बड़े से बड़े संकटों से उबार लेती हैं रामचरितमानस की ये चौपाईयां, आजमाकर देख लीजिये

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धर्म ग्रंथों को बेहद ही शक्तिशाली माना जाता है। भारत की संस्कृति में हर एक धार्मिक किताब और विशेष करके रामचरितमानस का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में बहुत से लोग रामचरितमानस का प्रतिदिन पाठ करते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से मन को तो शांति मिलती ही है साथ ही जीवन में सकारात्मकता आती है। सिर्फ इतना ही नहीं यदि आपके जीवन में कष्ट और परेशानियां हद से ज्यादा बढ़ गए हैं तो रामचरितमानस में उल्लेखित चौपाइयां आपके लिए मददगार साबित हो सकती हैं।

आवश्यक है इन चौपाइयों का नियमित और स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जप करना, इन्हें अपने जीवन में अपनाना और इनका अर्थ समझना। देश और दुनिया पिछले साल से लेकर अब तक कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है। ऐसे में इस बीमारी का हमारी मानसिक स्थिति पर भी खासा प्रभाव पड़ा है। तो आइए आज रामचरितमानस में लिखित कुछ चौपाइयों के बारे में जानते हैं और साथ ही यह भी जानते हैं कि कैसे यह चौपाइयां हमारे बड़े से बड़े कष्टों को पल भर में दूर करने की क्षमता रखती हैं।

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रामचरितमानस चौपाइयां और उनका अर्थ

  • जीवन से दुख और कष्ट दूर करने के लिए इस चौपाई का करें पाठ

राम कृपा नाशहिं सव रोगा।
जो यहि भांति बनहिं संयोगा।।

इस चौपाई का अर्थ: यदि श्री राम जी की कृपा से इस प्रकार का संयोग बन जाए तो ये सब रोग नष्ट हो जाएँ। सद्गुरु रूपी वैद्य के वचन में विश्वास हो। विषयों की आशा न करे, यही संयम (परहेज) हो

  • खुद को और अपने परिवार को संकट से उबारने के लिए इस चौपाई का करें पाठ 

दीन दयालु विरद संभारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी।।

इस चौपाई का अर्थ: इस चौपाई में सीता जी कह रही हैं कि, ‘प्रभु से कहना कि दीनों पर दया करना तो आपका विरद है। उसी विरद को याद करके हे नाथ, आप मेरे इस भारी संकट को हर लीजिए।’ 

  • हर तरह की विपत्ति और परेशानी दूर करने के लिए इस चौपाई का करें पाठ 

राजीव नयन धरे धनु सायक।
भक्त विपत्ति भंजन सुखदायक।।

इस चौपाई का अर्थ: कमल के समान नेत्रों वाले मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम अपने प्रिय भक्तों की सभी प्रकार की विपत्तियों का भंजन अर्थात नाश करके उन्हें सुख प्रदान करने के लिए ही सदैव हाथ में धनुष सायक अर्थात बाण धारण किए रहते हैं।

  • घर में नकारात्मकता बढ़ रही हो या परेशानियाँ ज्यादा हो ऐसे में घर की शांति के लिए इस चौपाई का करें जप

हरन कठिन कलि कलुष कलेसू।
महामोह निसि दलन दिनेसू।।

इस चौपाई का अर्थ: भरतजी का परम पवित्र आचरण (चरित्र) मधुर, सुंदर और आनंद-मंगलों का करने वाला है। कलियुग के कठिन पापों और क्लेशों को हरने वाला है। महामोह रूपी रात्रि को नष्ट करने के लिए सूर्य के समान है।

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