शेयर बाजार का नाम आज के समय में लगभग हर कोई जानता है और काफी लोग इसमें निवेश करके अच्छा फायदा उठाते हैं। आज इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि ऐसे क्या ज्योतिषीय तथ्य एवं कारण है जिनकी वजह से शेयर बाजार में तेजी या मंदी का दौर आता है।
सबसे पहले जानना आवश्यक है कि कौन सा ग्रह किस वस्तु को नियंत्रित करता है। इसके लिए आप निम्नलिखित विवरण को पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं:
- सूर्य ग्रह
गुड़, सोना, चौपाये, सरसों, खांड, भूसा,लकड़ी, चना, मुनक्का, सरसों, हल्दी, दवाइयाँ, रंगीन वस्त्र, सरकारी ऋण पत्र, वृक्ष तथा रस वाली वस्तुएँ।
- चंद्र ग्रह
कपास, चाँदी, सफ़ेद रंग की वस्तुएँ, पारा, दूध एवं दूध से बने पदार्थ, मछली, फल, फूल, रसदार पदार्थ, सोडा वाटर, शीशा, बर्फ और चावल।
- मंगल ग्रह
ताँबा, सोना, लोहा एवं अन्य धातुएं, मशीनरी, चौपाये, गुड़, धनिया, हल्दी, गन्ना, मुनक्का, किशमिश, लौंग, सुपारी, किराना, लाल मिर्च, चाय, शराब, छुहारा, विभिन्न प्रकार के शेयर, मसूर, मोठ तथा गेहूं।
- बुध ग्रह
मूंगा,चाँदी, रेशम, रुई, शक्कर,फिरोजा, बाजरा, ज्वार, मटर, मूंग, अरहर, ग्वार, सौंफ, कपास, घी, काली खेसारी, पीली सरसों, अलसी, मूंगफली, अरंड, झूठ, रेशम, पाट, टेक्सटाइल, कागज और ताँबा।
- बृहस्पति ग्रह
सोना, चांदी, जवाहरात, जस्ता, हरड़, टिन, पाट, तम्बाकू, खांड, गुड़, आलू, अदरक, प्याज, बैंकों के शेयर, रबड़, नकली सिल्क और नमक।
- शुक्र ग्रह
रुई, चाँदी, श्रृंगार का सामान, सौंदर्य प्रसाधन, बारदाना, कपास, वस्त्र, हीरा, चीनी, रेशम, अरहर, सिल्क, सजावटी सामान, टैक्सटाइल शेयर, सोना तथा दवाएँ।
- शनि ग्रह
सरसों, अलसी, तिल, कोयला, तेल, यव, ऊन, सीसा, नीलम, तिलहन, काली मिर्च, खनिज, बारदाना, लोहा, जस्ता, संगमरमर, रांगा, कोयले, तेल, गैस तथा पेट्रोल से संबंधित शेयर, कल पुर्जे, चमड़े की चीजें, काले रंग की वस्तुएँ, कोलतार, टीन, सीसा, वाहन तथा गेहूँ।
- राहु
फ़ोन, तार, वायरलेस, टेलिफोन, एलुमिनियम, तथा बिजली का सामान।
जिस प्रकार उपरोक्त ग्रहों से संबंधित विशेष वस्तुएँ होती हैं, उसी प्रकार राशियां भी विशेष वस्तुओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। तो आइए जानते हैं विभिन्न राशियों के द्वारा कौन-कौन सी वस्तुओं पर आधिपत्य किया गया है:
- मेष राशि
घी, चावल, मिर्च, ऊँट, अच्छा, औषधि तथा वस्त्र। शेयर:ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल, डायग्नोस्टिक सेंटर, तांबा, क्रूड ऑयल, हॉस्पिटल, इंफ्रास्ट्रक्चर, जिप्सम, आयरन और स्टील, मसाले, तंबाकू, कैपिटल गुड्स, सीमेंट, हेल्थ केयर, शास्त्र, बारूद तथा धातु।
- वृषभ राशि
चावल, जौ, ऊनी वस्त्र, घोड़े, गाय, भैंस, तिल, धातुएं, रत्न तथा हीरा। शेयर: फाइनेंस, बैंकिंग, पेंट, इन्वेस्टमेंट, पर्यटन, गारमेंट, खिलौने, मीडिया, हॉस्पिटैलिटी, हीरा, एफएमसीजी, होटल, मनोरंजन, ज्वेलरी, परफ्यूम, इंश्योरेंस, चांदी, एग्रीकल्चर, कन्फेक्शनरी, कॉस्मेटिक्स तथा चीनी।
- मिथुन राशि
तुअर, बाजरा, लाख, शेयर, इत्र एवं सुगंधित द्रव्य, ज्वार, सोना, तेल तथा नमक। शेयर: पब्लिकेशन, मीडिया, एफएमसीजी, इंश्योरेंस, टेक्सटाइल, पेपर, टेलीकम्युनिकेशन, एक्सपोर्ट, आईटी, मोबाइल, इंटरनेट, कॉटन, कृषि उत्पाद तथा अनाज।
- कर्क राशि
गेहूं, चावल, खांड, चीनी, गुड़, सुण्ठी, सरसों, हींग, कपास, रेशमी वस्त्र तथा सेलडी। शेयर: पेट्रोलियम, दूध और दूध से बने डेयरी पदार्थ, तेल एवं गैस, चांदी, चावल, अल्मुनियम, मिनरल वाटर, जहाजरानी, कोल्ड ड्रिंक, पेपरमिंट तथा अल्कोहल।
- सिंह राशि
गुड़, उड़द, मसूर, मूंग, तेल, कम्बल, अलसी, चना, तिल, ऊन, घी तथा मूंगा। शेयर: सोना, बारूद, शास्त्र, मीडिया, बिजली, तांबा, कांसा, खतरनाक हथियार, परमाणु ऊर्जा, सल्फर, गेहूं और ग्रेफाइट।
- कन्या राशि
लहसुन, चावल, कपूर, अगर तगर, पन्ना, चन्दन, सोना, देवदारु तथा कंदमूल। शेयर: टेलीकम्युनिकेशन, इंश्योरेंस, मोबाइल, बैंकिंग, एफएमसीजी, मीडिया, टेक्सटाइल, फाइनेंस, पेपर, इंटरनेट, कृषि उत्पाद, कपास, एक्सपोर्ट तथा एविएशन।
- तुला राशि
सरसों, मिर्च, राई, सुपारी, जौ, तेल, गेहूं, मोठ, खजूर, चावल, घोड़ा तथा मूंग। शेयर: इन्वेस्टमेंट, चाँदी, तांबा, खिलौने, बैंकिंग, इंश्योरेंस, सुगंधित पदार्थ, सौंदर्य प्रसाधन, हीरा, कृषि, मनोरंजन और टूरिज़्म, ।
- वृश्चिक राशि
मोठ, लाख, सभी प्रकार के अन्न, गुड़, चावल, गुग्गल, पारा तथा हींग। शेयर: धातु, तांबा, डायग्नोस्टिक सेंटर,ऑटोमोबाइल, आरयन एवं स्टील, फार्मास्यूटिकल, रेडियम, परमाणु ऊर्जा, शस्त्र, तंबाकू, यूरेनियम, चिकित्सा उपकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर, हेल्थ केयर, सीमेंट और जिप्सम।
- धनु राशि
कंदमूल, नमक, घी, अनाज, चावल, सेंधा नमक, सुरमा, घी तथा कपास। शेयर: बैंकिंग, एफएमसीजी, फाइनेंस, सरसों, गेहूं, इंश्योरेंस, सोना, कांसा, खाद्य तेल, जहाजरानी, गारमेंट्स, टैक्सटाइल और अनाज।
- मकर राशि
खजूर, अखरोट, इलाइची, चिरोंजी, घी, पिप्पली, जायफल, सुपारी तथा मूंग। शेयर: चमड़ा, धातु, कोयला, टीन, तेल एवं गैस, आयरन एंड स्टील, कृषि, पशु, खदान, फुटवियर, रियलिटी, सीमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर, जिप्सम और लाइमस्टोन।
- कुंभ राशि
जावित्री, नशे से सम्बंधित वस्तुएँ, देवदारु, धातुएं, तेल, भैंस, वाहन तथा नीलम। शेयर: यूरेनियम, एविएशन, चमड़ा, कृषि, कोल्ड ड्रिंक, सीमेंट, जिप्सम, तेल एवं गैस, पशु, धातु, रियलिटी, अल्कोहल, टेलीकम्युनिकेशन, चूना पत्थर, इंटरनेट, इंफ्रास्ट्रक्चर, कोयला, खदान, टीन और परमाणु ऊर्जा।
- मीन राशि
शक्कर, खांड, किराना, गुड़, घी, सुपारी, नारियल, तथा चावल। शेयर: फाइनेंस, बैंकिंग, इंश्योरेंस, एफएमसीजी, कोल्ड ड्रिंक, मिनरल वाटर, सरसों, गेहूं, अनाज, टेक्सटाइल, खाद्य तेल, अल्कोहल, फार्मास्यूटिकल, तेल एवं गैस, सोना, कांसा, गारमेंट और मीथेनॉल। ।
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तेजी मंदी पर ग्रहों का विशेष प्रभाव
ऊपर दिए हुए ग्रहों और राशियों के आधार पर कौन सी वस्तु किस ग्रह और राशि के अंतर्गत आती है यह हम जान चुके हैं। अब तेजी मंदी का ज्ञान जानने के लिए हमें कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होगा।
- जब सूर्य गोचर के दौरान वस्तु की राशि से तीसरे, छठे, दसवें और ग्यारहवें स्थान पर हो तो मंदी होती है और पहले, दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, आठवें, नवें स्थान पर होने से तेजी आती है।
- बृहस्पति वृद्धि कारक ग्रह है इसलिए बृहस्पति का गोचर काफी मायने रखता है। जब भी बृहस्पति का गोचर वस्तु की राशि से पहले, तीसरे, छठे, आठवें और बारहवें स्थान पर होता है तो उस गोचर के दौरान उस राशि के दामों में वृद्धि होती है अर्थात तेजी आती है। इसके विपरीत बृहस्पति का गोचर वस्तु की राशि से दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें, दसवें, और ग्यारहवें स्थान पर होता है, तो उस दौरान उस वस्तु के दामों में कमी अर्थात मंदी आती है।
- वस्तु की राशि से शनि गोचर में तीसरे, छठे, दसवें और ग्यारहवें स्थान पर हो तो मंदी होती है और पहले, दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, आठवें, नवें स्थान पर होने से तेजी आती है।
- इसी क्रम में बुध का गोचर पहले, तीसरे, चौथे, छठे, आठवें, नवें, और बारहवें स्थान पर होने से वस्तु के दामों में तेजी आती है तथा शेष भावों अर्थात दूसरे, पांचवें, सातवें, दसवें और ग्यारहवें भाव पर होने से वस्तु के दामों में मंदी आती है।
- पूर्ण चंद्रमा यदि वस्तु की राशि से पहले, तीसरे, छठे, आठवें और बारहवें स्थान पर होता है तो तेजी आती है तथा वस्तु की राशि से दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें, दसवें और ग्यारहवें स्थान पर होता है, तो उस दौरान मंदी आती है।
- वस्तु की राशि से मंगल गोचर में तीसरे, छठे, दसवें और ग्यारहवें स्थान पर हो तो मंदी होती है और पहले, दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, आठवें, नवें स्थान पर होने से तेजी आती है।
- यदि शुक्र गोचर की स्थिति पर नजर डाली जाए तो वस्तु की राशि से शुक्र के पहले, दूसरे, तीसरे, चौथे, पांचवें, नवें , दसवें, ग्यारहवें और बारहवें भाव में शुक्र का गोचर मंदी लाता है और इसके विपरीत छठे एवं सातवें स्थान पर शुक्र तेजी लेकर आता है।
- वस्तु की राशि से राहु गोचर में तीसरे, छठे, दसवें और ग्यारहवें स्थान पर हो तो मंदी होती है और पहले, दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, आठवें, नवें स्थान पर होने से तेजी आती है।
- इसी क्रम में केतु के गोचर के दौरान वस्तु की राशि से तीसरे, छठे, दसवें और ग्यारहवें स्थान पर होना मंदी का कारण बनता है और पहले, दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, आठवें, नवें स्थान पर होने से तेजी आती है।
ग्रहों की प्रकृति के अनुसार तेजी मंदी का ज्ञान
ग्रहों के गोचर के दौरान कुछ विशेष बातों का भी ध्यान रखा जाता है जैसे कि दो प्रकार के ग्रह होते हैं एक क्रूर ग्रह है और दूसरे स्वामी ग्रह। क्रूर ग्रहों में सूर्य, मंगल, शनि, राहु और केतु आते हैं जबकि सौम्य ग्रहों अंतर्गत बृहस्पति, बुध, शुक्र और चंद्रमा आते हैं।
- क्रूर ग्रह जब गोचरवश किसी सौम्य ग्रह की राशि पर आता है तब 12 अंश से 20 अंश तक मंदी करता है।
- इसके अतिरिक्त जब क्रूर ग्रह अपने मित्र सौम्य ग्रह की राशि पर आता है तब मंदी का कारण बनता है।
- क्रूर ग्रह जब किसी सम राशि (वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन राशि) पर गोचर करता है तब 12 अंश से 19-20 अंश तक की स्थिति के दौरान मंदी लाता है और इसके बाद तेजी का दौर शुरु होता है।
- वहीं इसके विपरीत जब कोई क्रूर ग्रह विषम राशि (मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ राशि)पर गोचर करता है तब 12 अंश से 19-20 अंश तक की स्थिति के दौरान तेजी लेकर आता है और उसके बाद मंदी करवाता है।
वार के अनुसार तेजी मंदी की स्थिति ज्ञात करना
ग्रहों एवं राशियों के अलावा प्रत्येक वार भी तेजी मंदी लाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान रखता है।
- यदि सोमवार को किसी वस्तु के दाम में तेजी होती है तो मंगलवार को उसके दाम में मंदी होती है। इसके विपरीत सोमवार को मंदी होने पर मंगलवार को तेजी होती है।
- यदि वस्तु मंगलवार को तेज हो तो बुधवार को मंदी होती है।
- यदि बुधवार के दिन मंदी है तो उस वस्तु में बृहस्पतिवार को तेजी अवश्य आती है।
- यदि बृहस्पतिवार के दिन बाजार में तेजी- मंदी का दौर हो तो वह शनिवार तक चलता है।
- यदि शुक्रवार के दिन तेजी हो तो बाद में मंदी होगी और यदि शुक्रवार को मंदी हो तो बाद में तेजी होगी।
- शनिवार को तेजी या मंदी हो तो बाजार में 1 सप्ताह तक तेज असर दिखाती है।
- यदि शनिवार को तेजी मंदी दोनों हो तो मंदी होने की संभावना अधिक होती है।
- यदि मंगलवार को तेजी हो और शनिवार को भी तेजी हो तो अगले मंगलवार तक तेजी बनी रहती है।
- इसके विपरीत यदि शनिवार को मंदी आ जाए तो तेजी रुकी रहेगी।
- रविवार के दिन जो वस्तु तेज होती है वह सोमवार को मंदी होती है और उसके विपरीत जो वस्तु रविवार को मंदी होती है तो वह सोमवार को तेज होती है। इस स्थिति में यदि सोमवार को मंदी ना आए तो मंगलवार का व्यापार देख कर कार्य किया जाना चाहिए।
- बृहस्पतिवार को मार्केट का रेट अगले बृहस्पतिवार भी लगभग वैसा ही रहता है।
शेयर बाजार में तेजी को जानने के कुछ अन्य तरीके
उपरोक्त स्थितियों के अलावा कुछ अन्य महत्वपूर्ण स्थितियाँ भी शेयर बाजार में तेजी लेकर आती हैं। ये स्थितियाँ निम्नलिखित हैं:
- गोचर के दौरान बुध ग्रह जब भी वक्री होता है तो तेजी की ओर इशारा करता है।
- इसी प्रकार जब गोचर में शनि वक्री होता है तो तेजी आने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
- यदि अमावस्या सोमवार और गुरुवार को पड़े तो मंदी आती है और यदि मंगलवार और शनिवार को आए तो तेजी लेकर आती है।
- जिस दिन संक्रांति होती है उस समय की कुंडली बनाने पर यदि सूर्य ग्रह शुभ ग्रहों से युक्त या दृष्ट होता है तो सूर्य से संबंधित राशि के प्रभाव में आने वाली वस्तुओं के बाजार भाव बढ़ जाते हैं।
- इसके विपरीत अशुभ ग्रहों से संबंध होने पर भाव घट जाते हैं।
- इसी क्रम में अमावस्या या पूर्णिमा को चंद्रमा शुभ ग्रहों से युत या दृष्ट होता है तो चंद्र के नक्षत्रों के अधीन वस्तुओं के भाव बढ़ जाते हैं।
- इसके विपरीत यदि चंद्रमा अशुभ ग्रहों से युत हो अथवा दृष्ट हो तो वस्तुओं के भाव घट जाते हैं।
- ऐन्द्र, व्यतिपात और वैधृति योग जिस दिन होता है उस दिन भी शेयर बाजार में अच्छी तेजी देखने को मिलती है।
- सूर्य, चंद्र एवं बुध ग्रहों का जब जब भी क्रूर अथवा सौम्य ग्रहों से वेध होगा तो उसी अनुसार शेयर बाज़ार में तेजी तथा मंदी देखने को मिलती है।
- संक्रांति जिस दिन हो, उससे एक दिन पहले जो भाव रहा हो और यदि संक्रांति के दिन वह भाव मंदा हो जाए तो लगभग एक महीने तक तेजी रहती है।
- इसके विपरीत यदि एक दिन पहले वाले भाव से संक्रांति वाले दिन तेजी रहे तो फिर आने वाले एक महीने तक मंदी रहने की संभावना होती है।
इनके अतिरिक्त अन्य कई नियम है जो शेयर बाजार तथा व्यापार में तेजी मंदी के कारण बनते हैं।
हम आशा करते हैं कि हमारा यह लेख आपको पसंद आया होगा और यदि आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो हमारा यह लेख आपको आवश्यक सहायता उपलब्ध कराएगा।