते थे। इसी वन में देवराज इंद्र गंधर्व कन्याओं, अप्सराओं और देवताओं के साथ विचरण करते थे। मेधावी ऋषि शिव भक्त का तो वहीं अप्सराएं शिवद्रोही कामदेव का अनुसरण करती थीं। एक बार कामदेव ने मेधावी ऋषि की तपस्या भंग करने की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने मंजू घोषा नाम की अप्सरा को उनकी तपस्या भंग करने के लिए भेजा। मंजू ने अपने नृत्य, गान और सौंदर्य से मेधावी मुनि का ध्यान भंग कर दिया। वहीं मुनि मेधावी भी मंजू घोषा पर पूरी तरह मोहित हो गए। इसके बाद दोनों ने एक साथ कई वर्ष गुजार दिए। एक दिन जब मंजू घोषा ने वापस जाने के लिए अनुमति मांगी तो मेधावी ऋषि को अपनी भूल और तपस्या भंग होने का आत्मज्ञान हुआ और उन्होंने उसी वक्त क्रोधित होकर मंजू घोषा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया। इसके बाद अप्सरा ने ऋषि से अपने द्वारा किए गए गलत कार्य के लिए माफी मांगी और श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा। 

मंजू घोषा के बार- बार विनती करने पर मेधावी ऋषि ने उसे पापमोचनी एकादशी का व्रत करने को कहा और इस एकादशी के लाभ के बारे में उसे बताया। कहा कि इस व्रत को करने से तुम्हारे पापों का नाश हो जाएगा और तुम पूरी तरह पाप मुक्त हो जाओगी। मेधावी ऋषि ने कहा कि ये व्रत ही तुम्हारे पूर्व रूप को प्राप्त कराएगा। अप्सरा को मुक्ति का मार्ग बताकर मेधावी ऋषि अपने पिता महर्षि च्यवन के पास पहुंचे। श्राप की बात सुनकर च्यवन ऋषि ने कहा, पुत्र यह तुमने अच्छा नहीं किया, ऐसा कर तुमने भी पाप कमाया है इसलिए तुम भी पापमोचनी एकादशी का व्रत करो। ताकि तुम भी अपने द्वारा जाने अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति पा सको। इस प्रकार पापमोचनी एकादशी का व्रत करके अप्सरा मंजू घोषा ने श्राप से और मेधावी ऋषि ने पाप से मुक्ति पा ली। इसके बाद से इस व्रत का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया।

पापमोचनी एकादशी के दिन करें ये ख़ास उपाय

पापमोचनी एकादशी के दिन कुछ ख़ास उपाय है जो हर किसी को जरूर अपनाने चाहिए। ऐसा करने से आप कई समस्याओं से निजात पा सकते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में:

आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए

एकादशी के दिन शाम के समय भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीपक जलाएं। साथ ही, भगवान को बेसन के लड्डू तुलसी डालकर भोग लगाएं और भोग लगाने के कुछ देर बाद उन लड्डूओं को प्रसाद के रूप बांटे। ऐसा करने से आपको कभी भी आर्थिक तंगी से नहीं गुजरना पड़ेगा और न ही धन को लेकर कोई समस्या आएगी।

फंसा पैसा निकलवाने के लिए

पापमोचनी एकादशी के दिन एक गोमती चक्र लेकर उसे घर के आसपास किसी खाली जगह पर एक गड्ढे में खोदकर डाल दें। इस दौरान भगवान विष्णु का मान जपते रहें और प्रार्थना करें की आपका फंसा पैसा जल्द ही आ जाए।

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जीवनसाथी की लंबी उम्र के लिए

अपने पार्टनर की लंबी उम्र के लिए और अच्छे स्वास्थ्य के लिए एकादशी के दिन 5 सुहागिन महिलाओं को घर पर बुलाकर दूध की बनी खीर खिलाएं। ऐसा करने से आपके जीवनसाथी की सारी समस्या दूर हो जाएगी।

बच्चों की तरक्की के लिए

पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करते समय अपने बच्चों को साथ बैठाएं और इस दिन से रोजाना 12 दिनों तक चंदन घिसकर उनके मस्तक पर लगाएं। ऐसा करने से आपके बच्चों का ध्यान पढ़ाई पर लगेगा भविष्य में आपके बच्चे की तरक्की सुनिश्चित होगी।

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए

यदि आप अपने वैवाहिक जीवन को सुखद बनाना चाहते हैं और रिश्ते में बेहतर तालमेल स्थापित करना चाहते हैं तो एकादशी के दिन एक लोटे में जल डालकर, उसमें थोड़ी-सी पिसी हुई हल्दी मिलाएं और उसमें एक सिक्का डाल कर अपने ऊपर से सात बार वारकर बहते पानी में बहा दें। 

नए कार्य की शुरुआत के लिए

यदि आप किसी नए काम की शुरुआत करने जा रहे हैं, तो उसे शुरू करने से पहले गाय को गेहूं के आटे से बनी रोटी पर गुड़ रखकर खिलाएं। पापमोचनी एकादशी के दिन ऐसा करने से आपके काम की शुरुआत अच्छी होगी और साथ ही आने वाले समय में उसकी तरक्की भी सुनिश्चित होगी।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए

अपने और अपने परिवार के अच्छे स्वास्थ्य और सुखी जीवन के लिए पापमोचनी एकादशी के दिन शाम के समय तुलसी के पौधे के नीचे गाय के घी का दीपक जलाएं और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए तुलसी के पौधे की सात या 21 बार परिक्रमा करें।

अलग पहचान बनाने के लिए

दूसरों की भीड़ में अपनी एक अलग पहचान कायम करने के लिए और समाज में अपना मान-सम्मान बढ़ाने के लिए पापमोचनी एकादशी के दिन मंदिर में जाकर श्री विष्णु को अच्छी खुशबू वाला इत्र अर्पित करें। अर्पित करने के बाद भगवान के चरण स्पर्श करके उसी इत्र में से थोड़ा-सा इत्र खुद भी लगा लें।

नकारात्मक विचारों को दूर करने के लिए

यदि आप नकारात्मक विचारों को दूर करना चाहते हैं और सकारात्मक विचारों से घिरा रहना चाहते हैं तो पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान नारायण को केसर मिले दूध का भोग लगाएं और शाम के समय मंदिर में घी का दीपक जलाकर श्री विष्णु की आरती करें।

कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए

पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के समय एक हल्दी की गांठ पूजा स्थल पर रख लें और अगले दिन जब भी अपने काम के लिए घर से निकले तो उस हल्दी की गांठ को पीले कपड़े में लपेटकर अपने पास रख लें। ऐसा करने से आपको हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी।

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बुध का मीन राशि में गोचर: जानें राशियों सहित देश दुनिया पर बुध के गोचर का प्रभाव

बुध का मीन राशि में गोचर : एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको बुध का मीन राशि में गोचर के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेंगे। बता दें कि बुध वक्री अवस्था में 09 अप्रैल, 2024 को बृहस्पति ग्रह द्वारा शासित राशि मीन में गोचर होने जा रहे हैं। बुद्धि, एकाग्रता, वाणी, त्वचा के कारक ग्रह बुध के गोचर का आपके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव डालेगा। तो आइए जानते हैं बुध का गोचर किस राशि के जातकों के लिए शुभ व किस राशि के जातकों के लिए अशुभ साबित होने वाला है। साथ ही, जानेंगे देश दुनिया व शेयर बाजार में इसका प्रभाव।

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बुध सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह और सूर्य के सबसे निकट का ग्रह है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, बुध बुद्धि, संचार और तर्क के ग्रह हैं। किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध की स्थिति यह तय करती है कि कोई व्यक्ति कितना बुद्धिमान होगा और वह कितनी बुद्धिमानी से संवाद करने में सक्षम होगा।

मीन राशि में बुध: विशेषताएं

मीन एक दोहरी जल तत्व की राशि है, जिसके स्वामी बृहस्पति हैं। बुध और बृहस्पति को एक दूसरे के प्रति तटस्थ माना जाता है। दूसरी ओर एक दूसरे के प्रति शत्रु का भाव भी रखते हैं। जबकि बुध मीन राशि में नीच के होते हैं, यह स्थिति फिर भी अनुकूल मानी जाती है क्योंकि इसमें शामिल ग्रह स्वभाव से लाभकारी हैं। मीन राशि में बुध होने पर जातक की कल्पनाशक्ति बहुत रचनात्मक होती है। ये लोग अत्यधिक संवेदनशील होते हैं इसलिए इन्हें जल्दी बुरा भी लग जाता है। ये लोग किसी पर भरोसा करने में देर नहीं लगाते।

ये अन्य लोगों के प्रति भी काफी दयालु होते हैं। इन जातकों का अत्यधिक भरोसेमंद रवैया कभी-कभी इनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इन्हें जीवन के प्रमुख क्षेत्रों जैसे बिज़नेस पार्टनरशिप और प्रेम संबंधों में धोखे और बेवफाई का शिकार होना पड़ सकता है। कला और पेंटिंग से लेकर संगीत तक हर खूबसूरत चीज के प्रति ये जातक गहरी रुचि लेते हैं। मीन राशि में बुध वाले लोग सपने देखने वाले होते हैं और हमेशा कल्पना की दुनिया में खोए रहते हैं। ये लोग टेलीपैथिक कम्युनिकेशन में तो अच्छे होते हैं लेकिन मौखिक में नहीं होते। वे मौखिक रूप से बात करने के बजाय कविता या ललित कला जैसे माध्यमों के माध्यम से खुद को अभिव्यक्त करना पसंद करेंगे।

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ग्रह का वक्री होने का अर्थ

बता दें कि बुध वक्री अवस्था में मीन राशि में गोचर कर रहे हैं। किसी भी ग्रह का वक्री होने का अर्थ है टेढ़ा। जब कोई ग्रह पृथ्वी और सूर्य के सापेक्ष निकटतम बिंदु तक पहुंच जाता है, तब पृथ्वी से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो वह उल्टी दिशा में चलने लगा हो अर्थात उल्टा चलने लगा हो। इसी उल्टी चाल को ज्योतिष की भाषा में वक्री गति कहा जाता है। जबकि वास्तविकता इससे भिन्न होती है क्योंकि कोई भी ग्रह कभी भी उल्टी दिशा में नहीं चलता है। वह अपने परिक्रमा पथ का ही अनुसरण करता है। चूंकि बुध 88 दिन में सूर्य की परिक्रमा पूरी करता है इसलिए यह घटना वर्ष में कई बार घटित होती है। ज्योतिष के क्षेत्र में वक्री अवस्था को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि वक्री ग्रह का प्रभाव प्रत्येक राशि में सकारात्मक व नकारात्मक रूप से देखने को मिलता है।

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वक्री बुध का मीन राशि में गोचर: तिथि व समय

वैदिक ज्योतिष में बुध महाराज को बुद्धि और वाणी के कारक ग्रह माना जाता है जो अब वक्री अवस्था में 09 अप्रैल 2024 की रात 10 बजकर 02 बजकर 06 मिनट पर बृहस्पति द्वारा शासित राशि मीन राशि में प्रवेश करने जा रहा है। बुध बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है और बृहस्पति ज्ञान के साथ-साथ अहंकारी गुण प्रदर्शित करता है, जो संभावित रूप से समृद्धि के बजाय कलह का कारण बनता है। बुध के मीन राशि में वक्री होने से भ्रम और अराजकता व्याप्त हो सकती है, जिससे विशेष रूप से लंबी दूरी की यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है।

वक्री बुध का मीन राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए, बुध तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं और वक्री अवस्था में बुध का मीन राशि में गोचर आपके बारहवें भाव में होने जा रहा है।  इसके परिणामस्वरूप आपको आत्म-विकास की कमी महसूस हो सकती है, जिसके चलते आप जीवन में पीछे रह सकते हैं। इसके अलावा, आप भ्रमित और असुरक्षा की भावना से ग्रस्त हो सकते हैं, जो आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। आपको सलाह दी जाती है कि इस गोचर के दौरान अपने शब्दों पर ध्यान दें और अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें। आपका इस दौरान अपनी पढ़ाई से मन हट सकता है और इसके साथ ही, कई बाधाओं का सामना भी करना पड़ सकता है। आपके करियर की बात करें तो, इस अवधि आपके ऊपर काम का अधिक दबाव पड़ सकता है और कुछ संघर्षों का सामना भी करना पड़ सकता है। आशंका है कि आप में से कुछ जातकों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़े या कुछ लोग बेहतर संभावनाओं के लिए नौकरी बदल सकते हैं और इसमें आपको सफलता मिलने की संभावनाएं अधिक है। इसके अलावा, कुछ जातक विदेश में शिफ्ट होने का विचार बना सकते हैं। हालांकि इस गोचर के दौरान आपके लिए यह स्थानांतरण अनुकूल प्रतीत होता नहीं दिख रहा है।

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वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए, बुध दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं और वक्री अवस्था में बुध का मीन राशि में गोचर आपके ग्यारहवें भाव में होने जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप आशंका है कि आप इस अवधि अच्छी मात्रा में धन अर्जित करें लेकिन उसके बावजूद भी आपको संतुष्टि प्राप्त न हो। भले ही आप कमा रहे हों लेकिन आपको अपने परिवार के लिए अधिक खर्च करने पड़ सकते हैं, जो आपके लिए समस्या खड़ी कर सकते हैं। संभावना है कि इन खर्चों की वजह से आपको ऋण या लोन लेने की स्थिति में आना पड़े। इस गोचर के दौरान आपको अपने परिवार पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पड़ सकती है।

करियर के मोर्चे पर, आपको कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। कार्यक्षेत्र में आपके ऊपर काम का दबाव बढ़ सकता है। संभावना है कि आपके वरिष्ठ आपका समर्थन व सहयोग न करें। हालांकि आपको मौजूदा नौकरी की स्थिति के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता हो सकती है, भले ही आपको यह पसंद न हो। यदि आप व्यवसाय कर रहे हैं तो इस अवधि में अपने व्यवसाय को सफल बनाने के लिए आपको अपने दृष्टिकोण में अधिक गणनात्मक और ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए, बुध पहले और चौथे भाव के स्वामी हैं और वक्री अवस्था में बुध का मीन राशि में गोचर आपके दसवें भाव में होगा। इस अवधि आपको अपने करियर के संबंध में बड़े निर्णय लेने से बचना पड़ सकता है। यदि आप नई नौकरी बदलना चाहते हैं यह अवधि उसके लिए अनुकूल प्रतीत नहीं हो रही है। करियर के मोर्चे पर, आशंका है कि आपको अपनी अपेक्षाओं के अनुरूप संतुष्टि न मिल पा रही हो।  साथ ही, आप इस दौरान अपनी नौकरी के संबंध में आवश्यक लाभ प्राप्त करने में असफल हो सकते हैं। 

आप पर नौकरी का अधिक दबाव हो सकता है, जिससे आपको काम से संबंधित कुछ चीजों को फिर से समायोजित करना पड़ सकता है।  ऐसे में, आपको सलाह दी जाती है कि योजना बनाकर चलें और अपने काम पर अधिक से अधिक ध्यान दें। यदि आपका खुद का बिज़नेस हैं तो वक्री बुध के गोचर के दौरान आपको औसत परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।  इस दौरान आपको अपने व्यापार पर अधिक मेहनत करने की आवश्यकता हो सकती है ताकि आप अच्छी मात्रा में लाभ कमा सकें।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए, बुध दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और वक्री बुध का मीन राशि में गोचर आपके आठवें भाव में होगा। इस दौरान आपको कार्यक्षेत्र में सहज महसूस न हो। इसके अलावा इस अवधि आपको अपने वरिष्ठों से चुनौतियां मिल सकती है और आपके ऊपर काम का दबाव बढ़ सकता है। हो सकता है कि आपको अपने काम के सिलसिले में कुछ रुकावटें झेलनी पड़ सकती है। आशंका है कि कार्यस्थल पर कोई चीज़ आपको परेशान कर रही हो। जब काम की बात आती है, तो आपके सहकर्मी आपसे अधिक प्रयास कर सकते हैं।  इस अवधि आपके सहकर्मी लक्ष्य प्राप्त करने और अच्छा प्रदर्शन करने के मामले में आपसे आगे निकल सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप आपके सहकर्मियों को पदोन्नति या अन्य लाभ मिल सकते हैं और आप उनसे बहुत पीछे रह सकते हैं। अपने साथ वालों की प्रगति देखकर आपको दुख महसूस हो सकता है। यदि आपका खुद का व्यापार हैं तो आपके लिए अच्छा मुनाफा प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है या आपके मुनाफे में कमी आ सकती है। आशंका है कि आपको अपने प्रतिद्वंदियों से खतरा महसूस हो और इसका नकारात्मक प्रभाव आपको अपने व्यापार में देखना पड़े। साथ ही, आप अधिक मुनाफा कमाने में असफल हो सकते हैं।

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कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए, बुध पहले और दसवें भाव के स्वामी हैं और वक्री अवस्था में बुध का मीन राशि में गोचर आपके सातवें भाव में होने जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप कार्यक्षेत्र में अच्छे रिश्ते बनाए रखना आपके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। आपको सलाह दी जाती है कि  अपने काम पर अधिक ध्यान केंद्रित करें और इसके अलावा, अच्छे से योजना बनाकर चलने की आवश्यकता हो सकती है। आपको अपने दैनिक जीवन में भी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है जिससे आप तनाव में आ सकते हैं। इस अवधि आपके लिए कार्यक्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर पाना और लाभ प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है। हालांकि आपको विदेश से कई अच्छे अवसर प्राप्त हो सकते हैं लेकिन आपको इन अवसरों का चयन बहुत ही सोच समझकर और सावधानी से करना होगा।

यदि आप खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो इस अवधि आपको थोड़ा सतर्क रहना होगा क्योंकि आशंका है कि आपको नुकसान उठाना पड़े। यदि आप अपने बिज़नेस में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको कुछ परिवर्तन करना होगा।  वहीं यदि आप पार्टनरशिप में व्यापार कर रहे हैं तो अपने व्यावसायिक साझेदारों से चुनौतियां मिल सकती है। साथ ही, संभावना है कि आपके साझेदार आपके लिए आगे मुसीबत खड़ी करें, जिससे आपके लिए लाभ प्राप्त करना बहुत अधिक मुश्किल हो सकता है।

धनु राशि

धनु राशि के जातकों के लिए बुध सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं और वक्री अवस्था में बुध का मीन राशि में गोचर आपके चौथे भाव में होने जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप आपको बिज़नेस पार्टनर, जीवनसाथी और अपने दोस्तों के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव देखना पड़ सकता है इसलिए आपको अपने रिश्ते में उच्च मूल्य बनाए रखने की आवश्यकता हो सकती है।  इसके अलावा, आप बेहतर संभावनाओं के लिए नौकरी में बदलाव करने का विचार बना सकते हैं।

करियर के मोर्चे पर, आशंका है कि कोई दूसरे स्थानों पर आपको ट्रांसफर मिले, जो आपके लिए निराशा का कारण बन सकता है। इस अवधि आपको अपने सहकर्मियों से परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है, जिसके चलते आप नकारात्मक विचारों से घिर सकते हैं। यदि आपका खुद का व्यापार है तो इस अवधि आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है, जिससे आप चिंतित हो सकते हैं। 

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मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए, बुध छठे और नौवें घर का स्वामी हैं और वक्री बुध का मीन राशि में गोचर आपके तीसरे भाव में होने जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप आपको अपने भाई-बहनों के साथ समस्या का सामना करना पड़ सकता है। करियर के संबंध में, यदि आप अपने वर्तमान समय का आनंद लेने में असमर्थ हैं तो आपको आगे समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जिन जातकों का खुद का व्यवसाय है उनके लिए भी यह अवधि उतार-चढ़ाव भरी साबित हो सकती है। व्यापार को आगे बढ़ाने को लेकर आप चिंतित हो सकते हैं। यदि आप सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको अधिक ध्यान लगाकर काम करना होगा। कुल मिलाकर आप व्यवसाय में इतना अच्छा मुनाफा नहीं देख पाएंगे और इसके परिणामस्वरूप आपको धन हानि हो सकती है। आपको इस अवधि अपना दृष्टिकोण बदलने और काम पर ध्यान देने की आवश्यकता है तभी सफलता प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं।

वक्री बुध का मीन राशि में गोचर : विश्वव्यापी प्रभाव

राजनीतिक प्रभाव

सभी ग्रहों में बृहस्पति को कैबिनेट मंत्री माना जाता है और बुध बुद्धि और तर्क क्षमता के कारक हैं। इसके परिणामस्वरूप वक्री बुध का मीन राशि में गोचर होने से देश दुनिया की घटनाओं पर विशेष प्रभाव पड़ेगा। तो चलिए जानते हैं इन घटनाओं के सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव के बारे में।

  • भारत सरकार के प्रवक्ता और महत्वपूर्ण पदों पर बैठे राजनेता अपने गलत बयानों की वजह से जांच के दायरे में आ सकते हैं।
  • सरकार के कामकाज के तरीके और नीतियां बेशक कितनी भी अच्छी हो लेकिन उनकी आलोचना की जा सकती है और संभावना है कि उन्हें जनता या विपक्ष से नकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिले।
  • सरकार को विदेशी देशों से खतरों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि नौवां भाव लंबी दूरी की यात्रा या विदेशी तत्वों का भाव है। हालांकि यहां राहत की बात यह है कि वे जल्द ही इस स्थिति पर नियंत्रण पा लेंगे।
  • देश के नेता तेजी से कड़ी कार्रवाई करते हुए नज़र आ सकते हैं लेकिन कुछ चीज़ों को करने के पीछे सोच की कमी नज़र आ सकती है।

वर्ष 2024 में कैसा रहेगा आपका स्वास्थ्य? स्वास्थ्य राशिफल 2024 से जानें जवाब

गूढ़ अध्ययन व अभ्यास

  • रहस्य विज्ञान और रिसर्च से जुड़े लोगों को इस अवधि के दौरान कई उतार-चढ़ाव व चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन यदि कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत है तो आपको सफलता अवश्य प्राप्त होगी।
  • योग प्रशिक्षक, ध्यान अभ्यासकर्ता आदि क्षेत्रों से जुड़े लोगों को नकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। हालांकि बुध की वक्री अवस्था आपको किस तरह से प्रभावित कर सकती है यह व्यक्ति की जन्म कुंडली में बुध की स्थिति पर निर्भर करेगा।
  • बुध वक्री अवस्था के दौरान ज्योतिषियों, गूढ़ शोधकर्ताओं को अपने रास्ते में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

वक्री बुध का मीन राशि में गोचर : शेयर बाजार की भविष्यवाणी

बुध ग्रह 9 अप्रैल, 2024 को बृहस्पति द्वारा शासित राशि मीन में वक्री अवस्था में गोचर करने जा रहे हैं। इस गोचर का प्रभाव विश्व स्तर पर तो देखने को मिलेगा ही साथ ही, शेयर बाजार पर भी इसका सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। तो आइए ऐसे में जानते हैं वक्री बुध का धनु राशि में गोचर के दौरान शेयर बाजार में किस तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। शेयर बाजार भविष्यवाणी 2024 के अनुसार,

  • बिज़नेस कंसल्टेशन, राइटिंग या मीडिया एड से संबंधित फर्में और प्रिंट, दूरसंचार और प्रसारण सहित सभी बड़े उद्योग सकारात्मक परिणाम का अनुभव कर सकते हैं।
  • रासायनिक उद्योग, सार्वजनिक क्षेत्र, फार्मास्युटिकल क्षेत्र, बिजली क्षेत्र और सीमेंट उद्योग अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
  • इलेक्ट्रिकल उत्पाद उद्योग, इलेक्ट्रिकल, बिजली, चाय और कॉफी उद्योग, सीमेंट उद्योग, हीरा उद्योग, रसायन, इंजीनियरिंग सभी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
  • कुछ उद्योगों, विशेषकर सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मंदी का ख़तरा भी हो सकता है।

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मीन में हो रहा है मंगल का गोचर, इन राशियों को करियर में होगा नुकसान

वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार एक निश्चित समयावधि के बाद हर ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। ग्रहों के इस स्‍थान परिवर्तन को गोचर के नाम से जाना जाता है और इस गोचर का देश-दुनिया समेत सभी राशियों पर असर पड़ता है। मंगल ग्रह आक्रामकता और साहस के कारक हैं और इस बार अप्रैल के महीने में मंगल का एक प्रमुख गोचर होने जा रहा है जिससे कुछ राशियों के लोगों को अपने करियर में मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।

कब हो रहा है मंगल का गोचर

साहस के स्‍वामी मंगल 23 अप्रैल, 2024 को सुबह 08 बजकर 19 मिनट पर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। मंगल ग्रह ऊर्जा, उग्रता और साहस के कारक हैं। मीन राशि में मंगल के आने पर लोगों की अध्‍यात्‍म के प्रति रुचि बढ़ सकती है और आपको धार्मिक यात्राओं पर भी जाना पड़ सकता है।

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ज्‍योतिषशास्‍त्र में मंंगल का महत्‍व

ज्‍योतिषशास्‍त्र में मंगल को एक उग्र गह की उपाधि दी गई है और यह ग्रह सिद्धांतों एवं प्रशासन से जुड़े कार्यों का प्रतिनिधित्‍व भी करते हैं। किसी व्‍यक्‍ति को अपने जीवन में कितने सुख प्राप्‍त होंगे या राजसी शान-ओ-शौकत मिलेगी, यह मंगल की स्थि‍ति पर ही निर्भर करता है। मंगल के शुभ स्‍थान में न होने पर व्‍यक्‍ति को करियर में सफलता मिल पाना मुश्किल हो जाता है।

अगर कुंडली में मंगल मजबूत हो, तो जातक को अपने जीवन में हर प्रकार की सुख-सुविधाएं मिलती हैं और उसका स्‍वास्‍थ्‍य उत्‍तम रहता है एवं उसकी बुद्धि में वृद्धि होती है। इसके साथ ही मंगल के शुभ प्रभाव देने पर जातक को अपने करियर में सफलता के साथ-साथ मान-सम्‍मान भी मिलता है। हालांकि, इस बार मंगल का मीन राशि में आना कुछ राशियों के जातकों के लिए करियर में परेशानियां खड़ी कर सकता है।

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इन लोगों का बिगड़ सकता है करियर

मेष राशि

मंगल के मीन राशि में गोचर करने के समय मेष राशि के लोगों को अपने करियर में संभलकर रहने की जरूरत है। आपके ऊपर काम का दबाव अधिक बढ़ सकता है और इसकी वजह से आपकी उन्‍नति के मार्ग में भी बाधा आ सकती है। अगर आप पदोन्‍नति मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं, तो आपके हाथ निराशा लग सकती है और इस बात को लेकर आप थोड़ा परेशान भी रह सकते हैं। आपको काम की वजह से अपनी इच्‍छा के विरुद्ध यात्रा करनी पड़ सकती है। मंगल आपके बारहवें भाव में रहेंगे जिससे अचानक आपको नौकरी बदलनी पड़ेगी या आपका किसी और जगह पर भी ट्रांस्‍फर हो सकता है।

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सिंह राशि

अगर आप नौकरी करते हैं, तो आपको मंगल के मीन राशि में प्रवेश करने के दौरान अपने करियर से ज्‍यादा उम्‍मीदें लगाकर नहीं रखनी चाहिए। आपको अपने काम में कुछ परेशानियां आने की आशंका है। आपको जो काम दिया गया है, उसे लेकर आप थोड़ा दबाव महसूस कर सकते हैं और इसका सीधा असर आपके आत्‍मविश्‍वास पर पड़ेगा। आपके उच्‍च अधिकारी भी आपसे थोड़ा नाखुश नज़र आ सकते हैं। वहीं आपको अपने सहकर्मियों का भी कोई सहयोग नहीं मिलने वाला है।

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तुला राशि

तुला राशि वाले लोगों को नौकरी में असफलता देखनी पड़ सकती है। बहुत मेहनत और प्रयासों के बाद भी आपको अपने करियर में मनचाही सफलता नहीं मिल पाएगी। इस दौरान आप बहुत ज्‍यादा व्‍यस्‍त रहने वाले हैं और आपको अपना काम भी मुश्किल लगने लगेगा। आपके ऊपर आपके वरिष्‍ठ अधिकारी काम का दबाव बनाने की कोशिश करेंगे। उनके इस कदम से आपको थोड़ी निराशा हो सकती है। आपको इस समय दूसरों की उम्‍मीदों या उनकी राय से ज्‍यादा अपने काम पर ध्‍यान देने की जरूरत है।

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मकर राशि

मकर राशि के जातकों को मंगल के इस गोचर के दौरान बहुत ज्‍यादा अच्‍छे परिणाम नहीं मिलने वाले हैं। आपको औसत परिणामों से ही खुद को संतुष्‍ट करना होगा। आप अपनी योग्‍यता को साबित करने में असक्षम हो सकते हैं। हो सकता है कि आपके कार्यक्षेत्र में लोग आपकी कड़ी मेहनत और काम को नज़रअंदाज़ कर दें। इसकी वजह से आप थोड़ा परेशान रह सकते हैं।

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वृश्चिक राशि

अगर आपकी वृश्चिक राशि है, तो आपको भी मंगल के मीन राशि में प्रवेश करने के दौरान सतर्क रहने की आवश्‍यकता है। आप अपने करियर में प्रगति पाने का खूब प्रयास करेंगे लेकिन इसके बावजूद आपको सफलता मिल पाने की संभावना बहुत कम है। आपके सामने कुछ मुश्किल परिस्थितियां या चुनौतियां भी आ सकती हैं। आपको अपने काम को लेकर योजना बनाकर चलने की जरूरत है। इसके भरोसे आप सफलता हासिल कर सकते हैं। हालांकि, आपको इस समय अपने करियर की चिंता सता सकती है।

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हो जाएं सावधान! लगने जा रहा है चोर पंचक, इस दौरान इन कामों को करना पड़ सकता है आप पर भारी!

ज्योतिष शास्त्र में शुभ और अशुभ समय को बहुत महत्वपूर्ण जाना जाता है क्योंकि एक तरफ जहाँ शुभ समय में किया गया काम सफलता एवं समृद्धि लेकर आता है, तो वहीं अशुभ समय में संपन्न कार्य से असफलता और हानि झेलनी पड़ती है। ऐसे में, अशुभ अवधि में किसी भी तरह के शुभ कार्यों को करना निषेध होता है। इसी प्रकार, वैदिक ज्योतिष में ऐसे ही कुछ अशुभ नक्षत्रों का वर्णन किया गया है। हालांकि, हम यहाँ बात करेंगे पंचक के बारे में। एस्ट्रोसेज का यह ब्लॉग आपको पंचक से जुड़ी समस्त जानकारी प्रदान करेगा और इस अवधि में किन कामों को करने से बचना चाहिए आदि से भी हम आपको अवगत करवाएंगे। तो चलिए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की। 

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पंचक को एक अशुभ समय माना जाता है और इस दौरान मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है। बता दें कि पंचांग के अनुसार, 5 अप्रैल 2024 से चोर पंचक की शुरुआत हो रही है। अतः आपको कुछ कामों को इस अवधि में करने से बचना होगा। लेकिन सबसे पहले जानेंगे कि क्या होता है पंचक। 

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क्या होता है पंचक?

पंचक पांच नक्षत्रों का समूह माना गया है जिसके तहत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, पूर्वाभाद्रपद व रेवती नक्षत्र आदि आते हैं।। ज्योतिष के अनुसार, जब मन के कारक चंद्रमा कुंभ या मीन राशि में स्थित होते हैं, तो उस समय को पंचक कहा जाता है जो कि पांच दिन की अवधि होती है अर्थात यह पंचक पांच दिनों तक चलते हैं इसलिए ही इसे पंचक के नाम से जाना जाता है। आइए अब हम जानते हैं उन कार्यों के बारे में जिन्हें वर्जित माना जाता है और पंचक के कितने प्रकार होते हैं। 

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पंचक में इन कामों को करने की होती है मनाही 

पंचक के दौरान 5 कार्यों को करना वर्जित होता है जो इस प्रकार हैं: 

  1. जिस समय पंचक लगता है, उस समय चारपाई बनवाने से परहेज़ करना चाहिए क्योंकि यह अशुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, अगर आप ऐसा करते हैं, तो आप पर कोई विपत्ति या संकट आ सकता है।
  2. पंचक काल के दौरान जलने वाली वस्तुएं जैसे कि घास, लकड़ी, आदि को एकत्रित करने से बचना चाहिए, वरना आग लगने का खतरा बना रहता है।
  3. पंचकों के समय दक्षिण दिशा में यात्रा करना हानि का कारण बन सकता है क्योंकि इस दिशा को यम और पितरों की दिशा माना गया है इसलिए इन पांच नक्षत्रों के दौरान दक्षिण दिशा की यात्रा करने से बचना चाहिए।
  4. पांच नक्षत्रों से बनने वाले पंचक के समय में घर की छत नहीं बनवानी चाहिए क्योंकि इससे घर-परिवार में क्लेश बढ़ सकता है और धन हानि की आशंका रहती है।
  5. पंचक के दौरान शैया का निर्माण करने से बचें।

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क्या होता है पंचक में मृत्यु होने पर?

पंचक के संबंध में शास्त्रों में कहा गया है कि किसी व्यक्ति की पंचक काल में मृत्यु होना अशुभ माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यदि किसी की मृत्यु पंचक काल में हो जाती है, तो उसके कुल, परिवार या रिश्तेदारी आदि में मृत्यु का भय बना रहता है। ऐसे में, इनसे बचाव के लिए मृतक के शव के साथ-साथ पांच पुतले आटे या कुश से बनाने चाहिए। कहते हैं कि इस उपाय को करने से पंचक दोष का निवारण हो जाता है और जनहानि होने से भी बच सकते हैं।

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शनि का पूर्वाभाद्रपद में गोचर से होगी हलचल, इन राशियों लग सकती है लौटरी!

शनि का पूर्वाभाद्रपद में गोचर: एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको शनि का पूर्वाभाद्रपद में गोचर के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेंगे। बता दें कि कर्मफल दाता शनि 06 अप्रैल 2024 की शाम 03 बजकर 55 मिनट पर पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करने जा रहे हैं। शनि का नक्षत्र में गोचर आपके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव डालेगा। तो आइए जानते हैं शनि का गोचर किस राशि के जातकों के लिए शुभ व किस राशि के जातकों के लिए अशुभ साबित होने वाला है। साथ ही, जानेंगे इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के आसान उपायों के बारे में।

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शनि सबसे शक्तिशाली लेकिन सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है, जो अब पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करने के लिए तैयार है। 2024 में इस महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना में, शनि अपने नक्षत्र परिवर्तन से हम सभी को प्रभावित करेंगे। शनि 6 अप्रैल, 2024 को पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और 3 अक्टूबर, 2024 तक वहीं विराजमान रहेंगे। शनि कर्म फल दाता है, जो हमें हमारे कर्मों के आधार पर परिणाम देते हैं और इसलिए वैदिक ज्योतिष में इनका स्थान बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रभाव की बात करें तो पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में शनि देव की उपस्थिति प्रत्येक जातक को उनकी कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार अलग-अलग तरह से प्रभावित करेगी। इसके अलावा जातक किस महादशा में चल रहा है और उसकी राशि क्या है और किस लग्न में पैदा हुआ है, परिणाम इन चीज़ों पर भी निर्भर करेंगे।

आइए अब जानते हैं कि शनि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में शनि के प्रभाव के बारे में। साथ ही, शनि की इस स्थिति का जातकों पर क्या पड़ेगा।

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ज्योतिष में पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र

कुंभ और मीन राशि के बीच फैले पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी देव गुरु बृहस्पति हैं।  इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति दोहरे स्वभाव के हो सकते हैं या वैज्ञानिक अनुसंधान और जादू-टोना में रुचि रखने वाले हो सकते हैं। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र राशि चक्र का 25 वां नक्षत्र है। इसका विस्तार कुंभ राशि में 20:00 डिग्री से लेकर मीन राशि में 3:20 डिग्री तक होता है। यह अंतिम संस्कार की खाट के अगले पैरों का भी प्रतीक है जो मृत्यु के साथ-साथ गूढ़ प्रथाओं के साथ उनके घनिष्ठ संबंध को दर्शाता है।

शनि की उपस्थिति में पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तहत जन्मे जातकों के लक्षण

इस नक्षत्र वाले लोग अपने विचारों में गुप्त होते हैं और हर कार्यों को रहस्यमय तरीके से करते हैं। कोई भी कभी नहीं जान सकता कि वे वास्तव में कौन हैं क्योंकि वे जो प्रस्तुत करते हैं और जो वे हैं वह पूरी तरह से भिन्न हो सकते हैं। यह नक्षत्र अग्नि तत्व से संबंधित है इसलिए इसे शुद्धि नक्षत्र के रूप में भी जाना जाता है। जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी ग्रह बृहस्पति हैं जो व्यक्तियों को समाज के कल्याण के प्रति बेहतर दृष्टिकोण प्रदान करता है। ऐसे लोग अपने स्वभाव और बातचीत करने के तरीके से लोगों को प्रभावित करने में सक्षम होते हैं। ये जातक अपने सिद्धांतों में प्रतिबद्ध होते हैं। ये रचनात्मकता के साथ-साथ आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ भी गहरा झुकाव रखते हैं। हालांकि, कभी-कभी ये बहुत जल्दी घबरा जाते हैं और एकदम से अति-उत्साहित हो सकते हैं।

  • पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वालों में दोहरा स्वभाव हो सकता है। वे हर कार्यों को रहस्यम तरीके से करते हैं। 
  • ये जातक अपनी जन्म कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति और अपनी शिक्षा के स्तर के आधार पर वैज्ञानिक रिसर्च के क्षेत्र में काम कर सकते हैं। इसके अलावा, ये फार्मासिस्ट के क्षेत्र में भी रुचि ले सकते हैं।
  • ये अपने दोहरे स्वभाव के कारण अविश्वसनीय हो सकते हैं।
  • ये अंधविश्वासी तो नहीं होते हैं लेकिन कई बार अपने निजी उद्देश्यों के लिए तंत्र-मंत्र का अभ्यास कर सकते हैं।
  • ये अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जुनूनी होते हैं।
  • ये जातक अति क्रोधी स्वभाव के हो सकते हैं। हालांकि, अगर सब कुछ उनकी ज़रूरतों और इच्छाओं के अनुसार होता है, तो वे शांत रहते हैं।

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पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में शनि: सामान्य व्याख्या

  • शनि बृहस्पति के नक्षत्र में है, लेकिन फिर भी इसे शक्तिशाली माना जाता है क्योंकि शनि कुंभ राशि में है, जो इनकी मूल त्रिकोण राशि है।
  • पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र वित्त, धन, संपत्ति, स्थिरता, अनुकूलनशीलता और सिंफनी का नक्षत्र माना गया है क्योंकि यह संगीत और थिएटर कला को बढ़ावा देता है।
  • इस शनि स्थिति वाले जातकों को धन और वित्तीय सुरक्षा की कमी हो सकती है लेकिन वह धीरे-धीरे स्थिरता हासिल कर लेते हैं।
  • वित्त और संपत्ति आम तौर पर 32 वर्ष की आयु के बाद उनके पास आती है।
  • जब शनि कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में हो, तो शक्ति, पद और अधिकार प्राप्त करना अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
  • हालांकि इन परिणामों में समय और बहुत कठिन प्रयास और दृढ़ता की आवश्यकता पड़ती है।
  • इन सभी विशेषताओं के अलावा, ऐसे व्यक्ति जरूरतमंदों या गरीबों की सेवा करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
  • रिश्तों के संदर्भ में, यदि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में शनि किसी भी तरह से 2रे, 5वें, 7वें, या 11वें घर से जुड़ा हो, तो व्यक्ति को थोड़े रोमांस के साथ देरी, निराशा और बाधाओं का सामना करना पड़ेगा।
  • रिश्तों की बात करें तो यदि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में शनि किसी भी तरह से दूसरे, पांचवें, सातवें या ग्यारहवें भाव से जुड़े होते हैं तो व्यक्ति को प्रेम जीवन में प्यार की कमी महसूस हो सकती है और इसके अलावा, रिश्तों में भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिससे वे निराश व चिंतित हो सकते हैं।
  • ये जातक लंबे समय तक अपने पार्टनर के साथ अपने रिश्ते को निभाने में सक्षम होते हैं। हालांकि इनके रिश्ते में रोमांस और उत्साह कुछ समय में कम हो सकता है।

शनि का पूर्वाभाद्रपद में गोचर: राशि अनुसार भविष्यवाणी

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए शनि का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर ग्यारहवें भाव और अपनी मूल त्रिकोण राशि में होगा। इसके परिणामस्वरूप आपको अनुकूल परिणामों की प्राप्ति होगी। जैसे ही शनि 6 अप्रैल, 2024 को इस नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, आप अपने लक्ष्यों और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम होंगे। यदि नौकरीपेशा हैं तो आपको इस गोचर से बहुत अधिक लाभ होगा। आशंका है कि आपको पदोन्नति की प्राप्ति हो और करियर में कई अच्छे अवसर आपको मिले।

वहीं जिन जातकों का खुद का व्यापार है वे इस दौरान नए कनेक्शन बना सकते हैं और इस वजह से अपनी कंपनी को तेजी से आगे ले जाने में सक्षम हो सकते हैं। हालांकि आपको प्रेम और विवाह संबंधित मामलों में कुछ देरी का सामना करना पड़ सकता है, जिसके चलते आपको निराशा भी हो सकती है क्योंकि शनि ग्यारहवें भाव में मौजूद है और ये आपके पांचवें भाव में दृष्टि डाल रहे हैं।

उपाय: पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करें।

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वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए शनि एक सकारात्मक ग्रह है और शनि का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर दसवें भाव में हो रहा है। अब चूंकि शनि अभी भी दसवें भाव में है और इस भाव का प्राकृतिक कारक भी है इसलिए इस अवधि के दौरान आपका करियर आसमान छूएगा। नौकरी में  आपको अपने मन पसंद जगह स्थानांतरण मिल सकता है या आपके वेतन में वृद्धि हो सकती है। इस दौरान आपके पास कई बेहतरीन मौके होंगे। यदि आप फ्रेशर हैं, तो यह अवधि आपके लिए अपना करियर शुरू करने के कई मौके ला सकता है। कुल मिलाकर इस गोचर के दौरान आपको बहुत अधिक खुशी व संतुष्टि प्राप्त होगी।

उपाय: प्रत्येक शनिवार को काले तिल का दान करें

मिथुन राशि

शनि का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर आपके भाग्य, धर्म और पिता के नौवें भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप, यदि आप विदेश में पढ़ाई करने का विचार बना रहे हैं तो यह समय आपके लिए बेहद शानदार साबित होगा क्योंकि शनि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में है। आप बिजनेस या काम के सिलसिले में यात्रा की योजना बना सकते हैं। भारत में उच्च शिक्षा के अध्ययन का विकास होने के योग बनेंगे। इस अवधि के दौरान आपके रिश्तों में कुछ अच्छे बदलाव देखने को मिलेंगे। जो लोग रहस्यमयी विद्याओं और आध्यात्मिक गतिविधियों में रुचि रखते हैं उनके लिए यह समय बेहद अनुकूल है, उन्हें इन क्षेत्रों में तरक्की प्राप्त हो सकती है।

उपाय: हर मंगलवार और शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

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कर्क राशि

शनि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करेंगे और इससे आपको शनि ढैय्या का अनुभव होगा। ऐसे में, आपको जीवन के हर क्षेत्र पर अतिरिक्त ध्यान देने की जरूरत होगी। आशंका है कि आपका वैवाहिक और पारिवारिक जीवन कुछ समस्याओं के कारण अस्त-व्यस्त हो सकता है। अचानक से लाभ और हानि होने के भी योग बन सकते हैं क्योंकि शनि आपके आठवें भाव में प्रवेश करेंगे।

उपाय: हर शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ करें।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए शनि देव सातवें भाव में गोचर करेंगे। इसके परिणामस्वरूप आपको व्यवसाय करने के नए अवसर मिलेंगे। परिवार या जीवनसाथी के साथ तीर्थ यात्रा पर जाने के योग बन रहे हैं। यदि आप कोई संपत्ति या लग्ज़री आइटम ख़रीदने की योजना बना रहे हैं तो यह समय अनुकूल है। जो लोग सिंगल हैं, उन्हें इस दौरान अपना हमसफ़र मिल सकता है क्योंकि पारिवारिक जीवन में प्रवेश करने के योग बन रहे हैं।

उपाय: हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें।

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कन्या राशि

शनि देव बृहस्पति शासित पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तहत आपके छठे भाव में गोचर करेंगे। यह अवधि न्यायपालिका से जुड़े लोगों के लिए अनुकूल साबित होगी। वकील या न्यायाधीश जैसे पदों पर काम करने वाले लोगों को प्रगति देखने को मिलेगी। निवेश करने के लिहाज से भी यह समय अच्छा रहेगा, मगर यह जातकों की कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करेगा। यदि आप पहले से ही किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो इस दौरान अपने स्वास्थ्य को नज़रंदाज़ न करें। डॉक्टर से उचित परामर्श लेते हुए सही उपचार कराएं।

उपाय: प्रत्येक शनिवार को काली उड़द की दाल का दान करें।

तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए शनि पांचवें भाव में गोचर करेंगे। यह समय छात्रों के लिए अच्छा रहेगा लेकिन जब वे कठिन मेहनत करेंगे तब। आपको शिक्षा के क्षेत्र में शानदार अवसर प्राप्त होंगे। क्रिएटिव क्षेत्रों जैसे कि आर्किटेक्चर, डिज़ाइनिंग आदि में नौकरी या बिज़नेस करने वाले लोगों को सफलता मिलेगी। हालांकि पांचवें भाव में शनि की मौजूदगी आपके वैवाहिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। आप दोनों के बीच ग़लतफ़हमियां और बेहस हो सकती है, जिससे आपका रिश्ता खराब हो सकता है इसलिए अत्यधिक सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

उपाय: जब भी संभव हो मछली और चींटियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शनि चौथे भाव में गोचर करेंगे। इसके परिणामस्वरूप आपको वित्तीय संतुष्टि का अनुभव होगा। इस दौरान आप कार या घर खरीदने की योजना बना सकते हैं। हालांकि वृश्चिक राशि के जातकों को इस अवधि शारीरिक थकावट और मानसिक पीड़ा का अनुभव भी हो सकता है। जो लोग खुद का व्यवसाय कर रहे हैं या नौकरीपेशा हैं, उन्हें अपने काम में अच्छे परिणाम मिलते नज़र आएंगे। हालांकि शनि के कारण थोड़ी परेशानियां भी उत्पन्न हो सकती है, जिससे घर का माहौल खराब हो सकता है और आपके रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं।

उपाय: प्रत्येक शनिवार को रुद्राभिषेक करें।

वर्ष 2024 में कैसा रहेगा आपका स्वास्थ्य? स्वास्थ्य राशिफल 2024 से जानें जवाब

धनु राशि

बृहस्पति शासित नक्षत्र के तहत आपके तीसरे भाव में शनि का गोचर अनुकूल रहने वाला है। इस दौरान आपकी एकाग्रता और दृढ़ता बढ़ेगी। आपकी इच्छाशक्ति प्रबल होगी। आप कठिन प्रयास करते दिखाई देंगे। ऐसे में ज़ाहिर है कि कठिन प्रयासों के बाद आप नौकरी और व्यवसाय में सफलता हासिल करने में सक्षम होंगे। भाई-बहनों के साथ आपके संबंध मजबूत होंगे। इसके अलावा काम के सिलसिले में की गई यात्राएं फलदायी सिद्ध होंगी। इस अवधि संभावना है कि आप परिवार के साथ तीर्थ यात्रा पर जा सकते हैं और उनके साथ समय व्यतीत कर सकते हैं।

उपाय: प्रत्येक शनिवार को बजरंग बाण का पाठ करें।

मकर राशि

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करते ही शनि मकर राशि के जातकों के लिए दूसरे भाव में गोचर करेंगे। इसके परिणामस्वरूप आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार देखने को मिलेगा और आप धन की बचत करने में भी सक्षम होंगे। कमाई के नए स्रोत मिलने की संभावना अधिक है। इसके अलावा, पैतृक संपत्ति से भी धन आने की संभावना है। हालांकि आपको सलाह दी जाती है कि अपनी वाणी के प्रति सावधान रहें क्योंकि आपके द्वारा बोले गए कठोर शब्द घर के बड़े-बुज़ुर्गों को भावनात्मक रूप से आहत कर सकते हैं। जो लोग गुप्त अध्ययन या रहस्य विज्ञान में रुचि रखते हैं, उनके लिए यह समय अनुकूल रहेगा। कुल मिलाकर, यह अवधि आर्थिक जीवन के लिए शानदार रहेगा और आपका झुकाव आध्यात्मिक गतिविधियों की ओर अधिक रहेगा। हालांकि, आपका वैवाहिक जीवन थोड़ा बाधित हो सकता है इसलिए सावधानी बरतें।

उपाय: शनि बीज मंत्र का जाप करें।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के लिए शनि 6 अप्रैल, 2024 को पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करते हुए आपके पहले भाव में गोचर करेंगे। इस दौरान आपके ख़र्चों में वृद्धि हो सकती है क्योंकि आशंका है कि आप स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त होंगे अर्थात यह गोचर आपके स्वास्थ्य के लिए ज़्यादा अनुकूल नहीं है। इस अवधि के दौरान मानसिक तनाव भी हो सकता है। हालांकि, जो जातक ख़ुद का व्यवसाय चला रहे हैं और जो प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं, उन्हें नए मौके मिल सकते हैं। चुनौतियों के बावजूद पेशेवर रूप से आप उत्कृष्टता हासिल करने और आगे आने वाले शानदार समय का आनंद लेने के लिए तैयार रहेंगे।

उपाय: श्री गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करें।

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए, शनि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करते हुए कुंभ राशि में बारहवें भाव में गोचर करेंगे। इसके परिणामस्वरूप यह अवधि छात्रों को चुनौतीपूर्ण लग सकती है। आशंका है कि किसी कारणवश आपकी एकाग्रता भंग होगी, जिससे आपके प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस गोचर काल में हो सकता है कि आप जिस उद्देश्य के लिए यात्रा पर जाएं, वह सफल न हो। आपके ख़र्चे भी बढ़ सकते हैं। हालांकि जो जातक ख़ुद का व्यवसाय चला रहे हैं, उन्हें फायदा होगा, लेकिन सलाह दी जाती है कि इस दौरान कोई भी नया काम शुरू करते समय सावधानी बरतें क्योंकि नुकसान होने की आशंका है। यह अवधि व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों तरह से जीवन के विभिन्न पहलुओं में मानसिक तनाव और असुरक्षा की भावना ला सकती है।

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बुध का मीन राशि में उदय होना, इन लोगों के करियर के लिए बनेगा मुसीबत, नौकरी तक से धोना पड़ सकता है हाथ

ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार ग्रह गोचर के अलावा उदित और अस्‍त भी होते हैं और इसका असर सभी राशियों पर पड़ता है। जब ग्रह किसी राशि में अस्‍त और उदित होते हैं, तो इसके शुभ-अशुभ प्रभाव के कारण राशियों के जीवन पर गहरा असर पड़ता है। इस बार अप्रैल के महीने में बुध उदित होने जा रहे हैं और इसके कारण सभी 12 राशियों के जीवन में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे। वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार बुध के उदित होने पर कुछ राशियों के करियर में गिरावट आने के आसार हैं। इस ब्‍लॉग में आगे यही बताया गया है कि बुध किस राशि में किस तिथि पर उदित हो रहे हैं और इसका किन राशियों के करियर पर प्रभाव पड़ेगा।

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बुध कब हो रहे हैं उदित

19 अप्रैल, 2024 को सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर बुध ग्रह मीन राशि में उदित हो रहे हैं। बुध के मीन राशि में उदित होने के दौरान कुछ राशियों के लोगों को अपने करियर में बहुत सोच-समझकर चलने की जरूरत है। तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि वैदिक ज्‍योतिष में बुध का क्‍या महत्‍व है।

ज्‍योतिषशास्‍त्र में बुध का महत्‍व

ज्‍योतिषशास्‍त्र में बुध को बुद्धि का कारक माना गया है और उनकी कृपा से व्‍यक्‍ति की बुद्धि में वृद्धि होती है। इनके जीवन में सुख-सुविधाएं बढ़ती हैं और इन्‍हें उत्‍तम स्‍वास्‍थ्‍य की प्राप्ति होती है। बुध के शुभ प्रभाव से जातक उच्‍च ज्ञान प्राप्‍त कर पाता है और उसे अपने कार्यों में सकारात्‍मक परिणाम मिलते हैं। जातक अपने ज्ञान की मदद से व्‍यापार के क्षेत्र में सही निर्णय ले पाएंगे। ये व्‍यापार और शेयर मार्केट में शानदार प्रदर्शन करते हैं। वहीं, जो जातक गूढ़ विज्ञान जैसे ज्योतिष, रहस्यवाद आदि से जुड़े होते हैं, वह इन क्षेत्रों में अच्छी सफलता प्राप्त करते हैं।

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वैदिक ज्‍योतिष में उदय का क्‍या अर्थ है

ज्‍योतिषशास्‍त्र में उदय शब्द का अर्थ उस राशि से होता है जिसमें किसी ग्रह का उदय हो रहा है। इस बार बुध का उदय जल तत्‍व की राशि यानी मीन में हो रहा है। मीन राशि में बुध नीच के होते हैं और मीन राशि में उदित होने पर वह अपनी शक्‍तियों को वापिस पा लेते हैं। नीच राशि में होते हुए भी बुध पहले भाव में दिग्‍बल होते हैं और अब वह उदित भी हो रहे हैं इसलिए अब पहले की तुलना में उनकी स्थिति अधिक मज़बूत होगी।

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इन राशियों का करियर होगा खराब

मेष राशि

मेष राशि के लोगों के करियर में इस समय परेशानियां आने के संकेत हैं। कार्यक्षेत्र में आपके ऊपर काम का दबाव बढ़ सकता है। इसकी वजह से आपको अपने कार्यक्षेत्र में कुछ चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता है। कुछ जातकों की तो नौकरी तक जा सकती है। इस समय आप अपनी मौजूदा नौकरी को लेकर थोड़ा असंतुष्‍ट महसूस कर सकते हैं और इस वजह से आपके मन में नौकरी छोड़ने तक का विचार आ सकता है। नौकरी के नए अवसर आपको आकर्षित करेंगे। आपके मन में विदेश जाकर बसने का ख्‍याल भी आ सकता है। हालांकि, इस दिशा में आगे बढ़ना आपके लिए सही साबित नहीं होगा। यदि आप किसी तरह के लाभ की अपेक्षा कर रहे हैं, तो आपको इस समय निराशा मिलने के संकेत हैं। आपके सहकर्मी आपकी दोस्‍ती या आपके भोलेपन का फायदा उठा सकते हैं। इस वजह से आप अपने कार्यक्षेत्र में अच्‍छे परिणाम प्राप्‍त कर पाने में पीछे रह सकते हैं।

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वृषभ राशि

वृषभ राशि के लोगों को बुध के उदित होने पर अपने करियर में संभलकर चलने की जरूरत है। आपके सामने कुछ अनचाही परिस्थितियां खड़ी हो सकती हैं। आपके ऊपर काम का बोझ बहुत ज्‍यादा बढ़ सकता है। आपके उच्‍च अधिकारी तक आपसे अपना मुंह मोड़ सकते हैं। आपको नौकरी के नए अवसर भी मिलने वाले हैं। हालांकि, इन अवसरों से आपका मन थोड़ा असंतुष्‍ट ही रहेगा। बेहतर होगा आप अपनी मौजूदा नौकरी में ही थोड़ा सामंजस्‍य बिठाने का प्रयास करें। इससे आपकी स्थिति में थोड़ा सुधार आ सकता है और आप अपने करियर में थोड़ा कम तनावग्रस्‍त महसूस करेंगे।

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कर्क राशि

कर्क राशि के लोगों के लिए बुध का मीन राशि में उदित होना थोड़ा मुश्किल साबित होगा। नौकरीपेशा जातकों का बार-बार अलग-अलग जगहों पर स्‍थानांतरण हो सकता है और अपने करियर में बार-बार आ रहे इस बदलाव को देखकर आपका मन दुखी हो सकता है। इस वजह से आप नौकरी तक बदलने के बारे में सोच सकते हैं। हालांकि, अगर आप इस समय नई नौकरी भी शुरू करते हैं, तो उसमें भी आपको सकारात्‍मक परिणाम मिल पाने के संकेत बहुत कम हैं। अपने करियर को लेकर आपकी भावनाएं निरंतर बदलती रहेंगी। आप कभी संतुष्‍ट, तो कभी असंतुष्‍ट महसूस करेंगे।

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तुला राशि

बुध के मीन राशि में उदित होने पर तुला राशि के लोगों को भी अपने करियर को लेकर बहुत सावधान रहने की आवश्‍यकता है। हो सकता है कि आप अपने काम को लेकर बहुत ज्‍यादा खुश महसूस न कर पाएं। आप अपनी मौजूदा नौकरी या काम को लेकर असंतुष्‍ट महसूस कर सकते हैं। आपको बेकार के कारणों से अपनी नौकरी बदलनी पड़ सकती है। कार्यक्षेत्र में बार-बार आ रहे इस परिवर्तन के कारण आप चिंता में आ सकते हैं। आपको इस समय अपने प्रदर्शन को सुधारने पर ध्‍यान देने की सलाह दी जाती है।

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कुंभ राशि

कुंभ राशि के लोगों को इस समय बहुत ज्‍यादा चौकन्‍ना रहने की जरूरत है। इस समय आपके हाथ से नौकरी के कुछ ऐसे अवसर छूट सकते हैं जो आपकी संपन्‍नता को बढ़ा सकते थे। इन अवसरों के हाथ से छूटने की वजह से आपका मन दुखी हो सकता है। आपको कुछ ऐसी यात्राएं भी करनी पड़ सकती हैं जो आपकी ऊर्जा और समय दोनों को ही बर्बाद कर दें। आपके मन में नौकरी बदलने तक का विचार आ सकता है। हालांकि, यहां भी आपको सकारात्‍मक परिणाम प्राप्‍त होने की संभावना बहुत कम है।

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धनु राशि

करियर को लेकर धनु राशि के लोगों के लिए यह समय ज्‍यादा अनुकूल नहीं रहने वाला है। आप अपने ऑफिस में अपनी काबिलियत को साबित करने में असक्षम हो सकते हैं। आपको ऑफिस में कोई बड़ा लक्ष्‍य दिया जा सकता है लेकिन आप इस लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में असफल हो सकते हैं। आप कोई बड़ी उपलब्धि हासिल करने में भी नाकाम रह सकते हैं। आपके ऊपर काम का दबाव भी बढ़ सकता है।

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बुध मेष राशि में होंगे अस्त, इन राशि के जातकों को रहना होगा सतर्क!

ज्योतिष में सभी नौ ग्रहों का विशेष महत्व है। सभी ग्रह एक निश्चित समय पर अपनी राशि में परिवर्तन करते हैं और कुछ ग्रह अपनी अवस्था बदलते हैं। यानी कभी वक्री अवस्था में रहते हैं तो कभी अस्त या उदय होते हैं। ज्योतिष में ग्रहों के अस्त और वक्री का विशेष महत्व है। अस्त ग्रह एक ऐसा शब्द है, जो बड़ा महत्वपूर्ण है। इसी क्रम में ग्रहों के राजकुमार बुध अस्त होने जा रहे हैं। बुध अस्त का प्रभाव सभी 12 राशि के जातकों पर देखने को मिलेगा। तो आइए एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में विस्तारपूर्वक जानते हैं कि बुध के गोचर का सभी राशि के जातकों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है और इसके अशुभ प्रभावों से बचने के क्या उपाय हैं। लेकिन इससे पहले जानेंगे कि ज्योतिष में अस्त ग्रह का क्या महत्व है।

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ज्योतिष में अस्त ग्रह 

ये तो हम सभी जानते हैं कि ग्रहों के राजा सूर्य है और उनका प्रकाश हर जगह है इसलिए जब भी कोई उनके समक्ष जाता है तो उसका तेज समाप्त होने लगता है। ज्योतिष में भी ग्रहों के राजा सूर्य के निकट जब कोई ग्रह किसी विशेष अंशात्मक दूरी पर आ जाता है तो वह सूर्य ग्रह के प्रभाव से बलहीन हो जाता है और इसी को सूर्य से अस्त होना कहा जाता है। माना जाता है जब ग्रह अस्त होते हैं तो वह शुभ फल नहीं देते हैं। ऐसे ग्रह कुपित ग्रह कहलाते हैं और माना जाता है कि इनकी दशा अंतर्दशा में इनका शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। सूर्य के अलावा बाकी सभी ग्रहों के अस्त होने का दोष लगता है। भले ही वह कुंडली में उच्च राशि में हो या स्वराशि में अथवा मूल त्रिकोण राशि में स्थित हो लेकिन यदि वह अस्त ग्रह है तो उसकी शक्ति क्षीण हो जाती है। वास्तव में ग्रह कुछ विशेष निश्चित अंशों पर सूर्य के निकट होता है तो वह सूर्य के तेज से ढक जाता है और क्षितिज पर भली प्रकार दृष्टिगोचर नहीं होता है। इस कारण से उसके मुख्य प्रभाव में कमी आ जाती है। यही ग्रह का अस्त होना कहलाता है।

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बुध मेष राशि में अस्त: तिथि और समय

बुद्धि, विद्या और शिल्प कौशल का ग्रह बुध 4 अप्रैल 2024 की सुबह 10 बजकर 36 मिनट पर अस्त हो जाएंगे। इस ब्लॉग में हम मेष राशि में बुध अस्त के दौरान प्रत्येक राशि के लिए राशि-वार भविष्यवाणियों और उपायों के बारे में जानेंगे। 

ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व

यदि किसी जातक की कुंडली में बुध की स्थिति मज़बूत होती है तो जातक को जीवन में हर प्रकार की सुख सुविधा प्राप्त होती है। इसके साथ ही, वह अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त करता है। जातक को उच्च ज्ञान की प्राप्ति होती है और वह अपने ज्ञान को व्यापार के क्षेत्र लगाता हैं। जो जातक गूढ़ विज्ञान जैसे ज्योतिष, रहस्यवाद आदि से जुड़े हैं, उनके लिए बुध अच्छे परिणाम लेकर आता है। वहीं दूसरी ओर यदि बुध कमज़ोर स्थिति में या अपनी नीच राशि मीन में स्थित हो, तो जातक को व्यापार के क्षेत्र में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है और वे अधिक लाभ कमाने में असमर्थ हो सकते हैं।

इसके विपरीत, अगर बुध महाराज अशुभ ग्रहों जैसे राहु, केतु या मंगल आदि के साथ युति बनाते हैं तो जातकों को अपने जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियों से दो-चार होना पड़ सकता है। वहीं अगर मंगल ग्रह के साथ बुध युति करते हैं, तब जातकों में बुद्धि की कमी देखने को मिलती है। साथ ही, यह स्वभाव से आवेगी और आक्रामक हो सकते हैं। इसी प्रकार, जब बुध पापी ग्रह राहु या केतु के साथ युति करते हैं, तो ऐसे में, जातकों को स्वास्थ्य समस्याओं जैसे नींद न आना, त्वचा और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्या आदि परेशान कर सकती हैं। हालांकि बुध अब अस्त अवस्था में रहेंगे और वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह का अस्त होना मांगलिक कार्यों के लिए शुभ नहीं माना जाता है।

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मेष राशि में बुध अस्त: प्रभाव

मेष राशि के जातकों के लिए, बुध तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं। बुध मेष राशि में अस्त हो रहे हैं, इसके परिणामस्वरूप आप अपने भविष्य और अपने जीवन के विकास को लेकर चिंतित हो सकते हैं। इस दौरान आपको आर्थिक जीवन कई प्रकार की समस्याओं से रूबरू होना पड़ेगा। रिश्तों की बात करें तो आपको अपने बड़े भाई-बहनों से कुछ समस्या हो सकती है। साथ ही, आपके अंदर टैलेंट की कमी हो सकती है। इस वजह से कार्यक्षेत्र में भी वरिष्ठों से विवाद होने की आशंका है। संभावना है कि आपको इस दौरान अपने जीवन में भाग्य की कमी महसूस हो जिसके चलते आपके द्वारा किए जा रहे प्रयासों में कुछ कमियां आ सकती है। स्वास्थ्य के लिहाज़ से देखा जाए तो आपको अपनी सेहत पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होगी। यदि आप अपने वेतन वृद्धि या पदोन्नति, जैसे दीर्घकालिक लाभों की प्रतीक्षा कर रहे हैं तो उसके लिए आपको इंतज़ार करना होगा।

करियर के मोर्चे पर, इस अवधि आपको अपने काम पर अधिक ध्यान देने की सलाह दी जाती है क्योंकि आशंका है कि आप जो भी काम कर रहे हैं उसमें गलतियां हो। संभावना है कि आपको कुछ समय के लिए लाभ मिले, लेकिन ऐसे लाभ आपको अच्छी संतुष्टि प्रदान न करें। इस अवधि में यदि आप नौकरी बदलने का विचार बना रहे हैं तो यह समय आपके लिए अनुकूल नहीं है। इस योजना को आप आगे के लिए टाल दें। स्वास्थ्य की बात करें तो इस दौरान आपको गर्दन, कंधों आदि में दर्द का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, आप पाचन संबंधी समस्याओं से भी ग्रस्ति हो सकते हैं। 

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बुध ग्रह के कमज़ोर होने के संकेत

  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध अशांत हैं तो जातक को वाणी से संबंधित कई समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है, जिसके चलते उसे कार्यक्षेत्र और समाज में भी अपमानित होना पड़ सकता है। 
  • कमज़ोर बुध के चलते जातक का मन पूजा-पाठ में नहीं लगता है।
  • बुध की अशुभ स्थिति के चलते जातक को बोलने में दिक्कत आ सकती है। वह अपनी बात स्पष्ट रूप से कहने में असमर्थ होता है।
  • जातक त्वचा, पाचन आदि से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान रहता है।
  • कमज़ोर बुध के कारण जातक को आर्थिक जीवन में भी कई समस्याओं से गुज़रा पड़ सकता है।
  • ऐसे व्यक्ति को व्यापार में भी हानि होने की संभावना होती है।

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बुध के शुभ संकेत

  • कुंडली में बुध ग्रह मजबूत हो तो जातक की वाणी में मधुरता आती है। साथ ही, जातक का सेंस ऑफ ह्यूमर अच्छा होता है। 
  • मजबूत बुध के प्रभाव से व्यक्ति व्यापार के क्षेत्र में खूब धन कमाता है और उसका आर्थिक जीवन मजबूत होता है।
  • इसके अलावा, शेयर मार्केट व सट्टे बाजार से भी व्यक्ति को लाभ होता है।
  • ये जातक अपनी तर्क क्षमता का प्रयोग कर जीवन के हर क्षेत्र में तरक्की प्राप्त करते हैं।
  • ऐसी स्थिति में आपके भीतर ज्ञान की वृद्धि होगी और आप तेजी से चीज़ों को समझने में सक्षम होंगे।

बुध मजबूत करने के ज्योतिष उपाय

  • बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए मां दुर्गा, भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा आराधना करें। इसके अलावा इस वैदिक मंत्र का भी जाप करना चाहिए।
  • इस मंत्र का जाप करें- ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः या बुं बुधाय नमः
  • बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए बुधवार के दिन हरे रंग के वस्त्र पहनना चाहिए। यदि संभव न हो तो हरे रंग का रुमाल भी अपने साथ रख सकते हैं।
  • बुध ग्रह की शांति के लिए बुधवार का व्रत ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार से शुरू करना चाहिए और 21 या 45 बुधवार तक व्रत करना चाहिए।
  • बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए व्रत करने के साथ-साथ जातक को हरा वस्त्र, मूंगा, कांस्य, घृत, पुष्प, कपूर, मिस्री, हाथी दांत, सुवर्ण, पन्ना, दक्षिणा आदि का दान करना चाहिए।

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बुध मेष राशि में वक्री: सभी राशियों पर प्रभाव

मेष राशि

इस दौरान आपके अंदर प्रतिभा की कमी देखने को मिल सकती है और संभव है कि इस वजह से आप असंतुष्ट महसूस करें क्योंकि(विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

निजी जीवन और लोगों से अच्छे रिश्ते बनाए रखने में समस्या हो सकती है। जहां तक वित्त का सवाल है, आपको थोड़ा संघर्ष करना पड़ सकता है(विस्तार से पढ़ें) 

मिथुन राशि

आपको अपने सुख-सुविधाओं में कमी महसूस हो सकती है और इसके कारण, आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है(विस्तार से पढ़ें) 

कर्क राशि

आपको बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है और आपके प्रयासों पर पानी फिर सकता है, इसके चलते हो सकता है कि(विस्तार से पढ़ें) 

सिंह राशि

अपने रिश्तों में कुछ समस्याओं से दो-चार होना पड़ सकता है। इसके अलावा, संभावना है कि आपको भाग्य का साथ न मिले। (विस्तार से पढ़ें) 

कन्या राशि

आपको सुख-सुविधाओं की कमी और परिवार में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान आप अपने(विस्तार से पढ़ें) 

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तुला राशि

आपको भौतिक सुख-सुविधाएं मिलने में देरी का सामना करना पड़ सकता है। सातवें भाव में बुध के अस्त होने से आपके घर का माहौल खराब हो सकता है(विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि

आपको अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे और आप लाभ कमाने में सक्षम होंगे। बुध अस्त के दौरान आप आरामदायक स्थिति में होंगे और आपके जीवन में खुशियां बनी रहेगी(विस्तार से पढ़ें) 

धनु राशि

आपको इस अवधि अपने दोस्तों व सहयोगियों से सावधान रहने की आवश्यकता हो सकती है। यह अवधि आपके करियर(विस्तार से पढ़ें) 

मकर राशि

इसके परिणामस्वरूप, आपको अपने प्रयासों में अधिक बाधा का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में, आपको अधिक प्रयास (विस्तार से पढ़ें) 

कुंभ राशि

आपको अपने प्रयासों में सफलता प्राप्त होगी और साथ ही, आपकी हर इच्छाओं की पूर्ति होगी। इस दौरान आपको कई अच्छे और शानदार अवसर प्राप्त होंगे(विस्तार से पढ़ें) 

मीन राशि

आप अपने रिश्ते में उच्च मूल्य बनाए रखने में सक्षम होंगे और रिश्ते के प्रति जागरूक रहेंगे। इस दौरान आप अपने(विस्तार से पढ़ें)  

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बुध के गोचर से बन रहा है त्रिकोण राजयोग, कुछ दिनों के अंदर ही वृषभ सहित इन राशियों के हाथ लगेगा जैकपॉट

बुध को ग्रहों का राजकुमार कहा जाता है और यह सबसे तेज़ गति से चलने वाला ग्रह है, जो सूर्य के चारों ओर 47.87 किमी प्रति घंटा की गति से चलता है। ऐसे में, इन्हें प्रत्येक राशि में गोचर करने के लिए 23 से 30 दिन लगता है और राशि चक्र का एक चक्कर पूरा करने में लगभग 12 महीने का समय लगता है। इसी क्रम में बुध 26 मार्च 2024 की सुबह 02 बजकर 39 मिनट पर देवगुरु बृहस्पति की मीन राशि से निकलकर मंगल के स्वामित्व वाली मेष राशि में प्रवेश कर चुके हैं। इसी मेष राशि में बुध ग्रह 2 अप्रैल 2024 की सुबह 03 बजकर 18 मिनट पर अपनी वक्री चाल प्रारंभ करेंगे। इस वक्री अवस्था में इस राशि में यह 9 अप्रैल 2024 तक रहेंगे और 9 अप्रैल 2024 की रात 10 बजकर 06 मिनट पर अपनी वक्री अवस्था में मीन राशि में पुनः वापस लौट जाएंगे और उसके बाद 10 मई 2024 की शाम 06 बजकर 39 मिनट पर एक बार फिर से मेष राशि में प्रवेश करेंगे।

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुध देव के मेष राशि में प्रवेश करने से केंद्र त्रिकोण राजयोग का निर्माण हो रहा है। बता दें कि बुध देव मेष राशि के लग्न भाव में विराजमान हैं। ऐसे में, बुध देव केंद्र त्रिकोण राजयोग का निर्माण करेंगे। ज्योतिषियों के अनुसार, जब भी बुध देव त्रिकोण राजयोग का निर्माण करते हैं तो इसका प्रभाव सभी 12 राशि के जातकों में देखने को मिलता है। ऐसे में, 12 में से कुछ राशि के जातकों को करियर और कारोबार में अपार सफलता प्राप्त होगी। तो आइए जानते हैं उन राशियों के बारे में।

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कैसे बनता है केंद्र त्रिकोण राजयोग

वैदिक ज्योतिष अनुसार, यदि त्रिकोण का स्वामी ग्रह केंद्र में उच्च का होकर स्थित हो या फिर केंद्र के स्वामी ग्रह त्रिकोण में उच्च का होकर मौजूद हो जाए तो केंद्र त्रिकोण राजयोग का निर्माण होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, केंद्र का भाव भगवान विष्णु का स्थान कहलाता है और त्रिकोण भाव को मां लक्ष्मी का भाव माना जाता है इसलिए केंद्र त्रिकोण के भावों के बीच अगर कोई संबंध बनता है तो इसको केंद्र त्रिकोण राजयोग कहा जाता है। इसके अलावा, केंद्र और त्रिकोण के स्वामियों के बीच अगर युति बनती है यानी इन दोनों भावों के स्वामी एक साथ विराजमान हों जाएं तब भी केंद्र त्रिकोण राजयोग का निर्माण होता है। इसके साथ ही, अगर इन दोनों भावों के स्वामी आपस में दृष्टि संबंध भी बनाएं तो केंद्र त्रिकोण राजयोग बनता है।

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केंद्र त्रिकोण राजयोग से इन जातकों का होगा सपना सच

केंद्र त्रिकोण राजयोग से चार राशि के जातकों को अनुकूल परिणाम प्राप्त होंगे। इन लोगों को करियर में अपार सफलता मिलेगी। वहीं व्‍यापार में भी बड़ा मुनाफा होगा और नौकरी में पदोन्नति की प्राप्ति होगी। तो आइए जानते हैं किन चार राशियों की किस्‍मत इस अवधि चमकने वाली है।

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह मित्र ग्रह हैं क्योंकि यह वृषभ राशि के स्वामी शुक्र के मित्र ग्रह माने जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप आपको इस दौरान बेहद शानदार परिणाम प्राप्त होंगे। करियर के लिहाज से आपको तेजी से तरक्की मिलेगी। यदि आप नौकरीपेशा हैं तो वरिष्ठों से आपको मान-सम्मान प्राप्त होगा और वे आपकी कड़ी मेहनत व किए गए प्रयास की तारीफ़ करेंगे और इसके चलते आपका प्रमोशन भी हो सकता है या आपके वेतन में वृद्धि होने की संभावना है। विवाहित जातकों को संतान को पढ़ाई के सिलसिले से विदेश भेजने में सफलता मिल सकती है। वृषभ राशि के छात्रों को शिक्षा में शानदार परिणाम मिलेंगे। जिससे भविष्य में भी आपको अच्छे शिक्षा संस्थानों में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त होगा। आप अपनी सहज बुद्धि का प्रयोग करेंगे और उससे आपके बहुत सारे काम आसानी से हो जाएंगे। इस दौरान समाज में आपका नाम और प्रतिष्ठा बढ़ेगी। आपके व्यापार में उन्नति होगी। आप व्यावसायिक निवेश भी कर सकते हैं जो भविष्य में आपके लिए अनुकूल परिणाम लेकर आएंगे।  कुल मिलाकर इस अवधि आपका मान-प्रतिष्ठा व बैंक बैलेंस में तेज़ी से बढ़ोतरी होगी।

वर्ष 2024 में कैसा रहेगा आपका स्वास्थ्य? स्वास्थ्य राशिफल 2024 से जानें जवाब

कन्या राशि

केंद्र त्रिकोण के शुभ प्रभाव से कन्या राशि के धन संबंधित मामलों में मजबूती आएगी और आपकी आर्थिक समृद्धि के योग बनेंगे। आपकी लंबी यात्राएं सफल होगी जो आपको खुशी प्रदान करेंगी। इन यात्राओं के दौरान कुछ नए मित्र भी आपके बनेंगे, जिससे आपको खुशी व संतुष्टि प्राप्त होगी। आपकी योजनाएं गति पकड़ेंगी और आपके कामों में अच्छी सफलता मिलेगी। करियर में स्थिरता के योग बनेंगे। जो काम करने में पहले आपको हिचक हो रही थी, वह काम भी अब आसानी से होने लगेंगे जिससे आपको अच्छी सफलता भी मिलेगी और आपके आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी होगी। पैतृक व्यवसाय कर रहे लोग अपने काम को आगे बढ़ाने में सफल होंगे और नौकरी करने वाले जातकों को भी इस दौरान अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। 

आप अपने परिजनों या जीवनसाथी के साथ खूबसूरत जगहों पर घूमने जा सकते हैं और इस पल का आनंद उठा सकते हैं। इस दौरान आप अपने भविष्य की अच्छी प्लानिंग कर सकते हैं और इसके लिए कोई निवेश प्लान ले सकते हैं। आपके संबंध आपके भाई-बहनों से सुधरेंगे और पिताजी से भी आपको अच्छे ज्ञान की प्राप्ति होगी वे आपका साथ देंगे और साथ ही, उनका आशीर्वाद भी आपको प्राप्त होगा। वह अपनी बात आपके सामने रखेंगे जिससे आपको बहुत कुछ जानने और सीखने को मिलेगा। आपकी संवाद शैली मजबूत होगी। मानसिक शक्ति प्रगाढ़ होगी और इससे आपको लाभ होगा। इस अवधि समाज में आपका मान सम्मान भी तेज़ी से बढ़ेगा।

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तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए केंद्र त्रिकोण राजयोग बहुत ही शानदार साबित होगा। आप विदेशी माध्यमों और दूसरे शहर में या राज्यों से भी अपने बिज़नेस के लिए नए डील प्राप्त कर सकते हैं और आपके व्यापार को इस दौरान लाभ मिलने के योग बनेंगे। यदि आप कोई नया काम शुरू करना चाहते हैं तो वह कर सकते हैं, आपको उसमें अच्छी सफलता अवश्य मिलेगी। आपको आपके भाग्य का भी पूरा सहयोग मिलेगा, जिससे आपके रुके हुए काम भी जल्द बनने लगेंगे और कुछ नए कामों में भी आपको सफलता मिलती चली जाएगी। विदेशी माध्यमों से आपको अच्छा धन लाभ और व्यवसाय में सफलता मिल सकती है। इस दौरान कुछ विदेशी लोगों से भी आपके संबंध स्थापित हो सकते हैं जो भविष्य में आपके लिए वरदान सिद्ध होंगे। अविवाहित जातकों को इस दौरान विवाह की खुशखबरी मिल सकती है। यदि आप विवाहित हैं तो इस दौरान वैवाहिक संबंधों में मधुरता देखने को मिलेगी। आपसी प्रेम बढ़ेगा और एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे जिससे आपका रिश्ता मजबूत होगा। आपके निर्णय लेने की क्षमता, बुद्धि से प्रभावित होकर और आपके काम करने के तरीके को देखकर बहुत सारे लोग आपसे मदद और अच्छी सलाह प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। इस दौरान आपके सामाजिक स्तर में बढ़ोतरी होगी और आपको उन्नति मिलेगी। आपका प्रेम भरा बर्ताव और आपकी वाणी में मधुरता लोगों का दिल जीत लेगी।

क्या वर्ष 2024 में आपके जीवन में होगी प्रेम की दस्तक? प्रेम राशिफल 2024 बताएगा जवाब 

मकर राशि

केंद्र त्रिकोण राजयोग मकर राशि के जातकों के लिए वरदान साबित होगा। आपको इस दौरान भाग्य का पूरा साथ मिलेगा और भाग्य की कृपा से अचानक से सुख सुविधाओं की प्राप्ति हो सकती है। इस अवधि आप कोई नया वाहन अथवा संपत्ति भी खरीदने की योजना बना सकते हैं। यदि किसी संपत्ति को लेकर कोई समस्या या विवाद चल तो वह इस अवधि दूर होगी और सभी समस्याओं से आपको निजात मिलेगा। यदि आपने कोई वाहन या मकान खरीदने के लिए किसी बैंक लोन के लिए आवेदन किया था तो वह भी आपको प्राप्त हो सकता है। आने वाली संपत्ति आपके लिए खुशियों का कारण बनेगी और आपकी तरक्की का माध्यम बनेगी। 

आपके परिवार में खुशियों में बढ़ोतरी होने के योग बनेंगे। आपकी माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य भी पहले से बहुत अधिक बेहतर होगा। इस दौरान आपके घर में रिश्तेदारों से बातचीत और आवागमन होने से घर का माहौल भी हल्का और बढ़िया रहेगा। यदि आपका किसी से संपत्ति संबंधित कोई विवाद चल रहा है तो आपसी बातचीत से उसे हल करने की कोशिश करें, उसे ज्यादा खींचने से बचने की कोशिश करें। आप अपने कार्यक्षेत्र में भी अच्छा और बेहतरीन काम करेंगे। नौकरी में अच्छी स्थिति आपको प्राप्त होगी। कार्यक्षेत्र में दबाव कम महसूस करेंगे और आपके वरिष्ठ आपके काम और प्रयास की सराहना करेंगे। कचहरी के मामलों में आपको सफलता मिलेगी और मामला आपके पक्ष में आएगा। आप काफी हंसमुख रहेंगे और अपने आसपास के लोगों को काफी खुश रखेंगे। लोग आपके खूब तारीफ करेंगे।

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घर में नहीं टिकता है पैसा, बनी रहती है आर्थिक तंगी तो अपना लें ये खास उपाय, बने रहेंगे धनवान!

कई बार कुछ लोगों इस बात से परेशान रहते हैं कि वे बहुत अधिक मेहनत करते हैं, कड़े प्रयास करते हैं लेकिन उसके बाद भी उन्हें सफलता प्राप्त नहीं होती है। धन उनके पास टिक ही नहीं पाता। वे अच्छी मात्रा में धन तो कमाते हैं पर किसी न किसी प्रकार से उनके खर्चे बढ़ जाते हैं। यदि आप भी इसी तरह की समस्या से परेशान हैं और लाख कोशिश करने के बाद भी घर में पैसा नहीं टिक रहा है तो इसका कारण वास्तु दोष हो सकता है। वास्तु शास्त्र के जानकारों की मानें तो घर पर ही कुछ ऐसे दोष और चीज़ें होती है, जिनकी वजह से आपके पास पैसा नहीं रुक पाता है और आप परेशान रहते हैं। वास्तु दोष से छुटकारा पाने के लिए वास्तु शास्त्र में कई उपाय बताए गए हैं, इसके अलावा माता लक्ष्मी की पूजा करने से भी आर्थिक तंगी की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

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दरअसल सनातन धर्म में धन संबंधित समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करने का विधान है। माता लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है। ऐसे में, यदि आप अपनी सोई हुई किस्मत चमकाना चाहते हैं, तो ज्योतिष व वास्तु शास्त्र के कुछ आसान उपाय हैं, जिन्हें जीवन में अपनाकर आप समस्याओं से निजात पा सकते हैं।

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वास्तु शास्त्र के ख़ास उपाय

इस दिशा में रखें धन की तिजोरी

वास्तु शास्त्र में, उत्तर दिशा को भगवान कुबेर की दिशा मानी जाती है और ऐसे में, यदि आप अपने  धन की तिजोरी को उत्तर दिशा में रखेंगे तो आपको कभी भी धन की कमी महसूस नहीं होगी। तिजोरी रखने का कमरा भी उत्तर दिशा में होना अच्छा माना जाता है। इसके अलावा, यदि आप अलमारी में अपने पैसे रखते हैं तो उसके मध्य या ऊपरी में भाग में रखें। निचले हिस्से में रखने की गलती न रखें अन्यथा समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

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स्थापित करें ये यंत्र

वास्तु के अनुसार, घर पर या तिजोरी पर शुभ यंत्र जैसे- व्यापार वृद्धि यंत्र, महालक्ष्मी यंत्र, बीसा यंत्र रखना स्थापित करें और रोजाना नियमित रूप से इसकी पूजा करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि तिजोरी को कभी भी खाली न छोड़े।

रात के जूठे बर्तन 

अक्सर लोग रात में खाना खाने के बाद जूठे बर्तन ऐसे ही रसोई घर में छोड़ देते हैं और सुबह उठकर साफ करते हैं। वास्तु शास्त्र में, जूठे बर्तन घर पर रखना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से दरिद्रता आती है और माता लक्ष्मी नाराज हो जाती है इसलिए रात में हमेशा बर्तन धो कर सोएं।

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घर पर रखें दक्षिणावर्ती शंख

यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं, तो घर के मंदिर में दक्षिणावर्ती शंख रखें। साथ ही, नियमित पूजा करने के दौरान विधि-विधान से शंख बजाएं। ऐसा करने से घर में माता लक्ष्मी का वास होता है और धन की कभी कमी नहीं होती है।

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ज्योतिष शास्त्र के उपाय

पीपल के पेड़ पर चढ़ाएं जल

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पीपल के वृक्ष में देवी देवताओं का वास होता है। ऐसे में, यदि आप पीपल के पेड़ से जुड़े कुछ उपाय करते हैं तो आपको कभी भी धन की कमी महसूस नहीं होगी। आपको प्रतिदिन पीपल के वृक्ष की छाया में खड़े होकर एक लोहे के पात्र में पानी भरकर पीपल के पेड़ के जड़ में डालना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से सुख समृद्धि में भी इजाफा होता है।

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तुलसी के पौधे में कच्चा दूध डालें

सनातन धर्म में तुलसी का पौधा बहुत पूजनीय माना जाता है। ऐसे में, प्रत्येक गुरुवार के दिन कच्चे दूध में तुलसी का पौधा मिलाकर भगवान विष्णु को अर्पित करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु तो प्रसन्न होंगे ही साथ ही माता लक्ष्मी की भी आप पर विशेष कृपा बरसेगी। साथ ही, आर्थिक जीवन में चल रही समस्या से आपको छुटकारा मिलेगा।

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माता लक्ष्मी को लाल रंग का गुलाब अर्पित करें 

धन की देवी माता लक्ष्मी को लाल रंग अति प्रिय है। इसके लिए शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी को लाल रंग का गुलाब अर्पित करें या लाल रंग की माला व चुनरी चढ़ाएं। साथ ही, विधि विधान से मां लक्ष्मी की पूजा उपासना करें। ऐसा करने से, आपके खर्चों में कमी आएगी और आपको कभी भी पैसों को कमी नहीं महसूस होगी।

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सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने पर इन्‍हें करियर में मिलेगी तरक्‍की, प्रमोशन के भी बन रहे हैं योग

सभी ग्रह एक समयावधि के बाद एक राशि से दूसरी र‍ाशि में प्रवेश करते हैं जिसे ज्‍योतिषीय भाषा में गोचर के नाम से जाना जाता है। जब कोई ग्रह गोचर करता है, तो इससे राशियों समेत देश-दुनिया पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ग्रहों के गोचर का असर लोगों के करियर, व्‍यापार, शिक्षा और आर्थिक जीवन समेत जीवन के सभी पहलुओं और क्षेत्रों पर पड़ता है।

अप्रैल, 2024 में सूर्य का एक महत्‍वपूर्ण गोचर होने जा रहा है जिससे कुछ राशियों के करियर में उछाल आने की संभावना है। वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार सूर्य के इस गोचर के दौरान कुछ राशियों के लोगों को करियर के क्षेत्र में प्रमोशन, वेतन में वृद्धि और लाभ होने के संकेत हैं। इस ब्‍लॉग में आगे उन्‍हीं राशियों के बारे में बताया गया है जिन्‍हें सूर्य के गोचर के दौरान करियर में लाभ होने की उम्‍मीद है लेकिन उससे पहले जान लीजिए कि किस तिथि पर सूर्य का गोचर होने जा रहा है।

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कब हो रहा है सूर्य का गोचर

सूर्य ग्रह 13 अप्रैल को रात 08 बजकर 51 मिनट पर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य को सफलता का कारक माना जाता है और उनकी कृपा से ही व्‍यक्‍ति को अपने करियर में सफलता मिल पाती है। यही कारण है कि सूर्य का मेष राशि में गोचर कुछ राशियों के लोगों के करियर में तरक्‍की लेकर आएगा। आगे जानिए कि वैदिक ज्योतिष में मेष राशि और सूर्य का क्‍या महत्व है।

वैदिक ज्योतिष में मेष राशि और सूर्य का महत्व

ज्‍योतिषशास्‍त्र में सूर्य का मेष राशि में गोचर करना महत्‍वपूर्ण माना गया है। सर्य के मेष राशि में होने पर ऊर्जा और उत्‍साह में वृद्धि होती है एवं यह समय नई शुरुआत का प्रतीक होता है। इस समय आप नए कार्यों की शुरुआत कर सकते हैं और अपने लक्ष्‍यों को पाने के लिए आगे बढ़ सकते हैं। इस समय व्यक्ति का सारा ध्यान स्वयं पर और खुद को दूसरों के सामने व्यक्त करने पर होता है। 

जन्‍मकुंडली में शुभ स्‍थान में होने पर सूर्य व्‍यक्‍ति को मान-सम्‍मान देते हैं और उसकी प्रस‍िद्धि में इज़ाफा करते हैं। मेष राशि में सूर्य के गोचर की अवधि को ऊर्जा और साहस का प्रतीक माना गया है। 

तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि मेष राशि में सूर्य के प्रवेश करने पर किन राशियों के लोगों के करियर में व‍ृद्धि देखने को मिलेगी।

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इन राशियों के करियर में आएगा उछाल

मेष राशि

सूर्य का गोचर आपके लग्‍न भाव में ही हो रहा है। इस समय आपको अपने करियर में अत्‍यंत लाभ प्राप्‍त होंगे। आपकी ऊर्जा में वृद्धि होगी जिससे आप खूब मन लगाकर काम करेंगे। आप दृढ़ निश्‍चयी बनेंगे और आपका आत्‍मविश्‍वास भी बहुत ज्‍यादा बढ़ जाएगा और इसका कारण होगा आपके उच्‍च अधिकारियों से मिल रही प्रशंसा। आपके कार्यक्षेत्र में हर कोई आपके काम से प्रसन्‍न रहने वाला है। ऑफिस में आपके साथ काम करने वाले लोग आपका अनुसरण करेंगे। इस समय आपका सारा ध्‍यान करियर में तरक्‍की और प्रगति पाने पर रहने वाला है।

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मिथुन राशि

सूर्य का मेष राशि में गोचर आपके लिए शुभ संकेत लेकर आ रहा है। अपने करियर को लेकर आपकी जो भी शिकायतें थीं, अब वे दूर हो जाएंगी। आपको प्रमोशन भी मिल सकता है। इसके अलावा मिथुन राशि के लोगों के लिए वेतन में वृद्धि के योग भी बन रहे हैं। अपने ऑफिस में उच्‍च अधिकारियों के साथ आपके अच्‍छे संबंध बनेंगे। इसके अलावा आपके स्किल्‍स भी बेहतर होंगे और आप अपने काम में निपुण बनेंगे। इससे कार्यक्षेत्र में आपके प्रदर्शन में भी सुधार आने की उम्‍मीद है। सूर्य के शुभ प्रभाव से आपके अंदर ऊर्जा और उत्‍साह इतना ज्‍यादा बढ़ जाएगा कि आप एकसाथ कई कामों को संभाल पाएंगे। इसके साथ ही आपके कार्यक्षेत्र में आपकी प्रतिष्‍ठा और मान-सम्‍मान में भी वृद्धि होगी।

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कर्क राशि

सूर्य का गोचर कर्क राशि के दसवें भाव में होने जा रहा है। यह समय आपके करियर के लिए शानदार साबित होगा। आप अपने कार्यक्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करेंगे और आपके काम को भी पहचान मिलेगी। आपने अपने काम में जो कड़ी मेहनत की है, आपके उच्‍च अधिकारी उसे पहचानेंगे और आपके समर्पण की प्रशंसा करेंगे। इससे सहकर्मियों के बीच आपकी प्रतिष्‍ठा में भी इज़ाफा होगा। नौकरीपेशा जातकों को तरक्‍की मिलने की भी संभावना है। इसके अलावा अगर आप लंबे समय से वेतन में वृद्धि की उम्‍मीद कर रहे हैं, तो अब आपकी यह आकांक्षा भी पूरी हो सकती है। आपको विदेश से भी कोई प्रोजेक्‍ट मिलने के संकेत हैं और इसके ज़रिए आप अपनी काबिलियत को साबित कर पाएंगे। आपके अपने वरि‍ष्‍ठ अधिकारियों और सहकर्मियों के साथ अच्‍छे संबंध बनेंगे। आपके लिए करियर के क्षेत्र में अपने लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करना काफी आसान रहने वाला है।

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कुंभ राशि

कुंभ राशि के लोगों को सूर्य के गोचर के दौरान अपने करियर को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप इस समय अपने कार्यक्षेत्र में जो भी प्रयास करेंगे, उसमें आपको सफलता जरूर मिलेगी। आपको ऑन-साइट काम करने का अवसर भी मिल सकता है। इसके अलावा आपके हाथ कोई बड़ा या नया प्रोजेक्‍ट लग सकता है। आपके ऑफिस में वरिष्‍ठ अधिकारी आपके काम से काफी प्रसन्‍न रहेंगे। आपकी योजनाएं और विचार उन्‍हें काफी पसंद आ सकते हैं। अगर आप अपना बिज़नेस शुरू करने की सोच रहे हैं, तो इस समय आपका यह सपना पूरा हो सकता है। आपकी अपने क्षेत्र पर पकड़ मज़बूत होगी और आपके आत्‍मविश्‍वास में भी वृद्धि होने के संकेत हैं।

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धनु राशि

सूर्य का मेष राशि में गोचर करना धनु राशि के जातकों के लिए सुखदायी साबित होगा। सूर्य आपके पांचवे भाव में प्रवेश कर रहे हैं इसलिए आपको इस समय नौकरी को लेकर कई नए और बेहतरीन अवसर मिलने वाले हैं। इसके साथ ही आप अपने करियर में भी खूब तरक्‍की करेंगे। आपकी नई सोच और नवीन विचार आपको अपने कार्यक्षेत्र में सफलता के शिखर तक ले जाने में मदद करेंगे। वहीं व्‍यापारी नई रणनीतियों के बल पर अपनी सफलता का मार्ग प्रशस्‍त करेंगे। पार्टनरशिप में काम करने वाले लोगों के लिए भी अच्‍छा समय है।

धनु साप्ताहिक राशिफल

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