इस कारण से महादेव ने सभी जीवों में से नंदी को बनाया अपना वाहन!

देवो के देव महादेव की महिमा से भला कौन परिचित नहीं है। कभी अपने भोले रूप के लिए तो कभी अपने रूद्र अवतार के लिए उनकी महिमाओं का उल्लेख कीजै जाता रहा है। इसलिए ही आज शिव भक्त अपने आराध्य देव यानि शिवजी की आराधना अपने-अपने तरीके से कर रहे हैं। दुनियाभर में भगवान शिव के भी आपको कई पौराणिक मंदिर या तीर्थ स्थल मिल जाएंगे जहाँ हर साल लाखों की संख्या में शिव भक्त दर्शन के लिए जाते हैं। जिनमें 12 ज्योतिर्लिंग भी शामिल है और यहाँ भी शिव भक्तों का तांता लगा रहता है। 

ऐसे में आज हम आपको भगवान् शिव से जुड़ी एक बेहद खास बात बताने जा रहे हैं। ये ख़ास बात भगवान शिव के वाहन यानि नंदी बैल से जुड़ी है। हम सभी जानते हैं कि नंदी बैल भोलेनाथ की सवारी है। लेकिन हम में से शायद कई लोगों को यह बात नहीं मालूम होगी कि नंदी बैल महादेव के वाहन कैसे बनें। अधिकांश शिव मंदिरों में यह देखा जाता है कि शिवलिंग के साथ-साथ नंदी बैल की प्रतिमा भी होती है। मंदिर में आने वाले लोग शिव जी के साथ-साथ नंदी की भी पूजा-आराधना करते हैं। 

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ऐसे बने नंदी शिव जी के वाहन

नंदी बैल को पुराणों में विशेष स्थान प्राप्त है। पौराणिक कथा के अनुसार, शिलाद मुनि ने पुत्र प्राप्ति की कामना हेतु भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने स्वयं नंदी बनकर उनके पुत्र के रूप में जन्म ले लिया। शिलाद मुनि ने नंदी को शिक्षा-दीक्षा दी। एक दिन जब शिलाद मुनि के घर दो साधु आए तो उन्होंने नंदी को देखकर शिलाद मुनि से कहा कि आपका पुत्र नंदी अल्पायु का है। 

इसे सुनकर नंदी स्वयं हँसने लगे और उन्होंने पिता से कहा भगवान शिव जी के आशीर्वाद से मेरी दीर्घायु हो जाएगी। ऐसा कहकर नंदी शिव की आराधना में डूब गए। शिव की आराधना करते समय उन्होंने हमेशा शिव के सानिध्य में रहने की कामना की। उनकी तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें मनोवाँछित वरदान दे दिया और उन्होंने नंदी को अपना वाहन भी चुन लिया। इसी कारण शिवलिंग के समक्ष हमेशा नंदी महाराज की प्रतिमा होती है।   

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नंदी की पूजा से मिलते हैं ये शुभ फल

जिस तरह गायों में कामधेनु श्रेष्ठ है उसी प्रकार बैलों में नंदी जी का उच्च स्थान है। नंदी के दर्शन करने के बाद उनकी सींगों को स्पर्श कर माथे पर लगाया जाता है। माना जाता है कि इससे मनुष्य को सद्बुद्धि आती है। नंदी महाराज की दोनों सींगें ज्ञान और विवेक का संदेश देती हैं। नंदी के गले में एक सुनहरी घंटी है। इससे निकलने वाली ध्वनि भगवान शिव को बेहद प्रिय है। इसके अलावा इस घंटी की ध्वनि से शिव भक्तों के जीवन में आने वाली नकारात्मक ऊर्जाएं भी नष्ट हो जाती हैं।