डाउज़िंग – ख़ुशियों का ख़ज़ाना, हर ताले की चाबी

मनुष्य परमात्मा की सबसे सुंदर रचना है। परमात्मा ने मनुष्य को उन शक्तियों के साथ भेजा है जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। मनुष्य के मस्तिष्क की गहराई को आज तक  कोई नहीं जान पाया है। हम अपनी इन शक्तियों का पूरी तरह प्रयोग भी नहीं कर पाए हैं। आज हम अपनी उलझनों में इतने उलझ कर रह गए हैं कि हमें अपनी शक्तियों का एहसास भी नहीं होता। हमारी उलझनों का मूल कारण है जीवन में आ रही बाधाएँ। ये बाधाएँ हमें हमारे सुख से दूर रखती हैं। हमारी ख़ुशियों में रोड़ा बनकर हमें भटकाती रहती हैं। अगर ये बाधाएँ दूर हो जाएँ तो हम फिर से सुखी हो जाएंगे। स्वास्थ्य, संपन्नता और संबंध–ये ख़ुशियों के तीन स्तम्भ हैं।

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एक अस्वस्थ व्यक्ति कभी भी ख़ुश नहीं रह सकता है। शारीरिक व मानसिक पीड़ा दोनों ही कष्टदायक हैं। आर्थिक समस्या भी व्यक्ति के जीवन में दुःख का कारण है। अभाव में रहने वाला व्यक्ति पूर्ण प्रसन्नता प्राप्त नहीं कर पाता। संबंधों में खटास व बिछड़ाव भी हमें दुःखी बनाता है। अगर हम इन तीनों क्षेत्रों पर काम करें तो हम सदा-सदा के लिए प्रसन्न में हो जाएंगे।

आधुनिक वास्तु विज्ञान का मुख्य अंश ‘डाउज़िंग’ एक वरदान से कम नहीं। डाउज़िंग एक ऐसी प्राचीन वैज्ञानिक कला है जिसके द्वारा हम अपनी परेशानियों का मूल कारण जानकर उन समस्याओं को सही, उचित व संभव हल ढूंढ सकते हैं। इस विधा के द्वारा व्यक्ति की हर समस्या का समाधान संभव है।

आज हम अपने किए हुए कर्मों को ही तो भोग रहे हैं–चाहे वे शुभ कर्म हों या अशुभ। कर्म की गति से कोई नहीं बचा। अपनी परेशानियों का मूल कारण जानकर उचित उपाय करें तो किए हुए कर्मों को सुधारा जा सकता है।

‘डाउज़िंग’ का शाब्दिक अर्थ है गहराई पर जाकर गोता खाना। डाउज़िंग में ‘पैंडुलम’ नामक यंत्र का प्रयोग किया जाता है। एक लंबा धागा या चेन जिसके नीचे लटकी हुई भारी नोकदार लटकन को पैंडुलम कहते हैं। पैंडुलम डाउज़िंग तकनीक से भूमि में दबा हुआ ख़ज़ाना, पानी का कुआँ, बारूदी सुरंग, रत्न की खाने व अन्य खनिज पदार्थ की खोज सदियों से की जा रही हैं।

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फ्रांस में इस पेैंडुलम को चार्ट के साथ विकसित किया गया। वहाँ यह तकनीक डाक्टरों द्वारा बीमारियों  के मूल कारण की खोज मे प्रयोग हो रही है। यह विधा ‘रेडियेसथीसिया’ के नाम से प्रचलित है । वहाँ यह तकनीक जन्म से पूर्व बच्चे का लिंग, जन्म-तिथि, एलर्जी व अन्य बीमारियों की खोज में प्रयोग होती है।

जब-जब मानव ज़िंदगी ख़तरे में दिखी, पैंडुलम डाउज़िंग की सहायता ली गयी। वियतनाम युद्ध व द्वितीय विश्व युद्ध  में इस तकनीक की मदद से सुरंग की खोज व जीवित बम की आशंका दूर की गई।

आज़ादी के बाद तत्कालीन प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू जी ने इस तकनीक का राजस्थान मे कुँए व पानी की खोज में प्रयोग किया। चार्ट की मदद से डाउज़िंग कर, मनुष्य की समस्याओं का समाधान ढूंढ कर उनका जीवन सुखी बनाने का एक प्रयास किया जा रहा है। हमारी शंका हमारे दुःख का कारण है। प्रश्नों का उत्तर जान व्यक्ति प्रसन्नता प्राप्त कर सकता है।

जैसे हमारी समस्याओं के तीन मापदंड है, ठीक उसी तरह समाधान के भी तीन तरीक़े हैं–वास्तु, ज्योतिष व पर्यावरण संतुलन। इन तीनों तरीक़ों का संतुलित प्रयोग कर हर समस्या का समाधान संभव है। डाउज़िंग की मदद से हम तीनों ही क्षेत्र में संयोजित ढंग से काम करते हैं।

आधुनिक वास्तु विज्ञान में बताए हुए समाधान भी अन्य विधाओं से भिन्न हैं। ये व्यक्ति को प्राकृतिक रूप से उपचार प्रदान करते हैं। प्राकृतिक उपाय करने से परेशानियाँ बार-बार वापस नहीं आतीं। उनका पूर्ण समाधान बहुत ही सुव्यवस्थित ढंग से हो जाता है और हमारा जीवन पुनः ख़ुशियों से भर जाता है।

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यह जानना बहुत आवश्यक है कि पैंडुलम किस तरह काम करता है। जैसे रेडियो अदृश्य किरणों को ग्रहण करता है, ठीक उसी प्रकार पैंडुलम व्यक्ति के अचेतन मन, जगह, विचार व वस्तु की अदृश्य सूक्ष्म कणों व ऊर्जा को प्राप्त कर चार्ट द्वारा उत्तर हम तक पहुँचाता है। दरअस्ल, पैंडुलम चार्ट में दिए हुए विकल्पों को चुनकर हमें हमारी शंकाओं से मुक्ति दिलाता है। हमें हमारे प्रश्नों के उत्तर देता है।

कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पैंडुलम ब्रह्मांडीय ऊर्जा से हमें जोड़कर हमारी तर्क बुद्धि में विश्लेषणी एवं रैखिक शक्ति को जोड़कर, हमारे प्रश्नों का सही उत्तर देता है।

इसको हम दूसरी तरह भी समझ सकते हैं, जैसे कि टेलीविज़न का एंटीना अदृश्य किरणों को प्राप्त कर चित्रों में परिवर्तित करता है, ठीक उसी प्रकार पैंडुलम हमारे अवचेतन मन की किरणों से सही उत्तर प्राप्त कर हमें पेंडुलम चार्ट में उत्तर संकेतित करता है।

इस तरह प्रश्नों का सही उत्तर जान हम प्रसन्नचित्त बनकर सुखी जीवन जी सकते है। जहाँ प्रश्नों का अंत होता है, वहीं से प्रसन्नता प्रारंभ होती है। हमारी शंका का समाधान ही सुखी जीवन की आधार है।

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