जानें सूर्यग्रहण के दौरान किये जाने वाले कुछ वास्तु उपाय

10 जून को लगने वाला यह सूर्य ग्रहण कई मायनों में ख़ास और महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसी दिन वट सावित्री का व्रत किया जायेगा, इसी दिन ज्येष्ठ अमावस्या है और इसी दिन शनि जयंती भी पड़ रही है। साल का यह पहला सूर्य ग्रहण आपके जीवन के हर क्षेत्र पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालेगा। 

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ऐसे में अपने जीवन में इस ग्रहण के प्रभाव, उससे बचने के उपाय, या इस ग्रहण के बारे में कोई भी बात जानना चाहते हैं तो हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषियों से परामर्श के लिए उनसे बात कर सकते हैं। इसके अलावा इस सूर्य ग्रहण से आपके जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे व्यवसाय, विवाह, परिवार, व अन्य पर क्या असर पड़ने वाला है, इसकी सटीक और विस्तृत जानकारी के लिए आप बृहत् कुंडली की मदद ले सकते हैं।

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साल का पहला सूर्य ग्रहण: कब और कहाँ आएगा नज़र  

वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। जो साल के मध्य में यानी 10 जून 2021 को लगेगा।। यह ग्रहण 13:42 बजे से प्रारंभ होकर शाम 18:41 बजे तक समाप्त हो जाएगा। इस ग्रहण का प्रभाव उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग, यूरोप और एशिया में आंशिक व उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रूस में पूर्ण में दिखाई देगा।

सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसका ज्योतिषीय व वास्तुगत प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है। जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती। इस घटना को सूर्यग्रहण कहते हैं।

कोरोना महामारी के काल मे होने वाला यह सूर्य ग्रहण जनमानस पर खासा प्रभाव डालने वाला है।

सूर्य को ग्रहों का राजा और सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। वास्तु विज्ञान पूर्ण रूप से सूर्य ऊर्जा पर आधारित है। यदि कोई भी स्थान वास्तु शास्त्र के नियमानुसार बनाया जाता है तो, उसे प्राकृतिक सूर्य ऊर्जा स्वतः प्राप्त होती है। ऐसे स्थान में रहने वाले लोगो का आरोग्यता , आत्मविश्वास से भरपूर व यशस्वी जीवन होता है।

ग्रहण के दौरान प्राकृतिक सूर्य ऊर्जा बाधित हो जाती है, अर्थात् जहां भी ग्रहण का प्रभाव होता है वहां की वास्तु ऊर्जा क्षीण हो जाती है। ऐसा होने पर प्राकृतिक आपदा जैसे अत्यधिक वर्षा , समुद्री चक्रवात, तूफान व महामारी आदि से जनमानस को हानि पहुंचती है। इस कारण जनमानस को भय, तनाव व दुःख  झेलने पड़ते हैं।

साल का यह पहला सूर्य ग्रहण विक्रम संवत 2078 में बैशाख माह की अमावस्या को घटित होगा, जिसका प्रभाव वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में सबसे ज़्यादा दिखेगा। इसके अलावा यह  सूर्यग्रहण एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। यूँ तो यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसलिए भारत में इस सूर्य ग्रहण का धार्मिक प्रभाव और सूतक मान्य नहीं होगा लेकिन फिर भी बहुत से लोग जो सूतक काल मानते हैं हम उनके लिए नीचे कुछ वास्तु उपाय बता रहे हैं।

ग्रहण के दौरान प्राकृतिक ऊर्जा की कमी को पूरा करने के लिए अपने घरों में रहकर , निम्नलिखित वास्तु उपचार करने से आप स्वयं अपनी व अपने परिवार वालों की सुरक्षा सकते हैं।

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सूर्यग्रहण के दौरान करें ये वास्तु उपचार

  • ग्रहण लगने से पूर्व घर की साफ सफाई के उपरांत मुख्य द्वार, रसोई के द्वार व सभी खिडकियों के आसपास गेरू से स्वास्तिक चिन्ह अंकित करें। यदि आप स्वास्तिक चिन्ह ना बना पाए तो गेरू के कुछ टुकड़े वहां पर रख दें।
  • घर में हवन सामग्री लाकर, घर के मध्य में एक हवन कुंड में सारी सामग्री डालकर रख दें। इस हवन सामग्री को ग्रहण काल के उपरांत किसी मंदिर में भिजवा दें।
  • प्राकृतिक शक्तियों से खिलवाड़ ना करें। ग्रहण को कभी भी नग्न आंखों से देखने का प्रयास ना करें ।
  • रसोई की सभी दिशाओं में तुलसी की पत्ती डाल दें। साथ ही घर में बने सभी भोजन व अनाज में भी कुछ तुलसी की पत्तियां डाल दें। ग्रहण उपरांत इन सभी तुलसी की पत्तियों को वहां से हटा दें।
  • ग्रहण के दौरान घर की पूर्व दिशा में दान करने हेतु गेहूं को किसी खुले बर्तन में रख दे  व ग्रहण उपरांत इसे भी किसी मंदिर में भिजवा दें ।
  • ग्रहण काल में भोजन करने से बचें ।
  • ग्रहण के उपरांत घर की साफ-सफाई सेंधा नमक के जल से करें। व आप भी सेंधा नमक के जल से स्नान करें।
  • इसके पश्चात घर के मध्य में व सभी दिशाओं में कपूर व गूगल की धूप दिखाए।
  • ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं अपने पेट पर गेरू का लेप लगाएं। साथ ही अपने बिस्तर के दोनों तरफ हल्दी की गांठ रख दें। गर्भवती महिलाएं भूल कर भी घर से बाहर ना निकले।

आशा करते हैं कि आप इन वास्तु उपचारों द्वारा अपना व अपने परिवार की सुरक्षा करेंगे ।

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